Sunday 20 February 2022

छत्तीसगढ़ का आंचलिक साहित्य परंपरा परिदृश्य और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में युवा*

 *छत्तीसगढ़ का आंचलिक साहित्य परंपरा परिदृश्य और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में युवा*


 हमर छत्तीसगढ़ मा आंचलिक साहित्य के अमरत्वपूर्ण समृद्ध संसार हवे | साहित्य हमर धर्म और आस्था के केंद्र बिंदु हरे, हमन ला एमा साक्षात सरस्वती दाई बिराजमान दिखथे | हमन अपन घर के ग्रंथ ला सौंहत देवी देवता मान के पूजा करथन | हमर छत्तीसगढ़ मा आंचलिक साहित्यकार मन के छत्तीसगढ़ के लोक जीवन मा बहुत मान्यता हे | जन-जन के आस्था के केंद्र बिंदु ये साहित्यकार मन हमर अंचल ला प्रभावित करथे | जब हमर छत्तीसगढ़ मा छत्तीसगढ़ी साहित्य लेखन चालू नहीं होय रीहिस, तभे हमर छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन हिंदुस्तान के बड़का शासक अउ ओकर जनमानस ला अपन लिखित कविता के माध्यम से जागृत करेके उदिम कर डारे रीहिसे | गोपाल मिश्र ला छत्तीसगढ़ के वाल्मीकि कह जाथे, वो हा अपन साहित्य खूब तमाशा के जोर ले औरंगजेब के शासनकाल में ओकर दमनकारी नीति के विरोध मा साहित्य के माध्यम ले अपन स्वर बुलंद करे रिहिस | गोपाल मिश्र के ही एक ठन अउ कृति सठ-शतक जन जागृति के बहुत बड़का साहित्य रीहिसे, जेन हा वीर रस से सराबोर  कविता  के माध्यम ले जन जागृत के अलख जगाइस | साहित्य  के ये परंपरा आगू बढ़के हमर छत्तीसगढ़ी साहित्य में देखे ला मिलिस | 

       छत्तीसगढ़ के आंचलिक साहित्यकार मा माखन मिश्र, रेवाराम बाबू , प्रहलाद दुबे, लक्ष्मण कवि आदि साहित्यकार मन से हमर आंचलिक साहित्यिक परंपरा ला नवा दशा अउ दिशा मिलिस |

ये कड़ी मा पं. सुंदर लाल शर्मा हा छत्तीसगढ़ी दान लीला,  छत्तीसगढ़ी राम लीला आदि ग्रंथ लिखत हमर साहित्य ला समृद्ध  करत आगू बढ़ाइस | इही कड़ी मा नारायण लाल परमार के नाम गर्व से लिए जा सकथे, जेन हा साहित्य के सबे विधा के विशेषज्ञ रीहिस | परिवार मा रहिके भी सन्यासी जीवन व्यतीत करत परमार जी हा पूरा देश मा छत्तीसगढ़ के नाम रोशन करे हवे | प्राइमरी स्कूल के ये गुरुजी के सफर, हिंदी विभागाध्यक्ष तक पहुंचिस | परमार जी के साहित्यिक योगदान ला छत्तीसगढ़िया मन कभू नइ भुला सकन | छत्तीसगढ़ के आंचलिक साहित्यिक परिपेक्ष मा पं. द्वारिका प्रसाद मिश्र विप्र के नाम सम्मान से लिए जाथे | दयाशंकर शुक्ल हा छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य मा नींव के पहली पथरा छत्तीसगढ़ी लोक साहित्य के अध्ययन के रूप में डालिस | जेन ला शिवदत्त शास्त्री इतिहास समुच्चय, लोचन प्रसाद पांडेय हा छत्तीसगढ़ी नाटक कलिकाल लिखके छत्तीसगढ़ के आंचलिक गद्य साहित्य लागू बढ़ाईस | 

