Thursday 17 December 2020

मँय काबर लिखथँव*

 *मँय काबर लिखथँव* 


मँय काबर लिखथँव विमर्श के ये विषय हर आज सिरतोन म मोला ये बात ला गुने बर संसो मा डार देय हवै , अउ घेरी बेरी मोर अन्तस् हर मोला पूछत हे आखिर मँय काबर लिखथँव । मँय तो अभी के अदरा नवसिखिया साहित्य के छोटकुन साधक अँव , साहित्य का होथे येखर पूरा मरम ला अभी तक से बने ढंग ले नइ जान पाये हँव । 

मँय कब अउ कइसे पढ़त लिखत सिखत सिखत साहित्य के ये क्षेत्र मा आ गेव मोला खुदे पताये नइ चलिस । मँय अपन स्कुल के समय मा स्कुल के प्रार्थना मा अनमोल वचन बोले बर राहय ,  तव सब शुरू शुरू मा कोनो कलेंडर म लिखाय मन ल बोलय त कोन्हों पेपर म छपे सुविचार मन ला बोलय । तब मँय सोचेव दूसर के लिखे विचार ल कब तक ले बोलबो , येखर ले अच्छा रही हम अपन विचार ल प्रार्थना म रखबो , अइसे कहिके मँय हर अपन स्कुल के समय मा सुविचार लिखे के शुरू करेंव ।


जब मँय अपन लिखे सुविचार मन ल प्रार्थना मा बोलव तब मोर सहपाठी संगी मन ओला कलेंडर अउ अखबार मा खोजय की आखिर येहा कामे के सुविचार ल बोलथे कहिके । मोर पढ़इ लिखइ जइसे तइसे बारहवी पास तक होइस । अब मँय हर अपन घर परिवार वाले मन संग काम बुता करे ल धर लेव , धीरे धीरे कमा के एकठन मोबाइल लेव । अब नवा नवा लेय रहेंव तो ओतेक जानकारी नइ रहिस मोला मोबाइल के , एक झन संगवारी बतावय येला अइसे चलाथे देला फलाना कहिथे येला ढेकाना कहिथे कहिके । उही संगवारी हर मोला वाट्सअप अउ फेसबुक ऐप ल डाउनलोड करके दिस अउ मोर आई डी बना के बताइस येला अइसे चलाना हे कहिके । धीरे धीरे चलाय के शुरू करेंव अब महूँ ल धीरे धीरे सब समझ म आवत गीस , की का होथे सोशलमीडिया फेसबुक वॉटसअप हर । मँय फेसबुक चलाय ल धर लेव फेसबुक म सबले पहिली मोर मुलाकात बड़े भइया कवि सुनील शर्मा जी "नील" मन ले होइस , मँय उनकर संगवारी के लिस्ट म रहेंव तेपाय के उनकर मन के सब पोस्ट मन मोर मोबाइल म आवँय । मँय उनकर मन के कविता रचना मन ल पढ़ते राहँव अउ उनकर मन के रचना मन म अपन विचार मन ला कमेन्ट करके रखँव ।


 सुनील भइया जी अउ हमर मन के बीच सुग्घर सम्बन्ध बनत गीस , एक दिन सुनील भइया मन अपन एक ठन मंचीय कार्यक्रम म प्रस्तुति के फोटु फेसबुक म शेयर करिन , जउन ल देख के मँय उनकर मन ले बहुत जादा प्रभावित होएव । अतका प्रभावित रहेंव की मँय उनकर मन ले उनकर मोबाइल नम्बर माँग के बात करके उनला अपन खुशी ल देखावत बधाई देव । तब सुनील भइया जी मन मोला कविता लिखे बर प्रेरित करिन की आप लिख सकथँव भाई जी आप अपन गाँव गली घर दुवार खेती खार बारी बखरी मन ल देख के का सोचथँव सब ल लिखव कहिके । सुनील भइया जी मन ले प्रेरित होके मँय हर अपन अलवा जलवा कविता मन ल लिखे के शुरू करेंव उन मन मोला सब दिन प्रोत्साहित करते राहय । तइसने ठउका मोला हमर "छंद के छ" छंद परिवार के आश्रय मिलिस , जउन हर मोर बर सोना ऊपर सुहागा असन होइस ।  एक तो मोर शुरवाती समे रहिस अउ ना काखरो से कोनो जादा चिन्ह पहिचान रहिस जेन मन काही बतातीन सिखातीन । 


अइसन समय म मोला हमर छंद परिवार मिलिस जउन हर मोर असन अंकुरित पीका ला सींच सींच के एक ठन पउधा बनाय के उदीम करिस ।  येला मँय अपन सौभाग्य मानथँव की मोला अपन शुरवाती दउर ले ही हमर परम् पूज्य गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी मन के आशीर्वाद के छाँव मिलिस । पूज्य गुरुदेव जी मन ले मँय हर छंद साधना के नान नान बारीकी मन ला जानेव अउ छंद ल सिखेव । गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी जउन मन मोर साहित्यिक गुरु आय , उन मन सबो दिन हमला ये बात ल बतावत राहय अउ अभी भी बताथे की लेखन के उद्देश्य बस किताब छपवाना नइ होना चाही । कुछ एकठन अइसे लिखव अउ करव जेखर ले लोगन मन आप ल सब दिन सुरता करय , अइसन लिखव जउन आप के नाव ल अमर कर दय । अइसे तो मँय हर साहित्य के ये क्षेत्र मा आय हँव , गुरुदेव जी मन ले जउन सीखे हँव अउ जाने हँव ओखर ले लागीस की सामाजिक जनजागरूकता अउ जन जागरण के कविता लिखना चाही ।


जउन रचना म समाज ल काही सन्देश जाय । मँय कोशिश तो इही करथँव की पद्य म लिखँव चाहे गद्य म कविता होय चाहे आलेख या कहिनी समाज बर कुछ न कुछ तो सन्देश होनेच चाही । तब तो हमर ओ लेखन के कोन्हों मतलब निकलही नइतो हमर ओ लिखइ हर बस छपवाये भर के होही । मोर अपन जादा रूचि लेके लिखे के एक ठन बड़का कारण इहु हर हे : - मोर अपन ननपन ले सपना रहिस पुलिस नइतो फौज म जाके अपन देश के सेवा करतेव कहिके । फेर किस्मत म नइ रहिस ओइसन सेवा हर , तब मँय सोचेव जवान मन उँहा हथियार थाम के सेवा कर सकत हे , तव हम हर कलम थाम के देश सेवा काबर नइ कर सकन । हम किताब मन म पढ़े हवन की - कलम की ताकत तलवार की ताकत से जादा होता है कहिके। इही सब ला सोंच के मँय हर अपन देश सेवा समाज सेवा के नाव ले कलम उठाये हँव अउ मँय येखरे बर ही लिखथँव ।   


                मयारू मोहन कुमार निषाद 

                  गाँव - लमती , भाटापारा ,

               छंद साधक सत्र कक्षा - 4

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