मोर शहर नांदगांव
जेकर पूरा नांव राजनांदगांव हवे ।राजा- नंद- ग्राम से बने राजनांदगांव बड़ अकन विशेषता ल समेटे नानपन ले हमर गरब के आधार रहे। हमर रायपुर वाले जीजाजी के भाई बहिनी संग अपन गांव-शहर के गोठ-बात होय त हमर नांदगांव अघुवा जाय । भरोसा नईए हे न , त सुनव - आज से चालीस-पचास साल पहिली के गोठ आय मोर नांदगांव कना बी.एन.सी.मिल रिहीस, अउ अतिक बड़ रायपुर शहर कना अइसन कोनो कपड़ा मिल हवे का । नान -नान रेहेन त महतारी के अंचरा धरे विश्वकर्मा जयंती म घुमे रेहेन। इंहा के मच्छर दानी बड़ फेमस रहिस।आज भी ये मिल म धागा बनई- रंगई अउ कपड़ा बनत देखे के सुरता महतारी के अंचरा सही गठियाय हे।
नांदगांव म वो जमाना के सरकारी प्रिंटिंग प्रेस रहिस यहू म रायपुर का पीछवाय हमर जहुरियां मन भी पीछवा जाय अउ हमर मन के गरब थोरकन अउ बाढ़ जाय ।
इंदिरा गांधी कला विश्वविद्यालय खैरागढ भी वो ज़माना म हमर राजनांदगांव के शान रहिस। अहा! सुंदर गोठ-बात के वो दिन,संगी-जहुरिया संग जीत के वो भाव , अइसे लगथे जइसे कले के बात हे ,फेर आज नांदगांव कना एमन कुछु नइ रहिगे,आरूग सुरता के ।
हां ! हमन ला अपन कालेज उपर भी बड़ा गरब रहिस एक तो राजा दिग्विजय सिंह के दरबार, उपर ले एक डहर रानीसागर त एक डहर बुढ़ासागर ,बीच म शीतला माई के मंदिर। महतारी बताय के पहिली इंहां भूलन बाग रहिस जइसने नाम तइसने गुण,मनखे बिन सहायता के नइ निकल पाय ये भूलन बाग ले । अतिक सुंदर कालेज ल कोई कइसे भूलाही ,सुरता तो रहिबे करही ।
डोंगरगढ़ बमलाई के आशीष म आगू बढ़े, कइसे ओकर उपर गरब नइ होही ।उपर पहाड़ म बिराजे बमलाई दाई ले खाल्हे झांकबे त रेलगाड़ी के डब्बा मन भी माचिस डिब्बी बरोबर दिखे । ऐकरे आशीष म राजनांदगांव सबर दिन फूले -फले हे ।
संगी-जहुरिया संग गोठ म यहूं बात आय कि तुंहर शहर म अइसे कोई मंदिर हे जिंहा चप्पल पहिन के जा सकत हन का।
हमर शहर म हे -मानव-मंदिर । इंहां के पोहा -जलेबी सबे सुरता करे हे अउ रसगुल्ला, रसगुल्ला तो रसगुल्ला ही रहिस हे । बड़ नाम रहिस हे ये मानव-मंदिर के।
आज अपन शहर के सुरता करत सब सब गोठ-बात आघु-आघु आवत हे ,जइसे बहुत अकन विशेषता ह राजनांदगांव से दुरिहा गे हे ,वइसने हमुमन बर-बिहाव कि नौकरी-चाकरी म इंहा ले दुरिहां गे हन,बेटी अन इंहां के त सबो सुरता धराय के धराय हे ।
श्रीमती गीता साहू
10.11.22
No comments:
Post a Comment