      छत्तीसगढ़  मा आंचिलक साहित्य  के झंडा बुलंद  करैया  मा कोदूराम दलित के सियानी गोठ, माधव राव सप्रे के रामचरित्र बलदेव प्रसाद मिश्र के छत्तीसगढ़ परिचय, पंडित केदार नाथ ठाकुर के बस्तर भूषण, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के उत्कृष्ट साहित्य हमर छत्तीसगढ़ अंचल के साहित्य ला समृद्धि करिस | पुरुषोत्तम अनासक्त के भोंदू पुरान, हरिठाकुर के छत्तीसगढ़ी गीत कविता, गुलशेर अहमद खान 'शानी' के व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश देखावत साहित्य लिखाई हमन ला नवसृजन करेके प्रेरणा दीस | इही कड़ी मा लतीफ घोंघी के व्यंग्य विधा ले साहित्य में नवाचार के सुग्घर रद्दा खुलगे, जेनला डॉ. धनंजय वर्मा के अंधेर नगरी, त्रिभुवन पांडेय के भगवान विष्णु की भारत यात्रा, विनोद कुमार कुमार शुक्ला, गजानन माधव मुक्तिबोध के लिखे साहित्य मन आंचलिक साहित्य ला पोठ करके समाज में सुधार के संदेश बगरइस |  श्यामलाल चतुर्वेदी के राम वनवास अउ पर्रा भर लाई,  डॉ.पालेश्वर प्रसाद शर्मा के तिरिया जनम झनी दे, सुसक झन कुरदी सुरताले,  विशेष उल्लेखनीय हवे | ये कड़ी मा समीक्षा विमर्श और शोध के शिखर साहित्यकार डॉ. विनय कुमार पाठक जी छत्तीसगढ़ी आंचलिक साहित्य मा बहुत महत्वपूर्ण काम करथे | पाठक जी सीता के दुख नांव के खंडकाव्य लिखके सशक्त  नारी चरित्र के विमर्शात्मक चित्रण करेके संग मा सामाजिक विसंगति ऊपर बहुत महत्वपूर्ण विषय में लिखें शोध ग्रंथ ले छत्तीसगढ़ ही नहीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर मा हमर छत्तीसगढ़ के नाम उजागर करथे |

        हमर छ्त्तीसगढ़ महतारी  के अनमोल रतन छत्तीसगढ़ गद्य साहित्य मा छत्तीसगढ़ के प्रेमचंद के नाम ले विभूषित डॉ.परदेशी राम वर्मा जी छत्तीसगढ़ के आंचलिक साहित्य में बड़का काम करत हवे | उंकर लिखे उपन्यास कहानी कविता के संग ऊंकर द्वारा  संपादित त्रैमासिक पत्रिका आगासदिया अउ आगमन पत्रिका के संग डॉ. परदेशी राम वर्मा जी द्वारा छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ ऊपर लिखे छत्तीसगढ़ी गीतनाटिका विशेष उल्लेखनीय हवे, जेमा गीतनाटक के माध्यम ले हमर छत्तीसगढ़ के लोक संस्कृति, भगवान राम के प्रति आस्था के संग भॉचा मन के आदर सत्कार के बड़ सुग्घर संदेश मिले हे |  

     केयूर भूषण लिखित कहां बिलागे मोर धान के कटोरा गद्य साहित्य के माध्यम ले आंचलिक पृष्ठभूमि में तत्कालीन छत्तीसगढ़ परिवेश  के मार्मिक चित्रण करे हवे |

        छत्तीसगढ़ मा जनकवि के रूप मा विख्यात कोदूराम दलित, उधोराम झखमार, डॉ.नरेन्द्र देव वर्मा, लक्ष्मण मस्तूरिहा, बाबूलाल सीरिया, अखेचंद क्लांत, लाला जगदलपुरी, राजेन्द्र तिवारी, विसंभर यादव मरहा , द्वारिका प्रसाद तिवारी के संग गजपति राम साहू , बुटूराम पूर्णे, देवनारायण नगरिहा, हेमलाल साहू निर्मोही, के नाम उल्लेखनीय हे |

