Thursday, 9 January 2025

सोनकुंवर* चन्द्रहास साहू मो-812057887

 *सोनकुंवर*


  

                                    चन्द्रहास साहू

                               मो-812057887


सन्ना ना नन्ना हो नन्ना...ना नन्ना.... !

सतनाम के हो बाबा ! पूजा करौ मैं सतनाम के.... ।

सतनाम के हो बाबा  ! पूजा करौ मैं जैतखाम के ..।।

गवइया के गुरतुर आरो आइस अउ जयघोष

    "बाबा घासी दास की जय !''

मांदर मंजीरा तान दिस। झांझ- झुमका झंझनाये लागिस । अउ अब जम्मो पन्दरा झन जवनहा मन हलु -हलु हाथ गोड़ कनिहा ला हलाए लागिस। संघरा, सरलग, नवा उछाह अउ नवा जोश के संग नाचत हावय पंथी नृत्य। जम्मो के बरन एक्के बरोबर। मुड़ी मा सादा सांफा, नरी मा कंठी माला, बाजू मा बाजूबंद, सादा धोती माड़ी तक । खुनूर- खुनूर करत घुंघरू दमकत माथ मा सादा के तिलक  गजब सुघ्घर दिखत हावय।

पंथी नाच ! नाच भर नोहे येहा साधना आवय। भक्ति, आराधना आय। समाज मा सदभाव राखे बर बबा के संदेश देये के माध्यम आवय। .....अउ बबा के चमत्कार ला बताये के साधन घला आय। जम्मो गाॅंव गमकत हावय सतनाम चौक मा आज । 

                       महुं तो गेये हंव आज नरियर अउ फूल धरके । पंथी नाच हा अब अपन चरम मा हावय। मांदर के ताल ,झांझ के झंकार झुमका के झम्मक -झम्मक अउ छनन-छनन  करत गोड़ के घुंघरू। सुर मा गाना गावत गवइया, ताल मा ताल मिलावत अहा...अहा... बाबाजी अहा...अहा..। आरो हा नाच के सुघराई ला बढ़ा देथे।

"बाबा ! मोर गुरु बाबा ! मोर बनौती बना दे गुरुजी ।'' 

सी..सी.. सुसके लागिस । ........अउ  चिचियाके किहिस। 

"बाबा जी की जय !'' 

सादा लुगरा वाली मोटियारी हा दुनो हाथ जोर के भुइयां मा घोण्डे लागिस आजू- बाजू। देखइया मन अब मोटियारी के पूजा करिस।  चंदैनी गोंदा के माला पहिरा दिस। गवइया मन अब गुरु महिमा ला उच्चा सुर मा गाये लागिस। जम्मो कोई सतपुरुष समागे काहय। तब कोनो हा देवता चढ़े हे काहय। कतको झन बाबा आ गे हे सौहत किहिस । फेर मोर बर तो मनोरोगी रिहिस।  

नर्स आवव न अब्बड़ पढ़नतिन। 


                   स्वास्थ्य जाॅंच बर गाॅंव ला किंजरत हावन आज। उही मोटियारी घर गेयेंव। सुकुरदुम हो गेंव। लोटा मा पानी लान के दिस गोड़ धोये बर। टुटहा खइरपा । ओदराहा  भसकहा कोठ अउ कोठ मा चिपके बाबा जी के फोटू ..। सुरुज नारायेन कस दमकत चेहरा। सिरतोन अब्बड़ सुघ्घर लागत हावय बाबा जी हा । दू कुरिया के घर। बारी मा छिछले तुमा कुम्हड़ा तोरई के नार  अउ सदा सोहगन के फूल- जम्मो ला देखे लागेंव।

                    " फुटहा करम के  फुटहा दोना, लाई गवागे चारो कोना । अइसना होगे हाबे बहिनी मोर जिनगी हा। जस मोर नाव तस मोर करम के डाढ़ होगे हे। नाव दुखियारीन बाई अउ सिरतोन दुख मा चिभोर डारे हावय परमात्मा हा मोला। हमर ददा हा भलुक गरीब रिहिन। फेर काखरो बईमानी नइ करिस। लबारी नइ मारिस। भलुक हमन ठगागेंन।''

