Friday 4 June 2021

चुनाव आयोग म भगवान -व्यंग्य

 चुनाव आयोग म भगवान -व्यंग्य

                    भगवान के दर्शन करके , बूता सुरू करे के इच्छा म , चार झिन मनखे मन , अपन अपन भगवान तिर जाये के सोंचिन । चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहिन । भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नइ पटय फेर , जम्मो झिन म इही समानता रहय के , चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता , ओला सुरू करे के पहिली , अपन देवता ला जरूर सुमिरय । बिहिनिया ले तैयार होके निकलिन । मंदिर ले भगवान गायब रहय , मस्जिद ले अल्लाह कति मसक दे रहय , चर्च ले ईसा गायब त , गुरूद्वारा ले गुरूजी गायब .......। बड़ सोंच म परगे एमन ........ । मोबाइल म , अपन अपन देवता ले गोठियाये बर , फोन लगाना सुरू करिन । काकरो मोबाइल बंद दिखावय , काकरो कव्हरेज क्षेत्र ले बाहिर ...... । भगत मन बड़ परेशान होगे । थक हार के रेंगत रेंगत , चुनाव आयोग के दफतर के आगू म , पूजा के तैयारी देखिन त , इंहींचे पूजा कर लेथन सोंचके , ठाढ़ होगिन । उहां चार झिन , मनखे कस जीव मन , अपन अपन धरम के हिसाब से , चुनाव आयोग के दुवारी म खड़े , कपाट हिटे के अगोरा म , पूजा पाठ के सकल समान ला धरे खड़े रहय । पहिनाव ओढ़ाव देखके , येमन चुनाव आयोग के दफतर म खुसरे लइक , नइ दिखत रहय । भगवान के खोज ला भगत मन भुलागे अऊ इंकर तिर म जाके , इहां आये के कारन , पूछे लगिस । 

                   ओमन बतइन के , हमन चुनाव आयोग के , पूजा करे बर आये हन । भगत मन अचरज म परगे । भगत मन केहे लगिन – अभू चुनाव सिरागे हे अऊ कहूं तिर चुनाव होये के संकेत नइ दिखत हे , काबर फोकटे फोकट , तूमन इंकर पूजा म , अपन समे नस्ट करत हव । ओमन किथे – चुनाव घेरी बेरी होतिस कहिके , चुनाव आयोग ले बिनती करे बर , आये हाबन । भगत मन किथे – नेता कस तो नइ दिखव तूमन जी ...... , चुनाव म सबले जादा कमइया , बैपारी आव का जी ? ओमन किथे – बैपारी नोहन जी , हमन भगवान अन । भगत मन बड़ हसिन । भगत मन किथे – भुंइया म गोड़ मढ़हावव जी , अगास म झिन उड़ियावव , चुनाव निपट चुके हे जनता जी ...... , जनता केवल चुनाव के होवत ले , भगवान होथे , चुनाव निपटे के पाछू जनता के का किम्मत ......? अरे चुनाव के पाछू तो , सऊंहत भगवान ला कन्हो नइ पूछय , तुंहर कस जनता ला कोन भाव दिही ....? ओमन किथे – हमन सहींच के भगवान आवन जी ...... तूमन का जानहू ? भगत मन किथे – चुनाव म वोट गिरते साठ तुंहर भगवानगिरी , कते तिर फेंका जथे तेकर पता निये , तूमन काबर , चुनई निपट जाये के पाछू घला , अपन आप ला भगवान कहिके , मजाक बनाथव जी ....?

