Saturday 19 November 2022

नान्हे निबंध

 नान्हे लइका मन बर


नान्हे निबंध


"खारो, करू अउ मीठ"

जिनगी के अलग स्वाद 


नून के स्वाद खारो होथे l बिना नून के भोजन नई बनय l बिना स्वाद के भोजन नई मिठावय l कम नून खा ठीक हे l ज्यादा नून नुकसान दायक होथे l ज्यादा नून के खारो साग सब्जी lखा भी नई सकस l ज्यादा खारो करू हो जथे l

           करू स्वाद म करेला के नाम आथे पहिली, बाद मे दवाई के l करू ला कोन मन लगाके  खाथे l करेला ला मन लगाके खाथे l करू स्वाद दवाई के  काम आथे l

           मीठ माने मीठा याने शक़्कर  सबला मीठ काये के मीठा पिए के मन होथे l स्वाद के भोजन व्यजन म मीठा श्रेष्ठ हे l 56 भोग म मीठा अपन अलग नाम कमाए हे l देवी देवता के भोग म जघा पाये हे l ज्यादा मीठ घलो करू होथे l

          अब ज्यादा मीठ घलो करू

   ज्यादा खारो घलो करू अउ  करू तो भई करू हे ज्यादा करू बीख करू हो जथे l

   तीनो स्वाद के बारे मे जाने के बाद

   अपन व्यवहार म लागू करथन l बात चीत आदत आचरण म खारो  मीठा अउ करू जरूरी हे l जीवन म तीनो के स्वाद मिलना चाही l

      जब जिनगी म जिए के बात आथे त स्वाद के स्वाद बदल जथे l करू गोठ ला सत्य कहे जाथे l करू गोठ  ला कोनो भावय नहीं l करू गोठ सुहावय नहीं l जबकि करू वचन अनमोल होथे l जिनगी के सही रद्दा दिखाथे l

         मीठ गोठ मीठ लबरा के l मीठ मीठ बोलके फूलो देथे मैनखे ला l मीठ बात म आके फंस घलो जथे l

         खारो गोठ मनभावन घलो फेर कमजोरी ला देखाथे जेला हास्य व्यंग्य कही देथन l ताना मार खारो असन खरी खरी जी ला भेद देथे l

         दुनिया म किसिम किसिम के मैनखे l कोनो ल कइसे कहें जाय इही स्वाद म स्वाद मिलाथे l फेर अतका सिरतोंन गोठ आय कम जादा कम जादा बोलके सुनके जानके समझके

 रहे ला पड़थे l कोनो ला मीठ बोलके लूटव मत l कोनो ल करू बोलके मारो मत l कोनो ल खारो बोलके उछराव मत l सही बोलव मीठ बोलव हाँस के हँसा के जी गुद गुदाजय l हित मीत बने रहय l कोनो ल टोरो भी मत ककरो सो टूटव भी झन  तभे जिनगी के खारो  मीठ अउ करू स्वाद के असल मजा मिलही l


  मुरारी लाल साव

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