लघुकथा -
" अपील "
"हमर आप मन से निवेदन हे कल जरूर अपन सहयोग राशि लेके निश्चित रूप आहूl काली आंदोलन के रुपरेखा बनाबो lआज के बैठक ला इही मेऱ समाप्त करत हन l " उद्घोषक अतका कहिके सभा ला खतम कर दीस l सभा उसलगे lसब अपन -अपन घर जाये ला धर लीस l गनपत कहिथे -" महिला मन ल आघू लावव के बात म मनटोरा के बात ला काट दीस सभापति ह l " सुधु पूछिस -
"का बात ला?"
मनटोरा कहत रहिस आघू आथे महिला मन तेन ला पूरा जानबे नइ करय सुनबे नइ करय ओकर गोठ ला l अब जान डरेन कहिके ताली बजवा देथे l"
"उहू मन तो पूरा बात ला रखे नहीं l पूछ के बताबो कहि देथे l
पूछे के का बात हे? काला पूछही l "
" दारू पीना बंद करो कहे ले काम नइ चलय l पीने वाला ला घर ले बाहिर करो l बाहिर करही त तो l"
" कोन महिला अइसन कर सकत हे, अउ कतका झन ओला साथ दिही, तंही बता l अउ अइसन होही त ओकर का गत होही l "
" त महिला मन आघू कभू आ नइ सकय l"
'अघुवाही तेन ला का कहि जानथस?
" बताना? "
" फर्जण्ड l कोनो महिला एला सून नइ सकय l"
सुधु अपन बात ला रखिस -" त फ़ेर आंदोलन कइसे चलही l जतके महिला मन के भीड़ रही
तभे दारू भट्टी बंद होही l दारू पीने वाला मन के घर ले महिला मन आहे हे, कहत बनही l "
गनपत कहिस -" पीने वाला ल रोका जाय घर अउ बाहर l "
सुधु -" भइगे अइसने एती ओती के गोठ हे भैया l राजनीति करने वाला के धंधा हे अउ झंडा हे l पीने वाला मन मरय झन कहिके सरकार भट्टी चलावत हे l महिला मन ला सड़क म लाके बेइज्जती झन करवाव l अपन -अपन घर म समझाये के तरीका अपनाव l उही बने हे l समाज मन रद्दा निकालय l "
"महिला मन के सम्मान करव जेकर घर म नइ चलय दारू पानी l"
"वाह! काली अइसने बात रखे बर भउजी ला भेज बे l"
" तैं भेजबे ग तुंहर इंहा जादा पढ़े लिखे हे l"
" जूता मरवाबे का? मोर इंहा सुनय नहीं चप्पल जूता ला देखाथे l अइसन भीड़ म नइ आवय l "
सुधु हँसत तब आंदोलन सफल होगे... I "
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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