       छत्तीसगढ़ अंचल ला अपन अद्भुत काव्य सृजन ले प्रभावित करैया कवि मन मा पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे, पं. दानेश्वर  शर्मा,  मुकुंद कौशल, मुकुटधर पांडेय रामेश्वर वैष्णव के नाम अपन अलग मुकाम हासिल करे हवे | नरसिंह दास वैष्णव, पवन दीवान, महाकवि कपिलनाथ कश्यप , विमल कुमार पाठक, शेषनाथ शर्मा शील के साहित्य हमर छत्तीसगढ़ अंचल के अनमोल धरोहर हरे |

        हमर छत्तीसगढ़  महतारी  के कोरा मा साहित्य  के सतरंगी रंग मा बोले मा हमर नारी शक्ति  के योगदान  बहुत महत्वपूर्ण हे,  एमा छ्त्तीसगढ़ के पहिली महिला साहित्यकार निरुपमा शर्मा के पतरेंगी, शकुंतला शर्मा लिखत चन्दा के छॉव मा, सुधा वर्मा  के उपन्यास *बन के चन्दैनी* अउ *तरिया  के आंसू* सरला शर्मा के *आखर के अरघ* शैल चन्द्रा शकुन्तला वर्मा, वसंती वर्मा, असन कतको नारी शक्ति  मन साहित्य साधना  मा अपन उपस्थिति दर्ज  करवाय  हे | 

            कविसम्मेलन  के मंच मा अपन सार्थक काव्य प्रस्तुति मा शकुन शेंडे बचेली के नाम प्रमुखता से लेना चाहहूं , जिंकर  श्रेष्ठ काव्य प्रस्तुति हा नारी शक्ति  के उद्घोष करथे -- 


संगवारी रे मोरो गॉव आगे मानसून, 

तीपत भोंभरा मुहूं लुकागे,चलदिस छुट्टी चौमासा |

ये अगास मा माँदर बाजत, बादर खेलत हे पासा |

बिजुरी कैना बड़ इतरावय, नाचे इंदर सभा मोहावय |

इन्द्र धनुष के रंग मा मनखे, सपना लेथे बुन ....


संगवारी रे मोरो गॉव आगे मानसून |


ऐसने शशि तिवारी महुआ, गीता विश्वकर्मा नेह, निशा तिवारी, संतोषी महंत श्रद्धा, हर्षा देवॉगन, संध्या राजपूत के कविता  जनमानस के बीच अगले पहिचान  राखथे |

      जनमानस मा पोठ संदेश देवैया आंचलिक साहित्यकार मा पवन दीवान के भागवत  मंच अउ कविसम्मेलन मन मा ठहाका भरत कविता  के उद्घोष जन जन मा लोकप्रियता  के दुवारी खोल दे रीहिस | बद्री विशाल परमानंद , लक्ष्मण मस्तूरिहा, हरिठाकुर, रामेश्वर वैष्णव, दानेश्वर शर्मा, मुकुन्द कौशल के सदाबहार गीत आज तक हमर छत्तीसगढ़ अंचल मा अपन सार्थक उपस्थिति  बनाय हवे | ऐसने स्व. गजानंद प्रसाद देवांगन के कविता मन मा जीवन के सुक्ष्म विवेचन हवे --

