Wednesday 16 June 2021

कमाए निंगोटी वाले , खाये टोपी वाले

 कमाए निंगोटी वाले , खाये टोपी वाले  

                       बात वो समे के आय जब हमर देश म आजादी बर लड़ई चलत रिहिस । देश म आम मनखे मनला , अजादी के लड़ई के समे , टोपी पहिरे के अवसर मिले रिहिस । ओ समे टोपी पहिरइया मनखे के बड़ इज्जत होवय । देश के मनखे हा , टोपी पहिरइया मनला , अपन भविष्य के निर्माता समझय । धमतरी जिला के कुरूद कसबा तिर खिसोरा नाव के गाँव म , माधोराम पटेल नाव के साधारन किसान रिहिस हे । माधोराम के पूरा परिवार हा स्वतंत्रता आंदोलन म माते रहय । माधोराम के ददा , माधोराम के कका मन ..... राजिम अऊ कुरूद म आंदोलन ला जिंदा राखे बर बहुतेच मेहनत करय । जवान माधोराम हा एक कोती खेत खार म बलकरहा कस कमावत मात जावय , दूसर कोती परिवार के बबा ददा के परम्परा अऊ नियम अनुशासन के पालन करत , आंदोलन म बढ़ चढ़ के हिस्सा घलाव लेवय । 

                    एक बेर के बात आय । रायपुर म छत्तीसगढ़ के सेनानी मन बर , बड़का कार्यक्रम के आयोजन राखे गे रहय , जेमा देश के कुछ बड़का सेनानी नेता मन सकलइया रहय । माधोराम पटेल हा , भलुक बहुत पइसा वाला नइ रिहिस फेर , जब पाये तब , आंदोलन बर , अपन जांघ टोरत मेहनत के कमई के आधा पइसा खरचा कर देवय , तेकर सेती कार्यक्रम म संघरे बर नेवतहार म ओकरो नाव रहय । कार्यक्रम तय होगे , अतका बेर नेता मन के आगमन , स्वागत सतकार , मंझनिया बेर खाना पीना , संझाती सम्मेलन । नेता के स्वागत कोन कोन करही , मंच म कति कति मनखे बइठही अऊ कति मनखे मन , नेताजी मन के संग बइठके जेवन जेहीं ... तेकर नाव तय होके , अलग अलग लिखावत रहय । माधोराम पटेल के सेवा ... सहयोग अऊ त्याग समर्पण ... देखके ओकर नाव सबे म लिखाये रहय । 

                    रायपुर के एक झिन मनखे ला , जम्मो मुखिया नेवतहार के घर घर जाके , नेवता देके जुम्मेवारी मिले रहय । ओहा कार्यक्रम के कुछ दिन पहिली नेवता हिकारी के बूता म लगगे । नेवता देवत , माधोराम पटेल ला खोजत , खिसोरा पहुंचगे । माधोराम ला कभू देखे नइ रहय ….. काला चिनही । येला ओला पूछे लगिस । बतर बियासी के समे , गांव म कोन कमइया मिलही , माधोराम हा खेत खार म व्यस्त रहय । रायपुर के मनखे ला , भांड़ीं म खेकसी टोरत मनखे ले पता लगिस के , माधोराम खेत गेहे । रइपुरिहा सोंचिस के , खेत म जाके मिल लेथंव अऊ नेवता हिकारी देके पूरा कार्यक्रम ला समझा देथंव । खेत जाये के रसदा म , माटी गोंटी चिखला कांटा खूंटी पार करत करत , ओकर हलक सुखागे । कभू अइसन रस्दा म रेंगे नइ रहय , मेंड़ पार म गोड़ खसलगे , बपरा हा खेत म भसरंग ले गिरगे , गोड़ हा बिला म भोसागे । दगदग ले पहिरे सादा कुरता सनागे । थोकिन आगू जाये के बाद , गांव के जे मनखे इहां तक रसदा देखावत लाने रिहिस तिही बतइस के , इही खेत माधो भइया के आय । रइपुरिहा हा संगवारी संग , मेंड़ पार म बइठके , माधोराम कति तिर मिलही सोंचत , अनताजत ठड़े रहय । 

