Thursday 11 February 2021

वाइरस - हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन

 वाइरस - हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन 


               दुनियां म एक कनिक ऊंच नीच होय तहन बुद्धिजीवी मन .... फोकटे फोकट सकला जाये । ओकर मन के कायेच काम । एक ठऊर म सकलाये अऊ बिचार मंथन म बुढ़ जाय । इंकर बिचार ला न अभू तक कन्हो मानिस ..... न आघू मानय । फेर यहू मन अतेक अक्खड़ के अपन बूता ला छोंड़बेच नी करय । येकर मन के बात म न रंग रहय न ढंग । फेर पटर पटर मारे बर नी छोंड़िन । येमन न अभू तक काकरो बिगाड़ सकिन ... न बना सकिन फेर बीच बीच म टांग अड़ाये बर नी छोंड़िन । देस के कन्हो सियान तिर इंकर बात आज तक नी रंगिस बलकी ..... इही मन कतको सियान के रंग म रंगगे अऊ तो अऊ दूसर के रंग पाके कन्हो कन्हो अपन जोरदार बनौकी घला बना डरिन । 

                एक दिन के बात आय । गांव के कुछ बुध्दिजीवी मन खइरखाडांड़ म सकलाके पुटुर पुटुर मारत रहय । बिसे रहय दुनिया म बगरे कोरोना वाइरस ......... । किंजरत किंजरत दुर्भाग्य से उही तिर पहुंच गेंव । उंकर बात सुनके मेंहा सोंचे लगेंव ....... एमन ला काये हर्ज हे तेमा ......... येमन फोकटे फोकट फिकर करत हाबय । का इंकर चिंता ले दवई पैदा हो जही तेमा ...... ? इंकर चिंता के वेब ले वाइरस के असर कम हो जही का ..... ? मोरो खखारबिरिंद खजवाये लगिस । फिकर म बुड़े ... बड़े बड़े मुहुं ला देखके पूछ पारेंव के – जग में बगरे कोरोना वाइरस ले काये करना हे कका हो .... ? हमर गांव म थोरेन हे तेमा .......। छत्तीसगढ़िया बुध्दिजीवी हा आंखी तरेरत किहीस - तोरे कस मनखे के सेती छत्तीसगढ़िया मन पिछवाये हन बाबू । जब तक अंतर्रास्टीय स्तर के फिकर नी करबो तब तक ........ अगुवा नी सकन । मोर मुहुं ले निकलगे – दुनिया भर म बगरे कोरोना वाइरस ले जादा .... हमर छत्तीसगढ़ म रोज कहूं तिर भूख म मरत हे ... कहूं तिर इलाज के अभाव म मरत हे ..... कहूं तिर इलाज के प्रभाव म मरत हे । ओकरे बिसे म चिंतन मनन करतेन त हमर प्रदेस ला जादा फायदा होतिस ...... । मोर बात सुन , एक झिन बरसगे अऊ खिसियाके किथे – मुरूख ..... । अइसन गोठ ला बिगन चुनाव के झिन उघार बलकी नावा समस्या के बात कर ........ । येकर ले कन्हो फायदा निये । 

               मोर बुध्दि के स्टेमिना के हिसाब से मेंहा सियनहा बुध्दिजीवी ला केहेव - हमर फिकर करे ले अऊ चिंतन मनन करे ले येकर ले होवइया बीमारी के इलाज बर साधन सुभित्ता पइदा हो जही का ..... ? ओ किथे – नी होय गा ....... फेर कम से कम सरकार तक हमर बात पहुंचही के हमन अंतर्रास्टीय फिकर म ओकर साथ म ठड़े हन ....... त सरकार के दिल ला सुकून मिलही ..... । में पूछ पारेंव - सरकार के घला दिल होथे कका .... ? बापकिन , हम नी जानत रेहेन गो ...... । फेर सरकार के देंहे म दिल अभू अभू जामिस हे या बहुत पहिली के जामे हे ....... ? जवाब म एक झिन किथे – टूरा हा चल गेहे कस लागथे ...... । दिल हा रूख रई आय तेमा जामही रे ..... । बिगन दिल के कन्हो देंहे जिंदा रहि सकत हे का .... ? में पूछेंव - सरकार जिंदा घला हे गा ........ ? कति सरकार के बात करत हस कका ? मोर प्रस्न सुन एक झिन बुध्दिजीवी अपन औकात म उतरगे अऊ मोला लंदर फंदर गारी देके केहे लगिस के ... तैं इहां ले वाक आउट कर .... निही ते मार्सल बलाके निकलवा देबो ....... । बात बिगरे लगिस । बिन पेंदी के कुछ मन चांव चांव करे लगिन । संसद कस एक दूसर ला बिगन बात के हांव हांव करत देख , स्पीकर कस बिगन मुहुं के सियान हा .... बइठका ला स्थगित करे के एलान कर दिस । 

