Monday 24 May 2021

छत्तीसगढ़ मा पर्यटन के संभावना*


 *छत्तीसगढ़ मा पर्यटन के संभावना*



                           *पर्यटन* या भ्रमण जेला अंग्रेजी मा ट्रेवल कहे जाथे जेखर अर्थ होथे दर्शनीय जगह ला देखे बर दूसर जगह मा जाना।ये दर्शनीय जगह के अगर धार्मिक महत्तम हे तव अइसन पर्यटन तीर्थाटन कहे जाथे।हमर धर्मप्रिय भारतीय समाज प्राचीन समय ले तीर्थाटन करत आवत हे।चार धाम यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा, वैष्णो देवी यात्रा,स्वर्ण मंदिर यात्रा, हज यात्रा सदियों से चले आवत है  येखर अलावा आने छोटे बड़े तीरिथ धाम के यात्रा।

      आवागमन के साधन के विकास के संगे संग अब दुनिया हा छोटे होगे हावय।कम समय मा एक जगह ले दूसर जगह पहुँचे जा सकत हवय।तब मनखे के ध्यान प्राकृतिक,जगह के तरफ गइस जिहा के दृश्य ला देख के मनखे थोरिक बेरा बर अपन  बाकी सांसारिक दुःख ला बिसरा जाथे।संचार के साधन,आर्थिक विकास ले धीरे धीरे पर्यटन हा एक उद्योग के रूप ले लिस।अब पर्यटन के उद्देश्य सिर्फ प्राकृतिक,सांस्कृतिक,ऐतिहासिक स्थल के दर्शन न होके आर्थिक विकास घलौ होंगे हावय। सिंगापुर साइपस,जइसे कई देश के संगे संग गोवा जइसे राज्य के आमदनी के साधन पर्यटन हा हावय।

                हमर छत्तीसगढ़ राज्य प्राकृतिक दृष्टि से सम्पन्न राज्य ये।इहाँ के ऐतिहासिक सांस्कृतिक पौराणिक धरोहर हा अनमोल हे।इहाँ एक कोती कलकल छलछल करत महानदी ,शिवनाथ,हसदो, इन्द्रावती, पैरी, सोंढूर,जोंक,जइसे नदी हे।ता भारत के नियाग्रा के नाम ले प्रसिद्ध चित्रकूट,अउ तीरथगढ़, सात धारा,अमृत धारा जइसे अठखेली करत जलप्रपात हे।राजिम मल्हार, शिवरीनारायण,रतनपुर, चैतुरगढ़ डोंगरगढ़,दंतेवाड़ा, कुदुरमाल, गिरोदपुरी,सिरपुर  खरोद,जइसे धार्मिक जगह घला हवे।विश्व के सबले जुन्ना नाट्यशाला सीताबेंगरा हवे त रामगढ़ के पहाड़ी के अनुपम सुंदरता हवे जेखर सुंदरता ला देख के महाकवि कालिदास हा अपन मेघदूतम महाकाव्य के रचना करिस।बस्तर के कुटुंबसर के गुफा घलौ मन मुग्ध कर देथे।तीन राष्ट्रीय उद्यान अउ ग्यारह अभ्यारण्य मा अनेक प्रकार के जंगली जीव जंतु हावयँ।रायपुर के पुरखौती मुक्तांगन, जंगल सफारी, कोकोडाईल पार्क कोटमी सुनार जाँजगीर जिला। छत्तीसगढ़ के खजुराहो भोरमदेव, तालागाँव,मदकूद्वीप, मैनपाट, बारसूर,

अउ कई दर्शनीय जगह,जुन्ना किला,ऐतिहासिक पौराणिक जगह हवे जेखर कारण से हमर छत्तीसगढ़ मा पर्यटन के अपार संभावना हवे । उपरोक्त जगह मन मा आवागमन के

 साधन बढ़ा दिये जाय अउ उहाँ रहे के बढ़िया साधन होवय

अउ बने ढंग के ओखर प्रचार प्रसार होवय त देश के अन्य भाग के ही नही बल्कि विदेशी पर्यटक मन  घलौ आकर्षित होंही अउ इहाँ पर्यटन बर आहीं ।येखर से प्रदेश के आमदनी बाढ़ही।होटल लाँज खुले ले स्थानीय बेरोजगार मन ला रोजगार घलौ मिलही।स्थानीय मन ला गाइड के ट्रेनिंग घलौ दिये जा सकत हवय जेखर से वोला रोजगार मिलही अउ हमर संस्कृति खासकर के जनजातीय संस्कृति ला विदेशी पर्यटक मन ला समझे मा सरलता जाही।आजकल एडवेंचर टूरिज्म अउ वाटर टूरिज्म के घलौ चलन बाढ़े हवय इहूँ ला बढ़ा के छत्तीसगढ़ मा पर्यटन ला बढ़ाये जा सकत हे।

              पर्यटन के महत्व ला समझ के संयुक्त राष्ट्र संघ हा 1997 ले हर साल 27 सितंबर ला पर्यटन दिवस मनाय के घोषणा करिस।छत्तीसगढ़ सरकार के महत्वाकांक्षी परियोजना रामवन पथ गमन के प्रथम चरण मा सीतामढ़ी, हरचौका,रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंद्रखुरी,राजिम, सिहावा, जगदलपुर जइसे नौ जगह के चयन करे गय हे जेमा चार जगह मा काम शुरू घलौ होगे हावय येखर ले छत्तीसगढ़ मा पर्यटन ला बढ़ावा मिलही।माडमसिल्ली धमतरी, हसदेव बाँगो सतरेंगा कोरबा,संजय गाँधी जलाशय खुँटाघाट रतनपुर बिलासपुर, सरोधा डैम कबीरधाम,समोधा बैराज रायपुर मा वाटर टूरिज्म के सुविधा पर्यटक मन बर हावे।छत्तीसगढ़ मा तीन जगह मा चिल्फी घाटी कबीर धाम मा बैगा एथनिक रिसार्ट,कोंडागांव मा धनकुल एथनिक रिसार्ट अउ बिलासपुर मा कुरदर एथनिक रिसार्ट खुले हवे जेमा बढ़िया सुविधा के संगे संग जनजातीय जीवनशैली के अनुभव घलौ होही।स्वदेश दर्शन योजना मा ट्राइवल टूरिज्म ला बढ़ावा दिये जावत हे।अब वो दिन दूरिहा नइ हे जब पर्यटन के क्षेत्र मा छत्तीसगढ़ के नाम हा सोनहा अक्षर मा लिखे जाही अउ विदेशी पर्यटक घलौ बड़ संख्या मा इहाँ आही।



चित्रा श्रीवास

बिलासपुर

छत्तीसगढ़


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