Sunday 6 December 2020

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के उपलक्ष्य म लोकाक्षर पटल म दिनांक- २६.११.२० से ३०.११.२० तक पांच दिवसीय आयोजन ऊपर विशेष विमर्श अउ रिपोर्टिंग

 छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के उपलक्ष्य म लोकाक्षर पटल म दिनांक- २६.११.२० से ३०.११.२० तक पांच दिवसीय आयोजन ऊपर विशेष विमर्श अउ रिपोर्टिंग

 जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया: राजभाषा दिवस के पावन अवसर म, लोकाक्षर परिवार के पाँच दिवसीय विशेष आयोजन 


*बहुत अकन विचार आइस,*

*बहुत अकन होइस गोठ।।*

*सच मा हमर  छत्तीसगढ़ी,*

*हावय जब्बर पोठ।*


         लोकाक्षर परिवार डहर ले,छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के पावन अवसर म पाँच दिवसीय आयोजन गजब सुघ्घर अउ मनभावन रिहिस। येखर बर अइसन महायज्ञ के रचयिया अउ होम करइया(भाग लेवइया)  जम्मो संगी साथी मन ल सादर बधाई अउ नमन। 118 झन सुधिजन मन ले सजे सँवरे ये समूह एक मिशाल आय, जिहाँ रोज सार्थक अउ समर्पित चर्चा छत्तीसगढ़ी भाँखा म होथे। विगत पाँच दिन ले छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर म विशेष आयोजन रिहिस, जेमा चर्चा, परिचर्चा अउ विचार मंथन के संगे संग आखिर दिन मनभावन काव्य गोष्ठी आयोजित होइस। वइसे तो सबे दिन के कार्यक्रम आकर्षक रिहिस, तभो, गोष्ठी जादा प्रभावी अउ मनभावन लगिस।

                 गोष्ठी म एक ले बढ़के एक गीत कविता तो सुने बर मिलबेच करिस, येखर आलावा छंद परिवार के सदस्य मन मनभावन छन्द बर्षा घलो करिन। छंद के छ के संस्थापक परम् पूज्य गुरुदेव अरुण निगम जी के आशीष प्रताप ले महू ल ये कार्यक्रम म भाग लेय के अवसर मिलिस। गोष्ठी म भाग लेके अद्भत अउ मनभावन प्रस्तुति बर परम् पूज्य गुरुदेव अरुण निगम जी,दीदी शकुंतला तरार जी, दीदी सुधा वर्मा जी, आदरणीय राम नाथ साहू सर जी, गुरु चोवा राम वर्मा बादल जी, गुरु दिलीप वर्मा सर जी, गुरुदीदी आशा देशमुख जी, दीदी शशि साहू जी, भैया मिलन मिल्हरिया जी, दीदी केवरायदु मीरा जी, भैया अजय अमृतांशु जी,भैया महेंद्र बघेल जी, भैया पोखनलाल जायसवाल जी, भैया पूरन लाल जायसवाल जी,कवि मोहन निषाद जी, भैया अनुज छत्तीसगढिया जी,भैया गया प्रसाद साहू जी,भाई राजेश निषाद जी, भैया ज्ञानू मानिकपुरी जी, दीदी वासन्ती वर्मा जी, दीदी शोभामोहन श्रीवास्तव जी, भैया मनीराम साहू मितान जी, भैया ओमप्रकास अंकुर जी, मयारुख भैया सूर्यकांत गुप्ता कांत जी, परम् आदरनीय बलदारु राम साहू सर जी, भैया बोधन निषाद जी, भैया जगदीश साहू हीरा जी, भैया सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी, अउ बड़े भैया शशि भूषण स्नेही जी, आप सब मन खूब रंग जमायेव।आप सबके मुखारबिंद ले मनभावन गीत कविता सुनके हिरदय जुड़ा गे।

         संगे संग सरलग चार दिन तक तर्क वितर्क अउ विचार आलेख के रूप म पटल म घलो बरोबर आइस।जेमा सदा सक्रिय रहइया भैया गयाप्रसाद साहू जी, परम् आदरणीय सर विनोद वर्मा जी, पूज्यनीय दीदी सरला शर्मा जी, परम् पूज्य गुरुदेव अरुण निगम जी, भैया पोखन लाल जायसवाल जी, परम् सम्माननीय भैया रामनाथ साहू जी,प्रोफेसर साहब  अनिल भटपहरी जी, भैया सत्य धर बाँधे जी,भैया बलराम चन्द्राकर जी, भैया अनुज छत्तीसगढ़िया जी, दीदी सुधा वर्मा जी, आप सबके विषयानुरूप विचार प्रभावी अउ उपयोगी रिहिस। वइसे तो लोकाक्षर परिवार हर दिन विषयानुरूप सक्रिय रथे, तभो राजभाषा दिवस के पावन अवसर म आयोजित पाँच दिवसीय कार्यक्रम मनमोहक अउ आकर्षक रिहिस, नवा उत्साह जगाइस। ये समूह के निर्माता परम् आदरणीय सुधीर वर्मा सर जी, एडमिन गुरुदेव निगम जी अउ दीदी सरला शर्मा जी, के संगे संग लोकाक्षर  परिवार के मया बरोबर मिलत रहय।कखरो नाम छूट गे घलो होही त, माफी देय के कृपा करहू। सबके लाजवाब प्रस्तुति बर अंतस ले बधाई, अउ सादर नमन।।


जीतेंन्द्र वर्मा खैरझिटिया

बाल्को, कोरबा(छग)

