Friday 11 June 2021

सत्यवान के खोज

 सत्यवान के खोज 

                धरती म एक झन अबड़ हलाकान परेशान .... सत्यवान खोजत माईलोगिन के दुख , नारद ले नइ देखे गिस । वोहा माई लोगिन ला रसदा बतावत किहीस - बर रूख म बइठे भगवान शिव के , पूजा करे बर लागही  ।  एक बेर सावित्री हा अइसने पूजा करके , अपन सत्यवान ल वापिस लहुटा डरे रिहीस । यदि तोरो पूजा ले , भगवान शिव जी प्रसन्न हो जही , तब तोरो जिनगी म सत्यवान वापिस लहुट जही , अउ जेन सुख के आस तैं संजोये हस , ते पूरा हो जही । 

                कुछ बछर पाछू ..... उदुपले .... उहीच माईलोगिन ले नारद के फेर भेंट होगिस । नारद ओखर ले कुछु पूछतिस तेकर ले पहिली , वो माई हा नारद बर बरसगे – तेंहा अच्छा फंसाये नारद जी , सत्यवान मिल जही कहिके । भगवान कसम ...... सरकारी नौकरी खोजे कस पनही के संगे संग एड़ी घला घिसागे । कोन जनी कहां लुकागे सत्यवान ...... हमर बिधायक ले जादा लुकव्वल में अगुआगे । न गूगल में दिखत हे , न रडार के पकड़ में आवत हे । नारद किथे - का ? सत्यवान दुनिया ले चल दिस , तैं मोला बताए नई बेटी । चल मिही ध्यान लगा के देखथंव , कतिहां हे तेला । दू चार मिनट पाछू ....... नारद खुशी ले कूदे लागिस , अउ किथे - सत्यवान इंहीचे हे बेटी , तैं ठीक ठाक खोजे नइ सकत हाबस ... । नारद कुछु अउ कहितिस तेकर पहिलीच माईलोगिन के खखारवृन्द फेर चालू होगे ।   

                मईलोगिन हा पड़पड़ऊंवा केहे लगिस - का ? सत्यवान इंहे हे । अई .... तें वो इंजीनियर सत्यवान के बात तो नइ करत हस भगवान ... । गऊकिन ...... वो नोहे सत्यवान , वोहा ईंटा पथरा सीमेंट रेती , कभू कभू जम्मो सड़क , मकान अउ कुआं ला घला खा देथे  , फेर बताथे सिर्फ दार भात साग ...... । उही सत्यवान होही कहिके ओखरे तिर पहुंच गे रेहेंव । ओहो .... मोला सुरता आगिस ....... तेंहा डाक्टर सत्यवान ल कहत होबे का भगवान ..... फेर वहू ..... ओकरो ले कम निये , नानुक बीमारी ल बढ़हा चढ़हा के , बड़े बड़े इलाज करके , मनमाने पइसा वसूलथे । मरे के डर देखाके , जिनगी भर सूजी पानी के दर्द सहे बर मजबूर कर देथे । अई .. थुथी होगे ... तेंहा वो सत्यवान साहेब के बात करत होबे का भगवान ..... । फेर ओ अभू तक बिन पइसा के अऊ बिन चौखट रगड़े कोन्हो काम नइ करिस , यहू नोहे सत्यवान ।

                 नारद किथे - मेंहा ये सब सत्यवान के बात नइ ...। नारद के बात पूरा होए नइ रहय , वो माई फेर सुरू हो जाए । मईलोगिन फेर बड़बड़ाये लगिस - अब जानेव गा ...... तेंहा सत्यवान दरोगा के बात करत होबे । देस के सेवा बर मर मिटे के कसम खवइया दरोगा , खाली दारू भट्ठी अउ जुआं अड्डा ले वसूली करके , को जनी काकर , सेवा करत हे । नारद किथे – यहू नोहे वो सत्यवान ...... । मईलोगिन तपाक ले किहीस - अई ...... में भुला गे रेहेंव का या ......... तें खादीछाप सत्यवान के बात करत हस , कस लागथे । वोहा काला सत्यवान आए भगवान ....... देस के कुटका कुटका करके बेंचत हे , पांच बछर म एक घांव अपन थोथना देखाथे , सपना बुनाथे , ओकर पाछू , लवारिस लास कस , हमर सपना ल कोन जनी कते करा गड़िया देथे .... कन्हो ला गम नइ पावन देत हे । येमन ओरीजिनल सत्यवान नइ होही सोंचके अऊ इंकर मन ले असकटाके ..... एक झिन सत्यवान बाबा के नाव सुनके ओकरे तिर चल देंव । सत्यवान बाबा हा ..... बड़ प्यार ले बईठारिस , रेहे बर जगा दिस , खाए बर रोटी ..... । बड़ मया करय .... । एक दिन अपन बेड रूम म बलइस ...... बड़ मुश्किल ले इज्जत बचा के भागेंव । शिकायत करे बर , न्याय पाए बर .... एक ठिन बड़का जिनीस न्याय के मंदिर म खुसर गेंव । इंहों एक झिन सत्यवान जज ले मुलाखात होगिस । फेर समझ आगिस , येहा बिन पहुंच अऊ टुटपुंजिया मन के मंदिर नोहे । इहां मनखे ल मुसेट के मरइया बड़का मनला अराम ले छूटत देखेंव ..... फेर छुटका गरीब किसान मजदूर ल , मुसवा मारे म जेल म सरत । इहां सुनवई नइ होइस , त अपन स्याही के शान बघरइया सत्यवान राइटर तिर चल देंव , यहू मन ला ... गली गली बेंचावत पायेंव । मोला अइसन सत्यवान नइ चाही नारद जी । तेंहा अभू घला सत्यवान जियत हे कहिके , मोर मनला झिन बहला । रो डरिस । 

