*कुछ दिन बर*-चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
हलो---हलो---हलो--
हलो --हाँ, राजू बेटा बोल। का बात ये गा ? बड़े बिहनिया ले फोन करे हस। सब ठीक-ठाक तो हे न? भिलाई म रहइया रामसिंग ह अपन गाँव के मितान माखन के बेटा ल पूछिस।
कहाँ ठीक हे बाबू। ददा के तबियत ह बनेच बिगड़गे हे। आप मन तो दू महिना होगे ,न तो घर आयेव ,न तो फोन करेव। उहाँ सब ठीक हे न बाबू?
हाँ बेटा, इहाँ हमन सब बने-बने हावन।तैं तो जानत हस दू महिना होगे सख्त लाकडाउन लगे हे। तेकर सेती कोनो कोती आना जाना ते दूर ,दुवारी ले बाहिर नइ निकलत अँव----। अच्छा ,ये बता का होगे हे मितान ल ?
का बताववँ बाबू---हमन भारी हलकान हवन। ददा के दिमाग चले बरोबर होगे हे। झाड़-फूँक करइया कोनो बइगा ल धरके आजे आ जते।
तहूँ ह बेटा--पढ़े-लिखे होके कहाँ अंधविश्वास म परे हस। अरे तबियत खराब हे त डाक्टर सो इलाज करवाना चाही।
ठीक काहत हस बाबू फेर मैं का बताववँ--एक महिना म पचासों डाक्टर ल देखा डरेन फेर ददा के मारे चलही तब न ? कभू हार्ट के डाक्टर सो लेगे ल कहिथे, कभू किडनी के ,त कभू पेट रोग वाले सो, त कभू न्यूरो सर्जन करा ,त कभू आयुर्वेद वाले सो, त कभू होम्योपैथी वाले सो। हमन ल बेंदरा नाच नचवा डरत हे। ककरो दवई ल दू दिन ले उपराहा नइ खावत ये। हजारों रुपिया के दवा ल फेंकवा के फेर आन दवा लेवाथे---उहू ल एक-दू दिन खाके ,ये रियेक्शन करत हे कहिके फेंकवा देथे । तहाँ ले फेर आने दवा-- लाखों रुपिया फूँकागे बाबू।
देख न काली जुवर रात भर नइ सुते रहिस त वोकर आँखी थोकुन ललियागे रहिस त वो ह मोला ब्लेक फंगस होगे कहिके हलकान कर डरिस। गाड़ी-घोड़ा करके तुरते एम्स लेगेंव त उहाँ जाँच करके डाक्टर कहिस --'ब्लेक फंगस नहीं हुआ है। अनिद्रा के कारण आँख लाल हो गया है।' अतका ल सुनके ददा ह---तैं कुछु ल नइ जानस।फोकट के डाक्टर बनगे हस कहिके भड़कगे रहिसे। उहाँ ले निकल के बड़े-बड़े, दू-तीन अस्पताल के अउ चक्कर लगवाइस। सबो जगा ब्लेक फंगस नइ होये ये कहिन त लटपट म मानिस अउ घर लहुटिस।
ओह--- सिरतोन म समस्या तो बड़ गंभीर हे राजू बेटा। कोनो मनोचिकित्सक सो इलाज करवाये ल परही---।अच्छा ,ये बता वोकर दिनचर्या अभी कइसे रहिथे। रामसिंग ह पूछिस।
का गोठियाववँ बाबू। दाई बपुरी ह वोकर मारे परशान हे। ददा ह रात भर खुद नइ सुतय, न आन ल सुतन दय। कभू ये पिरावत हे, कभू वो पिरावत हे---कभू ये तेल त कभू वो तेल म बस मालिश करवावत अउ माथा ल ठोंकवावत रहिथे। बिहनिया पाँच बजे ले कभू ये काढ़ा ,त कभू वो काढ़ा पियत रहिथे।तहाँ ले नाना प्रकार के दवाई खवई चालू होथे। खाना-खुराक तो निच्चट टूटगे हे। पेपर ल दसो पइत पढ़थे।दिनभर टी वी म समाचार सुनत रहिथे। हमन ल कोनो सिरियल ल तको नइ देखन देवय। रिमोट ल पोटारे रहिथे। कभू योगा करथे त कभू बाबा रामदेव के कार्यक्रम ल देखके उटपुटांग व्यायाम करे ल धर लेथे।देख न ,काली जुवर काय व्यायाम करत रहिसे त वोकर कनिहा धरले हे। हमन हलकान हावन बाबू--- तहीं बता ,पछत्तर साल के बुढ़वा ह आँय-बाँय व्यायाम करही गा---
हाँ बेटा-- ये तो बड़ मुसीबत के बात ये फेर तैं थोरको चिंता मतकर ।सब ठीक हो जही। मैं आजे आवत हँव। ये बता अभी वो का करत हे-- रामसिंग कहिस।
बताये म लाज लागत हे बाबू। वो ह गंभीर कोरोना होगे हे कहिके, गोबर ल सरी अंग म चुपरके वो दे अँगना म चरचरावत घाम म बइठे हे।एक घंटा म तीन पइत गोमूत्र के पान कर डरे हे। कुछु अलहन हो जही तइसे लागथे बाबू। राजू ह रोवासी बानी कहिस।
नहीं--नहीं, अइसे कुछु नइ होवय बेटा। तैं धीर धर ,मैं आवत हँव न--। बीमारी पकड़ म आगे---मैं तुरते इलाज कर देहूँ। कुछ दिन बर पेपर अवई ल बंद करे बर लागही। टी वी के दू-चार ठन वायर ल इँच-आँच के वोला बिगाड़े ल परही। इही मन ल पढ़के अउ दिन-रात देख के वो ह डिप्रेशन के शिकार होगे हे।
कुछु कर लेबे बाबू फेर तैं जल्दी आजे आव।
हव कहिके रामसिंग ह मोबाइल ल बंद करिस अउ अपन मितान गाँव आये बर तइयार होइस।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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