Wednesday 16 June 2021

नंगरा ले खुदा डरे ..........

 नंगरा ले खुदा डरे .......... 

               द्वापर जुग के बात आय । भगवान कृष्ण हा खेल खेल म गोप गोपी मनला केऊ ठिन लोक बेवहार के शिक्षा देवय । ग्वाल बाल ला हंसी मजाक म घला नावा नावा बात सिखावय । बहुत सधारन उपाय ले काकरो भी गरब के चकनाचूर कर देवय । 

               वो जुग म महिला मन बहुतेच परदा म रहय । एक मरद हा दूसर मरद के घरवाली के चेहरा ला कभू नइ देखय । महिला अऊ पुरूष ...... एके घाट म कभू नइ नहावय । अऊ तो अऊ औरत अऊ मरद मनके नहाये के समे म तको अंतर रहय । गांव के जम्मो महिला मन नहा धो के जब लहुंट जतिन तब पुरूष मन नहाये बर जावय अऊ अपनेच बर निर्धारित घाट म नहावय ।  

               एक बेर के बात आय । एक दूसर ला अगोरत गोपी मनला तरिया पहुंचत ले  थोकिन मंझन होगे । घरवाले मन गारी झिन देवय सोंचत , आतेच साठ लकर धकर कपड़ा ला उतार के कांच दिन अऊ तरिया पार म सुखाये बर बगराके अधकपड़ा म नहाये बर कुद दिन । ओ बेरा म मई लोगिन के अलावा कन्हो दूसर ला न आना रहय न जाना .... तेकर सेती निच्चिंत नहावय । कृष्ण भगवान हा गोपी मनला खोजत पहुंचगे । भगवान के नजर गोपी मनके बगरे कपड़ा म परगे । ओला मजाक सूझिस ..... जम्मो कपड़ा ला लुकाके रुख म चइघके ..... अगोरे लगिस । गोपी मन नहा के तरिया पार म अमरिन त देखथे के जम्मो कपड़ा गायब । एक तो अइसने मंझन होगे रहय । तभे मरद मन के आये के बेरा होगे । ऊंकर मन के पहुंचे के आरो मिले लगिस । धकर लकर जम्मो झिन तरिया म वापिस कुद दिन अऊ मुड़सुद्धा तब तक बुड़े रिहीन जब तक ..... जम्मो मरद मन नहा के वापिस नइ मसक दिन ।

               मरद मन अपन घर पहुंचिन त देखथे ...... रंधनी सुन्ना परे हे ..... घरवाली मन गायब हे । खोजा खोज मातगे । येती तरिया म मरद मन के जाये के अवाज सुन महिला मन फेर निकलिस । तब तक भगवान घला रुख ले कुद के तरी म आगे । गोपी मन समझगे  भगवान जी के करस्तानी । गोपी मनके घुस्सा ला देख भगवान कछोरा भिर के पल्ला छांड़ दऊंड़िस । गोपी मन आव देखिन न ताव ओकरे पिछू पिछू धरा रपटी दऊंड़े लगिन । भगवान के ..... दऊंड़े के गति बहुतेच तेज रहय ..... ओहा सटले गांव पहुंचगे । उहां गांव भरके ग्वाला मनके बइठका सकलाये रहय अऊ बिचार चलत रहय के गोपी मनला कइसे अऊ कहां खोजे जाये ? तभे भगवान कृष्ण ला अपन कोती पल्ला दऊंड़त आवत देखिन ....... त जम्मो झिन ठड़ा होगे । गांव के मन भगवान ला कुछ पूछतिन तेकर पहिली ...... भगवान किथे – भागो ...... नंगरा मन पिछू परे हे ...... । गांव के जम्मो लइका सियान मन बिगन कुछ सोंचे समझे ..... गोपी मन के फिकर छोंड़ ..... अपन प्राण बचाये बर कृष्ण भगवान ले अगुवागे भागत भागत ....... । भगवान हा ..... गांव वाले मनला तब तक भगावत रिहीस जब तक ..... जम्मो गोपी मन अपन अपन घर नइ पहुंच गिन । घर पहुंचके गोपी मन .. कपड़ा पहिरे बर जइसे धरिन तब पता चलिस के उंकर देंहें हा पहिली ले लुगरा कपड़ा म ढंकाये रहय । गोपी मन भगवान के पिछू भागत भागत गांव ला सुन्ना पाके अपन देंहें ला तोपत ढांकत लाजे काने अपन अपन घर म खुसरत भगवान ला बखानत बखानत भागे रहय । सुन्ना घर म अपन आप ला अकेल्ला पाके अऊ भगवान के लीला ला आकब करके मने मन खीजत घला रहय अऊ हांसत घला रहय ।  

                एती भागत भागत गांव के गोप ग्वाला मनला ... भगवान हा .... वापिस गांव के बइठका ठऊर म लहुंटे बर हाँक पारिस .... तब जम्मो झिन लहुंटिन । ओमन दऊंड़त ले हफरगे रहय । भूख पियास के मारे प्राण छूटत रहय । पछीना अऊ गरमी के मारे देंहें तहल बित्तल होवत रहय । लीम चऊंरा म एक कनि सुसताये के पाछू ..... बइठका ठऊर के ग्वाला हा अपन घर पानी पिये बर निंगिस ..... ओहा अपन घर म ...... अपन घरवाली ला रांधत पसावत देख पारिस । ग्वाला हा पानी पिये ला भुलागे । बाहिर निकलके चिचिया के अपन घरवाली के घर म आये के बात बतइस । लकर धकर , सब अपन अपन घर भागिन अऊ अपन अपन ग्वालिन ला पाके खुस होगिन । 

               भगवान मजाके मजाक म बड़ शिक्षा दे दिस । पहिली ये के , जे मनखे नंगरा मनले डर्राही ते अपन घरवाली ला सुरक्षित पाही । दूसर ये के , कन्हो नइ देखत हे सोंचके कभू अइसे कदम नइ उठाना चाही जेकर ले पाछू शर्मसार होना परे । तीसर ये के , भगवान के पिछू जे भागही तेकर नइया ला भगवान सुरक्षित पार लगाही । चऊथा ये के , जेकर पिछू भगवान भागही तेला दुनिया के सरी सुख घर बइठे मिल जाहि । 

               घटना तो द्वापर म घटगे , फेर आज तक कन्हो नइ समझिन के , भगवान काबर डर्रइस ? फेर जब मनखे हा कन्हो लुच्चा लफंगा ले निपटे नइ सके अऊ डर्रा के पलायन कर जथे .... तब इही ला सुरता करत जरूर उहीच बात ला दोहराथे .... नंगरा ले खुदा डरे .... । 

       हरिशंकर गजानंद देवांगन छुरा .

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