दुखियारीन बाई बताये लागिस।

"का होगे बहिनी ?  बता।''

मेंहा पुछेंव अउ दुखियारीन बताइस। 


"ओ दिन के गोठ आवय। जम्मो कोई बाबा जी के जयंती मनाये बर मगन रेहेंन। सरई रुख के एक्काइस हाथ के खम्बा ला अमरित कुंड के पानी ले नहवा-धोवा के सवांगा करत रेहेंन। भंडारी घर ले पालो ला परघाके जैतखाम कर लानेंन अउ सात हाथ के पोठ बांस  मा बांधेंन। 

"पालो का हरे दीदी !''

"सादा रंग के चकौर कपड़ा आवय। जौन हा धजा बरोबर जैतखाम मा फहरावत रहिथे। मनखे-मनखे एक समान। कोनो बड़का नही कोनो छोटका नही। बबा महतारी जम्मो एक बरोबर। नारी के सम्मान समरसता सदभावना एकता भाईचारा  बाबा जी के सप्त सिद्धांत ला बगरावत कतका सुघ्घर दिखथे पालो हा.... ।''

दुखियारीन भाव विभोर होगे, बतावत हे।

            "फेर ...हमन कोनो बात ला मानत हावन का ? रोज अंगरी धर के रेंगाये बर आगू मा ठाड़े हावय बाबा जी हा । फेर हमर आँखी मा छल कपट के परदा बॅंधाये हावय। काला देखबो ?''

दुखियारीन के आँखी रगरगाये लागिस अब।

               "महुं हा ओ मनमोहना ला देखत रेहेंव अउ ओहा मोला। टुकुर-टुकुर , बिन मिलखी मारे। पंथी नाच होवत रिहिस। आरती भजन होइस। सब मगन रिहिस अउ मेंहा मगन रेहेंव ओखर गुरतुर गोठ मा।''

सुरता मा बुड़गे रिहिस दुखियारीन हा अब। 

"आज साँझकुंन ददा ला पठोहू तुंहर घर। तोला मोर बर मांग लिही । तेहां बलाबे न अपन घर ...?'' 

जवनहा  राजकुमार किहिस। मेंहा मुच ले मुचका देंव लजावत। नवा घर बर नेव कौड़ई होवय कि नवा योजना, बर - बिहाव। आज के दिन अब्बड़ फलदायी होथे। ओमन घर आइस हमर अउ गोठ बात घला करिस।

"तुमन अब्बड़ बड़का हावव अउ हमर बियारी ले दे के होथे।''

"उच्च नीच बड़का छोटका के गोठ नइ हे सगा ! जब मन मिल जाथे तब नत्ता जुरथे।'' 

ददा ला समझाये लागिस राजकुमार के ददा हा। मोर दाई हा घला मोर ददा ला समझाइस मोर बिचार पुछिस तब हाॅंव किहिस। 

हमर दूनो के बिहाव होगे। करजा बोड़ी घला करिस फेर उछाह मा कमती नइ होइस।

                  गरीब के बेटी आवंव कहिके आगू - आगू ले जम्मो जिम्मेदारी ला निभायेंव। सास ससुर देवर जेठ , जम्मो कोई ला दाई ददा अउ भाई भइयां मानेंव। कतका ठोसरा मारिस मोला छोटे घर के बेटी आवय कहिके । खाये पीये बर, पहिरे ओढ़े बर, रांधे गढ़े बर। घर के गोठ ला बाहिर नइ लेगेंव भलुक अगरबत्ती बन के ममहायेंव। जतका जरत गेंव ओतकी ममहावत गेंव। दू बच्छर भर नइ बितन पाइस अउ ताना सुने लागेंव। कोनो बांझ काहय, कोनो ठगड़ी , कोनो निरबंसी। अब्बड़ सहेंव सहत भर ले अउ अब नइ सही सकेंव।