कोरी कोरी कतको बछर रो धोके पहागे |

बांचे खोंचे जिनगी पहाड़ असन  लागथे |

लहू चुहकत हे कई झन, प्रजातंत्र के काया के |

ये बैरी  मन ढेकना  मसाड़ असन लागथे |

स्व. मेहत्तर राम साहू के कविता मा आंचलिकता के गहरा बोध हवे --

पसिया के हांड़ी, मरत हे पियास |

औसने तलफतहे हमर इतिहास |

आशा भरोसा बिश्वास  हा 

बरफ एसन घूरथे |

दया मया पिरिया हा करेल 

असन डुबक डुबक के चुरथे |साहित्य मन मा 

कुंज बिहारी चौबे के बियासी गीत, गयाराम साहू पथिक के रखिया अउ जागिस छत्तीसगढ़ के माटी के कविता मा मानवीय मूल्य अउ ओकर संदेशा मा छत्तीसगढ़ महतारी के छटवी सातवीं सदी के दशा झॉकत दिखथे | किसान के पीरा, खेती किसानी के दुर्दशा, बैला नॉगर, धान गहूं सरसों तिवरा के खेत, मउंहा बोईर तेंदू टोरई, साग भाजी बेंचई, खेत कोठार जंगल मा लगे आगी, मनखे के टीबी धुकी बीमारी मा गॉव के गॉव उसलई, ऐसन मार्मिक चित्रण साठ सत्तर  अस्सी अउ नब्बे के दशक तक आवत कविता के रंग मा थोकनी बदलाव आवत गीस, अब कवि मन इक्कीसवीं सदी में ओग्गर भविष्य के सपना भूख गरीबी मा सुधार, छत्तीसगढ़ राज निर्माण के जरूरत छत्तीसगढ़  महतारी  के बेड़ी टोरे  के आह्वान करत कविता कहानी के रेला बोहागे | पढ़के सुग्घर जिनगी गढ़े के आह्वान  करत जीये बर संघर्ष करत किसान बनिहार  के मेहनत के चित्रण करत कवि लेखक  मन अंचल  मा जागरुकता  लाय के बड़का उदिम  करिस | 

        छत्तीसगढ़ राज मिले के बाद सबके भाग फरिहाइस  अब कवि के कविता मन मा तक बहुंत बदलाव  आगे  हवे  , आजके कवि साहित्यकार  मन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम  ले कविता कहानी  संस्मरण यात्रा वृत्तांत छंदबद्ध काव्य लेखन करत आंचलिक साहित्य मा नवा नवा रंग घोरथे | ये मा अरुण निगम जी के छंद के छ परिवार के  साहित्यकार  मन के प्रयास सराहनीय हवे जेन मन छंदबद्ध साहित्य के माध्यम ले आंचलिक साहित्यिक खजाना मा नवा नवा रतन पिरोवथे |

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा युवा साहित्यकार  के सक्रियता सबले जादा वाट्सएप अउ फेसबुक मा देखे ला  मिलथे जेमा कवि साहित्यकार मन लेख कहानी कविता लिखते भार तुरते भेजके  सैकड़ों संगवारी मनले वाहवाही पा लेथे | एकर  ले एमनके  उत्साहवर्धन होथे अउ नवा नवा साहित्य लिखे के प्रेरणा तको मिलथे | ए कड़ी मा मैंहा कुछ सक्रिय अउ उम्दा साहित्य लिखैया युवाकलमकार के गोठ अउ ऊंकर कविता  के उदाहरण देना चाहहूं ,जेमा कविमन समाज  मा सुधार  अउ बेवस्था  मा बदलाव  के सुंदर संदेश देवथे | एमा महेन्द्र बघेल मधु के पंक्ति मा संदेश देखव ---

*जतन नी जानिस जीवन भर मरगे महतारी पुट्ट ले |*

*सगा सोदर ला देखायबर सुपेती उघारिस खुट्ट ले |*

*जाड़ मा भुर्री बर झिटका नोहर,*

*आज चिता बर लकड़ी गंजाथे*

*जीयत मा नवा लुगरा नोहर*

*बेटा आज कफन बिसाथे*

जीयत भर पूछेन नहीं,

मरगे तब सोरियावतहन,

जग मा नइहे तेकरबर हम  कैसन समाज बनावत हन |

        कन्हैया साहू अमित छंदबद्ध विभिन्न कविता के माध्यम ले जन जागरुकता लाय के बड़का उदिम करथे --

