Thursday 10 November 2022

जंगल म बसे हे मोहगाँव---हेमलाल सहारे

 जंगल म बसे हे मोहगाँव---हेमलाल सहारे



मोर गाँव महाराष्ट्र सीमा के तीर म, राजनांदगाँव जिला के छुरिया तहसील के सुदुर वनांचल म राजनांदगांव-महाराष्ट्र चौड़ा सड़क म बसे हावे मोहगॉंव। गाँव ह तीन डहन के प्रकरीति रूपी जंगल के बीच म हे, जिहां बिहने ल रात के होत ले शुद्ध हवा चलत रथे,प्रदूषण के निशान तको नई हे। मोर गाँव जंगल के बीच म बसे हे। पूरा गाँव के सियार मैदानी हे, जंगल के भीतरी ले नान्हे-नान्हे नाला जुड़े हावे। बरसात म नंगत  पानी भागत रथे। पहिली गाँव मा मालगुजार मन रहत रिहिस त एकहत्थी गाँव ला चलावय। अब उँखर मन के जमाना नंदाईस हे अउ येदे गाँव के मन स्वतंत्र कमावत-खावत हे। गाँव के नाव के बारे सियान मन ला अब्बड़ पूछेंव। फेर कोनो मन बने नइ बता पाइन। अउ सियान मन ला पूछे के प्रयास करहूँ। अपन गॉंव सबका प्यारा रथे। महूँ ला अपन गाँव बड़ नीक लगथे। अपन गाँव के बात ला कुछु बतावत हों।


पक्की सड़क पहिचान--

गाँव ह सोजे राजनांदगांव जिला मुख्यालय ले दक्षिण दिशा मा 57 किलोमीटर दुरिहा पक्की सड़क ले जुड़े हे। बिहने छः बजे ले रात के दस बजे तक बस के सुविधा हे। विकासखंड छुरिया घलो 7 किलोमीटर दुरिहा म हे। इहाँ ले सीधा रायपुर-नागपुर जाए बर बस मिल जथे। उही गाँव के बड़े जान हमर बर पहिचान आये।


तरिया पार म शिव मंदिर---

गाँव के मुड़ा मन मा तीन ठन तरिया हावे,जेमा जुन्ना तरिया,माता तरिया,अउ नवा तरिया हावे,जुन्ना तरिया में सन 1975 ले बने शिव भगवान के मंदिर, जेमे कार्तिक अउ गणेश जी विराजे हे, संतोषी माता अउ दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर हमर गांव के आस्था अउ विश्वास के चिन्हारी हरे। पहली दूसर गाँव के मन हमर गाँव में सावन सोमवारी बर शिव मंदिर में पूजा करे बर आये। अब महाशिवरात्रि म गाँव भर के मन मिल जुलके महाशिवरात्रि तिहार ल मनाथे। जुन्ना तरिया के पार मा एसो महिला समूह वाले दाई-माई मन शिवलिंग के स्थापना करवा डारे हे। ऊंचो पूजा-पाठ शुरू होगे हे।

मोर गॉंव मा एके जगह गणेशजी, एके जगह गणपति जी, एके जगह सरस्वती माता अउ एके जगह दुर्गा माता स्थापित होथे। अउ गाँव भर के मन पूजा-आरती करथे। इहि मोर गाँव के सुमता के बड़े जान बात हरे।


तिनलोकिया देवता--

गांव के बूड़ती म तिनलोकिया देवता विराजित हे, जेकर मानता आस पास के गांव भर म हावे, जेला कुछु दुख तकलीफ होय म जाके सुमरे ले दुख पीरा सिरा जाथे,अइसन आस्था आजो घलो हावे, उहां बड़े-बड़े घोड़ा, हाथी अउ कई ठन बड़े-बड़े देवता-धामी मन हावे। अभी गाँव के मन मिलके बड़े-बड़े देवी-दुर्गा के मूरती ल स्थापित करे हे। जेकर ले मंदिर के शोभा अउ बाढ़ गेहे। मंदिर के तीर ले जवैया कोचिया मन भाटा, मुरई, आलू, मनयारी वाले मन टिकली, पिन,फीता ल चगा के जाथे। ओती के किसान मन किसानी करे के पहली पूजा-पाठ, नरिहर जरूर चघाथे।


