Saturday 19 November 2022

बाल दिवस विशेष---- *छत्तीसगढ़ी गीत अउ लोकगीत मा बाल साहित्य/बाल गीत*


 

बाल दिवस विशेष---- *छत्तीसगढ़ी गीत अउ लोकगीत मा बाल साहित्य/बाल गीत*


                 हमर छत्तीसगढ़ के गीत संगीत गजब पोठ हे। मधुरस कस मीठ छत्तीसगढ़ी भाँखा जब  गीत संगीत मा गुथाथे तब, सुनइया सुनते रही जथे। लोक गीत माने जनमानस के अंतर्मन मा रचे बसे गीत। कुछ गीत जुन्ना समय ले परम्परागत चलत आवत रथे ता कुछ गीत के अइसे कवि गायक होथें जउन जनमानस के मन मा अपन छाप छोड़ देथें। हमर लोक गीत घर द्वार, खेती खार, डोंगरी पहाड़, नदी नाला, तीज तिहार, चंदा सुरुज, नता गोता, छोटे बड़े, दया मया, सुख दुख जमे ला समेटे हे,अइसन मा बाल मन के गीत छूट जाए, ये होई नइ सके। लोक गीत मा बाल साहित्य के बात होइस ता, मोला वो दौर के सुरता आवत हे,जब घर घर सुबे शाम रेडियो बजे, जिहाँ सरलग रिकिम रिकिम के गीत सुने बर मिले, वोमा के बाल वाटिका, चौपाल, घर आँगन कस अउ कतकोन कार्यक्रम मा बाल गीत गजब बजय। रेडियो आजो हे,गीत संगीत आजो बजत हे, फेर पहली कस कान मा सहज नइ सुनाय, ना पहली कस परछी मा अर्वाय,बजत दिथे। नवा जमाना के चका चौंध हम सब ला दुरिहा दिस। अइसन मा रेडियो मा ही सुने कुछ बाल गीत मन ला ओरियाये के प्रयास करत हँव।  रेडियो मा बद्री विशाल परमानंद, मेहत्तर राम साहू,दानेश्वर शर्मा, केयूरभूषन, हरि ठाकुर,प्यारेलाल गुप्त, दारिकाप्रसाद तिवारी विप्र, उधोराम झकमार, कोदूराम दलित, सुशील यदु, लक्ष्मण मस्तूरिहा, मुकुंद कौशल, पी सी लाल यादव, रामेश्वर शर्मा, दीप दुर्गवी कस कतको अउ गीतकार मन के किसम किसम के मनभावन गीत बजे।  जेला शेख हुसैन,परसराम यदु, मेहत्तर राम साहू, पंचराम मिर्झा, केदार यादव, नवलदास मानिकपुरी, फिदा बाई मरकाम,किस्मत बाई, बैतल राम साहू, गंगा राम, दुखिया बाई, लता खपर्डे, धुरवा राम मरकाम, लक्ष्मण मस्तुरिया, साधना यादव, कविता वासनिक, ममता चन्द्राकर, कुलेश्वर ताम्रकर कस अउ कतको सुर साज के धनी गायक मन स्वर देवयँ। इही सब हस्ती मन के लिखे अउ स्वर देय छत्तीसगढ़ी लोक गीत मन मा बाल गीत छाँट के परोसे के प्रयास करत हँव। कोन गीत ला कोन गाये हे अउ कोन सिरजाये हे, ठीक ठीक बता पाना मुश्किल हे,काबर कि वो सब गीत मन ला सुने बड़ दिन होगे, अउ कुछ परम्परागत रूप ले बड़ जुन्ना समय ले चलत आवत हें, तभो सुरता के गगरी मा भराय कुछ गीत के मुखड़ा पेस हे---


              खेल के बात होथे, ता सबें लइका मन एक जघा जुरिया जथे। एक मौका मा बासी पेज नइ मिलही ता चल जही, फेर खेल बिगन लइका मन नइ रही सके। तभे तो ये गीत मा उमंग उछाह मा लइका मन आपस मा मिलके रेलगाड़ी खेल खेलबों कहिके,एक दूसर ला बुलावत काहत हे----

*रेलगाड़ी रेलगाडी रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेल*

*चलो चली मिलके खेलबों,रेलगाड़ी खेल*

*कोनो बनबों इंजन, अउ कोनो डिब्बा*


              अइसनेच एक गीत अउ हे जेला दानेश्वर शर्मा जी लिखे हे अउ कुलेश्वर ताम्रकर जी मन आवाज देय हे-

