Tuesday 8 February 2022

सुरता- पं दानेश्वर शर्मा जी


 

"हर मौसम में छंद लिखूंगा " कहइया अउ " तपत कुरु भाई तपत कुरु " लिखइया तो पंडित जी रहिन न ? हम सबो झन तो उनला पंडित दानेश्वर शर्मा पूर्व अध्यक्ष दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग , पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के नांव से जानथन त तीन फरवरी के रात 8 बज के 10 मिनट मं उन सरग चल दिहिन । साहित्यिक , सामाजिक , धार्मिक संस्था मन श्रद्धांजलि देवत हें । 

   10 मई 1931 के दिन मेड़ेसरा  ( छत्तीसगढ़ ) के संस्कारवान दुबे परिवार मं जनमे पंडित जी  शिक्षा , वकालत , भिलाई इस्पात संयंत्र के सामुदायिक विकास विभाग के कुशल प्रशासक , श्रीमद्भागवत के प्रवीण प्रवचनकार , लोकप्रिय मंचीय कवि , हिंदी , छत्तीसगढ़ी के बुधियार साहित्यकार के रुप मं प्रतिष्ठित रहिन । झर झर झरत झरना कस हांसी , नवोदित साहित्यकार मन ल असीस अउ मार्गदर्शन , पुरखा साहित्यकार मन ल जथाजोग सम्मान देवइया रहिन । रहिन माने अब नइये ...लिखत लिखत कलम ठोठक गिस ...। 

      26 दिसम्बर ले उन खटिया धर लेहे रहिन ...उमर के तकाजा शरीर थक गिस उही बुढ़ापा तो खुद एकठन जब्बर रोग आय , सांस थोरिक बोझिल होए लग गए रहिस तभो बोली बात सफ्फा , सुरता जस के तस रहिस । जांजगीर मं भैया , कका मन संग साहित्यिक गोष्ठी , आयोजन मन मं उनला देखत , सुनत आवत रहेवं उही समय से पंडित जी कहत आवत रहेंव । 

     सन् 1975 मं भिलाई आएवं तभो भिलाई इस्पात संयंत्र के साहित्यिक आयोजन मन मं उनला सुने , मार्गदर्शन पाए के मौका मिलत रहिस , समय के धारा बोहावत रहिस ...के पद्मनाभपुर मं रहे आएवं लकठे मं उंकर घर हे त दर्शन होवत रहय कई ठन आयोजन मं उंकर संग जावत घलाय रहेंव । अइसे लागय जाना पंडित जी के बाजू मं मोर लइकाई अभियो बइठे हे।  सन् 2004 / 05  मं मोर किताब वनमाला , बहुरंगी , सुरता के बादर के विमोचन पंडित करे रहिन । 2006 मं मोर किताब " पंडवानी और तीजन बाई " के भूमिका लिखे हें त 2019 मं ये किताब के दूसर संस्करण आइस त बड़ खुश होइन कहिन " सरला! तीजन बाई के प्रसिद्धि के छोटकन अंश तोहू ल मिल गे । " 

      छोटे , बड़े कतेक अकन सुरता हे आज पंडित जी के जाए ले मइके छूटे के दुख फेर हरिया गे । मोर छोट खाट साहित्यिक उपलब्धि बर , मोर लेख , किताब मन के प्रकाशन बर अब कोन मोला असीस देही ? कोनो आयोजन मं जाए के पहिली काला अपन बात , विचार सुनाहंव , काकर आशीर्वाद के कवच पहिर के माइक धरे सकिहंव । कोन कहिही " खूब पढ़े कर बड़े नोनी , जतके पढ़बे ओतके गुनबे अउ जतके गुनबे ओतके बढ़िया , गहन गम्भीर लिखे सकबे । " 

   आज आपके बड़े नोनी सिरतो बड़े होगे पंडित जी ....नहीं ..नहीं ..लइकाई गंवा के बुढ़ा गिस। 

कतका सुरता , कतका गोठ बात ...अब तो लिखत नइ बनत हे भाई , थकासी लागत हे ...दस बजे बिहनिया पंडित जी ल अंतिम प्रणाम करे जाना हे न ? 

     ये कइसन संजोग ए भाई के आज दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष पंडित जी ल श्रद्धाजंलि  देवत हे वर्तमान अध्यक्ष सरला शर्मा ...। 

   ॐ शांतिः


सरला शर्मा

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