'मोर गांव सुरगी'
सुरगी राजनांदगांव अर्जुंदा सोमनी ले तेरा किलोमीटर बीच में हावे। सुरगी गांव के नाम सियान मन के मुताबिक गांव के बीचों बीच सुरंग हैव जेन हर ओढ़ार बांध टप्पा म निकले हे तेकर सेती गांव के नाम सुरगी पड़ीस। सुरंग म अभी तक चबूतरा बने हैं सुरगी तरिया के गांव हे। सियान मन के मुताबिक छः मासी रात में ओढ़नी ओड़िया मन छः अगर छः कोरी त्रिया कोड़े रिहीस जेमा आज घलो करीब 15-16 तरिया हावे। ये ह सुरगी के सान आए ।गांव के तीरे-तीर खरखरा नदिया घलो हैवे जे हर सुरगी के समृद्धि के पपरतिक है।
हमर सुरगी आदर्श ग्राम सुरगी कहलाथे। इहां सबों परकार के सुविधा हावे सरकारी एलोपैथिक, आयुर्वेदिक ,अउ जानवर मन बर सरकारी पशु चिकित्सालय घलो उपलब्ध हवे ।गांव में करीब पांच ठन आंगनबाड़ी केंद्र हे। इहां कृषि विज्ञान केंद्र घलो हवे। गांव में थाना ,विद्युत सर्विस स्टेशन के सुविधा हवे।
साहित्य कला के क्षेत्र में घलो सुरगी के बड़ शोर हवे सन 21 मार्च 1999 में संचालित साकेत साहित्य परिषद आज तक अनवरत चलत आत हे। एकर संस्थापक सदस्य श्री कुबेर सिंह साहू, ओम प्रकाश साहू ,लखन लाल साहू ,धर्मेंद्र पारख, दिलीप कुमार, फकीर प्रसाद साहू हरे ।जस गीत के क्षेत्र में श्री मनजीत मटियारा ला जस सम्राट के उपाधि घलो मिले हवे। लगभग पांच हजार के आबादी वाले गांव में सिरिफ एकेच जगा देवी दुर्गा माड़थे जेन हर हमर गांव के सुमता के पहिचान आए।
फकीर प्रसाद साहू
'फक्कड़'
ग्राम- सुरगी
🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment