Friday 22 April 2022

छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य*

 


.      *छत्तीसगढ़ी व्याकरण : वाच्य*

                             ( 1 )


परिभाषा- *क्रिया के रूपान्तरण* *ला वाच्य कहिथें।* एकर ले ये पता चलथे कि वाक्य म काकर प्रधानता हे ? - *कर्ता* के, *कर्म* के या फेर *भाव* के।


      छत्तीसगढ़ी व्याकरण के मानकीकरण म *वाच्य* ला सबले महत्वपूर्ण माने जा सकत हे; काबर कि क्रिया के रूपान्तरण  ले ही छत्तीसगढ़ी के रद्दा आन भाषा ले अलग-बिलग होवत हे। एला छोटकुन उदाहरण ले समझे जा सकत हे-


 *हिन्दी*- मैं जाता हूँ। / मैं जाती हूँ।

 *अंग्रेजी*- I go.

 *छत्तीसगढ़ी*- मैं जाथौं।


 *हिन्दी*- वह जाता है। / वह जाती है। 

 *अंग्रेजी*- He goes. / She goes.

 *छत्तीसगढ़ी*- वोह जाथे।


    उपर के उदाहरण ले ये स्पस्ट हे कि *छत्तीसगढ़ी* के क्रिया पद म परिवर्तन *लिंग* के आधार म नि होवत हे; जबकि *हिन्दी* के क्रिया पद म परिवर्तन ( जाता / जाती ) अउ *अंग्रेजी* के *सर्वनाम* ( He / She ) म परिवर्तन *लिंग* के आधार म होवत हे।....... *सबो बोली/भाषा मन एही तरा अपन रद्दा अलग- बिलग करथें।*



.       *वाच्य के तीन भेद होथे*-


1) कर्तृवाच्य

2) कर्मवाच्य

3) भाववाच्य


1) *कर्तृवाच्य*- जब क्रिया रूप म परिवर्तन *कर्ता* के कारण होथे या वाक्य म *कर्ता* के प्रधानता के बोध होथे; तब ओला कर्तृवाच्य कहिथन। जइसे-


# मैं दुकान *गे रहेंव*। ( मैं दुकान गया था। )

# वोह दुकान *गे रहिस*। ( वह दुकान गया था / गई थी। ) 


      इहाँ कर्ता ( मैं / वोह ) के कारण क्रिया पद म परिवर्तन होवत हे। एकर कारण इहाँ *कर्तृवाच्य* होही। 


2) *कर्मवाच्य*- जेन वाक्य म *कर्म* के प्रधानता रहिथे या *कर्म* के कारण *क्रिया रूप* म परिवर्तन होथे, ओला *कर्मवाच्य* कहिथन। जइसे-


# किताब पढ़े गइस।( पुस्तक पढ़ी गई।) 

     ये वाक्य म *कर्म* ( किताब/पुस्तक) के प्रधानता हे अउ ओकरे अनुसार क्रिया पद म परिवर्तन होवत हे। एकर कारण इहाँ *कर्मवाच्य* होही।


3) *भाववाच्य* - वाक्य म जब *भाव* के प्रधानता होथे अउ ओकर कारण *क्रिया* पद म परिवर्तन होथे; तब ओला *भाववाच्य* कहिथन। जइसे-


# सीता ले दूध नि/नई पिये जात हे। ( सीता से दूध नहीं पीया जा रहा है।)

     ये उदाहरण म *भाव* ( पीया जाना ) के प्रधानता हे। एकर कारण इहाँ *भाववाच्य* होही।


                            ( 2 )


                  *क्रिया के प्रयोग*


कोनो भी वाक्य म क्रिया काकर अनुसरण करत हे'- *कर्ता, कर्म* या *भाव* के ? - एहर महत्वपूर्ण हे। ये आधार म क्रिया के तीन प्रकार के प्रयोग माने जाथे-

1) *कर्तरि प्रयोग*

2) *कर्मणि प्रयोग*

3) *भावे प्रयोग*


1) *कर्तरि प्रयोग*- छत्तीसगढ़ी म क्रिया के वचन कर्ता के अनुसार होथे। जइसे-


# महिमा आमा खाथे। ( महिमा आम खाती है।)

- ये उदाहरण म *कर्ता* ' महिमा ' *एकवचन* हे अउ *क्रिया* ( खाथे ) ओकर अनुसरण करत हे।