                   ओमन किथे – मनखे कसम गो , हमन सहींच के भगवान आवन , तूमन ला बिसवास नइ होवत होही , त जाके , अपन अपन मंदिर देवाला ला देखलव , सुन्ना परे होही .....। भगत मनला सुरता आगे सुन्ना परे पूजा घर के ..... । भगवान मन बिसवास देवाये बर किथे - हमन काये करन तेमा , तूमन ला बिसवास होही ? भगत मन किथे – अपन रंग रूप बदल के दिखावव । ओमन किथे – हमन ला नेता समझे हव रे , जेमा खड़े खड़े रंगरूप बदल देबो । देखते देखत जम्मो झिन भगवान मन , चुनाव जितइया नेता कस , पांच बछर ले लुकाये कस , झम ले गायब होगिन । कुछ बेरा म फेर लहुट दिन , तब भगत मन ला , बिसवास होगिस के , येमन भगवान आय । फेर ओमन ला एक बात समझ नइ आवत रिहीस के , येकरे मन बर हमन , एक दूसर ले लड़थन अऊ येमन अइसे एकजुट हाबें , जइसे संसद म अपन तनखा बढ़होत्तरी बर , पक्ष अऊ बिपक्ष एकजुट रहिथे । इहां येकर मनके , तनखा थोरेन बाढ़ही तेमा ? एक झिन भगत पूछथे – तूमन ला का बात के कमी हे भगवान , तेमा तूमन , चुनाव आयोग म बिहिनिया ले ओड़ा दे दे हव , उहां तूमन ला , खोज खोज के जनता परेशान हे । एक झिन भगवान किथे – जइसे तूमन , हमर दर्शन करके , हमर आशीर्वाद मांगे बर आये हव , तइसने हमू मन चुनाव आयोग के दर्शन करके , ओकर आशीर्वाद ले बर , जुरियाये हन । भगत किथे – तूमन चुनाव आयोग के आशीर्वाद ला काये करहू ? एक झिन भगवान किथे - सधारन मनखेमन , हमर ले , केवल मांगथे , कुछु देवय निही | सिर्फ इही मन अइसन मनखे आय जेकर कृपा ले , हमन मालामाल हो जथन ..... ? भगत मन किथे – सरी दुनिया के देवइया तूमन आव , चुनाव अयोग कतेक दे दिही तूमन ला , ओ खुदे दूसर के कृपा म स्वांस लेवत हे । भगवान मन किथे – येमन सिध्धा देवय कुछु निही फेर अतका देवा देथे के ...... छक जथन ।

                    देवता मन भगत मनला बतावत कहत रहय – चुनाव आयोग ले हमन बिनती करे बर आये हन के , हरेक बछर म कम से कम दू ले तीन बेर चुनाव होना चाही ....? भगत मन पूछिन – चुनाव ले तूमन ला काये मिल जही तेमा ? देवता मन किथे – चुनाव आथे न , तभे हमर पूछ परख होथे जी , हमर घर कुरिया म देस के बड़का ले बड़का मनखे मन , अपन चरन रज छोंड़थे । दूसर धरम के मनखे मन घला , दूसर धरम के , भगवान संगवारी के पूजा म , लग जथे । शक्ति ले जादा , चढ़हावा चइघाथे । बछर भर के रासन , एके मनखे लान के मढ़हा देथे । खा खा के हमूमन चिकना जथन । भगत मन किथे – घेरी बेरी के चुनाव म , जनता त्रस्त हो जही भगवान ....। देवता मन जवाब देवत किहिन – तुहीमन कहिथव के , चुनाव के समे , जनता ला हमरे कस जनार्दन कहिथे , त असन म , जनता ला तो , घेरी बेरी के चुनाव म , का नकसान ....... । 

                    गोठ बात के होवत ले , चुनाव आयोग के कपाट खुलगे । चुनाव आयोग हा , देवता मन ले मिले से अऊ ऊंकर पूजा ला स्वीकार करे ले , सफ्फा इंकार कर दिस अऊ कारन बतावत किहिस के , हमन सिर्फ पंजीकृत पार्टी ले मिलथन अऊ उंकरे पूजा स्वीकारथन .........। देवता मन के , मोटाये के सपना टूटगे । छकत ले खाये बर , अवइया चुनाव के अगोरा करत , अपन अपन मंदिर देवाला म , फोकट म आशीर्वाद बांटे बर , वापिस खुसरगे बपरा मन .....।  

 हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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