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विचार-कवि बादल 

प्रणम्य गुरुदेव सहित पटल के जम्मों वरिष्ठ मार्गदर्शक डा०सुधीर शर्मा जी, दीदी सरला शर्मा जी,डा० विनोद कुमार वर्मा जी मन के आशिर्वाद के छाया तले अउ प्रोत्साहन म,  भैया रामनाथ साहू जी, सुधा वर्मा दीदी जी ,गया प्रसाद साहू भैया जी मन के सानिध्य म पाँच दिवसीय राजभाषा समारोह  हकीकत म समारोह जइसे रहिस जेमा अपन प्रस्तुति के संगे संग दूसरो के प्रस्तुति ल सुन के,पढ़ के आनंद मिलिस।

    काली के कवि गोष्ठी तो अपन इंद्रधनुषी रंग बगरावत अदभुत रहिस। लोकाक्षर के अँगना म छंद वर्षा सावन के रिमझिम फुहार कस लागत रहिस जेमा जितेंद्र वर्मा भाई जी के काव्यमय सटीक संचालन चार चाँद लगावत रहिस।

   शुरु म लागत रहिस के ये आयोजन ह औपचारिक बन के रहि जाही का फेर लोकाक्षर परिवार के जम्मों रचनाधर्मी मन ये आयोजन ल जीवंत कर दिन। अइसन भव्य अउ गरिमामयी आयोजन के सहभागी बनके धन्यता के अनुभव होवत हे

चोवा राम 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

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*छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के एक बड़े उपलब्धि* : छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के सफल आयोजन

      छत्तीसगढ़ी साहित्य के संवर्धन अउ संरक्षण के नींव गाड़े स्थापित साहित्यकार अउ नवोदित रचनाकार मन के साहित्यिक समूह हे -छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर। जउन सोशल मीडिया व्हाट्सएप म सरलग साहित्यिक गतिविधि ले छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ करत हे। ए समूह म प्रणम्य छंदविद् श्री अरुण कुमार निगम जी के संयोजन अउ परिकल्पना ले छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के बेरा म छत्तीसगढ़ी साहित्य बर पाँच दिवसीय साहित्यिक आयोजन करे गिस। जउन 26नवंबर ले30 नवंबर तक सरलग चलिस। हर दिन बर आने-आने कार्यक्रम तय रहिस।

     पहलइया दिन छत्तीसगढ़ के पुरोधा साहित्यकार मन ल सुरता करे गिस। जिंकर कृति मन ले छत्तीसगढ़ी साहित्य के दिशा अउ तत्कालीन समाज के दशा ल समझे अउ रचना करे के महत्तम सीखे बर मिलिस। इही कड़ी म गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी मन छत्तीसगढ़ म छंद के अलख जगइया अउ जनकवि श्री कोदूराम  दलित जी के सुरता कराइन। दलित जी मन सिरीफ 16 बछर के उमर मकाव्य यात्रा के शुरुआत करे रहिन। उन मन अँग्रेजी शासन के विरोध म खूब कविता लिखिन अउ आजादी बर जन जागरण के उपाय करिन। देशभक्ति के स्वर के अलावा उँकर साहित्य म सामाजिक चेतना के सुर, छुआछूत अउ अंधविश्वास जइसन कुरीति के जड़ उखाड़े के सुर देखे जा सकथे। उँकर काव्य लेखन वर्णिक अउ मात्रिक दूनो प्रकार के छंद म रहिन। उन ल अपन समय म जन-जन ले जुरे रचना खातिर कविसम्मेलन के मंच म लोकप्रियता मिलिस। वो दिन म आकाशवाणी भोपाल ले  कविता प्रसारण होना अपन आप म बड़े बात रहिस। छत्तीसगढ़ी साहित्य बर देखे उँकर सपना ल पूरा करे बर उँकर बेटा श्री अरुण कुमार निगम जी मन 2015 म *छंद के छ* नाँव ले एक किताब निकालिन अउ 2016 म ऑनलाइन कक्षा शुरु कर छत्तीसगढ़ी म विशुद्ध छंद लेखन बर भगीरथ प्रयास करिन जउन आज एक आन्दोलन बनगे हे। जेकर ले छत्तीसगढ़ी साहित्य के भंडार म रोज नवा सृजन होवत हे।

     छत्तीसगढ़ के गद्य साहित्य म बड़े नाँव सरला शर्मा जी मन छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के पुरोधा डॉक्टर पालेश्वर प्रसाद शर्मा जी ल सुरता करिन। उन मन शर्मा जी ल *गुड़ी के सियान*  संबोधित कर बहुत अकन बिन कहे कही दिन। गुड़ी के सियान शब्द ह बहुत अकन गहिर बात ल समेटे हे। छत्तीसगढ़ी साहित्य बर शर्मा जी के अवदान भुलाए नइ जा सकय। आप छत्तीसगढ़ी गद्य के शिल्पी आव। आपके भाषा सहज सरल होय के संग मुहावरा-कहावत ले सजे हे। छत्तीसगढ़ी साहित्य म जब कभू कहानी अउ ललित निबंध के गोठ होही आपके नाँव बिना वो गोठ अबिरथा रही। 

      सुरता के कड़ी ल आगू बढ़ात श्री गयाप्रसाद साहू जी मन *मोर संग चलव रे....* के अमर गायक अउ छत्तीसगढ़ी अस्मिता अउ स्वाभिमान के पर्याय रहे श्री लक्ष्मण मस्तुरिया जी ल याद करिन। मस्तुरिया जी के संग बिताय पल ल सुरता करत अउ कतको उँकर समकालीन साहित्यकार मन ल सुरता करिस।अपन अनुभव साझा करत उन ल श्रद्धा सुमन अर्पित करिन।

