Sunday 7 February 2021

माटी के मितान-मिमर्श

माटी के मितान-मिमर्श

              

                          'माटी के मितान' गद्य के सशक्त हस्ताक्षर 'श्रीमती सरला शर्मा' द्वारा लिखे द्वितीय उपन्यास आये। अइसे तो छत्तीसगढी ला राजभाषा के दरजा मिले के बाद छत्तीसगढी में लेखन के बहार आगे लेकिन छत्तीसगढ़ी में उपन्यास लिखइया मन के संख्या ल ऊंगली में गीने जा सकत हे; वोमा सरला शर्मा के नाव प्रमुखता से लिए जा सकत हे।  छत्तीसगढ़ी महतारी के नोनी सरला शर्मा ह ये उपन्यास के लेखन करके माटी के मितान अर्थात किसान संगवारी मन के जीवन संघर्ष से जन जन ला रुबरु करा दीन। सन 2000 में छत्तीसगढ़ प्रदेश के गठन होइस अऊ सन 2006 में 'माटी के मितान' वैभव प्रकाशन रायपुर से प्रकाशित होइस। तब सरकार के प्रथम पंचवर्षीय योजना सिराय रिहीस.... माटी के मितान सरकार के वुही योजना के ज्वलंत दस्तावेज आय।

                इही उपन्यास के समीक्षात्मक कृति आय 'माटी के मितान :सम्यक दृष्टि' ह। चूंकि ये सो पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के स्नातकोत्तर हिंदी विषय के पाठ्यक्रम में 'माटी के मितान' उपन्यास सम्मिलित करे गे हे अतः पढ़ईया नोनी बाबू मन ल वोखर से संबंधित पाठ्य सामग्री आसानी से उपलब्ध हो सके ये उद्देश्य से 'माटी के मितान : सम्यक दृष्टि' लिखे गे हे। येला पढ़के विद्यार्थी गण उपन्यास में रेखांकित छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक प्रगति के संभावना ल जान सकहीं, साथ ही महिला सशक्तिकरण अऊ गांव के विकास गाथा ल  समझ सकहीं।

          मोर समीक्षात्मक कृति सरला शर्मा जी के जन्म अऊ साहित्यिक परिचय से प्रारंभ होय हे। क्रमशः उपन्यास के सामान्य विवेचन के बाद उपन्यासों के श्रृंखला में माटी के मितान के स्थान, उपन्यास के तत्वों के आधार पे माटी के मितान के आलोचना, उपन्यास के सारांश, उपन्यास में स्त्री विमर्श, माटी के मितान के महत्वपूर्ण गद्यांश के व्याख्या आदि पे प्रकाश डाले गे हे। 

         हमर कृति ल आप मन के मया दुलार मिले; यही प्रभु से बिनती है।

प्रो. (डॉ) अनसूया अग्रवाल डी. लिट्.

प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष हिंदी

शा. म. व. स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद (छ. ग.)

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