*रेलगाड़ी झुकझुक रेलगाड़ी*

*रायपुर ले वोहा छूटे रे संगी*


                 लइका मन के खेल खेलवारी मा, झूलना झूलई के अलगे मजा हे,बिगन झूला के कहाँ  लइका मन  रथे, तभे तो ये गीत नोनी मन ला झूलना झुलावत हे----

*झूलना के झूल नोनी,कदम्ब के फूल वो।*

*झूलना झूलत नोनी हाँसे खुलखुल वो।*


                  गाँव के  तरिया, नरवा, परिया, दैहान अउ गली खोर संग लइका मन अमरइया मा घलो खेलत दिखथें। तभे तो अपन संगी साथी ला सँकेलत घरघुन्दिया खेले बर कविता वासनिक जी मन अपन कोयली कस आवाज मा काहत हे----

*चलो बहिनी जाबों अमरइया मा खेले बर घरघुंदिया*

*घर के खेलई मा दाई खिसियाथे, खोर के खेलई मा ददा*

(ये गीत ला परसराम यदु जी मन घलो अपन अलगे अंदाज मा गाये हे)


              बेंदरा, भलवा, हाथी, घोड़ा, मुसवा,कुकूर, बिलई लइका मन ला बड़ सुहाथे। तभे तो गाँव मा खेल मदारी वाले आये ता सब ले पहली भागत लइका मन घर ले निकले, अउ मँझोत मा डेरा डार देवयँ। कुलेश्वर ताम्रकर जी के ये गीत सियान मन संग लइका मन के बीच बड़ सुने जाथे---

*नाच नचनी वो झुमझुमके झमाझम नाच नचनी*

*बरसे तोर पांव तरी रुपिया खनाखन वो नचनी।*

(लक्ष्मण मस्तुरिया जी के लिखे ये मनभावन गीत उंखर स्वयं के स्वर मा घलो बड़ मनभावन हे।)


               मदारी अउ भलवा बर एक लोकगीत, बैतल राम साहू के गाये बड़ चलथे। जेला लइका मन खूब पसन्द करथें-----

*मदारी वाले आय हे।*

*भलवा ला धरके।*

*खेल देखावय अउ भलवा नचावय*

*जुरियाये गाँव भरके।*


            बिलई अउ मुसवा ऊपर घलो गीत सुने बर मिलथे। जेन गीत के बात करत हँव,ये गीत हबीब तनवीर जी के नाटक चरणदास चोर मा घलो बजे---

*बलई ताके मुसवा, भाँड़ी ले सपट के।*


             लइका मन बबा, डोकरी दाई, ममा दाऊ, ममा दाई के नजदीक जादा रथे,अउ अपन बात  झट ले उन ला बताथे, तभे तो एक लइका ये गीत मा अपन ममादाई ला काहत हे--

*चीला ला ले गे बिलइया वो ममा दाई*

*चीला ला ले गे बिलइया*


               पहिली सब कुकरा के बांग सुनत उठयँ। कुकरा के बोली सुन लइका मन नकल करत बड़ खुश होथे। यर गीत मा लइका मन जुरियाके कुकरा के आवाज निकालत,पढ़े लिखे जाए बर काहत गावत हें,---

*बड़े फजर ले कुकरा बोलय*

*कुकरुस कु भइ कुकरुस कु*

*चल वो सीता चल वो गीता*

*बड़े बिहनिया स्कूल जाबों*


                   सबें चीज मा अघवा रहवइया लइका मन,देश भक्ति मा कइसे पीछू रही। ये गीत मा देशभक्ति के रंग मा रँगे, लइका मन अपन ददा ला काहत हे---

*ददा ग महूँ बनहूँ सिपाही*

*सीमा मा जाहूं, बंदूक चलाहूँ*

*तभे मोर छाती जुड़ाही।*


                मेला मड़ई, हाट बाजार गांव गौतरी जाये बर लइका मन एक टांग मा खड़े रथे। अउ उहाँ मोटर गाड़ी, कुकूर बिलई, फुग्गा लेय के जिद करत घलो दिखथें। बैलतराम साहू जी के गाये ये गीत हर फुग्गा बेचइया के जुबान मा रथे-----

*दाई वो दीदी वो लइका बर फुग्गा ले ले*


              हाथ मा राहेर काड़ी धरे बरसात के मौसम मा फांफा फुरफुंदी के पाछू भागत लइका मन मारे खुशी मा देश राज के बढ़वार के कामना करत इही गीत गाथें---

*घानी मुँदी घोर दे, पानी दमोर दे*

*हमर भारत देश ला भैया, दूध दही मा बोर दे*

(ये गीत दाऊ रामचन्द्र देशमुख जी के द्वारा सिरजाये चंदैनी गोंदा के प्रमुख गीत मा एक रिहिस।)