    श्री ओम प्रकाश साहू जी पुरखा जनकवि श्री विसंभर यादव मरहा जी के सुरता करावत पहिली हिंदी म उँकर व्यक्तित्व अउ कृतित्व ल अपन अनुभव संग साझा करिन, तहान छत्तीसगढ़ी म अनुवाद रखिन। आप मन अपन विद्यार्थी जीवन ल सुरता करत संत पवन दीवान जी ले जुरे अनुभव घलो पुरोधा साहित्यकार के सुरता क्रम म रखेव।

      युवा साहित्यकार अजय साहू 'अमृतांशु' सुशील यदु जी के सुरता ले के आइन।आपमन श्री यदु के जीवन वृत्त ल विस्तार ले रखेव अउ बताएव कि यदु जी छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण बर संघर्ष करइया मन ल सहयोग करिन। राज बने के बाद छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा बनाए बर प्रयास अउ संघर्ष म यदु जी आगूच रहिन। आजीवन आप छत्तीसगढ़ी बर समर्पित रहेव। अमृतांशु जी मन यदु जी के संग अपन आत्मीय संबंध के चर्चा करत उन ल सरल सहज व्यक्तित्व के बताइन। 

    ए तरह कहे जा सकथे कि पुरखा मन के कृतित्व अउ व्यक्तित्व ले जगर मगर करत साहित्य जगत हमर राह सुगम करही। बस हमन उँकर सही अनुकरण करत राहन। हवा म उछले के कोशिश झन करन।

        जब तक ए पटल म प्रणम्य गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी, डॉ. सुधीर शर्मा जी, दीदी सरला शर्मा जी, आदरणीय विनोद वर्मा जी, आ. रामनाथ साहूजी, आ. गयाप्रसाद साहू जी, दीदी सुधा वर्मा जी,भैया चोवाराम वर्मा बादल जी मन के अनुभव ले मार्गदर्शन होही छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर अपन उद्देश्य म जरूर सफल होही, कही सकथँव।

*पोखन लाल जायसवाल*

पलारी बलौदाबाजार

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 अरुण कुमार निगम : 🌹 *रिपोर्टिंग* 🌹


*छत्तीसगढ़ी राज भाषा दिवस के उपलक्ष्य मा छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर द्वारा पाँच दिन के विशेष आयोजन करे गे रहिस जेमा छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन उत्साह के संग हिस्सा लिन। पँचदिनी आयोजन के रिपोर्ट मा  तारीखवार आयोजन  के विषय अउ सहभागी साहित्यकार मन के नाम प्रस्तुत हे* - 


*पहिली दिन 26 नवम्बर 2020*


 *विषय - छत्तीसगढ़ के पुरिधा साहित्यकार*


*सहभागी* -


अरुण कुमार निगम - छत्तीसगढ़ मा छन्द के अलख जगइया जनकवि कोदूराम "दलित" 


सरला शर्मा - गुड़ी के सियान डॉ. पालेश्वर शर्मा


गया प्रसाद साहू - सूरता : महान गीतकार, गायक लक्ष्मण मस्तुरिया जी


अजय अमृतांशु - सुरता : सुशील यदु


ओमप्रकाश साहू "अंकुर" - पवन नइ आँधी रहिस : पवन दीवान


ओमप्रकाश साहू "अंकुर" - कविता के लगइस सुग्घर थरहा : विश्वम्भर "मरहा"


*दुसरैया दिन - 27 नवम्बर 2020*


*विषय - छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के औचित्य*


*सहभागी* - 


सरला शर्मा

चोवाराम "बादल"

अनुज छत्तीसगढ़िया

अशोक तिवारी

पोखनलाल जायसवाल 

अरुण कुमार निगम


*तीसर दिन - 28 नवम्बर 2020*


*विषय - अवइया समय के छत्तीसगढ़ी*


*सहभागी*-


सरला शर्मा

सत्यधर बाँधे "ईमान"


*चौथइया दिन - 29 नवम्बर 2020*


*विषय - 28 नवम्बर 2020 के छत्तीसगढ़ के अलग अलग शेर मा आयोजित कार्यक्रम के रिपोर्टिंग*


*सहभागी* -


अरुण कुमार निगम - केशव पाल तिल्दा नेवरा द्वारा आयोजित ई मेल इन्टरव्यू मा मोटिवेशनल स्टोरी


*पाँचवाँ दिन - 30 नवम्बर 2020*


*विषय - ऑनलाइन कविगोष्ठी*


*भाग लेने वाला कविगण* - 

*जम्मो आदरणीय*


गयाप्रसाद साहू, 

मोहन कुमार निषाद, 

बोधनराम निषादराज, 

चोवाराम "बादल", 

ज्ञानुदास मानिकपुरी, 

दिलीप कुमार वर्मा, 

आशा देशमुख, 

शशिभूषण स्नेही, 

शोभामोहन श्रीवास्तव, 

अजय अमृतांशु, 

अनुज छत्तीसगढ़िया, 

सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, 

जितेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया", 

जगदीश हीरा साहू, 

बलदाऊराम साहू, 

अरुण कुमार निगम, 

सूर्यकान्त गुप्ता, 

राजेश कुमार निषाद, 

मनीराम साहू "मितान", 

सुधा वर्मा, 

रामनाथ साहू, 

वसंती वर्मा, 

पूरन जायसवाल, 

महेंद्र बघेल, 

केवरा मीरा यदु, 

शशि साहू, 

मिलन मलरिहा, 

शकुंतला तरार। 


ये विराट कविगोष्ठी मा छत्तीसगढ़ के रतनपुर, लामता- भाटापारा, सहसपुर लोहारा, हथबन्द, चंदैनी- कबीरधाम, गोरखपुर-कबीरधाम, बलौदाबाजार, एन टी पी सी जमनीपाली कोरबा, बिलाईगढ़, भाटापारा, पाली-कोरबा, दुर्ग, रायपुर, बाल्को, सुरगी-राजनाँदगाँव, बिलासपुर, जांजगीर, कचलोन-सिमगा, पलारी, डोंगरगांव, राजिम, मल्हार आदि गाँव-शहर के रहवइया कवि मन अपन रचना में सस्वर पाठ करिन। कुछ कवि मन दू अउ तीन रचना के घलो पाठ करिन। ये कविगोष्ठी के विशेषता रहिस कि एमा कविता अउ गीत के अलावा अनेक छन्द मा छत्तीसगढ़ी भाषा मा उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत करे गिस। 


