Thursday 10 November 2022

मोर गांव छुरा ला जानव

 मोर गांव छुरा ला जानव


               स्वतंत्रता पाये के पहिली छ्त्तीसगढ़ म छत्तीस ठन राज रिहिस जेला गढ़ के नाव ले जाने जावय । उड़ीसा के सीमा म लगे छत्तीसगढ़ के दक्षिण भाग म बहुत बड़का जगा म विंद्रानवागढ़ नाव के राज रिहिस । ये राज के स्थापना के श्रेय बियाबान जंगल के आदिवासी धुरवा नाव के नवयुवक ला जाथे । धुरवा के वंशज होये के प्रमाण छुरा राजघराना के नंदावत धरोहर म आजो देखे जा सकत हे । 

               धुरवा हा बहुत साहसी बलकरहा जवान रिहिस । धुरवा हा घात सुंदर गुनवंतिन अऊ अपने कस साहसी धरमतराई ( धमतरी ) के राजकन्या कचनार नाव के नोनी ला अपन सुवारी बनाये बर पैरी नदी के ओ पार नहाकके कतको झन दुश्मन सैनिक ला मार गिरइस अऊ उहाँ के राजमहल म खुसरके कचनार ला धरके अपन घोड़ा म बइठार खड़दिक खड़दिक करत निकल गिस । कचनार मिलगे .. आनन फानन म मंदिर म जयमाला बिहाव घला होगे .. फेर धुरवा ला उहाँ ले भागे बर परगे । लहुँटत समे म कचनार के ददा के पठोये सैनिक अऊ प्रतिद्वंदी राजघराना के लइका मन संग मुठभेंड़ होगिस । उहू मन कचनार के रूप अऊ गुण के सेती ओला पाये बर मरत रिहिन । जइसे तइसे धुरवा हा बारुका के पहाड़ी तक पहुँच पइस .. तब ओला अपन सैनिक मनले पता चलिस के आगू पिछु दुनों कोति के रसता म दुश्मन के सेना तैनात हो चुके हे । ओमन पहाड़ी के टिलिंग म पहुँच गिन अऊ कचनार संग एक ठिन माड़ा ला अपन मुकाम बना लिन । बछर निकलगे । कचनार के गोदी म नानुक बाबू आगे । अब धुरवा ला अपन जुन्ना घर नवागढ़ के सुरता आये लगिस । सबो कोति खबर कर दिस । धुरवा के सैनिक मन धीरे धीरे चारों मुड़ा ले निकलके सकलावत गिन । उचित समे अऊ बेवस्था देख धुरवा हा आगू कोति के दुश्मन सैनिक मन उपर हमला कर दिस अऊ पिछु डहर के सेना के कमान कचनार ला दे दिस । चार महीना के नानुक दुधपिया बाबू ला अपन गुप्तचर मन के संग नवागढ़ भेज दिस । कचनार हा मई लोगिन के जात ... कतेक सकय तभो ले लड़त भर ले लड़िस .. ओला जिंदा पकड़ के लेगे के आदेश रहय ... ओहा जब लड़त लड़त अकेल्ला रहि गिस तभो ले भागिस निही । जब तक आखरी दुश्मन नइ मरिस तब तक ओहा लड़िस । लड़त लड़त ओहा बहुतेच घायल हो चुके रिहिस । ओला पानी पियइया तको कोनो नइ बाँचे रहय । धुरवा के सुरता करत अपन प्राण त्याग दिस । 

               एती धुरवा हा पैरी नदी के खँड़ म लड़त रहय । लड़त लड़त कभू पैरी नदी नहाकके चल देवय त कभू पिछू घुचत सिरकट्टी तिर पहुँच जाय । दुश्मन मन हा एती के जंगल झाड़ी ले अंजान रिहिन .. कुछ दिन म हार मान के भाग गिन । धुरवा हा जीत गिस फेर आगू नइ बढ़िस अऊ लहुँट दिस । वापिस अमरिस त पता लगिस के कचनार हा दुनिया म नइ रहिगे हे । ओहा ओकर सुरता म .. उही तिर मुड़ पटक के अपन प्राण दे दिस । आजो उही मेर .. राजिम ले गरियाबंद के बीच कचनार  धुरवा के नाव के मंदिर उही पहाड़ी म बने हाबे .. जिंहा आजो कदम ठिठक जथे अऊ माथ नव जथे । 

