Monday 24 May 2021

छत्तीसगढ़ मा पर्यटन के संभावना* महेंद्र कुमार बघेल


 

 *छत्तीसगढ़ मा पर्यटन के संभावना* 

             महेंद्र कुमार बघेल


हमर छत्तीसगढ राज्य म पर्यटन के अपार संभावना हवय।हम सब जानथन छत्तीसगढ़ के भौगोलिक क्षेत्रफल 1,35,191 वर्ग किलोमीटर हे, जेमा वन क्षेत्र 59,722 वर्ग किलोमीटर हे,जे राज्य के भौगोलिक क्षेत्रफल के 44.21% आय।

       जिहाॅं नदी ,पहाड़,घाटी , दलदली जमीन,झरना (जलप्रपात) , गुफा, शैलचित्र जैसे प्राकृतिक संसाधन हे , मंदिर , प्राचीन स्मारक,बौद्ध स्थल,मठ जइसन धार्मिक आस्था के केन्द्र हे,जगा-जगा  राजमहल, कीला जइसन ऐतिहासिक स्थल हे , शेर ,भालू,चीता, वनभैंसा अउ नीलगाय जइसन  दुर्लभ जंगली पशु (वन्य प्राणी) मन के विचरण करे बर आठ ठन ( पहिली 11 रहिस ) बड़े- छोटे अउ मॅंझोलन अभयारण्य हे, तीन ठन राष्ट्रीय वन उद्यान , चार ठन टाइगर रिजर्व अउ एक ठन अचानकमार बायोस्फीयर (जीवमंडल) हे। हमर जंगल मा अनेक जीव जंतु, साल ,सइगोना  संग असंख्य पेड़ पौधा हे जेन वायु मंडल संग जैव विविधता ल सन्तुलन मा बनाय रखें हे, चारों मुड़ा बड़े-बड़े बाॅंध-बॅंधिया घलव हे।

छत्तीसगढ़ मा रतनपुर, चंद्रहासिनी, बम्लेश्वरी, दंतेवाड़ा जइसन जग प्रसिद्ध शक्तिपीठ हे, राजीम अउ शिवरीनारायण के मंदिर मन हर स्थापत्यकला के सुन्दर कहानी स्वयं बखान करत हे। त एती महानदी, सोंढूर अउ पैरी के संगम मा माघी पुन्नी ले महाशिवरात्रि तक लगने वाला पखवाड़ा भर के मेला हर कुंभ के रूप मा विख्यात होवत हे।

        भारत के हृदय स्थल म बसे छत्तीसगढ़ हर पर्यटन के क्षेत्र मा बड़ समृद्ध राज्य आय।

उत्तर दिशा म सतपुड़ा के बड़ ऊॅंच ऊॅंच जंगल-पहाड़, बीचोबीच महानदी संग मैदानी भाग म बोहावत कईयों ठन नदियाॅं हे। बस्तर के पठार, जनजाति संस्कृति, प्राचीन लोक संस्कृति, प्रस्तर अउ काष्ठ शिल्प कला, नृत्य संगीत संग धरम जात के आपसी संघर्ष ले कोसों दूर गउ बरोबर एकदम सीधा-सादा सरल इहाॅं के मूल  निवासी हें, ये सब महीन विशेषता ल देख-सून के हम कहि सकथन कि सम्पूर्ण भारत म छत्तीसगढ़ हर पर्यटन के संगे संग सांस्कृतिक एकता अउ अखंडता के परिचायक हे।


सुविधा अउ समझ बर छत्तीसगढ़ के पर्यटक स्थल मन ला मुख्य रूप ले अलग-अलग बिंदु मा वर्गीकरण कर सकथन :-

( *स्थापत्य कला, पुरातात्विक महत्व, धार्मिक स्थल, सांस्कृतिक , प्राकृतिक स्त्रोत, ऐतिहासिक, मानव निर्मित आदि।*)


 1. *स्थापत्य कला* :-  (सिरपुर, भोरमदेव, बारसुर)


