21 दिसंबर - जयंती म विशेष
छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्नदृष्टा अउ सामाजिक क्रांति के प्रतीक- पं. सुंदर लाल शर्मा
जब हमर देश ह गुलाम रिहिस त वो समय अशिक्षा अउ छुआछूत के भावना ह समाज म व्याप्त रिहिन। येकर कारण हमर सामाजिक बेवस्था ह खोखला हो गे रिहिस।वइसे छुआछूत के नाता हमर देश से अब्बड़ पुराना हे।विदेशी शासक मन येकर खूब फायदा उठाइस। विदेशी शासक मन भारतीय समाज ल तोड़े बर अउ राजा - महाराजा मन ल आपस म लड़ाय खातिर फूट डालव अउ राज करव के नीति अपनाइस। विदेशी शासक मुगल, अंग्रेज मन इहां के धार्मिक आस्था ल अब्बड़ चोट पहुंचाइस। मुगल शासन काल म कतको मंदिर तोड़ दे गिस। जनता उपर खूब अतियाचार करे गिस। अइसन बेरा म हमर देस म संत कबीर, गुरुनानक,संत रविदास, धनी धर्मदास साहेब, गुरु घासीदास बाबा अवतरित होइस अउ लोगन मन ल सतमार्ग म चलाय के सुघ्घर कारज करिन। ये सबो संत मन बताइस कि मनखे मनखे एक समान हे। ईश्वर एक हे। ये सबो संत मन धरम के नांव म समाज म व्याप्त छुआछूत, आडंबर,नरबलि, पशुबलि के विरोध करिन। लोगन मन म जागरण फैलाइस कि उंच नीच के भेदभाव ल भगवान नइ मनखे मन अपन सुवारथ खातिर बाद म बनाय हे। आधुनिक काल म स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती, महात्मा ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले, महात्मा गांधी, डा. भीमराव अम्बेडकर जइसन महापुरुष मन हमर देश म फइले छुआछूत, आडंबर ल दूर करे बर अउ शिक्षा खातिर अब्बड़ उदिम करिन।
हमर छत्तीसगढ ह सद्भाव अउ समन्वय के धरती कहे जाथे त येकर पाछु गुरु घासीदास बाबा, धनी धर्मदास साहेब अउ पं. सुंदर लाल शर्मा जइसे महापुरुष मन के सतनाम आंदोलन अउ जन जागरण के सुघ्घर कारज हरे।
छत्तीसगढ़ के गांधी नांव ले प्रसिद्ध पं. सुंदर लाल शर्मा ह हमर छत्तीसगढ म सामाजिक अउ राजनीतिक आंदोलन के अगुवा माने जाथे। वोहा बड़का साहित्यकार के संगे -संग स्वतंत्रता सेनानी अउ समाज सुधारक रिहिन। प्रयागराज राजिम के तीर चमसूर गांव म 21 दिसंबर 1881 म अवतरे शर्मा जी ह "दानलीला" प्रबंध काव्य लिख के प्रसिद्धि पाइस त आजादी के आंदोलन म घलो बढ़ चढ़ के भाग लिन। अनुसूचित जाति मन के उद्धार खातिर अब्बड़ योगदान दिस . वोमन ला राजीव लोचन मंदिर म प्रवेश कराके एक बड़का कारज करिस । येकर बर शर्मा जी ल खुद वोकर समाज ले नंगत ताना सुने ला पड़िस। पर वोहा हार नइ मानिस अउ अछूतोद्धार के कारज ल सरलग जारी रखिस।
। ये कारज ला तो वोहा सन 1917 ले चालू कर दे रिहिन तभे तो जब महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ आना होइस त ये काम बर शर्मा जी ल अपन गुरु कहिके अब्बड़ सम्मान दिस।
समित्र मंडल के स्थापना
शर्मा जी हा अपन राजनीतिक जीवन के शुरूआत सन 1905 ले करिन। 1906 मा वोहा सामाजिक सुधार अउ जनता मा राजनीतिक जागृति फैलाय खातिर" संमित्र मंडल "के स्थापना करिन। 1907 के सूरत कांग्रेस अधिवेशन मा शर्मा जी हा भाग लिस। इहां उपद्रव के बेरा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ल मंच म चढ़ाय म जउन लोगन मन के भूमिका रिहिन वोमा नवजवान शर्मा घलो अगुवा रिहिन। ये अधिवेशन म कांग्रेस हा गरम अउ नरम दल म बंटगे। वो समय कांग्रेस अउ देश म गरम दल के नेता लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय अउ विपिन चन्द्र पाल ह अब्बड़ लोकप्रिय नेता के रूप मा उभरिन ।