छप्पय छंद मा स्वच्छता के संदेश देखव-- 

एती ओती देख कतिक बगरगे कचरा, 

एकर करव सरेख पसरगे काबर पचरा |

जुरमिल देवव टार जोर दव कूढ़ादानी, 

अपन बढ़ावव हाथ होय सुग्घर जिनगानी |

      इही कड़ी मा देवजोशी गुलाब के पंचायती राज मा अबादी भुईंयॉ के बंदरबाट ऊपर गजब के व्यंग्य समाज ला जागृति के संदेशा देवथे---

ये पंच मनला आँकलेव,

मोरो जेब ला झॉकलेव, 

तहॉले जावनगा ,

सबे भाठा डाहरला नापलेव |

     कन्हैया लाल बारले के सुप्रसिद्घ कविता जेमा कड़ही बनायके विधि के संग मा आमा अमली  के पेड़ लगायके संदेश ले कविता  के सुंदर  समापन देखे के लाइक हे --

ए वो टुरी अँड़ही तैं रांध लेना कड़ही,

अमसुरहा खाइ लेबोना,

सुघर जिनगी पहाइ लेबोना |

      देवनारायण नगरिहा रायपुरा के कविता - 

गंधारी ऑखी ले पट्टी खोल के देखतिस  ते का होतिस, 

कविता  मा गजब के संदेश देय हवे |

ऐसने ईश्वर साहू आरुग हर आरुग चौरा नाम के मासिक पत्रिका निकालके छत्तीसगढ़ भर के साहित्यकार  मनला एक मंच मा सकेले सुंदर प्रयास करे हवे | ओकर  कविता  मा रुख लगाय के महत्व के बानगी देखव -- 

ददा उठाही भार तभे सुख लइका पाही |

गुरू बताही ज्ञान, तभे कोनो सुर सजाही |

एक दिन मा पेड़ हा, नइ देवय फुल फर ला |

बबा लगाही पेड़ तभे फर नाती पाही |

अजय अमृतांशु के हरिगीतिका छंद म बेटी बर  लिखे  सुंदर संदेश 

बेटी हवय अनमोल जी दाहिज मा  झन तोल गा |

आघू बढ़ाही नाम ला, अॉखी अपन तैं खोल गा ||

आकाश मा बेटी उड़य, पॉखी लगे हे ज्ञान के |

आघू बढ़नदे रोक झन ओला  बने सम्मान दे ||

मनीराम साहू मितान के रोला छंद मा संदेश जीवन मा उतारे ला पड़ही -- 

झिल्ली कचरा डार पाट झन नदिया तरिया |

गंदा पानी ढील फरी ला झन कर करिया ||

नइ रखबे गा साफ,  गुजर तैं कामा करबे |

तोरे हवय बिगाड़ बिगर पानी के मरबे ||

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा सक्रिय युवा साहित्यकार मा तोषण चुरेन्द्र दिनकर, धर्मेन्द्र श्रवण, सुनील शर्मा नील, वीरेन्द्र तिवारी वीरू, लखन साहू लहर,  भरत बुलंदी, पुष्कर राज, मनोज श्रीवास्तव, शरद यादव अक्स, दिनेश दिव्य, धनराज साहू , मुकेश पटेल, निरंजन ठहाका, जयकांत पटेल, गणेश यदु, अशोक कुमार यादव, हीरालाल साहू समय, लोकनाथ साहू आलोक सहित सैकड़ों  कवि साहित्यकार मन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम ले आंचलिक साहित्य ला पोठ करथे | 

ये कड़ी मा नवोदित कवि नोकेश तांडे के प्रकृति के विरोध मा आक्रोश व्यक्त करत पंक्ति देखव --