स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूना के रूप म सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर, भोरमदेव के शिव मन्दिर अउ बारसुर के मामा-भांचा मंदिर हर प्रस्तर नक्कासी के उत्कृष्ट उदाहरण आय।

2. *पुरातात्विक महत्व के स्थल*:- 

(पचराही, आरंग, तरीघाट, पुजारी पाली, डमरू, महेशपुर)


*पचराही*:-

कबीरधाम जिला म स्थित पचराही हर एक नैसर्गिक अउ पुरातात्विक स्थल हवय,हाल के उत्खनन म प्राचीन मंदिर, बैल,लोहा के चूल्हा समेत कई ठन सिक्का मिले हे।


*आरंग*:- आरंग ल मंदिर के नगरी कहे जाथे, ये शहर ल लोरिक अउ चंदा के घर घलव माने जाथे।


*तरीघाट*:- दुर्ग जिला के पाटन क्षेत्र मा स्थित तरीघाट म 2020 के उत्खनन म इहाॅं जगपाल वंश के स्वर्ण मुद्रा, ताम्बा के सिक्का , आभूषण अउ बरतन मिले हे।


*पुजारी पाली*:- सरायपाली के निकट 

पुजारी पाली के मंदिर म गांव वाले के संरक्षण म छठवीं शताब्दी के सैकड़ों पुरातात्विक समान रखाय हे।पथरा म उकेर के विष्णु, शिव व काली ले लेके भगवान के कई ठन रूप हे।


*डमरू*:-

बलौदा बाजार के डमरू नाम के गांव म उत्खनन ले भगवान बुद्ध के पैर मन के चिन्ह मिले हे।


*महेशपुर*:- सरगुजा जिला के महेशपुर म स्थित प्राचीन मंदिर मन वास्तुकला के बेजोड़ नमूना हे। जिहां 8वी शताब्दी के तीर्थंकर वृषभनाथ प्रतिमा अउ दसवीं शताब्दी के शिव मंदिर अउ विष्णु मंदिर विख्यात हे।


इनकर छोड़ अउ कई ठन जगा हे जिहाॅं पुरातात्विक महत्व के चीस-बस हे।


 3. *प्रमुख धार्मिक स्थल*:-

(राम वनगमन क्षेत्र, दामाखेड़ा, गिरौदपुरी, बौद्ध सर्किट, कुनकुरी, लुतराशरीफ नगपुरा, चंपारण

    *राम वनगमन क्षेत्र* 

जेन रस्ता म भगवान श्री राम जी हर आय- गय रहिस उही सब रस्ता मन ल राम वनगमन क्षेत्र के रूप में विकसित करे जात हे। अउ पहली चरण म नव ठन जगह ला चिन्हित करे गेहे जेमा सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया) रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरीनारायण(जांजगीर चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंद्रखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा- शृंगीऋषि आश्रम ( धमतरी), जगदलपुर (बस्तर), रामाराम (सुकमा)  

*दामाखेड़ा*:- दामाचंस्थि कबीर पंथ के अनुयायी मन के सबले बड़े आस्था अउ श्रद्धा के केन्द्र आय। इहा देश विदेश ले श्रद्धालु मन दर्शन करे बर आथें। मान्यता हे कि लगभग सौ साल पहली कबीर पंथ के 12 वाॅं गुरू, गुरु अग्रदास स्वामी द्वारा कबीर मठ के स्थापना करे गीस।


*गिरौदपुरी*:- महानदी अउ जोक नदी के संगम मा स्थित गिरौदपुरी धाम छत्तीसगढ़ के सम्मानित तीर्थ स्थल में से एक हरे। ये हर छत्तीसगढ़ के सतनामी पंथ के प्रवर्तक के जन्म स्थली आय। ये पावन धाम हर गुरु घासीदास के अनुयाई अउ श्रद्धालु मन के पावन स्थली आय।


*बौद्ध सर्किट* :-

 ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थल सिरपुर ला बौद्ध सर्किट 3 में शामिल कर ले गय हे , येला डोंगरगढ़ अउ मैनपाट के संग जोड़े के भावी योजना हवय। अइसे लगथे कि भविष्य मा डमरू,तुरतुरिया (बलौदाबाजार), भोंगापाल (बस्तर), कोटाडोल (कोरिया) ला बौद्ध सर्किट म भी जोड़े जा सकथे।