*भूलवश ककरो नाम छूट गे होही तो माफी चाहत हँव*।


 आयोजन मा हिस्सा लेने वाला हरेक साहित्यकार, पाठक, प्रोत्साहित करइया, प्रतिक्रिया देवइया, समीक्षा करइया आदरणीय मन के हिरदे ले आभार। जउन मन उपस्थिति नइ दिन फेर पढ़िन अउ सुनिन, वहू मन के हिरदे ले आभार। छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के संस्थापक डॉ. सुधीर शर्मा जी ला अविस्मरणीय पँचदिनी आयोजन बर गाड़ा-गाड़ा बधाई। 


अरुण कुमार निगम

*एडमिन*लोकाक्षर

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27नवंबर2020 के दिन *छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के औचित्य* ऊपर विचार आमंत्रित करे गे रहिस।

        कोनो भी दिवस मनाय जाथे त ओकर एक उद्देश्य रहिथे। ए उद्देश्य के पूर्ति हर ही ओकर औचित्य ल निर्धारित करथे कि ए दिवस मनाना कतका सफल रहिस अउ कतका असफल? एकर बाद फेर समीक्षा होथे कि आगू ए जारी राखे जाय कि नहीं? ए अलग बात हे कि आज बहुत अकन दिवस ल मनाय के उद्देश्य बदल गे हे। दिशा भटके हे। कहे के मतलब हे अब कतको दिवस म राजनीति रंग चढ़ गे हे।  खैर ए बात इहाँ करे के जरूरत नइ हे।

     छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर म छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के दूसरइया दिन *छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के औचित्य* ऊपर विचार आमंत्रित करे गे रहिस। जेमा दीदी सरला शर्मा जी मन पहिली विचार रखिन। अउ छत्तीसगढ़ी ल जन-जन के भाषा बने म ही ए दिवस के औचित्य बताइन। उन कहिन -छत्तीसगढ़ी भाषा बर जन-जन के गरब-गुमान जागय, ...व्यापार के भाषा बनय।

      सरला दीदी के विचार पढ़के आदरणीय विनोद वर्मा जी विमर्श के लइक विचार रखिन। अउ ध्यातव्य सुझाव घलो रखिन।

      

       भैया चोवाराम वर्मा बादल जी मन छत्तीसगढ़ी राजभाषा बर संघर्ष के चर्चा करत छत्तीसगढ़ी के दशा अउ दिशा ल लेके चिंता व्यक्त करत कहिन कि प्राथमिक शिक्षा म छत्तीसगढ़ी ल अनिवार्य करे ले ही ए दिवस ल मनाए के औचित्य सार्थक हो पाही।

       आदरणीय अशोक तिवारी जी मन छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के औचित्य छत्तीसगढ़ी भाषा बर  संकल्प, समीक्षा अउ सम्मान के आवश्यकता बताइन। तीनों *स* ल विस्तार ले  बताइन घलोक।

      पुरुषोत्तम छत्तीसगढ़िया जी मन छत्तीसगढ़ी ल जन-जन तक पहुँचाय म ही ए दिवस मनाए के औचित्य  कहिन। छत्तीसगढ़ी भाषा के उत्थान बर सुझाव घला रखिन।

     श्री बलदाऊराम जी साहू मन छत्तीसगढ़ी माध्यम म पढ़ई के पहली पाठ्यक्रम तय करे बात कहिन।

      पोखन लाल जायसवाल जी के मुताबिक छत्तीसगढ़ी राजभाषा मनाए के औचित्य छत्तीसगढ़िया मन के छत्तीसगढ़ी बोले म शरम नइ करे म हे। मन ले छत्तीसगढ़ी स्वीकारे म ही दिवस के सार्थकता हे। 

     श्री विनोद वर्मा जी मन मानकीकरण ल भाषा के सतत् प्रक्रिया बताइन।

     छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस मनाए के औचित्य बर श्री अरुण निगम जी मन आत्म समीक्षा अउ आत्मचिंतन के जरुरत बतावत अपन सम्यक चिंतनपरक विचार प्रकट करिन।

      अइसन चर्चा ले ही नवा-नवा विचार आथे, नवा -नवा आयाम मिलथे। 


पोखन लाल जायसवाल

पलारी बलौदाबाजार

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आदरणीय निगम सर जी

ग्रुप एडमिन

छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर

सादर वंदन 

ग्रुप संचालक

आदरणीय सुधीर शर्मा सर जी

सादर वंदन

   साथ ही एक पटल म जुड़े जम्मो साहित्यकार दीदी,भईया ला जोहार पांयलागी

    *छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के उपलक्ष्य म दिनांक-३०.११.२० तक पांच दिवसीय विशेष विमर्श म जुड़ के हमन ला अईसे लगिस -"जाना गंगा-यमुना-सरस्वती त्रिवेणी संगम म अवगाहन करे के मौका मिल गे"*|

