. *छत्तीसगढ़ी व्याकरण : क्रिया*
( 1 )
*परिभाषा-* जेन शब्द ले कोनो काम के होना या करना समझे जाय या व्यक्त हो, ओला क्रिया कहिथें। जइसे-
*खाबो* ( खाना ), *पीबो* ( पीना ), *पढ़बो* ( पढ़ना ), *लिखबो* ( लिखना ) आदि।
वास्तव म क्रिया विकारी ( परिवर्तित ) शब्द हवय अर्थात मूल शब्द म विकार या परिवर्तन होय ले क्रिया शब्द बनथे। जइसे- *पढ़* मूल शब्द हवय अउ ओमा विकार उत्पन्न होय के बाद ' *पढ़त ( पढ़ना ) '* शब्द बनथे। एही शब्द ला *क्रिया* कहिथें।
*धातु*- क्रिया के मूल रूप ला धातु कहिथें अर्थात धातु ले ही क्रिया पद के निर्माण होथे। जइसे-
' मैं पढ़त हँव।'- एमा *पढ़त* शब्द *पढ़* धातु ले बने हे।
*धातु के दू भेद होथे-*
अ) मूल धातु
ब) यौगिक धातु
अ) *मूल धातु*- एहा स्वतंत्र होथे अउ कोनो आन शब्द उपर निर्भर नि रहे। जइसे- *जा, खा, पी, रह, चल, पढ़* आदि।
ब) *यौगिक धातु*- एकर रचना मूल धातु म प्रत्यय लगाके, कई धातु ला संयुक्त करके या फेर संज्ञा अउ विशेषण म प्रत्यय लगाके बनाए जाथे। जइसे- *जाना, खाना, पीना, रहना, चलना, पढ़ना* आदि।
*_यौगिक धातु के रचना तीन प्रकार ले होथे-_*
अ) *प्रेरणार्थक क्रिया ( धातु )* - जेन क्रिया ले कर्ता स्वयं कार्य नि करके कोनो दूसर मन ला काम करे के प्रेरणा देथे, ओला प्रेरणार्थक क्रिया कहिथें।
*मूल धातु मूल क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया*
उठ उठना उठाना, उठवाना
उड़ उड़ना उड़ाना, उड़वाना
चल चलना चलाना, चलवाना
ब) *यौगिक क्रिया (धातु )* - दू या दू ले जादा धातु के संयोग ले यौगिक क्रिया बनथे।
जइसे- उठ जाना, खा लेना आदि ।
स) *नाम धातु* - संज्ञा या विशेषण ले बनइया धातु ला नाम धातु कहिथें। जइसे-
*संज्ञा ले* हाथ हथियाना
बात बतियाना
*विशेषण ले* चिकना चिकनाना
गरम गरमाना
.
*मूल शब्द(धातु) नाम धातु यौगिक धातु*
दुख दुखाना दुख देना
बात बतियाना बात करना
गोठ गोठियाना गोठ बात करना
बिलग बिलगाना बिलग करना
( 2 )
*रचना के दृष्टि ले क्रिया के दू भेद होथे-*
1) सकर्मक क्रिया
2) अकर्मक क्रिया
1) *सकर्मक क्रिया* ( Transitive Verb ) - जेन क्रिया फल के साथ आथे ओला सकर्मक क्रिया कहिथें। जइसे-
' कविता रोटी खावत हे/हवय। '
इहाँ *खावत* ( खाना ) क्रिया शब्द हे अउ *रोटी* कर्म हे।
2) *अकर्मक क्रिया* ( *Intransitive* )- जब क्रिया के फल कर्ता म ही निहित रहिथे तब ओला अकर्मक क्रिया कहिथें ।जइसे-
' मधु हाँसत हवय। '
इहाँ क्रिया शब्द *हँसना/हाँसना* के फल कर्ता ( मधु ) म ही निहित हे।
( 3 )
*क्रिया के कुछ अउ भेद होथे-*
1) सहायक क्रिया ( Helping Verb )
2) पूर्णकालिक क्रिया ( Absolutive Verb )
3) नामबोधक क्रिया ( Nominal Verb )
4) द्विकर्मक क्रिया ( Double Transitive Verb )
5) संयुक्त क्रिया ( Compound Verb )
6) क्रियार्थक क्रिया ( Verbal Noun )
1) *सहायक क्रिया ( Helping Verb )*
मुख्य क्रिया के साथ मिल के वाक्य ला पूरा करे अउ अर्थ ला स्पस्ट करे म सहायक शब्द ला सहायक क्रिया कहिथें।
( हिन्दी म ' *हूँ, है, हैं, था, थे, थी '* सहायक क्रिया हवय। )
जइसे-