*कुनकुरी*:-

 जशपुर जिला में स्थित कुनकुरी एशिया के सबसे बड़े दूसरा नंबर के चर्च (महा गिरजाघर )के नाम से जग प्रसिद्ध हवय।


*लूतराशरीफ*:-

बिलासपुर जिला में स्थित हजरत बाबा सैयद अली के प्रसिद्ध दरगाह हे जिहां उनकर अनुयायी मन अपन मन्नत मांगे बर बड़ दूर-दूर ले आथे।


*नगपुरा* :-

दुर्ग जिला के नगपुरा नाम के गांव म जैन धर्मावलंबी मन के सबसे बड़े तीर्थ स्थल हवय।जिहां देश विदेश के पर्यटक मन दर्शन लाभ लेय बर आथे।

*चम्पारण*:-

रायपुर ले 55 किलोमीटर और राजिम ले 15 किलोमीटर दूर म स्थित चंपारण गांव चंपेश्वर महादेव मंदिर अउ महाप्रभु वल्लभाचार्य के जन्म स्थली( वैष्णव पीठ) के रूप में प्रसिद्ध हे।


4. *सांस्कृतिक महत्व के स्थल* :-

(पुरखौती मुक्तांगन, बस्तर दशहरा , राजीम मेला )


*पुरखौती मुक्तांगन*:- 

200 एकड़ के क्षेत्रफल मा फैले पुरखौती मुक्तांगन हर छत्तीसगढ़ के समृद्ध संस्कृति के दर्शन कराथे,येहा लोक कला के संग विविध आयाम ल रेखांकित करत आदिवासी मन के कला संस्कृति अउ जीवन ले जुड़े हुए दस्तावेज आय।


*बस्तर दशहरा*:-

बस्तर के दशहरा के अपन अलग पहचान हे, ये असत्य के ऊपर सत्य के विजय के  तिहार दशहरा राम के युद्ध में विजय के रूप में दशहरा  मनाय जाथे। फेर ये दशहरा उत्सव म रावण ला मारे नइ जाय ।बल्कि येकर सीधा संबंध बस्तर के आराध्य देवी दंतेश्वरी के संग अन्य देवी देवता मन के अबड़ दिन ले चलने वाला पूजा अर्चना से हावय।


*राजीम मेला* :-

महानदी सोंढूर अउ पैरी त्रिवेणी  संगम मा स्थित राजीम म हर साल माघी पुन्नी  में लगने वाला मेला हर एक पखवाड़ा तक आयोजित होथे। येला कुंभ के रूप म भी पहचान दिलाय के प्रयास होत हवय।



क्रमश: ...




*5 प्राकृतिक स्त्रोत* :-

( जलप्रपात, गुफा, घाटी, राष्ट्रीय वन उद्यान, अभयारण्य , मैनपाट, तातापानी)

   *(क)जलप्रपात*:- 

            *चित्रकोट*:- जगदलपुर से 39 किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी में बने ये प्राकृतिक झरना 90 फीट ऊंचाई ले गिरथे, येहा छत्तीसगढ़ के सबले जादा चौड़ाई वाले झरना हरे ।येला  छत्तीसगढ़ के नियाग्रा घलव कहे जाथे।

*सातधारा* :- बारसूर (बीजापुर) ले सात किमी दूर म स्थित सातधारा हर भेड़ाघाट जइसन दर्शनीय स्थल आय।

*तीरथगढ़*:- मुनगाबहार ( बस्तर) छत्तीसगढ़ म स्थित तीरथगढ़ जलप्रपात लगभग

300 फिट ऊपर ले नीचे गिरथे।

*मकरभंजा जलप्रपात*:- जशपुर जिला के मकरभंजा जलप्रपात हर उंचाई म तीरथगढ़ (300 फिट) जलप्रपात ले घलो ज्यादा ऊंचाई ( लगभग 450 फिट) ले गिरथे ।