"तोर बेटा जोजवा हावय धुन मोर कोरा मा दुकाल परगे हावय। दूध के दूध अउ पानी के पानी हो जाही। तोर बेटा ला भेज डॉक्टर करा टेस्ट करवाबो दूनो कोई।''

छे बच्छर ले ठोसरा सुनत रेहेंव। आज मुॅॅंहू उघारेंव सास करा।

"बेसिया , घर के मरजाद ला अब गली खोर मा उछरत हावस। तुमन गरीब अउ छोटे घर के मन का जानहूं कूल अउ कूल के मरजाद ला ?  तोर का करनी..? का चाल..? का पाप आय तेन ला तिही जान..कतका सतवंतिन बनत हस तेहां। कोनो पाप करे होबस तेखर डाढ़ ला देवत हे भगवान हा। अउ तोर संग मा मोर बेटा झपावत हाबे।''

सास अब्बड़ बखानिस, मनगड़हन्त लांछन लगाइस । माइलोगिन के पीरा ला, माइलोगिन जान डारतिस ते कतका सुघ्घर होतिस। नारी परानी के रंदीयाये घांव ला अंगरी मा अउ कोचकथे माइलोगिन मन । तब बेटी दुख भोगही कि राज करही....? 

              जम्मो के ताना सुनत रेहेंव तब छइयां मिलत रिहिस रेहे बर। आज मुॅॅंहू उघार देंव छइयां सिरागे। सास तो आगू ले टुंग - टुंगाये रिहिस घर ले निकाले बर। ससुर अउ गोसइया आज चेचकार के निकाल दिस।

" निरबंसी के का बुता ये डेरउठी मा।'' 

नेवरनीन रेहेंव रौंद डारिस मोला।  अब जुन्ना होगेंव मेंहा। अउ जुन्ना कुरता के का बुता ..? तिरिया का आय ? ओन्हा कुरता आवय ओखर बर। 

"मोर बाबा जी जानथे कतका लबारी के चद्दर ओढ़े हावस तेला। वोला झन ठग। आचरण मा ईमान राख समाज मा ओहदा पाये बर उपरछावा पुजारी बने हस तेहां । फेर सब देखत हावय मोर देवता हा..! देख बाबा जी ! मेंहा मन बचन अउ करम ले कोनो पाप नइ करे हंव ते मोर कोरा मा फूल फूलो देबे । मोर जीवित बबा ! मोरो कोख ला हरियाबे । तहुं सुन मोर पतिदेव रातकुन के सुरता ला अंतस मा बसा के जावत हंव।

                पथरा मा पानी ओगर जाही । अतका आस ले ओ घर ले निकलगेंव महुं हा मायके के रद्दा।

दुखियारीन बतावत रिहिस। आनी-बानी के रंग रिहिस ओखर चेहरा मा।

                  रोजिना पूजा करो जैतखाम के अउ बाबा जी ला गोहरावंव। छातागढ़ पहार के औरा- धौरा के रुख मा आज घला जिंदा बिराजे हस। हवा मा कपड़ा टांग के सुखाये हस। पानी मा रेंगे हस। नांगर के पड़की ला बिन धरे खेत जोते हस। साँझकुंन आगी मा लेसाये भूंजाये फसल ला बिहनिया फेर लहलहाये हस। ..कोन नइ जाने तोर चमत्कार ला। महुं ला बना सपूरन माइलोगिन । तेहां भैरा नइ हस। हिचक - हिचक के रोये लागेंव मेंहा। 

आज एक बेरा बाबाजी ऊपर अउ आस्था बाढ़गे । अपन मयारुक बेटा- बेटी के गोहार ला अनसुना नइ करे। दू महीना बितन नइ पाइस अउ कोरा मा डुंहरु धरे के अनभा होये लागिस।  बेरा पंगपंगाइस अउ डुहरू ले फूल फूलगे अपन बेरा मा। छाती मा गोरस के धार फुटिस। अउ लइका के केहेव - केहेव रोवई ...सुघ्घर। जैतखाम मा घीव के दीया बारके असीस लिस ददा हा आज।  

                       गाॅंव भर तिली लाडू बाॅंटिस  ददा हा अउ गौटिया घला । राजकुमार आगे अपन अधिकार जताये बर। 

"मूल ला भलुक छोड़ देबे ब्याज ला भरोसी ले आनबे ।''

"अइसना तो केहे रिहिस सास हा । लइका ला लेगे बर आय हंव ..।''

गोसइया आवय मुचकावत किहिस।

"... अउ मोला ?''