रामलीला मंडली---

गाँव में तीर तखार ले सबले पहिली रामलीला अउ रामायण पाठ के मंडली मोहगाँव मा बने रिहिस। उँखर कहीं-कहीं सामान मन आज घलो हावे। समय के संग मंडली के मन ढेरयादिन अउ अभी नवा-नवा टुरामन सीखबो कहिके भीड़े रथे। गाँव में सावन भर घर-घर रामायण पाठ शौकीन मन कराथे। फेर अखण्ड रामायण पाठ दु दिन के होथे,जेमे जम्मो गाँव वाले मन के सहयोग ले होथे। दशहरा में नान नान लइका मन के रामलीला अउ रावण दहन बड़ मजा आथे।


नाचा के कलाकार--

गांव म नाचा के बड़का कलाकार मन घलो रिहिन। जेमे कई झन अभी नई हे। नाचा कलाकार रामदेव विश्कर्मा, रजलाल विश्कर्मा, थनवार चंद्रवंशी, कामता प्रसाद सेन परमुख हे। इहा पंचराम देवदास जइसन मोहरी वादक सन संगत करईया मोहरी वादक अउ नाचा के जोक्कड़ बंशीलाल विश्कर्मा घलो रिहिस। जेहा अभी-अभी बीत गे। 


बिहाव बाजा वाले पारटी घलो हावे। जेमन दफड़ा, दमऊ, गुदुम, बेंजो जईसन बाजा के साज हवे। कानफोड़ईया धमाल अउ डीजे वाले मन नइ हे। इहाँ जवान संगवारी मन के राउत नाच पार्टी घलो हावे। दूनो पार्टी वाले सीजन में अब्बड़ जाथे।


आल्हा गायक---

गाँव में पहली आल्हा-उद्दल के गवईया सियान रिहिन। जेकर तीर तखार म बड़ शोर रहय। ओ सियान अभी नई हे। फेर कथे न पैत्रिक गुन ह ककरो म आथे, उँखर नाती-पंथी मन रामधुनी, रामायण म गाथे। फेर सियान के आल्हा ल पूरा नई सिख पाईन। उनकर घर ल आज घलो आल्हा घर के नाम ले जम्मो गाँव के मन जानथे।


प्रमुख तिहार देवारी--

गाँव के सबले बड़े तिहार के रूप म देवारी तिहार ल बड़ा धूमधाम ले मनाथे, अउ दूसर गांव के दू दिन पीछू होथे, जेकर ले आसपास के देखईया मनखे मन अउ गाँव के बेटी-माई मन घलो सकला जाथे। मोर गाँव मा मड़ई नई होय एकरे सेती साल म एक दिन रथिहा में नाचा घलो होथे। रात भर गाँव वाले मन देखते अउ आनंद पाथे।


वनोपज के भंडार---

जंगल के तीर बसे के इहि फायदा होथे कि उन्हा वनोपज के भरमार रथे। महुवा, गुल्ली, चार, तेंदू, हर्रा, बेहरा, कुसुम,परसा फूल,धंवई फूल, करण बीजा, लीम बीजा, बोहर भाजी, बोइर,अमली अभी घलो मिलथे,जेला सुखों के बाजार में बेचे  के काम आथे। सबले जादा महुवा अउ ओकर गुल्ली, तेंदुपान घलो अब्बड़ मिलते। गॉंव के मन अच्छा पैसा कमाथे।


नान्हे फेर सुग्घर गाँव--

गाँव के जनसंख्या जादा नई हे। 125 छानी के हारी-हारा होही। प्राथमिक शिक्षा तक स्कूल हे। गाँव के मन बढ़िया सुभाव के हे। संग मा मिल जुलके कमाते अउ रथे। आदिवासी मन के संख्या थोरिक जादा हे। आपसी सहयोग, परेम-भाव,भाईचारा, समरसता के बेवहार बने हावे। मने सबो मिलाके मोर गाँव बड़ सुंदर अउ सुग्घर हे।


                

                         हेमलाल सहारे

             मोहगांव( छुरिया)राजनांदगाँव

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