*चर्रे-मर्रे जलप्रपात*:- चर्रे मर्रे हर नारायणपुर जिला मा बंजारिन घाटी में स्थित है, ये कल- कल करत झरना हर पर्यटक मन ला जुलाई ले फरवरी महीना तक आकर्षित करथे।

छत्तीसगढ़ के कुल क्षेत्रफल के 44% भाग म जंगल पहाड़ होय के कारण चित्रधारा, राक्सगंड़ा,अमृतधारा ,कोटली सरभंजा, मलाजकुंडम, रानीदाह ,केंदई ,गुप्तेश्वर अउ रानीदरहा जइसन कई ठन जलप्रपात हे जेन पर्यटक मन ला अपन तरफ आकर्षित करे म सक्षम हे।


*(ख) गुफा* :-(जोगीमार , कैलाश गुफा ,लाफ़ागढ़ , सिंघनपुर, कुटुमसर, सीताबेंगरा ,कबरा पहाड़ )

*जोगीमार गुफा*:- अंबिकापुर जिला के पहाड़ में स्थित ये गुफा लगभग 300 ईसा पूर्व के बताए जाथे, ये गुफा मन के दीवार म प्राचीन चित्रकारी अउ कलाकृति उकेरे गेहे। पशु-पक्षी, फूल अउ आदमी मन के चित्र के संग कुछ शिलालेख घलो मिले हे।


*कैलाश गुफा*:- जशपुर जिला के बगीचा तहसील ले 29 किलोमीटर म कैलाश गुफा स्थित हे, इहां प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर घनघोर जंगल हवय, साथ ही इहां बहुत अधिक संख्या म बंदर भी पाये जाथे।


*चैतुरगढ़ (लाफ़ागढ़) गुफा*:- कोरबा जिला के तहसील मा लाफ़ागढ़ हर ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल आय, इहां के गुफा हर सुरंग बरोबर 25 फीट लंबा हे। येला शंकर गुफा कहे जाथे। सकरा होय के कारण एक घाॅंव म एकेच आदमी हर अंदर बाहर आ जा सकथे।


*सिंघनपुर गुफा*:- रायगढ़ जिला म स्थित सिंघनपुर के प्रागैतिहासिक कालीन तीन ठन गुफा मन लगभग 300 मीटर लंबा और 7 फुट ऊंचा हे। बाहर के दीवार मन मा जानवर, आदमी अउ शिकार के आकृति बने हे।ये गुफा ल लगभग 30 हजार साल पुराना माने गेहे।


*कुटुमसर गुफा*:-  कुटुमसर गुफा हर जगदलपुर ले 35 किलोमीटर दूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित हे। ये भारत के सबले जादा गहराई वाले गुफा हरे ,येकर लंबाई लगभग 4500 फीट हे ।इहां रंग बिरंग के ॲंधरी मछरी पाए जाथे।


*रामगढ़ (सीता बेंगरा)गुफा*:-

 अंबिकापुर-बिलासपुर के रस्ता मा ये प्राचीन ऐतिहासिक स्थल रामगढ़ हवय, रामगढ़ पर्वत हर टोपी के आकार म हवय। इहिंचे ल विश्व के प्राचीनतम नाट्यशाला घलव कहे जाथे जिहां महाकवि कालिदास हर मेघदूत के रचना करे रहिस।


*कबरा पहाड़ गुफा*:- जिला रायगढ़ ले लगभग 8 किलोमीटर दूर म कबरा पहाड़ गुफा स्थित हे, जिहां प्राचीन मानव आवास के प्रमाण मिले हे, दीवार म पाषाण कालीन मानव के द्वारा रंगीन चित्रकारी मौजूद हे। इहाॅं हिरण, घोड़ा ,कछुआ के संग जंगली भैंसा के बहुत बड़े चित्र घलव हे।

 

ये सब  गुफा मन के अलावा छत्तीसगढ़ में अउ कई ठन गुफा हे, जिहां पर्यटन के अपार संभावना हे।


*(ग) घाटी*:- (केशकाल,चिल्फी, कांगेर, लोरोघाटी)