" त तोला कइसे लेगहूं ? आने मोटियारी ला चुरी पहिराके लाने हावंव हप्ता दिन आगू ।''

राजकुमार किहिस छाती फुलोवत।

"सोज्झे कह ना जुन्ना घिसाये पनही ला फेंक के नवा पनही पहिर डारेंव। माइलोगिन ला पनही तो मानथस न ! मोला बांझ ठगड़ी कहिके निकाल देस । फेर बाबा जी ले बिनती करथो मोर सौत के कोरा झटकुन भर दे।''

"लइका ला दे । जादा भाषण झन झाड़ ..।'' 

गोसइया फेर तनियाये लागिस।

मेंहा मांग मा कुहकू भरे ला नइ छोड़ंव, चुरी बिछिया ला नइ उतारो, मंगलसूत्र ला नइ हेरंव तभो ले तेहां मोर बर मरगे हस अब। मोर बेटा ला छू के देख मोर बाबा जी हा छाहत हाबे...। राजकुमार लइका ला धरे लागिस। हाथ गोड़ काॅंपगे । काया पछिना - पछिना होगे। गोसइया राजकुमार झनझनागे फुलकाछ के थारी बरोबर । आगू कोती कतका उज्जर दिखथे फेर पाछू कोती ...करिया, बिरबिट करिया। जम्मो दंभ अउ गरब चूर - चूर होगे रिहिस राजकुमार के। 

               

 चार दिन के बेटी, दू दिन के दमाद।

ओखर ले जादा कुकुर समान। 


अब अइसना ताना सुने लागेंव। बेरा बीतत गिस  दाई ददा घर, अउ अब भइया भौजी के राज हमागे रिहिस। सतनाम भवन के तीर के एक घर मा रेहेंव । निंदई-कोड़ई, रोपा - पानी, रेजा - मजदूरी जौन मिलथे सब कर लेथन । अउ अइसना लइका बाढ़त हे।...... आज अतका बड़का होगे लइका बर संसो नइ हावय मोला।

                           आँसू मा फिले अपन जिनगी के किताब के जम्मो पन्ना ला मोर करा उलट-पुलट डारिस दुखियारीन हा। आँखी के समुन्दर ला पोंछिस। महुं हा  आँखी कोर के आँसू ला पोछेंव। 

खोर के कपाट बाजिस अउ साइकिल के आरो आइस । सांवर बरन, कोवर - कोवर हाथ गोड़, मुचकावत चेहरा.... सुघ्घर। हाथ मा झोला धरे । झोला मा मुर्रा मसाला अउ डिस्पोजल प्लेट। पठेरा मा मड़ाइस अउ आके टुप-टुप पाॅंव परिस।

"का बुता करथस बेटा ? अभिन तो नानकुन हावस।''

"भूख तो छोटका अउ बड़का नइ चिन्हे नरस मैडम जी। जम्मो कोई के पेट लांघन मा बिलबिलाथे।...... मुर्रा भेल बेचथो। उही सुभीत्ता आवय बनाये बर अउ बेचे बर।''

लइका जम्मो  रेसिपी ला घला बताइस । मेंहा लइका के मुॅॅंहू ला देखत रेहेंव। मेहनत के पइसा ला महतारी ला देवत अब्बड़ दमकत रिहिस।

"... अउ पढ़े बर ?''