     *ईमान से कहत हौं-"एसों  विश्व व्यापी कोरोना महामारी" के भयानक प्रभाव के कारण छत्तीसगढ शासन-प्रशासन द्वारा "छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस" के आयोजन केवल औपचारिकता निभाए बर करे गईस,तव जम्मो कवि,लेखक, गीतकार, गायक, संगीतकार,सब लोककलाकार के मन खूब दुखदाई अनुभूति होईस,सबके मन ह भुकुर-भुकुर लगत रहिस,काबर के जऊन जेन नशा म आकंठ डुबे रहिथें,कहूं ओला वंचित कर दिए जाथे,तव ऊंकर जीना मुश्किल हो जाथे, तईसनेच साहित्यकार, लोककलाकार मन ला मंच नइ मिलय,तव ऊंकर जिंदगी दूभर हो जाथे !*

     *लेकिन छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर मंच ह हमर छुहून-छुहून मन ला थोकिन बोधे बर सहायक सिद्ध होईस* |

     *हमन हर साल अपन कालेज म "छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस" ला खूब धूमधाम से मनावत रहेन, सन् २०१८ के राजभाषा दिवस तो अउ सब ले जादा व्यापक रूप म हर स्कूल कालेज के अलावा छत्तीसगढ शासन के हर विभाग म खूब श्रद्धा भाव से मनाए गईस,काबर के छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष माननीय डाक्टर विनय कुमार पाठक जी ह वो दिन ला एक अविस्मरणीय पर्व के रूप म मनाए बर माहौल तैयार करे रहिन,एकर बर माननीय पाठक जी के महत्त्वपूर्ण योगदान ह सदैव याद करे जाही* |

     *दिनांक-३०.११.२०२० के दिन पांच दिवसीय विशेष कार्यक्रम के समापन अवसर म बिहनिया ८.०० बजे ले रात १० बजे तक आनलाईन राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन होईस,तेमा अधिकांश संगवारी मन अपन रचना प्रस्तुत करके अपन उदासी तन-मन म थोकिन आनंद के अनुभव प्राप्त करिन,सब ला जथाजोग प्रसाद मिले सही खुशी होईस* |

    *ये विशेष पांच दिवसीय साहित्यिक आयोजन बर छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर परिवार के एडमिन अउ संचालक महोदय ला हिरदय ले धन्यवाद, साधुवाद देवत हन* |

    गया प्रसाद साहू

     "रतनपुरिहा"

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 सरला शर्मा: मोर विचार 

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    26 नवम्बर ले 30 नवम्बर तक राजभाषा छत्तीसगढ़ी के सनमान बर पांच दिनी  आयोजन छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर पटल मं करे गिस जेहर हम सबो झन बर गरब - गुमान करे लाइक बात आय अउ सबो दिन रहिही भी । 

  थोरकुन संसो ए बात के होइस के अतेक बड़ पटल मं अतेक झन बुधियार , गुनी मानी लिखइया , पढ़इया मन ल डॉ सुधीर शर्मा जोरे हंवय फेर लिखइया मन कम काबर दिखत हें , दूसर बात के सिरिफ वाह ..वाह मं मन नइ भरय जी । छत्तीसगढ़ी भाषा अउ साहित्य ल आघू बढ़ाना हे त गुरतुर -नुनछुर , करू- कस्सा , हित -अनहित सबो बात / विचार के चर्चा होना जरूरी हे तभे लेखन शैली मं सुधार आही । 

   पुरोधा मन के सुरता ल पढ़ के मोला बहुत अकन जानकारी मिलिस सराहे च बर परही ।  

छत्तीसगढ़ी भाषा के औचित्य मं सबके लेख , विचार जान के बने लगिस फेर गुने बर परिस के आजादी के सातवां दशक के बाद भी हिंदी ल संविधान मं राष्ट्रभाषा के पद अभियो नइ मिल पाए हे त छत्तीसगढ़ी ल देश के आठवीं अनुसूची मं जघा नइ मिल पाए हे एकर  बर पोट्ठ उदिम करे बर परही । 

  अवइया समय के छत्तीसगढ़ी विषय मं लोक व्यवहार अउ व्यापार ले छत्तीसगढ़ी ल जोरे के विचार पढ़ के मन जुड़ा गे इही ल तो उदर भरण के विद्या कहिथें । सबो झन के लेख समसममयिक रहिस । रिपोर्टिंग मं चिटिक पिछुआ गएन तइसे लगिस जेकर कारण कोरोना के चलते आयोजन के कमी हर आय तभो राजभाषा आयोग के कार्यक्रम के रिपोर्टिंग पढ़े बार मिलिस । 

  समापन दिवस के कवि गोष्ठी ल कभू भुलाये नइ सकंव सबो कोर - कसर पूरा होगिस पहिली लिखे रहेंव । एके ठन बात अउ जोरत हंव के माटी महतारी के वंदना करना बने बात आय फेर वर्तमान समस्या जइसे अभी चलत किसान आंदोलन असन विषय मन के चर्चा भी तो कवि के कर्तव्य आय एहू डहर चिटिक ध्यान देहे बर परही । 

   सबले बड़े अउ जरूरी बात जेहर सुरता राखे लाइक हे के लिखइया मन संवर्धन , चर्चा , सम्प्रेषण , प्रतियोगिता असन शब्द मन के प्रयोग करे लगिन हें । अवइया दिन मं इही हर छत्तीसगढ़ी के स्वरूप निर्धारण करही । दूसर खुशी के बात एहू हर आय के छत्तीसगढ़ी गद्य लेखन डहर लोगन के रुझान जागिस हे । 

    ये पांचदिनी आयोजन हर राजभाषा छत्तीसगढ़ी समारोह के इतिहास मं नवा अध्याय लिख दिस । ते पाय के एकबार फेर संस्थापक डॉ सुधीर शर्मा , एडमिन अरुण निगम , कवि गोष्टी के सहसंचालक जितेंद्र खैरझिटिया सहित सबो साहित्यकार लिखइया पढ़इया , सहभागी , समीक्षक  मन संग छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के सबो सदस्य मन ल अंतस ले बधाई  ।