*केशकाल घाटी*:- कोंडागांव जिला के राष्ट्रीय राजमार्ग म केशकाल ह स्थित हे, इहां ले बस्तर पहुॅंचे बर केशकाल के घाटी ले होके जाना पड़थे।ये घाटी म बड़े बड़े पहाड़ी मोड़  हे, तभे येला बारा भाॅंवर के नाम ले घलव जाने जाथे।

*चिल्फी घाटी*:- कबीरधाम जिला म स्थित चिल्फी घाटी हर मिनी कश्मीर के नाम से घलव जाने जाथे। पहाड़ के चारों तरफ  चिल्फी घाटी के घुमावदार रास्ता बड़ खतरनाक हे। इहां दिसंबर जनवरी के महीना मा अतिक ज्यादा ठंड पड़थे कि भुॅंइया म बरफ के चादर बिछ जथे।


*कांगेर घाटी*:- बड़ ऊंच-ऊंच पहाड़ ,गहुॅंरी-गहुॅंरी खाई ,बड़े-बड़े पेड़, जंगली फल फूल ले भरपूर ये घाटी हर जीव-जंतु  मन बर  अनुकूल जगह हे। तेकर सेती येला राष्ट्रीय वन उद्यान बनाय गेहे।


*लोरो घाटी*:- जशपुर जिला म नगर ले 15 किलोमीटर दूर म स्थित  हरियर पेड़-पौधा अउ फूल ले भरे लोरो घाटी हर प्राकृतिक मनोरम स्थल आय।जेन हर अपन सुंदरता के कारण आसपास म बड़ प्रसिद्ध हे। घाटी से मतलब इहां दू ठन पहाड़ के बीच तीन घाॅंव मोड़दार चट्टान से हे।


*(घ) राष्ट्रीय वन उद्यान*:- (गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान, इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान)

*गुरु घासीदास राष्ट्रीय वन उद्यान*:- ये कोरिया और सूरजपुर जिला में स्थित है, इहां नीलगाय ,बाघ अउ तेंदुआ आदि  पाय जाथे।


*इंद्रावती राष्ट्रीय वन उद्यान*:- ये बीजापुर जिला में स्थित हे, ये राष्ट्रीय वन उद्यान ले होके इंद्रावती नदी हर बहथे।


*कांगेर घाटी राष्ट्रीय वन उद्यान*:- ये राज्य के सबसे छोटे राष्ट्रीय उद्यान आय, इहां पहाड़ी मैना ला संरक्षित करे जाथे, कांगेर नदी मा भैसादरहा नाम के जगह म *मगरमच्छ मन* के प्राकृतिक निवास हवय।


*(ङ) अभ्यारण्य*:- 

सामान्यत: छत्तीसगढ़ म 11ठन अभयारण्य माने जाथे, 

तमोर पिंगला (सूरजपुर) सीतानदी (धमतरी), अचानकमार (मुंगेली), सेमरसोत (बलरामपुर), गोमरदा (रायगढ़), पामेड़ (बीजापुर), बारनवापारा (बलोदाबाजार),उदंती (गरियाबंद)' भोरमदेव (कबीरधाम), भैरमगढ़ (बीजापुर), बादल खोल(जशपुर)।

   फेर उदंती- सीतानदी, तमोरा पिंगला ल अब टाइगर रिजर्व बना दिए गए हे। जेकर कारण वर्तमान मा अभयारण्य के संख्या 8 हे।


*(च) मैनपाट* :- (दलदली, उल्टा पानी) 

अंबिकापुर ले 75 किलोमीटर दूर विंध्य पर्वत माला में स्थित मैनपाट हर छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाथे। येकर नजदीक मा सरभंजा जलप्रपात, टाइगर प्वाइंट मछली प्वाइंट मुख्य दर्शनीय स्थल हे।

 *दलदली*:-  भूकंप के समय जइसे जमीन हिलथे वइसनेच ढंग ले इहां के दलदली क्षेत्र म कूदे ले जमीन ह हिलथे ।