"सातवी पढ़थो। स्कूल ले छुट्टी होथे तब बेचथो मुर्रा भेल। छुट्टी के दिन, दिनभर बेचथो । अभी जब ले दाई ला गिनहा लागत हाबे तब ले दू-तीन दिन नागा करथो स्कूल जाये बर। तभे तो दाई के ईलाज बर पइसा सकेलहूं।

"अब्बड़ सुघ्घर गोठियाथस। का नाव हाबे तोर ?''

फेर पुछेंव।

"सोनकुंवर नाव हाबे मोर। डॉक्टर बनहूं अउ दाई के ईलाज करहूं । दाई के दू सौ ग्राम के दिल अब्बड़ दुख पीरा सहे हे। ओखरे सेती कुछु बीमारी होगे हे कहिथे। जम्मो ला बने करहूं मेंहा।''

सोनकुंवर किहिस।

"हाॅंव बेटा ! बन जाबे।''

आसीस देयेंव अउ घर जाये बर उठगेंव हाथ जोर के जोहार करेंव।

सिरतोन अब्बड़ दुखियारी हाबे बपरी दुखियारीन हा। कोनो मनोरोगी नइ हावय भलुक गुनवती हाबे दुखियारीन हा। आस्था मा कोनो सवाल नही अउ विज्ञान मा कोनो उत्तर नही।सिरतोन नारी परानी गोड़ के पनही आय का..? मोरो गोसइया महुं ला छोड़ देहे। दहेज मांग के हलाकान करे अउ नइ दे सकेंव तब....।

                     "सोनकुंवर अभी ले कतका कमाबे अभिन पढ़े के उम्मर हावय। पढ़। मोर घर आ। बदला मा अपन घर के अमरित कुंआ ले बाल्टी भर पानी ले आनबे। मोर घर के पानी मा सुवाद नइ हे।''

सोनकुंवर ला अइसना केहेंव। लइका आये लागिस मोर तीर।  कभु चिला फरा खवावंव तब कभु  इडली दोसा उपमा..। घर मा मेंहा पढ़ावंव अउ स्कूल मा...।

"स्कूल के फीस के संसो झन कर।  तोर लइका  होनहार हावय । अब्बड़ उड़याही उप्पर अगास मा।'' 

"तही जान नरस दीदी ! अब तो कोन जन के दिन के संगवारी हावंव मेंहा ते।''

दुखियारीन किहिस ओखर तबियत बिगड़त रिहिस अब। ..... एक दिन दू बेरा हिचकिस अउ पंछी उड़ागे खोन्धरा छोड़ के। 

"दाई ! ''

 मोला पोटार के रो डारिस सोनकुंवर हा। ओला सम्हालेंव समझायेंव। 

             लइका होस्टल मा रही के पढ़त हावय। नव्वी, नव्वी ले दसवी,ग्यारहवी बारवी। पढ़ाई लिखाई तो फोकट मा होवत हावय फेर आने खरच बर पइसा पठो देथंव। सरकार ला धन्यवाद घला देथंव गरीब लइका ला पढ़े बर पंदोली देवत हावय तेखर सेती।

             अब तो मोरो ट्रान्सफर होगे हावय रायपुर। नवा जगा , नवा नत्ता- गोत्ता ,नवा  रस्दा सब नवा। शुरुआत मे हियाव करेंव। फेर तो अपन गिरहस्ती मा महुं रमगेंव। गरीब विधुर के संग मोरो बिहाव होगे रिहिस। पर के लइका बर कतका मोहो राखबे। चिरई चारा चरे ला सीख जाही ! उड़ाये ला तो जानत हावय। सोनकुंवर ला बिसराये लागेंव हलु - हलु।