# ओ लोगन मन आमा खाथें। ( वे

 लोग आम खाते हैं।) 

- ये उदाहरण म *कर्ता* ' ओ लोगन मन ' *बहुबचन* हे अउ *क्रिया* ( खाथें ) ओकर अनुसरण करत हे।


  *हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म अन्तर*

    हिन्दी म कर्ता के लिंग के आधार म क्रिया के लिंग के परिवर्तन होथे। जबकि छत्तीसगढ़ी म कर्ता के लिंग के क्रिया उपर कोई प्रभाव नि पड़े। जइसे- 


# राम आमा खाथे।( राम आम खाता है।)

# सीता आमा खाथे। ( सीता आम खाती है।)


    उपर के दुनों उदाहरण ल देखव। *हिन्दी* म *कर्ता* ' राम या सीता ' के लिंग के अनुसार *क्रिया* के लिंग ' खाता/खाती ' म परिवर्तन होवत हे जबकि छत्तीसगढ़ी म *क्रिया* ' खाथे ' स्थिर हे।



2) *कर्मणि प्रयोग*- *हिन्दी* म क्रिया के *लिंग* अउ *वचन* कर्म के अनुसरण करथें। एही ला कर्मणि प्रयोग कहे गे हे। जइसे-


# मोहन ने किताब पढ़ी।( मोहन किताब ला पढ़िस।)


# मोहन ने किताबें पढ़ीं। ( मोहन किताब मन ला पढ़िस।)


      - उपर के उदाहरण ला देखव अउ गुनव।.....  हिन्दी म ' *किताब* ' ( स्त्रीलिंग, एकवचन ) व *किताबें* ( स्त्रीलिंग, बहुवचन ) के अनुसार क्रिया के रूप क्रमशः ' *पढ़ी*' अउ ' *पढ़ीं*' परिवर्तित होय हे। जबकि छत्तीसगढ़ी म क्रिया के रूप ( *पढ़िस*) स्थिर हे  अर्थात ओमा कोनो बदलाव नि आय हे।


 *निष्कर्ष*- हिन्दी म कर्मणि प्रयोग होथे जबकि छत्तीसगढ़ी म कर्मणि प्रयोग नि होय।


3) *भावे प्रयोग*- जब वाक्य म *क्रिया* के लिंग अउ वचन *कर्ता* के अनुसरण नि करे अउ सदैव एक समान ( *एकवचन,* *पुल्लिंग*) रहिथे; तब ओला भावे प्रयोग कहिथन। जइसे-


# राम ले पढ़े नि जाय।( राम से पढ़ा नहीं जाता।) 


# सीता ले पढ़े नि जाय।( सीता से पढ़ा नहीं जाता।)


# टूरा मन ले पढ़े नि जाय।( लड़कों से पढ़ा नहीं जाता।)


     उपर के तीनों उदाहरण ला देखव अउ गुनव। तीनों उदाहरण म क्रिया ( *जाय/जाता* ) *एकवचन* अउ *पुल्लिंग* हे  अउ ओह कर्ता ( *राम/सीता/लड़कों/टूरा मन*) के अनुसरण नि करत हे अर्थात कर्ता के अनुसार क्रिया के पद परिवर्तन नि होवत हे।


 *निष्कर्ष*- हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दुनों म भावे प्रयोग एक समान होथे।


   *संप्रति*( कुल मिला के ), *हिन्दी* अउ *छत्तीसगढ़ी* भाषा म *क्रिया* के प्रयोग के तुलनात्मक विश्लेषण करे म  निम्न बात सामने आथे-


1) *कर्तरि प्रयोग* - हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के कर्तरि प्रयोग म अन्तर हे।


2) *कर्मणि प्रयोग*- हिन्दी म कर्मणि प्रयोग होथे; छत्तीसगढ़ी म कर्मणि प्रयोग नि होय।


3) *भावे प्रयोग*- हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी म भावे प्रयोग एक समान होथे।


         डाॅ विनोद कुमार वर्मा

   कहानीकार, समीक्षक, संपादक

                 बिलासपुर


मो.:     98263-40331

ईमेल: vinodverma8070@gmail.com

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