*उल्टा पानी*:-  प्रकृति के नियम के उलट इहां के खेत ले निकलत पानी के धार हर ढलउ डहर नइ बोहा के उल्टा दिशा में बोहाथे , जेकर सेती येकर नाम उल्टा पानी पड़ गेहे।


*(छ) तातापानी*:-

बलरामपुर जिला मुख्यालय ले 12 किलोमीटर दूर म स्थित तातापानी ह गरम पानी के लिए प्रदेश भर में प्रसिद्ध हे। इहां गरम पानी के कुंड हे जिहां ले साल भर डबकत पानी हर बोहावत रहिथे। ये मान्यता हे कि कुंड के पानी म औषधि गुण हे जेकर ले त्वचा रोग हर ठीक हो जथे।


*6 मानव निर्मित* :-  (गंगरेल बांध , मैत्री गार्डन भिलाई,सौर ऊर्जा पार्क रायपुर , सतरेंगा, जंगल सफारी)

*गंगरेल ( रविशंकर) बांध*:-  धमतरी जिला मुख्यालय ले लगभग 13 किलोमीटर दूर म स्थित गंगरेल ह पर्यटन के क्षेत्र म तेजी से उभरत नाम आय ।इहां वाटर स्पोर्ट्स के अलावा श्रद्धालु मन बर अंगारमोती मंदिर हे। चारों तरफ के  हरियाली ह सबके मन लला मोह लेथे। इहां जल विद्युत परियोजना भी संचालित हे।


*मैत्री गार्डन भिलाई*:-

भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा संचालित मैत्री गार्डन ह  चिड़ियाघर के संग लइका मन के गार्डन आय। इहा कृत्रिम झील के अलावा शेर,भालू चीता,बाघ के संग दुर्लभ पशु पक्षी देखे बर मिलथे।


*सौर ऊर्जा पार्क रायपुर*:- 

पूरा भारत भर में सौर ऊर्जा पार्क रायपुर के अपन अलग पहचान हे। क्रेड़ा द्वारा स्थापित ऊर्जा शिक्षा पार्क ह नवीकरणीय उर्जा स्रोत मन के अलग-अलग रूप के बारे म जागरूकता पैदा करके लोगन मन ला शिक्षित करे के काम करते हे। पार्क म हरा भरा पेड़ पौधा ,रंग बिरंग के फूल, फव्वारा ,कृत्रिम झरना के संग सुंदर उद्यान हर येकर शोभा ल बढ़ावत हे।


*सतरेंगा*:- कोरबा जिला म बांगो बांध के तीर मा बसे सतरंगा प्राकृतिक मनोरम दृश्य लिए भरपूर दर्शनीय स्थल आय। इहाॅं 1400 साल पुराना महासाल के पेड़ हर छत्तीसगढ़ के सबले जुन्ना पेड़ में से एक आय। इहां वाटर स्पोर्ट्स के साथ पानी मा तॅंउरत फ्लोटिंग रेस्टोरेंट अउ रिसार्ट के भी व्यवस्था हे।


*जंगल सफारी*:-

रायपुर ले 15 किलोमीटर दूर स्थित नंदनवन म 800 एकड़ क्षेत्र म जंगल सफारी ह फैले हुए हे। इहां कई प्रजाति के पेड़-पौधा के संग जल निकाय बर 130 एकड़ के खांडवा जलाशय हवय। इहां चार ठन सफारी जेमा शाकाहारी पशु, भालू ,बाघ अउ शेर बर प्राकृतिक आवास के व्यवस्था करे गेहे।


येकर अलावा छत्तीसगढ़ म अउ कई ठन बाॅंध अउ गार्डन हवय जिहाॅं पर्यटन के आनन्द उठाय जा सकथे।

*पर्यटन म पिछवाय के कारण*:- 

 *1 नक्सलवाद* :- छत्तीसगढ़ के शहरी  अउ नगरी क्षेत्र के तुलना मा ग्रामीण इलाका म खासकर जनजाति क्षेत्र म 80% ले जादा पर्यटन स्थल हावय ।छत्तीसगढ़ के इही क्षेत्र म नक्सलवाद हर पर्यटन बर एक खास समस्या बने हुए हे। कतरो पर्यटक मन डर के मारे पर्यटन म नइ आय।

