Thursday 11 February 2021

अमर होए के साध-सरला शर्मा

 अमर होए के साध-सरला शर्मा

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   तैहा दिन ले चलागत चले आवत हे के मनसे अपन नांव  ल अजर अमर करे बर कई ठन उदिम करत रहिथे । कोनो मंदिर देवाला , स्कूल धर्मशाला बनवाथे  अपन अपन सोच अउ  औकात तो आय फेर मोर औकात तो अपने रहे बर नानकुन घर बनाये मं दिख गे ..गरीबहा मनसे तो आंव ..ले जाये देवा । दूसर रस्ता खोजे लगेंव त सुरता आइस चार आखऱ लिखे के गुन तो भगवान मोला देहे हे त इही ल अमर होए के औजार बना लेंवव न ? अब मोला पाहीं कोन ....सबो किताब ल झोला मं धरेंव अउ निकल गयेंव बुधियार , गुनी मानी , ओहदादार मन ल किताब देहे , दिखाए बर फेर मोला लगिस अतके भर मं बात बनत तो दिखत नइये ..। 

सुरता आइस हमर सियान मन बतावयं के हिन्दू शास्त्र मं अपन श्राद्ध तर्पण के विधान घलाय तो हावय ...गया तिरिथ जाके कोनो पंडा के सरन परे अउ चार पैसा खरचा करे ले काम बन जाही ....मरे के अगोरा कोन करय ? ओहू उदिम कर डारेंव जी उप्पर मं सीट रिजर्व होगिस ...सुभीत्तथा होएंव त गुनान के भूत फेर  मूड़ उपर चढ़ बैठिस अब विचार आइस के धरा धाम मं अमर कइसे होए जाय ? नींद , भूख उड़िया गे ...दुबराये लागेंव ...भगवान चिटिक दया करिस त आंखी उघरिस ...एदेरे . ..जब्बर उपाय तो आंखी आघू हे त सुरु कर देहेव उदिम ..।

      सबले पहिली तो पंडा के सरन परेवं ...साहित्यिक पंडा जी .. । त उन कहिन ..सरला ! तैं तो बुधियारिन साहित्यकार अस तोर लिखे किताब मन तो अनमोल आयं तोर असन लिखइया तो दूसर कोनो दिखबे नइ करयं ...अहा ..हा ..जीव जुड़ा गे ...वजन बाढ़ गे ...जीते जियत सरग मिल गे ...। त कहेंव " आपे के सरन परे हंव ... छपास के भूत मुड़ी ले उतरय भी अउ साहित्य बिरादरी मं मोर नांव अमर हो जावय ,जीते जी साहित्यिक श्राद्ध तर्पण हो जावय तेकर उपाय बताए के कृपा करव महराज जी ...। " 

      भरपूर खुसी होके अभय दान देवत उन कहिन अइसे कर थोरकुन पईसा खरचा करके एक ठन आयोजन कर जेमा बड़े बड़े साहित्यकार मन से अपन कृतित्व उपर भाषण देवा दे , दू चार ठन साहित्यिक संस्था मन से अपन अभिनन्दन उही कार्यक्रम मं करवा ले ....अउ हां एक ठन अभिनन्दन ग्रन्थ तको प्रकाशित करवा ले फेर सुरता राखबे भाई कि लिखइया मन तोर भूरी भूरी बड़ाई लिखयं थोरको करिया , करछटहुं झन रहय फेर का साहित्य के अकास मं तोर जस के चंदैनी जग जग ले बगर जाही ..। " 

      हींग लगही न फिटकरी अउ जीते जियत साहित्य संसार मं मोर नांव अजर अमर हो जाही ...कुलकुला गएवं । जुगाड़ मं भिड़ गएवं बड़े बड़े नामी गिरामी साहित्यकार मन असकाऱा दिहीन ...त संगवारी मन !  बसंत पंचमी हर तो लिखइया मन बर भारी सुभ दिन तिथि होथे तभे तो महाप्राण निराला इही ल अपन जनमदिन बना लेहे रहिन । मैं अपन मरन दिन बना लेवत हंव ..। ठीक करे हंव बसंत पंचमी के बिहनिया दस बजे ले " सरला शर्मा श्रद्धाजंलि दिवस " के आयोजन सुरु होही , आप सबो झन ल नेवता देवत हंव , खचित आहव अउ आखऱ के अरघ देहे के कृपा करिहव भाई बहिनी मन । 

  ये आयोजन हर मोला अमर कर देही त जीते जियत मोला श्रद्धाजंलि घलाय मिल जाही ...मरे के का हे जब मरना होही मरबे करिहंव ..। 

   अगोरा मं 

सरला शर्मा

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