# वोह/ओह घर जावत *हे*। ( वह घर जा रहा *है*- हिन्दी )
ये उदाहरण म ' *हे*/ *है* ' सहायक क्रिया माने जाही काबर कि मुख्य क्रिया ' *जाना* ' के साथ मिलके वाक्य ला पूर्ण अउ अर्थ ला स्पस्ट करत हे।
# वोह/ओह घर जावत *रहिस*।( वह घर जा रहा *था*।- हिन्दी )
ये उदाहरण म ' *रहिस/था*' सहायक क्रिया माने जाही काबर कि मुख्य क्रिया ' *जाना*' के साथ मिलके वाक्य ला पूर्ण अउ अर्थ ला स्पस्ट करत हे।
नोट- हिन्दी के शब्द ' *रहा था* ' के स्थान म छत्तीसगढ़ी म ' *रहिस*' शब्द के प्रयोग के बाद वाक्य पूर्ण होवत हे अउ अर्थ घलो स्पस्ट होवत हे।.....छत्तीसगढ़ी म ' *रहिस*' शब्द ला सहायक क्रिया माने जाही जबकि हिन्दी म केवल ' *था*' शब्द ला सहायक क्रिया माने जाथे- ' *रहा था* ' ला सहायक क्रिया नि माने जाय।
*अइसने छोटे-बड़े* *अन्तर एक भाषा ले दूसर भाषा* *ला अलग करथे*। *संज्ञा* शब्द मन के अपभ्रंस ( *डराइबर, कम्पोटर, मुबाइल,* *किरोना, परकिरिती,* *ससकिरिती, परधानमंतरी, रास्टरपति)* बनाय ले कोनो भाषा बिलग नि होय बल्कि दहरा म बोजा के खत्म हो जाथे!!
2) *पूर्णकालिक क्रिया* ( *Absolutive Verb* ) -
जब कर्ता एक क्रिया ला खतम कर दूसर क्रिया ला शुरू करथे, तब पहिली क्रिया ला पूर्णकालिक क्रिया कहे जाथे। जइसे-
# राम *खाना खाय* के बाद सोये बर चल दिस। ( राम *खाना खाने* के बाद सोने के लिए चला गया। )
ये उदाहरण म ' *खाना खाना*' पूर्णकालिक क्रिया माने जाही; जेला पूरा करे के बाद दूसर क्रिया ( सोना ) सम्पन्न होवत हे।
3) *नामबोधक क्रिया*( *Nominal Verb )*-
# *संज्ञा* या *विशेषण* के साथ क्रिया जुड़े ले नामबोधक क्रिया बनथे। जइसे-
*संज्ञा*+ *क्रिया* = *नामबोधक क्रिया*
लाठी + मारना = लाठी मारना
हाथ + चलाना = हाथ चलाना
# काम ला तुरते पूरा करे बर जल्दी-जल्दी *हाथ चलावा*।
- ये उदाहरण म ' *हाथ चलावा*' नामबोधक क्रिया हे; जेकर मूल रूप ' *हाथ चलाना*' हे।
4) *द्विकर्मक क्रिया*( *Double Transitive Verb* )-
जेन क्रिया ले दू कर्म होवत हे ओला द्विकर्मक क्रिया कहे जाथे। जइसे-
# गुरूजी ह विद्यार्थी मन ला गणित पढ़ाइस। ( अध्यापक ने विद्यार्थियों को गणित पढ़ाया।)
- ये उदाहरण म दू ठिन कर्म होवथ हे :
अ) गुरूजी ह *विद्यार्थी* मन ला पढ़ाइस।
ब) गुरूजी ह *गणित* पढ़ाइस।
ये तरा ' *_विद्यार्थी_* ' अउ ' *_गणित_* ' दू कर्म होइस।
5) *संयुक्त क्रिया* ( *Compound Verb* ) -
जब कोनो क्रिया दू क्रिया के संयोग ले बनथे, तब ओला संयुक्त क्रिया कहे जाथे।जइसे-
# तैं *आत-जात* रहिबे। ( तुम *आते-जाते* रहना। )
- ये उदाहरण म *आना* अउ *जाना* दू क्रिया मन आपस म जुड़ गय हें। एकरे बर *आत-जात* संयुक्त क्रिया माने जाही।
6) *क्रियार्थक संज्ञा*( *Verbal noun* )-
जब कोनो क्रिया शब्द ला संज्ञा जइसन प्रयोग म लाये जाथे, तब ओ क्रिया ला क्रियार्थक संज्ञा कहिथें। जइसे-
# *पैदल चलना* स्वास्थ्य बर फायदेमन्द होथे। ( *पैदल चलना* स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। )
- ये उदाहरण म ' *पैदल चलना* ' के प्रयोग संज्ञा के रूप म होय हे; ते पाय के वोह *क्रियार्थक संज्ञा* माने जाही।
डाॅ विनोद कुमार वर्मा
कहानीकार, समीक्षक, संपादक
बिलासपुर
मो. : 98263-40331
ईमेल : vinodverma8070@gmail.com
No comments:
Post a Comment