               का सुबे अउ का शाम,,, बरसा घरी घानी मुंदी खेलत लइका मन यहू गीत ला बड़ गुनगुनाथे---

*अँधियारी अंजोरी*

*घानी मुंदी खेबलों वो*


              गर्मी घरी लइका मन सुते सुते जब जब आगास ला देखथे, चंदा ममा ला अपन तीर बुलाथे। अउ चंदा, ममा कस लइका मन के सब ले पसंददीदा होथे। दाई ददा मन चंदा ला लइका मन ला ममा कहिके रटवा देथे, तभे तो  थोरिक बड़े होके नोनी मन चंदा ममा ला काहत हे---

*ए ममा चंदा ।।2*

*देश बर दे हम ला हंडा*


                पुतरी, घुँघरू, तुतरु लइका मन ला बड़ पसंद आथे। रोवत या फेर रिसाय नोनी बाबू मन ला खेलावत ये गीत सबें गाथें---

*करू करेला वो मीठ कुंदरू*

*नाचत हे नोनी बजत हे घुँघरू*

*पुतरी ला देख के नोनी कइसन हँसत हे*


                तिहार बार ला घलो लइका मन के किलकारी अउ उंखर उछाह उमंग विशेष बनाथे। हरेली मा गेड़ी चढ़ई होय, या पोरा मा नन्दिया बइला दौड़ई। राखी, दही लूट, गणेश पक्ष, दीवाली,दशहरा, होली, छेरछेरा सबें तिहार बार मा लइका मन नाचत गावत अपन छाप छोड़थे। अउ उंखर गीत घलो बरोबर सुनावत रहिथे---


1,*छेरिकछेरा छेर मरकिन छेरछेरा*

2,*दाई मोर बर पिचका लेदे वो*

3, *हाथी घोड़ा पालकी*

4, *रिगबिग रिगबिग बरत दियना*

5, *आगे तीजा पोरा के तिहार ,ममा घर जाहूं*

6, *अटकन बटकन दही चटाका*

7,*फुगड़ी रे फुन्ना फुन

8, सो जा लाला सो जा-लोरी

9, सोहर गीत


               बाबू मन गिल्ली, भौरा बाँटी, ता नोनी मन फुगड़ी खोखो खेलत मगन रथें। चाहे कोनो खेल होय मुख ले बरोबर मया के गीत झरत रथे। अइसने एक  गीत बिन तो फुगड़ी होबे नइ करे, ये गीत हे---

*गोबर दे  बछरू गोबर दे*

*चारो खूँट ला लिपन दे*


          लइका मन के मन के खुशी ला लक्ष्मण मस्तूरिहा जी एक गीत  के रूप मासिरजाये रिहिस, जे चंदैनी गोंदा के प्रमुख गीत के रूप मासबके मन मोहे।

*चंदा बनके जीबों हम*


                एखर आलावा अउ कतकोन जुन्ना लोक गीत हे, जे बाल साहित्य, बाल गीत के रूप मा सुनावत रथे। नवा नवा गीतकार,गायक मन घलो बाल मन के गीत लिखत हें, अउ जनमानस बीच लावत हें। बाल साहित्य छत्तीसगढ़ी मा अभी खूब सिरजाये जात हे। बलदाऊ राम साहू, मुरारीलाल साव,कन्हैया साहू अमित, मनीराम मितान, दिलीप वर्मा, बोधनराम निषादराज,मिनेश साहू, राम नाथ साहू,अजय अमृतांशु, रामकुमार चन्द्रवंसी, मनोज वर्मा, मिलन मिलरिया, बलराम चन्द्राकर, सुशील भोले,डी पी लहरे, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, चोवाराम वर्मा बादल, जीतेन्द्र वर्मा कस कतको नवा अउ जुन्ना कवि मन अभो बाल गीत, कविता सिरजावत हे। अरुण निगम जी द्वारा बनाये ब्लाग ""बालगीत खजाना" मा 600 ले घलो जादा एकजई बाल गीत हे। खोजे मा बाल गीत, बाल साहित्य छत्तीसगढ़ी मा बहुत अकन मिल जही। मैं विषयानुसार सिरिफ छत्तीसगढ़ी गीत, लोक गीत के रूप मा रचे बसे बाल गीत ला ,जउन सुरता आइस उही ला रखे के प्रयास करे हँव। नवा गीत मन तो आज यू ट्यूब,फेसबुक आदि मा हे, पर पुराना कतको गीत संगीत के अभाव हे। आज जरूरत हे,उन सब ला नवा माध्यम मा संघेरे के। रेडियो या फेर रिकार्डिंग स्थल मा आजो ये सब गीत मन होही, जेला नवा माध्यम मा बगराना चाही।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को कोरबा(छग)

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