Sunday 10 April 2022

मनखे के जिनगी मा कब आही राम

 मनखे के जिनगी मा कब आही राम


          मनखे आज सुख पायबर काय काय नइ करत हे। पइसा कमा कमा के अतका माया जिनिस सकेलत हे कि सुख ओखर घर अजगर बरोबर मेड़री मार के बइठ जाही फेर सुख कोनों जिनिस मा थोरे होथय ? मनखे हा जाने नइ सकिस कि सुख कहाँ हवय।ओखर जिनगी मा सुख कइसे आही ओला जान नई पावत हे सुख पाय बर काय करेबर परही यहू ला गुने नइ सकत हे।

       मानस मा तुलसीदास बबा हा एक सूत्र लिखे हवय 'राम जनम सुख मूल' माने सुख के जर राम के जनम मा हावय।मनखे के जिनगी मा राम के जनम हो जाय,ला राम मिल जाय, राम ला पाही तभे ओला सुख मिल सकत हे। राम ले जुड़ें ले देवता अउ राक्षस  के संगे संग मानव के कल्याण होय हे। देवता मन मा शरापा पाय चन्द्रदेव ला राम हा अपन नाम संग जोड़ के धन्न कर दिस अउ पूजा पावत हे। राम सुख के धाम हरय 'सो सुख धाम राम असनामा'। अराम, बिसराम मा घलाव राम जुड़े हवय तब अ उपसर्ग अउ बिस् उपसर्ग लगे के पाछू घलाव एमा सुख मिलथे। राम हा एके झन ला सुख नइ देवय ओहा अखिल लोक ला बिसराम माने संसार ला सुख देथय। विप्र धेनु सुर संत के हित बर राम जनम लेय रहिन त्रेताजुग मा फेर अब राम माने सुख ला पाय बर मनखे ला खुदे उदिम करे बर पर ही। जेन मनखे हा विप्र माने धर्म, धेनु माने धन, सुर माने काम अउ संत माने मोक्ष के रक्छा करही उंखरे घर राम आही ओखर जिनगी मा राम आही।

        जिनगी मा राम माने सुख पायबर भरत, लक्ष्मण अउ शत्रुघन बने के उदिम करेबर परही। भरत बरोबर पालन हार बनेबर परही। जौन मनखे हा भूखे ला भात खवाही, पियासे ला पानी पियाही माने जौन जगत के भरण पोषण करही ओखरे जिनगी मा सुख आही।शोषण करइया के जिनगी मा कभू राम माने सुख नइ आ सकय।जौन जिनगी मा हाय हाय करके माया सकेलथे ओखर जिनगी हाय हाय करत बीतथे। चाहे कतको तिलक लगाय, पूजापाठ करय, भजन करय, हनुमान बरोबर बंदन लगा के घुमय, भगवा रंग के ओनहा ओढ़य राम ओखर जिनगी मानइ आवय। अइसने जौन मनखे कखरो अधार बनथे, सहयोग करथे, प्रेरक बनथे, हितवा मितवा बनथे उही ला राम मिलथे ओखरे जिनगी मा राम आथे, लखन बरोबर सेवक मनखे ला राम मिलथे। अइसने जौन मनखे शत्रुघन बरोबर रिपुनाशा होथय माने जेखर कोनो बइरी नइ होवय उही ला सुख मिलथे, राम मिलथे। आज मनखे परोसी संग बइरी ला कोन कहे भाई भाई संग बइरी कर लेथे।

       जौन ला राम पाना हे ता तीन गुन वाला गोसाइन रखे बर परही।माता मन ला राम जइसन लइका पायबर अपन तीन गुन ला बढ़ाय बर लागही। पहिली ओला शोभा के खदान बने बर परही, दूसर शील माने लाज के भंडार बने बर परही अउ तीसर तेज के खदान बने बर परही। ओखरे कोख मा राम आही। शोभा शील तेज की खानि बनेबर परही। तसमई खायबर परही। तसमई माने तीन जिनिस मिझार के डबकाय वाला जिनिस। तीन जिनिस माने दूध चाँवल अउ शक्कर।दूध माने श्रद्धा चावल माने करम के फल अउ चीनी माने गुरतुर माने भक्ति, ता जौन माता मा श्रद्धा, भक्ति अउ कर्म ये तीन गुन होही ऊँखरे जिनगी मा राम जइसन लइका पाही।

       राम पाय बर पांच जिनिस ला अपन पक्ष मा करना परही।जोग लगन ग्रह बार अउ तिथि ला। योग माने भक्तियोग, जौन मनखे मा भक्तियोग हवय, ईश्वर मा लगन हवय मीरा जइसन, ग्रह माने अनुग्रह गुरुकृपा, बार माने एतबार भरोसा अउ तिथि माने पूर्णता, शरणागति। राम ला पाय बर गोस्वामी तुलसीदास जी हा एक ठन अउ उदिम बताय हवय। नौमी तिथि मधुमास पुनीता सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता। मध्य दिवस अति सीत न घामा, पावन काल लोक विश्रामा। माने जेखर जिनगी मा मधुमास माने  बसंत ऋतु माने श्रद्धा,शुकल पच्छ माने सादा मउसम माने सात्विकता, नवमी तिथि माने नवधा भक्ति, अउ मध्य दिवस माने सबो दिन, सबो बखत सम रहय।लाभ हानि, हार जीत, दुख सुख, जस अपजस, मान अपमान सबो मा बरोबर होहय। तब ओला राम मिलही।राम पाय बर अत्री, अनसइया, सुतीक्ष्ण, सबरी, जटायु, बरोबर बने बर परही।




हीरालाल गुरुजी समय

छुरा, जिला- गरियाबंद


         

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