*छत्तीसगढ़ी भाषा अउ देव नागरी लिपि*
मोर बिचार ले छत्तीसगढ़ी भाखा हा सत्तर प्रतिशत अपन आप मा पूर्ण हे अउ तीस प्रतिशत आने भाखा के भरोसा रथे।
*जइसे-* १. मैं किरिया खावत हँव तोर ले अबड़ मया हे।
२. मैं स्कूल जावत हँव।
३. पर्यटन स्थल ला साफ रखव।
छत्तीसगढ़ी भाखा के लिपि देव नागरी ये तेखर सेती छत्तीसगढ़ी भाखा हा ज्यादातर हिन्दी भाषा मा निर्भर हे। लेकिन आजकल सोशल मिडिया, समाचार-पत्र अउ टीवी मा हिन्दी शब्द ला छत्तीसगढ़ी के संग तोड़-मड़ोर के प्रस्तुत करत हें। बोल-चाल के भाखा अलग होथे अउ साहित्यिक भाखा अलग होथे अगर हम सब ला सम्मेटा लिख देबो ता छत्तीसगढ़ी भाखा के मानकीकरण कइसे हो पाही। पहिली जमाना मा कम पढ़े लिखे के कारण हिन्दी शब्द मन ला अपभ्रंश मा प्रयोग करँय लेकिन आज सबो शिक्षित हें। कोई भी भाखा के शब्द ला तोड़ मड़ोर के लिखे मा वो शब्द के अर्थ बदल अउ आत्मा खतम हो जथे।
*जइसे श्रम-सरम, प्रशासन-परसासन, प्रकृति-परकिरिति, क्रिया-किरिया*
लेकिन हिन्दी के अइसे कई ठन शब्द जेन छत्तीसगढ़ी मा अपभ्रंश होगे हे लेकिन वोकर अर्थ बरकरार हे। अइसन शब्द ला प्रयोग कर सकथन।
*जइसे कैसे-कइसे, जैसे-जइसे, कारण-कारन, विचार-बिचार, शर्म-सरम, वर्णन-बरनन*
संज्ञावाचक शब्द ला जस के तस लिखना चाही
*संतोष ला संतोष ही लिखव न कि संतोस*
मोर बिचार ले छत्तीसगढ़ी भाखा मा हिन्दी के ५२ वर्ण के प्रयोग करना चाही अउ छत्तीसगढ़ी शब्द के रहत ले हिन्दी शब्द के जादा नइ करना चाही। जब हमन जादा से जादा छत्तीसगढ़ी शब्द के प्रयोग करबोन तभे नँदावत छत्तीसगढ़ी शब्द बाचही।
*अनुज छत्तीसगढ़िया*
*पाली जिला कोरबा*
7999521614
7354390486
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