                 आज जब ले सुने हावंव तब ले मन मंजूर होगे हाबे। अब्बड़ सुने हंव ओखर नाव । बिदेस ले आवत हावय । राज के स्वास्थ्य मंत्री अगवानी करही। डॉ एस के मार्कण्डे आवत  हावय। विश्व प्रसिद्ध हार्ट स्पेशलिस्ट । "हार्ट प्रॉब्लम केअर डायग्नोसिस एंड रिसेंटली इनोवेशन इंस्ट्रूमेंट्स ''  इही  टॉपिक मा डॉक्टर  साहब के उदबोधन रिहिस। पेपर मा छपाये फोटू ला देखेंव। चाकर छाती फड़कत भुजा गरब के अंजोर चेहरा मा , फोटू ला दुलार करेंव। सिरतोन सोनकुंवर बरोबर दिखत रिहिस। फेर ..मन के एक कोंटा ले आरो आइस। जेखर दाई ददा कोनो नइ हाबे अतका बिद्वान कइसे हो जाही..? अतका दिन ले कोनो सोर खबर नइ लेये हंव। हा... एक दू बेर पूछे रेहेंव तब रायपुर भोपाल अउ दिल्ली मा पढ़त हंव केहे रिहिस मेडिकल कालेज मा अउ अब........  बिदेस जाके कइसे अतका पढ़ लिही। कोनो हम सकल घला हो सकत हावय। ..आनी-बानी के बिचार आइस।

                        महुं जाहूं मेडिकल कॉलेज दूध के दूध अउ पानी के पानी हो जाही । आटो करेंव अउ रेंगे लागेंव  रायपुर के मेडिकल कॉलेज।

दिसम्बर के महिना अपन लछमी ला खेत ले कोठार , कोठार ले कोठी मा परघावत हावय।  बाबा घासीदास अउ प्रभु यीशु मसीह के जन्म के उछाह घला मनावत हाबे , ये दुनो पबित्तर दिन के महीना भर।

                 सभागार मा भाषण होइस बड़का शिक्षाविद वैज्ञानिक डॉक्टर  अउ बड़का वक्ता आये रिहिस। अउ भाषण देवत रिहिस । मोला तो गार्ड छेक दे रिहिस। अब्बड़ बिनती करेंव तब खुसरेंव। जम्मो कोई ला ऑटोग्राफ देवत रिहिस ओहा। अब मोला देखिस अउ प्रोटोकॉल ला टोर के आइस । सुघ्घर उही बरन । दमकत चेहरा अउ गमकत मन। मुचकावत आइस अउ टुप-टुप पाॅंव परिस मोर जवनहा हा।

" दाई तोर बेटा सोनकुंवर।''

"अब सोनकुंवर नही बेटा ! डॉक्टर सोनकुंवर।''

आँखी ले अरपा पैरी के धार बोहाये लागिस। पोटार लेंव।

मोर बेटा ! मोर सोनकुंवर !

मोर दाई ! मोर महतारी !

"नानचुन नरस के बेटा ! अतका बड़का डॉक्टर ?''

विभाग के जोन अधिकारी  हमन ला हिरक के नइ देखे वहुं हा मोर तीर आके बधाई दिस। फोटो खिचवाइस। 

"मोर दाई अब्बड़ जतन करिस मोर। अब्बड़ मिहनत करके पढ़ाइस। अउ नेशनल स्कोलरशिप घला लेये हंव तब काबिल बने हंव।''

जम्मो कोई ला बताइस डॉ सोनकुंवर हा। जम्मो कोई थपोली मारिस। 

                    अब अपन घर के रस्दा मा जावत हावंव सोनकुंवर के गाड़ी मा बइठ के ।  आज घला सतनाम चौक मा पंथी नाच होवत रिहिस । सोनकुंवर गाड़ी ला ठाड़े करवाइस । अब प्रोटोकॉल ला टोरत  मंच मा ठाड़े होइस अउ बाबा जी के गोड़ मा माथ नवाइस। राग अलापिस ।

सन्ना ना नन्ना हो नन्ना...ना नन्ना.... !

सतनाम के हो बाबा ! पूजा करौ मैं सतनाम के.... ।

सतनाम के हो बाबा  ! पूजा करौ मैं जैतखाम के ..।।

पंथीनृत्य ....मन अघागे। उछाह के समुन्दर लहरा मारे लागिस। महुं जोर से जय बोलाएव।


"बोलो गुरु घासीदास बाबा की -  जय !''


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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

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