Tuesday 8 February 2022

आजादी के लड़ाई मा छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद -वीर गेंद सिंह

 आजादी के लड़ाई मा छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद -वीर गेंद सिंह 


हमर छत्तीसगढ़ मा बस्तर क्षेत्र के आदिवासी संस्कृति के कारण एक अलग पहिचान हे. बिक्कट जंगल- पहाड़ ले घिरे बस्तर संभाग हा पहिली एक स्वतंत्र राज्य रीहिस हे जेकर राजधानी जगदलपुर राहय. 

  बस्तर राज्य मा कई ठक छोटे- छोटे जमींदारी रिहिस हे. इही मा एक ठक जमींदारी रिहिस हे परलकोट अउ परलकोट के जमींदार कहलाय - भूमिया राजा. 

भूमि माने धरती ,जमीन, भुइयाँ. 

भूमिया राजा मन के गिनती सप्त माड़िया राजा मन के प्रमुख राजा के रुप मा होय. 

  उन्नीसवीं शताब्दी के शुरु मा बस्तर मा एक कोति मराठा मन घेरी -बेरी आक्रमण करत रीहिस हे ता दूसर कोति अंग्रेज मन हा अपन कूटनीतिक तिकड़म ले बस्तर ला अपन कब्जा मा लेके काम चालू कर दे रीहिस हे. बस्तर उपर मराठा अउ अंग्रेज मन के शोषण हा सिर ले उपर जात रीहिस हे. बस्तर के जनता मन उपर तरह -तरह के कर (टैक्स) लगाय के चालू कर दिस .  येहा आदिवासी मन बर दूब्बर बर दू आसाड़ जइसे होगे. सँगे- सँग जल- जंगल-जमीन ले जुड़े आदिवासी मन के संस्कृति ला घलो खतरा होगे. काबर कि इही जल- जंगल -जमीन हा उंकर रोजी -रोटी के साधन रीहिस हे अउ अभो घलो हे. 


   आदिवासी मन के नैतिक, आर्थिक अउ सामाजिक शोषण हा दिनों दिन बाढ़त गिस. अइसन स्थिति मा बस्तरिया मन हा मराठा अउ अंग्रेज मन ले बदला लेय बर ठानिस. अउ इतिहास गवाह हे कि अब्बड़ सीधा सादा, अपन संस्कृति मा जियइया- रमइया आदिवासी मन ला जब -जब छेड़े गे हवय तब -तब अपन हक अउ  संस्कृति के रक्षा खातिर अपन जान के बाजी लगा दिस हे. बइरी मन ला अपन बीरता के दर्शन कराय हे. समय समय मा बइरी मन ला मार- कांट के हलाकान करे हवय. 

 अउ अइसने होइस 1824 मा एक क्रातिकारी घटना 

जेहा इतिहास मा दर्ज हो गे हवय.


  वो समय मा परलकोट के जमींदार रीहिस हे गेंद सिंह. वोहर 

अब्बड़ बहादुर, बुद्धिमान, न्याय प्रिय अउ दूरदर्शी जमींदार रीहिस हे. वोकर इच्छा राहय कि वोकर जमींदारी मा सबो प्रजा सुखी अउ 

संतुष्ट राहय. जनता के कोनो प्रकार ले शोषण झन होय. पर उंकर ये कारज मा अंग्रेज के पिट्ठू बने व्यापारी , उंकर कर्मचारी अउ मराठा शासक मन बाधक बनत रीहिस हे.तब गेंद सिंह हा बस्तर ले अंग्रेज मन ल खदेड़े खातिर आदिवासी मन ला संगठित करे के काम करिस. 

    गेंद सिंह के अगुवाई मा 24 दिसंबर 1824 मा अबूझमाड़ मा एक बड़का सभा के आयोजन होइस. गाँव -गाँव मा धावड़ा रूख के टहनी भेज के गोरा मन ले लड़े बर तइयारी करे के खबर पठोय गिस कि पत्ता मन के सूखे ले पहिली विद्रोह ठउर मा पहुंच जाहू. 

बस्तर के आदिवासी मन हा स्वभाव ले गजब सीधा -सरल होथे पर जब अत्याचार हा बाढ़ जाथे ता ये भोला भाला वनवासी मन खूंखार होके बइरी मन के खून ले होली खेले बर नइ छोडयँ. अइसने होइस 4 जनवरी 1825 मा जब हजारों आदिवासी मन अस्त्र -शस्त्र लेके परलकोट मा इकट्ठा होइस. इही दिन ले गोरा मन के विरुद्ध विद्रोह शुरु होगे जेहा सरलग पंद्रह दिन तक चलिस. 

     सीधा सरल आदिवासी अपन शान्त स्वभाव ला छोड़ के मारे अउ मरे बर कूद गे. ब्रिटिश खजाना ला लूट के विद्रोह के शुरुवात होइस. अंग्रेज अधिकारी अउ कर्मचारी मन ला पकड़ -पकड़ के पीटिस अउ कतको के जान ले डरिस. सरकारी भवन मा आग लगाय के काम करिस. अत्याचार करइया व्यापारी मन के गोदाम अउ दुकान ला लूटिस. अलग -अलग समूह मा बंट के आदिवासी वीर विद्रोही मन के अगुवाई करत रीहिस हे. 


     ये विद्रोह ले डर्रा के अंग्रेज अफसर एगन्यू हा अपन अधिकारी मन के बैठक रखिस. विद्रोह ल कूचले बर योजना बनाइस. चांदा के पुलिस अधीक्षक कैप्टन पेबे हा आदिवासी मन के विद्रोह ला कूचले बर सामने आइस. 

  कैप्टन पेबे हा अपन भारी सैनिक ला लेके परलकोट मा धावा बोलिस. आदिवासी अउ ब्रिटिश सेना मा नंगत के लड़ाई चलिस. आदिवासी मन हा अपन धनुष -बाण ले तीर के बौछार करत अंग्रेज सेना ले लड़िस. अपन पूरा शक्ति लगा दिस पर आधुनिक शस्त्रों, 

अंग्रेज मन के बंदूक के सामने कब तक टिकतिस. 

     20 जनवरी 1825 मा विद्रोह के अगुवाई करइया नेता व परलकोट के जमींदार गेंद सिंह ला अंग्रेज सेैनिक मन गिरफ्तार कर लिस. ओखरे महल के सामने कैप्टर पेबे के आदेश मा वोला फांसी के फंदा मा लटका दिस. 

   अपन मातृभूमि अउ स्वभिमान बर लड़इया वीर शहीद गेंद सिंह छत्तीसगढ़ के तरफ ले स्वतंत्रता के लड़ाई मा शहीद होवइया मा सबले पहिली बलिदानी (शहीद) माने जाथे. ये विद्रोह ले गोरा मन के विरुद्ध अंदर- अंदर चिंगारी फूटे ला लागिस अउ आगू चल के 1857 मा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के शंखनाद होइस. 

  अपन मातृभूमि खातिर अपन परान गंवइया छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर गेंद सिंह ला शत् शत् नमन हे. 


          ओमप्रकाश साहू" अंकुर "


          सुरगी, राजनांदगांव

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