आशा हे अवइया साल मं एकरो ले बड़े आयोजन होही । 

जय छत्तीसगढ़ , जय छत्तीसगढ़ियों 

  सरला शर्मा 

    दुर्ग 

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छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव (छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर)*

----------------- ( महेन्द्र बघेल)

छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर मा छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के तरफ ले पांच दिवसीय ( 26 नवम्बर ले 30 नवम्बर तक) साहित्यिक कार्यक्रम के आयोजन करे गीस। जिहां 26 नवंबर प्रथम दिवस मा *छत्तीसगढ़ के पुरोधा साहित्यकार के साहित्यिक अवदान* विषय मा आलेख आमंत्रित करे गे रहिस। ये विषय मा हमर पुरखा साहित्यकार मनके साहित्यिक अवदान ला रेखांकित करत बुधियार साहित्यकार मनके द्वारा सुग्घर जीवन वृतांत पटल मा प्रस्तुत करे गीस। ये पटल के एडमिन श्री अरूण कुमार निगम जी हर जनकवि कोदू राम दलित जी के उपर, दीदी सरला शर्मा हर डाॅ. पालेश्वर शर्मा के उपर, श्री गया प्रसाद साहू हर गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के ऊपर, श्री अजय अमृतांशु हर सुशील यदु जी उपर, श्री ओमप्रकाश साहू हर पवन दीवान अउ विसंभर यादव मरहा के ऊपर अपन आलेख पटल मा रखिन।

हमर पुरखा साहित्यकार मनके वयक्तित्व अउ कृतित्व ला पढ़के अब्बड़ अकन नवा जानकारी मिलिस , छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्रति उनकर समर्पण अउ संघर्ष हा नवा कलमकार मन बर प्रेरणास्पद ही नहीं अपितु अनुकरणीय भी हवय।

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पांच दिवसीय आयोजन के क्रम मा दूसरैया दिन *छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के औचित्य* विषय उपर केन्द्रित मौलिक विचार ला पटल मा प्रस्तुत करे के अवसर प्रदान करे गीस।

ये विषय मा चर्चा होय के पहिली, पाछू दिन के मरहा जी वाले आलेख ला कोड करत श्री अजय अमृतांशु हर अपन संस्मरण साझा करिन।

तेकर बाद मा विषय ऊपर सबले पहिली दीदी सरला शर्मा के विचार आइस, ओमन छत्तीसगढ़ी साहित्य लेखन अउ स्कूली पाठ्यक्रम बर विस्तार पूर्वक चर्चा करत अपन सारगर्भित बात रखिन। अगले क्रम मा श्री चोवा राम वर्मा हर छत्तीसगढ़ी बर पुरोधा मन के संघर्ष अउ वर्तमान मा छत्तीसगढ़ी के दशा दिशा के ऊपर अपन विचार रखिन। इही बीच दीदी सरला शर्मा के विचार ला कोड करत तीन साहित्यकार मन के अभिमत पढ़े बर मिलिस।उन मा सर्वप्रथम डॉ विनोद वर्मा जी के समीक्षात्मक टिप्पणी आईस, उन मन कहिन छत्तीसगढ़ी के सुग्घर  भविष्य बर ये भाषा के मानकीकरण के अत्यंत आवश्यकता हवय। तत्पश्चात श्री अशोक तिवारी हर साहित्यकार मन के सतत संघर्ष अउ शासकीय उदासीनता ऊपर चिंता व्यक्त करिन। ओखर बाद श्री रामेश्वर गुप्ता हर अंग्रेजी स्कूल खुले ले छत्तीसगढ़ी कहीं नेपथ्य मा झन चले जाए कहिके अपन विचार रखिन। कुछ समय पश्चात आबंटित विषय मा श्री अनुज छत्तीसगढ़िया के विचार आईस, ओमन सकारात्मक भाव ले छत्तीसगढ़ी भाखा ल अपनाय बर कहिन।

तत्पश्चात डाॅ. विनोद वर्मा के टिप्पणी ऊपर प्रति टिप्पणी करत श्री रामनाथ साहू हर राजकाज अउ शिक्षा-दीक्षा के भाषा ऊपर अपन चिंता जाहिर करिन। विषय उपर श्री बल्दाऊ राम साहू अपन विचार व्यक्त करत कहिन कि छत्तीसगढ़ी मा अभी तक कोन कक्षा मा का पढ़ाय जाय उही च कार्ययोजना के इहाॅं लगभग अभाव हे।श्री पोखन लाल जायसवाल हर छत्तीसगढ़ी ला रोजगार मूलक भाषा बनाएं बर जोर दिन। श्री बलराम चंद्राकर हर राजभाषा आयोग के ऊपर प्रश्नचिन्ह उठावत कहिन कि येमन काबर उदासीन हवॅंय। अंत मा एडमिन श्री अरुण कुमार निगम हर अपन बात रखत कहिन कि सरकार संग हम सब ला छत्तीसगढ़ी भाषा बर आत्म समीक्षा और आत्म चिंतन के जरूरत हे।