               नवागढ़ म कचनार धुरवा के नानुक बाबू हा धीरे धीरे बड़े होय लगिस । देखते देखत पाँच बछर के होगे । महतारी बाप के साहस ओकरो म कूट कूट के भरे रहय । बघवा भालू ला नइ डर्रावय । ओला इहाँ के राजा घोषित करके गद्दी म बइठार दिन अऊ राज के काम काज बर एक झन बहुतेच विश्वसनीय मनखे ला नियुक्त कर दिन । एक दिन बाल राजा हा अपन बर हथियार के मांग करिस । नानुन पाँच बछर के लइका हा बड़े जिनीस तलवार तो उचा नइ सकय तेकर सेती ओकर बर नानुक छुरा नुमा हथियार बना के धरा दिन । लइका राजा हा .. मरत ले ओ छुरा ला अपन ले अलग नइ होवन दिन । दिन भर अपन तिर म राखे रहय अऊ सुते दसना म तको सिरहाना तिर म मढ़हा दे रहय । पाछू इही राजा के वंशज मन .. छुरा नुमा हथियार धरई ला परम्परा बना लिन । 

                तीसर चऊथई पीढ़ी म .. राज के खुबेच विस्तार होइस । ओकर सीमा हा मैनपुर ले सरायपाली तक पहुँच गिस । कुछ दशक पाछू राजा मन भाई भाई झगरे लगिन । राज तीन भाग म बँटागे । गढ़फुलझर के राजधानी सरायपाली , सुअरमल के राजधानी कोमाखान अऊ विंद्रानवागढ़ के राजधानी के नाव नवागढ़ रिहिस । विंद्रानवागढ़ के राजा हा कुछ बछर पाछू अपन राजधानी ला सूखा नदिया के तिर म बना डरिस अऊ बड़े जिनीस राजमहल के निर्माण कर डरिस । 

               मराठा मनके आक्रमण के सेती इँकर अर्थव्यवस्था हा छिन्न भिन्न हो चुके रिहिस । अब यहू मन अंग्रेज मनले समझौता कर डरिन अऊ अंग्रेजी सरकार ला समय समय म लगान पटाये बर धर लिन । हरेक बछर लगान तै करे बर अऊ पिछला बकाया ला पटाये बर .. राजा मन के बइसका हा रायपुर म सकलावय । एक बेर अइसने बइठक म .. विंद्रानवागढ़ के राजा संग अंग्रेजी कमांडर के तू तू मै मै होगे । अंग्रेजी कमांडर हा ओला मारे बर बंदूक उचा लिस । विंद्रानवागढ़ के राजा हा कूदके ओकर बंदूक ला नंगा लिस । कमांडर भागे लगिस तब राजा हा अपन तिर लुकाके धरे हथियार ला फेंक के मारिस । कमांडर भागगे अऊ बाँचगे फेर ओ हथियार हा एक ठिन खम्भा ला अल्लग चिरत निकल गिस । 

               संगवारी राजा मन तिर म जाके देखिन तब ओ छोटे से हथियार के बारे म पता लगिस । ओ हथियार हा अऊ कुछ निही बल्कि छुरा रिहिस । ओकर ले छुरा धरे के कारण घला पता चलिस .. तबले विंन्द्रानवागढ़ के राजा ला छुरा वाला राजा केहे बर धर लिन । इही नाव हा राज के नावा राजधानी बर राजा ला सबले उपयुक्त लगिस अऊ राजधानी गाँव के नाव छुरा पड़गे । 

 

हरिशंकर गजानंद देवांगन  .. छुरा

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