Thursday 24 June 2021

चिट्ठी पाती-महेंद्र बघेल

 चिट्ठी पाती-महेंद्र बघेल


सत्य कबीर                

   

                           डोंगरगांव

                        24/06/21


मयारू मितान खेलन दास जी,

         सादर साहेब बंदगी.

" सद्गुरु दूनो डहर ल मंगल कुशल राखय."


*(मॅंहगाई के मार मा,बढ़गे सबके रेट।*

*मसकत हे पेट्रोल हर, दॅंदरावत हे नेट।।*

*सुरसा कस बाढ़त हवय, निकलत तन के रेश।*

*चिट्ठी बचिस विकल्प अब, भेजत हॅंव संदेश।)*


दिन हा कइसे निकलथे गमेच नइ मिले, देखना आप से बात करे गंज दिन होगे रहिस, सम-कुसमय आपके सुरता ह आते रहय  फेर का करबे उसरत नइ रहिस, अक्ती बर बिहाव म मिलहू सोचे रहेंव त एती लाक डाउन ह पेर दिस। दस झिन बराती-घराती के नियम धियम के चक्कर म बिहद्रा सगा घर न तहू आय न महू गेंव । पता चलिस घरवाले मन चुलमाटी तेलमाटी लाय बर अपने अपन सुटुर- सुटुर गीन, खन-कोड़ के ले अइन।

मेन नाचा त दूर तेल चघाय बर सात झन मनखे के टोंटा होगे। ये कोरोना के सेती सब नेंग जोंग हर शार्ट कट के भेंट चढ़गे। मोला तो अइसे लगथे मितान ये महामारी के सेती बिहाव घर के खरचा घलव अब्बड़ बाचिस होही।

येदे चिट्ठी लिखत बइठे हॅंव त रटरटऊॅंव्वा पानी घलव झोरत हे। आस पास के गाॅंव गॅंवतरी मा 14 तारीख ले पानी गिरत हे, फेर कोन जनी का होगे रहिस ते डोंगरगांव मा बने ढंग ले बारिश नइ होय रहिस जेन समझ ले बाहिर हे। हर रोज संझा-बिहना भंडार डहर ले चिरईजाम बरोबर करिया करिया बादर उठे, बंग- बंग अउ चिरिर-चिरिर बिजली चमकई ले ऑंखी हा मुॅंदाय कस हो जात रहिस, डरडरावन गरजना ले पुठा काॅंप जावत रहिस। फेर सिटिर-सिटिर गिरके बादर उड़ा जाय। खेती बारी के नाव मा काॅंटा-खूॅंटी बिना गेहे, काॅंद-बूटा छोला गेहे अउ गोबर खातू घलव छिचा गेहे। बस एके चीज के अगोरा करत रहेन, बाॅंवत के लईक पानी के। लगथे हमर आस ल ईश हा ओरख डरिस तभे तो मेघ देव के कृपा ले आज बनेच पानी ठठावत हे। 

झमाझम बरसा अउ परछी मा मारत झिपार के बूंद के गुदगुदी ले हाथ गोंड़ के जम्मो  रूंवा हर ठाढ़ होगे हे ।

जीव हर तो करत हे गोदगोदा में बैठ के नहा लेतेंव अउ गरमी ला शांत कर लेतेंव। फेर सर्दी जुकाम के बड़े बाप कोरोना के डर के मारे हिम्मत नइ होइस।

ए साल सोयाबीन के बीजहा के दाम म तो आगी लगे हे। हाॅं मितान  काली जुवार के पेपर मा पढ़ें हॅंव के सरकार हर दलहन तिलहन बोंवइया किसान मन ला एकड़ पाछू दस हजार प्रोत्साहन राशि देवइया हे। सबों ला धनहा डोली बनाय के लोभ मा का बताव मोर कर एको कनी भर्री-भाॅंटा नइ बाचिस, नइते दलहन तिलहन के फसल जरूर लेय रहितेंव। 

तुम्हर डहर पानी-काॅंजी , बोनी-बाॅंवत के का हाल-चाल हे।मॅंय तो इही कहूॅं मितान कोनो भर्री-भाॅंटा होही ते तीली, राहेर, उरीद जइसे फसल ला खच्चित ले बोना उचित रइही।

माॅंहगी डीजल के सेती टेक्टर मा जोताई हजार रूपया घंटा होगे हे। फेर हमला तो हर हाल मा खेती करना च हे चाहे कुछु हो जाय। सोचत  हॅंव खेत के राग-पाग बने रइही ते हमूमन काली ले बोनी शुरू करबो।

आशा हे सदगुरु के कृपा ले एसो के पानी बादर सब ठीक-ठाक रइही।

हमर मेल मुलाकात होय अब्बड़ दिन होगे हवय ,तेकर सेती कहिथॅंव एकाद दिन समय निकाल के भऊजी सॅंग हमरो घर पधारे के कृपा करहू। घर म कका-काकी, भऊजी ल प्रणाम अउ लइका मन ल मोर डहर ले मया दुलार कहि देबे मितान।

         *साहेब बंदगी*

   🙏चिट्ठी के अगोरा मा🙏


                    तोर मितान

               महेंद्र कुमार बघेल

                    डोंगरगांव

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