येकरे साथ दूसरैया दिन के विषय काल के समापन होइस।

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आयोजन के तिसरैया दिन यानी छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव 28 नवंबर के दिन *अवइया समय के छत्तीसगढ़ी* विषय ऊपर विचार आमंत्रित करे गिस । ये दिन पटल के लगभग सबो सक्रिय सदस्य मन बिहनिया च ले छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के अवसर मा बधाई अउ शुभकामना संदेश लगातार पठोवत रहिन। आबंटित विषय मा दो प्रबुद्ध साहित्यकार मन के विचार आइस सबसे पहली दीदी सरला शर्मा छत्तीसगढ़ी के व्याकरण पक्ष ला पोठ करे बर शानदार ढंग ले अपन विचार पटल मा रखत कहिन कि भाषा हर परिवर्तन शील सामाजिक सम्पत्ति आय तब छत्तीसगढ़ी ला पाठ्यक्रम मा 12. 72 % से  70.12 % तक पहुंचाना हमर लक्ष्य होना चाही। अभिव्यक्ति के अगला क्रम मा श्री सत्यधर बांधे हर अपन सुग्घर विचार रखिन।

 आज छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस उत्सव होय के कारण पूरक सामग्री के रूप मा श्री अजय अमृतांशु के द्वारा छत्तीसगढ़ी ला राज काज के भाषा बनाय बर अपन साहित्यिक संस्था अभिव्यक्ति डहर ले माननीय मुख्यमंत्री जी ला पठोय गय पत्र के जानकारी, वैभव प्रकाशन रायपुर के सहयोग ले आनलाइन  गोठबात के नेवता संग गुगल मीट के लिंक अउ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डहर ले कार्यक्रम के नेवता संग दीदी सुधा वर्मा ल सम्मानित करे संबंधित पत्र ला पटल मा साझा करे गिस।

येकरे संग तिसरइया दिन के आयोजन मा विराम लगिस।

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आयोजन के रूपरेखा अनुसार चौथइया दिन ला *तीसरइया दिन के आयोजन के रिपोर्टिंग* बर आरक्षित रखे गय रहिस।

सौभाग्य से छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के दिन साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय ई संगोष्ठी मा भाग लेहे के अवसर मिलिस।

दिनाॅंक 28 नवंबर 2020 के बिहनिया 11 बजे ले *छत्तीसगढ़ी, भाषा, संस्कृति अउ लोक साहित्य* विषय मा आयोजित ई संगोष्ठी हर माननीय कुलपति डॉ. केशरी लाल वर्मा के उपस्थिति मा पहुना डॉ. चितरंजन कर भाषाविद एवं साहित्यकार, डॉ. राजन यादव लोक साहित्य के मर्मज्ञ, डॉ. अनिल भतपहरी लोक साहित्यकार एवं श्री रामनाथ साहू उपन्यासकार मन के पहुनाई मा प्रारम्भ होइस।

सबले पहिली डॉ. स्मिता शर्मा हर कार्यक्रम के शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुल गीत *सत्य शिव सुंदर से अभिमंत्रित सुहावन*, *ज्ञान का विज्ञान का यह तीर्थ पावन* ले करिन। फेर दीपमाला शर्मा व साथी मन छत्तीसगढ़ राज गीत *जै हो जै हो छत्तीसगढ़ मैया*  ले प्रारंभ करके *जतन करव भुइयां के संगी जतन करव,बही बना दिये रे बुंदेला, ओ गाड़ी वाले..पता ले जा रे, घोड़ा रोवय घोड़ेसारे मा* तक अपन सांगीतिक प्रस्तुति रखिन।

पहिली वक्ता के रूप मा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ केशरी लाल वर्मा हर कहिन कि छत्तीसगढ़ी के मान सम्मान अउ प्रगति हर ख़ुद के मान सम्मान अउ प्रगति आय। संस्कृति अउ लोक साहित्य के विकास कइसे होय येकर चर्चा के साथ, आगे येकर पठन पाठन के चर्चा भी आवश्यक हे।

  डाॅ. शैल शर्मा कार्यक्रम के संयोजक हर अपन वक्तव्य मा कहिन कि छत्तीसगढ़ मा बंधुत्व, एकता अउ प्रेम के अद्भुत परम्परा हर सामाजिक एकता के रीढ़ आय।

श्री रामनाथ साहू जी उपन्यासकार हर  *हीरू के कहनी* से लेकर *भुइया* उपन्यास के यात्रा वृत्तांत बतावत कहिन कि समग्र राष्ट्रीय चेतना से छत्तीसगढ़ हा अलग नइहे।

डॉ. अनिल भतपहरी हर छत्तीसगढ़ी के प्राचीन अउ अर्वाचीन स्वरूप के उपर चर्चा करत छत्तीसगढ़ ला आर्य ,अनार्य अउ द्रविड़ तीनों संस्कृति के समागम बताइन।

डॉ.राजन यादव लोक साहित्य के मर्मज्ञ हर छत्तीसगढ़ी लोकगीत के विशेषता ला बतावत कहिन कि पूर्व काल मा पर्यावरणीय अउ भौगोलिक अनुभव के फलस्वरूप लोकगीत के माध्यम से समाज ला शिक्षा मिलत‌‌‌ रहिस।अउ आघू कहिन कि आज हमला छत्तीसगढ़ी राजभाषा ला सिरिफ कागज मा नहीं सचमुच के राजभाषा बनाय बर परही।

अंतिम वक्ता के रूप मा भाषाविद डॉ चितरंजन कर हर अपन विचार व्यक्त करिन कि संवैधानिक ढांचा मा शामिल होय ले नहीं ओमा काम करे ले भाषा के गौरव बाढ़ही।ज्ञान अउ भाषा हर एक पन्ना के दू पृष्ठ आय, जेला अपन मातृभाषा नइ आवय ओला कोई भाषा नइ आवय।

