Sunday 7 February 2021

समीक्षा अउ कुंजी*-अरुण कुमार निगम

 *समीक्षा अउ कुंजी*-अरुण कुमार निगम


(1) "समीक्षा", साहित्य के एक मान्यता प्राप्त विधा आय जबकि "कुंजी" परीक्षा पास करे के शॉर्ट कट अउ सस्ताहा साधन।


(2) समीक्षा के संबंध सुधि-पाठक मन से जुड़े होथे अउ कुंजी के संबंध मेहनत नइ करने वाला कमजोरहा या मजबूर विद्यार्थी के संग जुड़े हे। इहाँ मेहनत नइ करइया विद्यार्थी के मतलब अइसन नियमित विद्यार्थी से आय जेमन कालेज / विद्यालय ला मस्ती करे के केंद्र मान के चलथें। पढ़ाई के प्रति गंभीर नइ रहंय। मजबूर विद्यार्थी के मतलब अइसन विद्यार्थी से हे जउन मन कहूँ नौकरी करत हें, समय नइ निकाल पावत हें अउ अपन पदोन्नति बर डिग्री के चाह मा प्राइवेट परीक्षार्थी के रूप मा परीक्षा देथें। 


(3) कैरियर अउ भविष्य बर जउन विद्यार्थी मन गंभीर रहिथें वोमन कुंजी के चक्कर मा नइ रहंय। ये मन निर्धारित टेक्स्ट बुक के अलावा आने लेखक मन के किताब खोज खोज के पढ़थें। आर्थिक रूप से सक्षम मन खरीद के पढ़थें। आर्थिक रूप से कमजोर मन लाइब्रेरी या वरिष्ठ विद्यार्थी मन ले किताब के व्यवस्था करथें। अइसने विद्यार्थी मन प्रावीण्य सूची मा अपन नाम लाथें। 

(4) समीक्षा के आधार मूल किताब होथे। कुंजी के आधार पिछला 5 साल के अनसाल्व्ड प्रश्न-पत्र होथे। कुंजी पढ़ने वाला मन येन केन प्रकारेण, परीक्षा पास करे के उपाय करथें। अब ये विद्यार्थी के किस्मत होथे कि कुंजी मा छपे कतका प्रश्न ओखर परीक्षा मा "फँसथें"। 


(5) समीक्षा किताब, प्रकाशक के साहित्यिक समझ के परिचायक होथे जबकि कुंजी के प्रकाशक के नीयत पइसा कमाए के होथे। कुंजी-प्रकाशक के विद्यार्थी के ज्ञानवर्द्धन से कोनो संबंध नइ रहे। 


(6) समीक्षा किताब छपे के अर्थ हे कि मूल किताब मा दम हे। किताब मा दम रही तभे कोनो लेखक अपन जेब के पइसा खर्चा करके समीक्षा किताब लिखे के हिम्मत करथे। कई प्रकाशक मन अइसन सुग्घर किताब ला अपन खर्चा से घलो छापथें। 


(7) अगर कोनो लेखक के "समीक्षा किताब" के कारण साहित्य-समाज मा खलबली मच जाथे तो ये अपन आप मा प्रमाण हे कि "मूल किताब अउ समीक्षा किताब निसंदेह उत्कृष्ट किताब आँय"। श्रेष्ठ रही तभे तो खलबली मचही (भला उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे वाले भावना के कारण) घटिया सामग्री बर खलबली कोन मचाही? एकर ठीक विपरीत "कुंजी" के प्रकाशन के कारण कभू खलबली नइ मचे। 


(8) समीक्षा किताब के विधिवत विमोचन होथे अउ कुंजी किताब के विमोचन मोर देखे सुने मा अभी तक नइ आए हे। 


*मोर निजी विचार मा समीक्षा अउ कुंजी मा इही 8 अंतर होथे*


आप मन सब मोर ले बहुत ज्यादा विद्वान हव। ये 8 बिंदु के अलावा अउ अंतर ला बता सकथव।


*अरुण कुमार निगम*

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