*2.आवागमन/ पहुॅंच मार्ग*:-

छत्तीसगढ़ के कई ठन पर्यटक स्थल म पहुंचे बर सड़क के सुविधा घलव नइहे, जेकर कारण आवागमन म परेशानी उठाय बर पड़थे।

*3जुम्मेदारी के अभाव* :-

पर्यटक स्थल म नियुक्त जुम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी मन के सुस्त रवैया अउ लापरवाही के कारण पर्यटक मन ला पर्याप्त सुविधा नइ मिल पाय।जेकर ओमन ह हकदार रहिथे।आय दिन अइसन जगह म साफ-सफाई  अउ रखरखाव के भारी कमी घलव दिखाई देथे।


*सुझाव*

*1प्रचार प्रसार के जरवत*:-  छत्तीसगढ़  म कई ठन अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन स्थल हवय।फेर प्रचार-प्रसार म कमी के कारण विदेशी मन के ध्यान इहां केंद्रित नइ हो पावत हे।

गुजरात प्रदेश के तर्ज म इहां घलव बड़े रूप मा प्रचार प्रसार करें के जरवत हे, जेकर ले पर्यटन के क्षेत्र म निश्चित रूप से तेज़ी आही।

*2आयोजन के रूपरेखा* :-

छत्तीसगढ़ के पर्यटन मंडल ल चाही कि वोमन समय समय म देश-विदेश म सेमीनार आयोजित करे, पर्यटन पुस्तक , ब्रोशर , पर्यटन एप, के दिशा म सार्थक काम करे जाय।

*3रोजगार के अवसर*:-  स्थानीय निवासी मन ल होटल, मोटल म रोजगार उपलब्ध कराय जाय, स्थानीय युवा मन ला गाइड के रूप म प्रशिक्षित करके सेवा लिए जाय। येकर से  समय म काम होही, भाषा बोली संबंधित अड़चन नइ आही।

*अंतस के बात*:- 

छत्तीसगढ़ ह पुरातात्विक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक अउ व्यावहारिक दृष्टिकोण ले समृद्ध प्रदेश आय, येमा कोई संदेह नइहे। सरकार अउ पर्यटन मंडल के विशेष रूचि ले पर्यटन के क्षेत्र म आमूलचूल परिवर्तन हो सकथे।इहाॅं के बोली-भाषा, संस्कृति, खानपान ल देशी-विदेशी पर्यटक मनके प्रवास ले पूरा दुनिया म स्थापित करे जा सकथे। निश्चित रूप से वर्तमान सरकार ह राम वनगमन क्षेत्र, बौद्ध सर्किट ,सतरेंगा जइसे महात्वाकांक्षी योजना ले  ये स्थल मन ल अंतर्राष्ट्रीय पटल म लाय के भरपूर कोशिश करत हे ।फेर ये क्षेत्र से संबंधित अधोसंरचना ल तेजी से विकसित करे बर अउ कला, संस्कृति भाषा बोली अउ खेलकूद ल प्रोत्साहित करे बर निजी निवेशक मन ल प्रोत्साहित करे के भी आवश्यकता हे।जेकर ले ये क्षेत्र म प्रतिस्पर्धा बाढ़ही अउ पर्यटक मन हआकर्षित होहीं।

कहे बोले के मतलब इही हे कि पर्यटन स्थल मन म जादा से जादा सुविधा उपलब्ध होय अउ अधिक ले अधिक संख्या म पर्यटक मन आय, सरी दुनिया म छत्तीसगढ़ के मान सम्मान बढ़े, छत्तीसगढ़ ह आर्थिक रूप ले सक्षम प्रदेश बने।

*प्रकृति ह अपन दूनो हाथ ले हमन ला छप्पर फाड़ के दे हावय। तेकर सेती हम कहि सकथन हमर छत्तीसगढ़ म पर्यटन के अपार संभावना हे।*

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महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव जिला राजनांदगांव

1 comment:

  1. बहुत सुग्घर जानकारी सर जी

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