ये कार्यक्रम के सह संयोजक डॉ मधुलता बारा हर आभार प्रकट करिन।

कार्यक्रम के सुचारू रूप से संचालन के दायित्व डॉ गिरिजा शंकर गौतम हर निभाइस।

अउ अंत मा भाषा एवं अध्ययनशाला पं रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के तरफ ले, ई प्रमाण पत्र मिल सके कहिके कार्यक्रम मा शामिल होवइया छात्र, शोधार्थी, शिक्षक अउ साहित्यकार मन ले अपन फीडबैक फार्म ला भरे के अपील करें गइस।

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आयोजन के पांचवा दिन 30 नवंबर 2020 के *ऑनलाइन कवि गोष्ठी*  के कार्यक्रम रखे गिस।


आनलाइन कवि गोष्ठी के शुभारंभ वरिष्ठ कवि गया प्रसाद साहू के सुरमयी सांगीतिक वंदना अउ *तोला बंदव तोला बंदव, तोहिला बंदव* के साथ होइस, ओकर पश्चात क्रमश: मोहन कुमार निषाद लमती (घनाक्षरी) - *भाखा महतारी आय, मान सबो रखलव* , बोधन राम निषाद कवर्धा ( लावणी छंद) - *ये माटी मा हीरा मोती,ये माटी हा चंदन हे*,चोवा राम वर्मा बादल ( गीत) - *मन भीतरी मा जी कहुं घपटे हे अंधियार* , ज्ञानूदास मानिकपुरी कवर्धा ( छप्पय छंद)- *मुचमुच ले मुस्कान,कहर हिरदय मा ढाथे*, दिलीप कुमार वर्मा (छंद पकैया)- *छंद पकैया छंद पकैया,जाड़ा के दिन आगे।* दीदी आशा देशमुख (शक्ति छंद)- *मिंजाई चलत हे,बियारा भरे*, शशिभूषण सनेही (मनहरण घनाक्षरी)- *धरती ये माता मोर,भाग्य के विधाता मोर* , अजय अमृतांशु भाटापारा (बरवै छंद)- *येती वेती कचरा झन बगराव,कचरा वाले गाड़ी आगे जाव* ,अनुज यादव कोरबा(कविता)- *मॅंय भारत मां के बेटा*, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ( लावणी छंद)- *अब का तीरथ बरत मॅंय जाहूॅं,बाॅंचे ये जिनगानी मा* , दीदी शोभा मोहन श्रीवास्तव (अंतस के गीत)- *गीत मोर मनखे के पीरा के सरेखा* , जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया ( गीत)- *धान लू मिंज के मॅंय,करजा छूट देहूॅं लाला*, जगदीश हीरा साहू भाटापारा (दोहा)- *छत्तीसगढ़िया मॅंय हरॅंव,बोल लगे ना लाज*, ओमप्रकाश साहू अंकुर सुरंगी (कविता)- *छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया*, एडमिन श्री अरूण कुमार निगम (घनाक्षरी छंद)- *शरद ला बिदा देके आय हे हेमंत रितु*, राजेश कुमार निषाद चपरीद (दोहा)- *महॅंगू के तॅंय लाल गा , बाबा घासीदास* बल्दाऊ राम साहू (गीत)-  *बड़े बिहनिया हासत कुलकत,सुरूज अब उगइया हे*  सूर्यकांत गुप्ता दुर्ग (गीतिका)- *मान हिंदी के हवय जस मोर भाखा के घलव* मनीराम साहू मितान कचलोन (घनाक्षरी)- *खाड़ा मास हाड़ा काट, मूड़ गाड़ा गाड़ा काट* , दीदी सुधा वर्मा ( कविता)- *नोनी तॅंय चिरई कस झन उड़िया*, रामनाथ साहू डभरा जाॅंजगीर ( नव ददरिया गीत)- *मोर पिंयर सैंया पार लगा दे मोर नैंया*, दीदी बसंती वर्मा बिलासपुर (अमृतध्वनि छंद)- *मन के पीरा ला का कहॅंव ,आय बिदा के बेर* , पोखन जायसवाल (मतगयंद सवैया)- *बाल सखा सब संग धरे अउ हाॅंसत कूदत आवय टोली* , महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव (गीतिका छंद)- *शोध होवत रात दिन जी,चाॅंद के अभियान बर*, दीदी केवरा यदु राजीम (ताटंक छंद)- *राजा दशरथ के ॲंगना मा खेले चारों भैया जी*, दीदी शशी साहू कोरबा (गीत)- *मउहा झरै, रात भर टुप टुप मउहा झरै*, मिलन मल्हरिया (अमृतध्वनि छंद)- *दुख ला सुख के संग मा,समय बाॅंध के लाय* , दीदी शकुन्तला तरार (मुक्तक)- *आने के दुख ला मिटा के देख लव*  के प्रस्तुति लगातार चलिस।

बुधियार साहित्यकार मन ले आशीर्वाद लेवत ये गोष्ठी मा सबों प्रतिभागी कवि मन समाज के सरोकार ला आवाज देवत अपन अपन बात कहिन।

येकरे साथ छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर के पाॅंच दिवसीय कार्यक्रम के समापन होइस।

*येमा कोई अतिशयोक्ति नइहे कि राज बने के पहली अउ बाद मा हमर पुरखा सियान मन छत्तीसगढ़ी भाखा के विकास अउ विस्तार बर कोई कसर नइ छोड़िन। नवा बुधियार अउ उर्जावान साहित्यकार मनके सकारात्मक योगदान ले आज वो संघर्ष  हर लगातार जारी हे , जे निश्चित रूप से लक्ष्य तक पहुंचे बर हौसला ला बढ़ाथे। तब हम कहि सकथन कि हम सब के साॅंझर मिंझर प्रयास अउ अधिकाधिक उपयोग ले छत्तीसगढ़ी हर कार्यालयीन / राज-काज के भाषा बन के रही।*


महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव जिला राजनांदगांव

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