बता तैं हमला भरे बरसात मा दॉत निपोरे काबर |

आज जरुवत नइ हे त बिहने ले झोरे काबर |

अइसने नवोदित कवि आकाश किरण के हमर छत्तीसगढ़ महतारी बर समर्पित पंक्ति  मा  ओकर  भाव अभिव्यक्ति --

उवत सुरुज के लाली कस, मैं उज्जर सोनहा थारी अँव |

सुख अउ दुख  मा  संग देवैया  छत्तीसगढ़  महतारी अँव ||

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा सबले जादा युवा मनके भागीदारी रहिथे फेसबुक वाट्सएप टि्वटर इंस्ट्राग्राम मा युवा साहित्यकार मनके भागीदारी हा प्रिंट मीडिया ला बहुत प्रभावित करेहे | इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बात करथन तब छत्तीसगढ़ के आंचलिक साहित्य ला इलेक्ट्रॉनिक  मीडिया में लाय मा संजीव तिवारी के वेब पोर्टल गुरतुर गोठ के उल्लेख करना जरूरी हो जथे,  जेकर माध्यम ले संजीव तिवारी जी हा नवा जुन्ना साहित्यकार मनला अपन  वेब पोर्टल मा लाके ऊंकर साहित्य ला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा सक्रिय युवा मनके बीच परोसेके  नवाचार करिस जेनहा सफलता के शिखर चूमत कई ठन वेब पोर्टल ला जनम देयके रद्दा खोलिस | इही कड़ी मा मैंहा रमेश चौहान के नाम लेना चाहहूं  , जेनहा फेसबुक मा छत्तीसगढ़ी साहित्य मंच के स्थापना करके पागा कलगी नाम मा कविता प्रतियोगिता के सफल संचालन करीस | ओकर ये प्रतियोगिता मा छत्तीसगढ़ के सैकड़ों वरिष्ठ अउ नवोदित साहित्यकार मन भाग लेके अपन काव्य कौशल के प्रदर्शन करिस | छत्तीसगढ़ी हिन्दी समसामयिक साहित्य ला इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मा लाये मा रमेश चौहान जी के सुरता नाम के वेबसाइट पोर्टल के बड़का योगदान हवे,जेमा हमर छत्तीसगढ़ अंचल के सबे विधा के साहित्यकार मन के कविता कहानी आलेख प्रलंब काव्य,  पुस्तक समीक्षा, जीवनी, यात्रा वृत्तांत, संस्मरण के रूप मा सैकड़ों  साहित्यकार मनके साहित्य हा जनमानस तक बगरके हमर छत्तीसगढ़ अंचल के साहित्य संस्कृति अउ लोकजीवन  के दिग्दर्शन कराय मा बड़का योगदान देहे | 

        बस्तर जिला मा  साहित्य के सतरंगी पताका थामे नवोदित कलमकार मनके समूह ला संग धरके रेंगैया साहित्यकार मा विश्वनाथ देवांगन के अलगे पहिचान बनगेहे जेन ला मुस्कुराता बस्तर के नाव मा पहिचाने जाथे | आज वहू हा मुस्कुराता बस्तर अउ सरगी फूल नाम के फेसबुक पेज, वेब पोर्टल अउ वाट्स अप पटल मा लगातार सक्रिय साहित्य सेवा करथे | एकर मोटका दादा  रिसर्च  पेपर हा बस्तर के पुरातत्विक  महत्व  का दुनिया  के आगू लायके  बड़का  काम  करिस |

कुल मिला के हमर छत्तीसगढ़ अंचल मा सक्रिय साहित्यिक सृजनशीलता मा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के बहुत बड़े सहयोग हमर छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन ला मिलथे | एकर सही  उपयोग करेलेे हमर अंचल के साहित्य हा अउ सशक्त होही एमा कोनो संदेह नइ हे |


    लेखक 

डॉ. अशोक आकाश 

ग्राम कोहंगाटोला पो. ज/सॉकरा तह जिला बालोद छ ग 491226

मो. नं. 9755889199

email : ashokakash1967@gmail.com

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