शर्मा जी हा रायपुर मा 'सतनामी आश्रम" खोलिस अउ "सतनामी भजनावली" ग्रंथ के रचना करिन, शर्मा जी हा लाल-बाल-पाल युग म सन 1910 मा राजिम म पहली स्वदेशी दुकान लगाय के कारज करिन। शर्मा जी हा सन 1918 म भगवान राजीव लोचन मंदिर राजिम म कहार मन के प्रवेश के आंदोलन चलाइस।
कंडेल नहर सत्याग्रह के अगुवाई
सन 1920 मा असहयोग आंदोलन के बेरा म हमर छत्तीसगढ मा कंडेल सत्याग्रह चलिस। येकर अगुवाई शर्मा जी, नारायण लाल मेघावाले अउ छोटे लाल श्रीवास्तव हा करिन। किसान मन नहर जल कर ले नंगत परेसान रिहिन, शर्मा जी के मिहनत ले 20 दिसंबर 1920 म गांधीजी के रायपुर, धमतरी अउ कुरूद आना होइस।गांधीजी के पहली बार छत्तीसगढ़ आय ले इहां के जनता मा अब्बड़ उछाह छमागे। अइसन बेरा मा अंग्रेजी शासन ला झुके ल पड़िस अउ किसान मन के नहर जल कर ह माफ कर दे गिस।
जंगल सत्याग्रह के नेतृत्व
21 जनवरी 1922 मा सिहावा नगरी मा जंगल सत्याग्रह होइस, लकड़ी काट के ये सत्याग्रह के शुरूआत करे गिस। येकर मौखिक सूचना वन विभाग के स्थानीय अधिकारी मन ला दे गिस। येकर अगुवाई शर्मा जी अउ नारायण लाल मेघावाले करिन, इंहा वन विभाग के अधिकारी मन आदिवासी जनता ला कम मजदूरी देवय। संगे संग आने प्रकार ले शोषण करय, आंदोलन के जोर पकड़े ले आदिवासी मन के मांग मान ले गिस। इही बेरा मा शर्मा जी ला अंग्रेज शासन हा गिरफ्तार कर लिस। वोला एक बछर अउ मेघावाले ला आठ माह के सजा सुनाय गिस। ये बेरा मा 1922 मा जेल पत्रिका (श्रीकृष्ण जन्म स्थान) रचना लिखिस। शर्मा जी हा 'भारत में अंग्रेजी राज' रचना लिखे रिहिन तेला अंग्रेज सरकार हा प्रतिबंधित कर दिस।
अछूतोद्धार आंदोलन चलाइस
23 नवंबर 1925 मा शर्मा जी के अगुवाई म अछूतोद्धार खातिर अस्पृश्य लोगन के एक बड़का समूह हा राजीव लोचन मंदिर मा प्रवेश करके पूजा- पाठ करिन।अनुसूचित जाति मन ला जनेऊ धारन करवाइस। 23 से 28 नवंबर 1933 के बीच गांधीजी के दूसरइया बार छत्तीसगढ़ मा आना होइस, ये बेरा मा गांधी जी हा अछूतोद्धार कारज के अवलोकन करिन अउ अब्बड़ प्रशंसा करिन । 28 दिसंबर 1940 मा शर्मा जी के निधन होइस। ता ये प्रकार ले हम देखथन कि शर्मा जी के सोर साहित्य के संगे संग आजादी के सेनानी के रूप मा बगरिस, वोहा संवेदनशील रचनाकार के संगे संग मंजे हुए राजनीतिज्ञ रीहिन, शर्मा जी हा प्रथम छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम संकल्पना करिन ।
रचनाएं....
शर्मा जी ह हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी म समान रूप ले लिखिन। छत्तीसगढ़ी म महाकाव्य लिख के महतारी भाषा ल समृद्ध करिन।
ऊंकर रचना म दानलीला (महाकाव्य), प्रहलाद चरित्र (नाटक), सच्चा सरदास (उपन्यास), ध्रुव अख्यान (नाटक), करूणा पच्चीसी (काव्य संग्रह), कंसवध (खण्डकाव्य), छत्तीसगढ़ी रामायण (काव्य), सतनामी भजन माला, श्री कृश्ण जन्म स्थान पत्रिका (रायपुर जेल पत्रिका) सामिल हे। छत्तीसगढ़ शासन ह उंकर स्मृति ल संजोय खातिर राज्य स्थापना दिवस म छत्तीसगढ़ी भाषा ल अपन लेखनी ले समृद्ध करइया साहित्यकार मन ल हर बछर पं. सुंदर लाल शर्मा सम्मान ले सम्मानित करथे।
-ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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