Friday 11 December 2020

रिंग टोन*(लघुकथा)-चोवाराम वर्मा बादल

 *रिंग टोन*(लघुकथा)-चोवाराम वर्मा बादल


चार महिना पहिली शादी होए बहू निकिता जेन ह तीन दिन पहिली अपन पति के पोस्टिंग वाले शहर के सरकारी क्वार्टर म शिप्ट होये हे, अपन सासु माँ ल संझाकुन फोन लगाइस--

हलो माँ-- हलो--

हलो-- हाँ बेटी बोल--काय करत हस वो ?

ए दे दिया-बाती करके खाना बनाये के तैयारी करत हँव माँ ।

हाँ---बढ़िया हे अउ मुकेश कहाँ हे बेटी।

वो ह ड्यूटी गेहे माँ,अभी आए नइये। तुमन सब बने- बने हव माँ

हाँ बेटी सब बने- बने हन फेर जब ले तैं गे हस घर सुन्ना-सुन्ना लागथे। तुमन बने-बने हव न?

हाँ माँ एकदम ठीक हन। पापा कहाँ हे माँ?

ए दे टी वी देखत बइठे हे। वोला मोबाइल ल देवत हँव बात करले।

हव माँ। हलो पापा हलो--

 हलो--- हाँ बेटी बोल ।मोहन लाल खुश होवत कहिस।

प्रणाम पापा।

खुश रहो बेटी--सुना--

का पापा आज बिहनिया ले फोन करत हँव --आप उठाबे नइ करत हव--नराज हस का पापा--

अरे नहीं-- फेर इहू समझ ले नराज तको हँव।

आप अउ मोर से नराज-- अइसे हो नइ सकय तभो ले बतावव तो काबर नराज हव?

रिंग टोन के सेती।मोहल लाल कहिस।

का पापा आपो अच्छा मजाक कर लेथव।

 हाँ भइ मैं नराज हँव। तोर रिंग टोन जब बाजथे---गम उठाने के लिए मैं तो जिए जाऊँगा---त मोला अच्छा नइ लागय।अइसन निराशा भरे गीत काबर?कुछु दुख हे का बेटी?

ओह--अरे नहीं पापा--आप ओइसना सोंचबे मत करव।आपके आशिर्वाद ले मोर ले भला जादा सुखी कोन होही।

स्वारी पापा कहिके निकिता फोन काट दिस।

थोकुन बाद फेर फोन करिस।ए दरी रिंग टोन बजिस---जिंदगी इक सफर है सुहाना---।



चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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