Sunday 7 February 2021

विमर्श के विषय-- समीक्षा अउ कुंजी मा अंतर*


*विमर्श के विषय-- समीक्षा अउ कुंजी मा अंतर*


   समीक्षा अउ कुंजी मा साहित्य के दृष्टिकोण ले बहुते अंतर हावय।  

  समीक्षा अउ कुंजी मा ओइसने फरक हे जइसे चलनी अउ चाबी(कुची)  म होथे। दूनो के राशि भले एक हे फेर  गुण अउ काम म भारी  अंतर हे। चलनी ह गोंटी- माटी  अउ चाँउर ल चाल के अलग- अलग कर देथे वइसने  समीक्षा ह कोनो रचना के साहित्यिक गुण -दोष ल पाठक के आगू म फोरिया के रख देथे।  हाँ अतका जरूर हे कि जेन  म चाहे कोनो कारण ले होवय केवल गुण या केवल दोष के चर्चा हे त वो ह बस नाम के समीक्षा आय ।वोकर ले साहित्य के भला नइ हो सकय। ए तो अइसे होगे के चलनीच म उटपुटांग छेदा हे जेमा दाना सँग गोंटी तको बुलकगे।

   समीक्षा ह एक प्रकार ले सूपा आय जेन फोकला अउ दाना ल अलगिया देथे।

साहित्य म समीक्षा के अबड़े महत्व हे। ए हा पाठक ल नँवा दृष्टिकोण देथे। कुशल समीक्षाकार ह कुछ अइसे बात बताथे जेला शायद पाठक ह सोचे तक नइ राहय अउ इही चीज ह आनंद के अनुभूति कराथे, साहित्यिक रस देथे।

        समीक्षा के तुलना म कुंजी निचट फोसवा होथे। एहा साहित्यिक रस के दृष्टिकोण ले चुहके खुशियार कस निचट छोइहा होथे। कोनो परीक्षा रूपी ताला ल खोले बर ककरो बनाये चाबी आय कुंजी ह। प्रश्न अउ उत्तर। कुछु सोचे विचारे के बात नइये ।पाठ म जेन लिखाये हे तेकरे प्रश्न बनाले अउ उही में के उत्तर।

आनंद के जगेच नइये उल्टा बोरियत जादा हे। ओकर ले अच्छा तो खुद उत्तर खोजे म आनंद आ सकथे।


चोवा राम "बादल"

हथबंद, छत्तीसगढ़

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