               सांझ कुन बइठका फेर सकलागे ....... बिगन प्रस्नकाल के ....... आतेच साठ बिपक्षी कस पूछ पारेंव - सरकार तिर दिल रहितीस अऊ सरकार हा जिंदा रहितीस त , कोरोना ले जादा जहरा वाइरस के दुष्प्रभाव ले जगा जगा छटपटावत मनखे ला देख ओकर दिल म दरद पीरा नी उठतिस गा ...... अऊ भुगतइया ला नी बचातिस गा ...... । हेल्थ मिनिस्टर कस बड़का बीमारी ले अनजान बुध्दिजीवी कहिथे - दुनिया म करोना ले जादा खतरनाक वाइरस अऊ कहींच निये बाबू ..... । हमर सौभाग्य हे के हमर गांव म ये वाइरस नी फइले हे । तैं कति नावा वाइरस के बात करत हस बाबू ..... ? में केहेंव - हमर गांव , हमर प्रदेश अऊ हमर देश म जो वाइरस बगरे हे , वोहा आज के नोहे .... बलकी बहुतेच जुन्ना आय कका ..... । येकर ले मनखे हा पूरा देश म कहां कहां अऊ कबले नी मरत हे ........ अऊ जिंहां नी मरत हे तिंहां .... ठीक से जी घला नी सकत हे  .......... । 

                 ओमन मोला पूछे लगिस – काये वाइरस आय गा जेहा , अतेक बछर ले बगरे हे जेकर दुष्प्रभाव ले , कतको परेशान हे जेला हमन आज तक नी जानेन ? बड़ पटर पटर मारेस .... बता भलुक .... ? में केहेंव - जानत सबो हो ... फेर बोले कन्हो नी सकव । इहां अंतर्रास्टीय वाइरस के चिंतन नी करहू ते तुंहर नाव कइसे बगरही ........ । नाव कमाये अऊ काम पाये के फिकर अऊ पद प्रतिष्ठा के लालच म अंतर्रास्टीय वाइरस के फिकर ला टोंटा म ओरमाके खुरसी के चक्कर लगाये म इहां के वाइरस नी दिखय गा ......... । बुध्दिजीवी मन मोर बात ला समझिस निही अइसे ..... में नी कहि सकंव .....  ओमन बहुतेच समझदार आय ...... । ओमन जम्मो झिन मोर बात ला समझ गिन फेर , मोर मुहुं ले कहलवाना चाहिन ताकि , बदनाम होनाच हे त मय होंवव ........... । में केहेंव - राजनीति नाव के वाइरस हा हमर देश के बेवस्था , धरम , संस्कृति अऊ सभ्यता ला चुंहक डरे हे ....... । येहा घरों घर म बगरके भाई भाई ला , बाप बेटा ला लड़वा देहे । एक दूसर के प्रति नफरत बिया डरे हे .......  । आज भारतीय अऊ भारतीयता खतम हो चुके हे ...... । इही वाइरस के सेती अमीरी गरीबी के बीच के पाट चौंड़ा होगे हे । इही वाइरस ले उपजे ...... भूख गरीबी बदहाली बेरोजगारी जइसे बीमारी के इलाज के फिकर करतेन त कम से कम ..... हमर देश के भला होतिस ........ । फोकट कोरोना के फिकर म परे हन । राजनीति वाइरस के जियत ले ..... दूसर वाइरस हा .... खुसर के मारे के हिम्मत नी कर सकय । येकर ले बांचव अऊ लोगन ला बचांवव ....... हमर देस म एक भी मौत अकारन नी होही ......... । कोरोना ले दुरिहा रहिबो अऊ नियम धरम के पालन करिबो तब ...... अपने अपन बांच जबो ....... ओहा अपन से हमर तिर म ओधे घला निही ..... फेर ये राजनीति वाइरस हा हमन ला लपेटे बर ..... लुहुर टुपुर करत जीभ लमा के अगोरत तिरे तिर म ओधत हे .... । येकर जीभ ले निकलत बिख ले शायदे कन्हो बांच सकत हन ।

               अतका सुने के बाद भी , बुध्दिजीवी मन , राजनीति के वाइरस ला अपन हिरदे म ऊंच स्थान देके , दुरिहा म टिमटिमावत लालबत्ती के अगोरा म लगगे ......... । 


   हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा.

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