Sunday 13 February 2022

सोनहा सुरता रामू के (संस्मरण कहिनी)*

 *सोनहा सुरता रामू के (संस्मरण कहिनी)*


ये सोनहा सुरता ले भरे संस्मरण कहिनी ये रामू के , जेखर डर मा गाँव के लोगन मन हा हमर घर के दुवारी मा नई चढ़त रिहिन हे । जेला आज भी पूरा गाँव बस्ती भर के मनखे मन हा सुरता करत पूछत रहिथें , रामू हा तो नइये घर मा कहिके । संगवारी हो ये कहिनी कोनो मनखे के नही , असल मा एक ठन पोसवा कुकुर के आय , जेला हमन घर मा नाँव दे रेहेन रामू । रामू हमर घर के एक ठन सदस्य के बरोबर रहिस , वोला हमर घर के लइका ले सियान तक सबो झीन बड़ मानय । यहाँ तक के गाँव मा पढ़ाय बर अवइया गुरूजी मन तक रामू ला वोकर नाम अउ काम ले जानत रिहिन हे । 


रामू के ननपन : - जब हमन लइकापन मा छोटे छोटे राहन ता नान नान कुकुर के पीला मन ला पोसबो कहिके सउखे - सउख मा घर ले आवत रेहे हन , कुकुर के नान्हे - नान्हे पीला मन हर हम लइका मन बर खिलौना असन राहत रहिस हे । जेखर संग हमन दिन भर खेलन कुदन अपन संग मा खवावन पियावन अउ वोला अपन संग मा दिन भर घुमावन । तभो ले वो कुकुर पीला मन हर घर मा नई टिकत रिहिन भाग जवत रिहिस हे । वो समे हमर घर मा पोठ बारी बेला लगावत रिहिन हे , हमर गाँव हा शिवनाथ नँदिया तीर मा बसे हावय जेहा भर्री भाठा नँदिया कछार संग धनहा डोली मन ले भरे पूरे गाँव आय । वो समे हमर गाँव के आधा ले जादा मनखे मन सब खेती बाड़ी संग जीवन यापन करे बर बारीच बेला लगावत रिहिन हे ।


ओइसने एक दिन हमर घर ददा हा सौदा लेके मंगल के कड़ार बाजार गे रहिस , अउ बाजार ले लहूटती खानी (समे) एक ठन बढ़िया नानकुन सादा के कुकुर के पीला ला अपन संग झोला मा धर के ले आइस । नानकुन कुकुर के पीला देख के हमन अब्बड़ खुश राहन अउ ओखर संग मा बिकट खेलन , ददा हा वोकर नाँव रखे रिहिस रामू । अब कोनो भी बारी जातिस ता रामू ला अपन संग मा लेके जातिस अउ लानतीस । कहे जावय ता बारी हा रामू के डेरा बनगे रिहिस ।

गाय गरुवा बेंदरा भलुवा मन ला बारी रखवार संग कुदाना भगाना वोकर रोज के काम बनगे रहिस । रामू छू अतके बस कहिदेते तहाले ओखर कुदान नई बनत रिहिस हे , बेंदरा भलुवा तो बेंदरा भलुवा मनखे मन हर तक वोकर डर मा हलाकान राहय । 


रामू हा मानो हमर घर के कोनो अइसन सदस्य राहय जेला पूछे बीना बाहर वाले कोनो भी मनखे हमर घर के चौखट मा नई चढ़त रहिस होही । रामू हा घर मा हे कि बारी गेहे अउ घर मा हे ता खुल्ला हे कि बंधाय हे , अइसन पूछ परख हा रामू बर तो रोज के आम बात रहिस । गाँव बस्ती तो गाँव बस्ती हमर घर अवइया सगा पहुना मन घलो वोकर मारे थर राहय , पूरा बस्ती भर रामू ला जानत रिहिस । वोला खतरनाक हे कहिके कतकोन मनखे मन हर वोला मारे के बड़ कोशिश करिन फेर रामू के कुछ नई कर पाइन । मोर ननपन ले लेके पढ़ई लिखई तक लगभग बारह - पन्द्रह बछर ले ऊपर रामू हा हमर संग मा रिहिस , हमर घर के कतकोन लइका मन के बचपन हा रामू के संग बाढ़त खेलत कूदत बीते हे । 


लइका मन रामू ला अपन संग मा घलो खाववत पियावत रहिन हे । एक दिन तो हम सबो ला ये दुनिया ला छोड़ के जानाच हे , ओइसने रामू हर घलो आज हम सब ला छोड़ के चल देहे । भले आज रामू हा हमर संग मा नई हवय फेर वोकर सोनहा सुरता ले भरे वो दिन मन आज ले हमर संग हम सबला याद हे । सिरतोन मा कहिथें ना अगर वफादारी सीखना हे ता कुकुर ले सिखय , जउन हा अपन मालिक बर सरी जिनगी समर्पित होके बुता करथें । नई तो आज के अइसन समे मा तो सग बाप अउ भाई मन घलो मुकर जथें । रामू हा एक ठन जानवर होय के बावजूद भी आज अपन छाप ला हमर बीच अइसे छोड़ के गेहे कि हम वोला आज भी सुरता करत रहिथँन । कहे के मतलब तो आप मन समझी गे होहुँ कि "कर्म इहाँ प्रधान हे" मनखे होय या जानवर (पशु) सब ला इहाँ ओखर करम ले ही जानें अउ पहिचाने जाथें । 


                 *मयारू मोहन कुमार निषाद*

                  *गाँव - लमती , भाटापारा ,* 

               *जिला - बलौदाबाजार (छ.ग.)*

No comments:

Post a Comment