                                              खेत के बींचों बीच कमावत , बिरबिट करिया मनखे माधोराम हा , अपन कोत निहारत , नावा मनखे ला देख खुदे तिर म अमर गिस । सावन के दिन आय , पानी घलाव सिटिर सिटिर सुरू होगे । शहरिया मनला घर वापिस जाये के जलदी होगे । पछीना ले तरबतर चिखला माटी म सनाये , माधोराम ला देख शहरिया मन पूछे लगिस - तैं माधोराम के कमइया अस का जी ....... माधोराम ला एक कनिक बुलातेस का , थोकिन बूता हे ओकर ले ? माधोराम समझगे के , येमन नावा मनखे आय अऊ ओला चिन्हत नइहे , थोकिन मजकिया कस घलाव रिहिस माधोराम हा , ओहा सगा मनला , अपन आप ला माधोराम के कमइया आंव अइसे कहि देथे । शहरिया मन पूछिन - माधोराम कतिहां हे अऊ कति तिर मिलही ....? माधोराम किथे – माधोराम हा कती तिर मिलही तेला नइ जान सकंव मालिक , हां फेर काये संदेश पहुंचाना हे ओकर तिर तेला बतावव । खराब मौसम ला देखत , शहरिया मन ला वापिस जाये के लकर्री हमागे रहय अऊ उही चक्कर म ... ओला रायपुर म होवइया जम्मो कार्यक्रम के बिबरन समझइस अऊ माधोराम ला , हर हालत म कार्यक्रम म , भेजे बर ताकीद करिस । माधोराम हा , शहरिया मनला , माधोराम ला कार्यक्रम म भेजे के , खमाखम आसवासन दिस अऊ दुनों झिन ला घर म चलके ठहरे के आग्रह करिस अऊ पानी पसिया पाये के निवेदन करिस । शहरिया मन के कपड़ा लत्ता सनागे रहय । को जनी , माधोराम कतिक बेर आही न कतिक बेर सोंचके , खेत ले बिदा होगे । जावत जावत दुनों शहरिया मन गोठियावत रहय के , गाँव के अनपढ़ कमइया हा घलाव कतेक सुघ्घर मिठ मिठ गोठियाके मनला मोहि डारिस , समे रहितिस ते ओकर मालिक माधोराम ले जरूर मुलाखात करे रहितेन ... जेकर कमइया हा अतेक सुघ्घर आदत के हाबे , तेकर मालिक हा को जनी अऊ कतेक सुघ्घर होही ।

                    कार्यक्रम के पहिली दिन रायपुर पहुंचना रिहिस फेर रझरझ रझरझ पानी के सेती जा नइ सकिस । कार्यक्रम के दिन , माधोराम हा बिहिनिया ले तैयार होके घर ले निकलगे ।  छुकछुकिया म बइठके रायपुर पहुंच लकर धकर सभा स्थल अमरगे । स्वागत सत्कार निपट चुके रहय ....। खाये के बेरा हो चुके रहय , ओहा सिध्धा खाये के जगा म अमरगे । खाये के पहिली , नेवता देवइया शहरिया हा ..... पहुना बड़े नेताजी संग .... जम्मो सेनानी मनके खोज खोज के चिन्हारी करावत रहय । चिन्हारी करावत , माधोराम तिर पहुंचिस , माधोराम ला देखके सुकुरदुम होगे अऊ बिगन बलाये , ये कइसे अइस , ये कोन मनखे आये कहिके सोंचत रहय , तभे ओला खिसोरा के खेत अऊ मेंड़ के सुरता आगे अऊ ओहा जान डरिस के , ये मनखे तो माधोराम के कमइया आय । ओ कुछु कहितिस तेकर आगू , पहिली दिन ले पहुंचे कुरूद के अऊ दूसर संगवारी मन , माधोराम के चिन्हारी नेताजी ले करइन । पहुना नेताजी हा माधोराम के बारे म पहिली ले सुन चुके रिहीस .. ओकर ले मिलके बड़ खुश होइस । 

                    खाये के पाछू नेवता देवइया रायपुरिहा हा , माधोराम ले माफी मांगत कहत रहय , तूमन ला चिन नइ सकेंव भइया । माधोराम किथे – मोर हुलिया हा उइसने रिहिस गा ... काला चिनतेव भइया । हमन गाँव गँवई के मनखे आन भइया .... । दिन भर टोपी पहिर के किंजरबो त कमाबो कइसे , बिगन कमाये , हमन ला खाये बर कोन दिही .......? नइ कमाबो त हमर घर कइसे चलही अऊ हमर आंदोलन बर पइसा कइसे सकलाही ........ ? वइसे भी , कपड़ा के काहे गा , समे समे म , आवसकता के हिसाब से बदलत रहिथे । ओ दिन कमाये के रिहिस तेकर सेती , निंग़ोटी पहिर के लगे रेहेन , आज खाये के दिन आय तेकर सेती , टोपी पहिर के आये हन ..। खाये टोपी वाले .. कमाये निंगोटी वाले .... कहत मजकिया माधोराम हा खुदे हाँस पारिस । सकलाये जम्मो मनखे मन माधोराम के गोठ सुन खलखलाके हाँसिन । कालांतर म , माधोराम के इही गोठ , कमाये के बेर निंगोटी वाले , खाये के बेर टोपी वाले हा ..... हाना बनगे । 

                    ओ समे मनखे हा , आवसकता मुताबिक कपड़ा बदल के अपन बूता निपटा डरय । समे बदलत गिस । अब टोपी वाला अऊ निगोटी वाला एके मनखे नइ रहिगे .... दू अलग अलग मनखे होगे । कुछ दिन म ... टोपी वाला अलगियागे , निंगोटी वाला मन छंटागे । समे के सांथ बपरा निंगोटी वाला मन निंगोटिच म रहिगे अऊ टोपी वाला मन टोपी पहिरके , देश ला टोपी पहिराये बर धर लिस । जब ले हमर देश म इही बिकृत चाल चरित्तर चलन म आये हे तब ले , माधोराम पटेल के इही साधारन सोज गोठ बात हा , व्यंग के नावा रूप रंग धरके , मनखे के मन ला , रहि रहि के , हुदेलत हे .... कमाये निंगोटी वाले , खाये टोपी वाले । 

हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

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