माटी के मितान ....एक नज़र मं
कथानक उपन्यास के प्राणतत्व होथे त माटी के मितान के कथानक छत्तीसगढ़ अलग राज बने के बाद यानी सन 2000 के बाद के आय जब विकास के अंजोर छत्तीसगढ़ के गांव गांव मं पहुंचे सुरु कर देहे रहिस काबर के ए उपन्यास के रचनाकाल प्रकाशन 2005 / 2006 आय ।
सिवनी गांव के सरपंच बड़े तिवारी ( मुरली मनोहर ) के परिवार मं उंकर महतारी नवा दीदी के दुलार , पत्नी सत्यभामा के आदर सनमान छोटे बड़े , नता रिश्ता , हितू पिरितू सबो बर बरोबर दिखथे । कथावस्तु मौलिक हे त समुन्नत गांव के कल्पना भी शामिल हे , जागरूक , परोपकारी सरपंच के नज़र छत्तीसगढ़ मं आंध्र प्रदेश ले आए सबरिया गोंड जात के किसान जेमन द्राही खेती करथें , गुजरात ले आए खानाबदोश डंगचघा जेमन वीर बांकुरा होथें डांग मं चढ़ के किला के ऊंच परकोटा ले कूद के किला जीते मं सहायता देवयं इहां बांस के सहारे करतब देखाथे उनमन बर स्थाई डेरा माने पट्टा मं जमीन देवाये के कोसिस त राजस्थान गुजरात के सीमा प्रान्त ले आये सील लोढ़ा बेचइया , गोदना गोदइया , रिंगनी बाजा बजा के नाच गा के रतनपुर राज दरबार मं आसरा पवइया मन के विवरण हे ।
कथानक ल विस्तार देथे मल्हार , रतनपुर , बुड़ीखार , पाली के सांस्कृतिक , पुरातात्विक महत्व के वर्णन विश्लेषण हर । कथानक ल विस्तार देहे बर लेखिका हर प्रसंग मुताबिक विवेचनात्मक , वर्णनात्मक , संस्मरणात्मक , विश्लेष्णात्मक शैली के प्रयोग करे हे जेकर सेतिर पाठक के रुचि अउ जिज्ञासा बढ़त रहिथे ।
सामाजिकता मं बदलाव तो आए हे संयुक्त परिवार टूटत जावत हे , भूमिहीन किसान मन के कमाए खाये जवाई अभियो बन्द नइ होए हे त उनमन बर नवा रोजगार योजना , धान के अलावा आने आने फल फूल , साग भाजी के उन्नत खेती ,बीज ख़ातू पानी के बेवस्था बर सरकारी उदिम , किसान अउ किसानी ल समुन्नत करे के उदिम के वर्णन घलाय हे ।
ए उपन्यास मं गांव गांव के शिक्षा , रोजगार , सामाजिक , आर्थिक , राजनैतिक बदलाव , छत्तीसगढ़ ल उन्नत राज बनाये के सपना सबो हर मिल के कथानक ल पोट्ठ करथे । गांव के सर्वांगीण विकास के कहिनी आय जेहर यथार्थ , कल्पना अउ आदर्श के त्रिवेणी बन के उपन्यास के कथानक मं लहरावत दीखथे । डॉ सुधीर शर्मा " यात्रा का पुट लिए सांस्कृतिक चेतना को उद्बुद्ध करता उपन्यास " कहा है ।
डॉ परदेशी राम वर्मा " अति और आत्म दया से बचकर संतुलित और प्रेरक चरित्रों का सृजन ....यथार्थ के धरातल पर पांव रखने का उनका ( लेखिका ) अंदाज , शैली दूसरों को प्रेरित करता है । "
माटी के मितान उपन्यास के बारे मं डॉ अनुसूया अग्रवाल के किताब " माटी के मितान : सम्यक दृष्टि " पठनीय हे ।
सरला शर्मा
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