            चुप करावत नारद किहीस – तैं मोला बोले के मौका देबे तभेच तो बताहूं , तोर सत्यवान कते तिर हे तेला । तेंहा मोर पूरा बात ल सुनेच नियस , अऊ अधरे अधर खोजे के इतिहास बताए लागेस । महल अटारी मठ मंदिर आश्रम म , नइ मिले बेटी , सत्यवान हा । सत्यवान के ठिकाना , झोपड़ पट्टी आए , जेकर रसदा चिक्कन चांदर सड़क नोहे , खब डब माटी गोटी पयडगरी आय । माईलोगिन सुकुरदुम होगे अऊ मनेमन सोंचे लागिस , हतरे बैरी ........ , पहिली बताए रहिते ..... गरीब मनखे मन के बीच म सत्यवान रिथे , त काबर दूसर जगा जातेंव , अइसन गरीब सत्यवान ल में काए करहूं । मन ल पढ़ डारय नारद । वोहा किहीस – सत्यवान सोज्झे गरीब नोहे बेटी , वोहा भूखहा अऊ नंगरा घला आय , फर्क अतके के ओहा ..... तोर अउ सत्यवान कस निये , येहा पइसा के गरीब हे , दिल के नोहे । पेट के भूखहा हे , पइसा के नोहे । अउ तन के नंगरा आय , मन के नोहे । 

            माई किथे - फेर नारद जी तहीं केहे रेहे , सत्यवान राजा महराजा के बेटा रिहीस ? नारद किथे - हव बेटी , ओहा राजा के बेटा आय , फेर राजा अंधरा ..... । अंधरा राजा के सेती , लइका सत्यवान , रंक बन के भटके लागिस । अभू घला अइसनेच अंधरा राजा मन के सेती सत्यवान ( प्रजा)  हा गरीब मजदूर कस जिये बर मजबूर भटकत किंजरत हे , अउ बिन मौत मर जावत हे । फेर एक बात जरूर हे बेटी , सत्यवान चाहे कतको दिन जिए , ओहा अपन सावित्री के झोली ल खुसी ले भर देथे । मई लोगिन किथे – गरीब आदमी का सुख दिही नारद जी ..... तहूं बनेच मजाक करथस ..... ? नारद जी बताये लगिस – सिर्फ येकरेच म अपन सावित्री ला सुख देके ताकत हे बेटी ...... काबर येहा जेन कमाथे तेमें काकरो लहू के महक निही , पछीना के सुघ्घर वास रिथे । जेला खवाथे ते कन्हो बईमानी या घोटाला के कऊंरा नइ होय , बल्कि ईमांनदारी अउ मेहनत के मिठास आय । जे पहिराथे ते , काकरो चीरहरण के लुगरा नोहे , महतारी के ओली के आशीर्वाद आए । ये जेन कुरिया म राखथे तेमे , दुसकरम के दुर्गंध निही , प्रेम के महक होथे । तेंहा इही सुख के कामना करे रेहे बेटी , तेकर सेती तोला सत्यवान पाए के उपाय बतायेंव मेंहा । 

            माई ल फेर लकर्री छा गिस । लकर धकर फेर रेंगे लागिस । नारद जी वापिस बलाइस -फेर कहां जाथस ? माई किथे - सत्यवान खोजे बर ...... । इहीच तो बात हे बेटी , बात ल पूरा सुनस निही , अऊ अधरे अधर करे अऊ केहे बर धर लेथस ...... । सत्यवान ल बाहिर खोजे के कोन्हो जरूरत निये । ओ तोर घरे म हे । जरूरत ओला जगाए के हे । माई समझिस निही । नारद जी किहीस‌ - तोर पति के भीतर सत्यवान हाबे । ओकर अंतस के सत्यवान ला जगा । माई किथे - असन म , मोर पति घला गरीब हो जही । नारद किथे - निही बेटा ओ गरीब नइ होए वो ...... , ओला अंधरा राजा के सेती गरीबी मिले हे । ओहा अंधरा राजा कती ले खुदे आंखी मूंदे , कलेचुप बइठ ...... मिटका देहे .... उही ला जगाना हे तोला । अउ उही ल जगाए खातिर , बर रूख के भगवान शिव ल मना । संकल्प ले । तोर पूजा ले जे दिन भगवान शिव प्रसन्न होगे , उही दिन तोर पति के भितरी म सुते ..... सत्यवान जाग जही अऊ …… सच जाने बर धर लिही , तब इही सच के ताकत ले अंधरा राजा के आंखी खुल जही । तब तहूं , बांचे खुचे जिनगी ल हांस हांस के काटबे । कोन जनी कते दाई माई के संकल्प पूरा हो जही , कोन जनी काकर ले शिव प्रसन्न हो जही , को जनी काकर पति सत्यवान बन , अपन सावित्री ल सुख दे पाही अऊ हमर देस के अंधरा राजा मन के आंखी खोल दिही ......... । 

    हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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