Monday 3 May 2021

लूट सके तो लूट-चोवाराम वर्मा बादल

 लूट सके तो लूट-चोवाराम वर्मा बादल

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*चारों कोती लूट हे,लूट सको तो लूट।*

*कोरोना जब भागही, मौका जाही छूट।*

    ये ह गड़बड़ रमायेन के गड़बड़ दोहा ये जेमा भुक्तभोगी दुखी दास के कहना हे के--जब ले कोरोना आये हे चारों कोती लूटमार माते हे। जेन ल भी थोरको मौका मिलत हे दूनों हाथ ले तन-मन-धन सब ला लूटत हें। बहती गंगा म घोर पापी मन रातदिन डूबकी लगावत हें।दसों अँगरी ल घी म चिभोर के सरपट सइया तिरत हें।

   काली जुवर के बात ये --कका ह हँफरे ल धरलिस।हम समझगेन। वोकर आक्सीजन सेचुरेशन कमती होगे । लकर-धकर जम्मों सकलाये पेपर कटिंग जेमा बड़े-बड़े सरकारी डाक्टर अउ आफीसर मन के मोबाइल नम्बर ,अइसन स्थिति म सम्पर्क करे बर छपे राहय-- म फोन करना चालू करेन फेर कोनो तो उठातिन? एको झन चिटपोट नइ करिन। व्हाट्सएप म बहुत कस नवाँ-नवाँ बने सेवा वाले संस्था मन के नम्बर अउ लिस्ट सेव राहय तेमा जुगाड़ मढ़ाये के उदिम करे गिस। दू-चार झन स्वारी भइया जी काहत हाथ जोड़ लिन।हम समझगेन ये मन सिरिफ बड़ई कमाये बर शेखी मारत अपन नाम अउ काम ल बगराये हें। ले देके एक झन नेताजी ह फोन उठाइस अउ कहिस--हाँ- हाँ ---सिलेंडर के जुगाड़ हो जही।तैं चाहबे त आई सी यू बेड तको मिल जही फेर--------

 हम ला लागिस के साक्षात भगवान ह आकाशवाणी करत हे। केलौली करत कहेन-- वो --फेर ह काये भइया तेला जल्दी बता न कका ह केक केक करत हे। वो कहिस--बुरा मत मानबे भाई।कतेक झन तो मुँहमंगी रकम दे बर तइयार हें फेर तुमन मोर क्षेत्र के जनता जनार्दन अव तेकर सेती दू लाख म बात बन जही---। सुनके हम सन्न होगेन। मने मन म गारी देवत के--पापी ह सेवा के आड़ म लूटे म लगे हे---आपदा म अवसर खोजके कमाई करत हे----कका ल कोनो अस्पताल लेके बर गाड़ी खोजे ल धरलेन।

       लाकडाउन के सेती सब बंद हे।गाड़ी- घोड़ा चलबे नइ करत हे।102, 108---सब ला फोन करेन फेर कोनो नइ आइन। हमर कालोनी के एक झन वेन वाला ह कइसनो करके 3 कि.मी. दूरिहा अस्पताल म दस हजार रूपिया म लेगे बर खँधिस। हम मोल-भाव करत कहेन--भइया तहूँ गरीब, हमूँ गरीब।काबर अतेक लेवत हस गा? वो कहिस--जादा नइ लेवत अँव भइया जी।मोला मालूम हे अभी न जाने कतका कस अस्पताल ल घूमहू त कहूँ तुमन ल बेड मिलगे त मिलगे ,नहीं ते भगवाने मालिक हे। दू-तीन हजार ह पेट्रोल म,दू-चार हजार ह जगा-जगा छेंके डंडा वाला मन ल देये म सिरा जही त मोर बर का बाँचही? मैं तो अपन जान के बाजी लगाके कोरोना पेसेंट ल लेगे बर तइयार हँव। तुमन सोच लव--हाँ या नहीं ल बतावव। हम कहेन--का सोचबो भइया। सेवा म मेवा तो मिलनेच चाही।ले जल्दी चल।

       सच म दू-चार अस्पताल के घूमत ले कका ह रेंग दिस, सरग सिधारगे। रोवत- गावत मरघट्टी कोती गेन त उहाँ चिता म चढ़े बर ढीक के ढीक लाश मन अगोरत राहँय।बिना कागज-पाथर के हमन ल लाश ल जलावन नइ देवत राहँय।कइसनो करके पँदरा हजार म सौदा पटाके कका के देह ल छोड़के घर आगेन।

      चार दिन पाछू काकी ल सर्दी-बुखार धरलिस। दूध के जरे मही ल तको ल फूँक-फूँक के पीथे। हम बिना देरी करे मोटर सईकिल म बइठार के सीधा कोविड सेंटर लेगेन।उहाँ भर्ती होगे। डाक्टर ह मरीज सिरियस हे कहिके रेमडेसिवर इंजेक्शन लाये बर लिखके दिस।बीसों मेडिकल स्टोर म घूम डरेन फेर वो दवाई मिलबे नइ करिस। उही समे एक झन आदमी मिलिस जेन थोकुन दूरिहा म लेके फुसफुसावत कहिस-- मोर सो दू ठन रेमडेसिवर के शीशी हे।तोर करलई देखे नइ जात हे।लेबे त दे देहूँ--जल्दी बता। हम ओकर गोड़ ल धरके, आँसू ढारत, आठ हजार रुपिया देवत कहेन--तैं तो भगवान बरोबर कती ले परगट होये हस भइया। ले जल्दी दे दे। हमर काकी बेचारी के प्रान बाँच जही। वो कहिस---ये काये---सिरिफ आठ हजार----चना मुर्रा समझ ले हव का? पचास हजार लागही--- पचास हजार----नहीं ते फूटव-- रद्दा नाँपव--हूँह --आठ हजार म रेमडेसिवर---। का करबे बूड़त मनखे बर तिनका ह सहारा हो जथे। हम पचास हजार देके उल्टा पाँव अस्पताल कोती भागत आयेन अउ दवा ल डाक्टर ल देन। वो ह कन्नेखी देख के मुस्काइस। हम ला बड़ उटपुटाँग लागिस। बात तो चिटिक देरी म समझ म आइस जब वो आदमी जेन पचास हजार लेके दवा ल दे रहिस तेन अउ डाक्टर ह कोनटनिया म खड़े गोठियावत राहँय। हम जान डरेन इँकर मन के सेटिंग हे। ये मन जीव लेवा आँय। मनखे के जीव के धंधा करत हें।चोरी चकारी करत हें।कालाबाजारी करत हें।

          कालाबाजारी के का बात करबे भइया।जेती देखबे तेती काले काला हे।सब लूटे बर कलकलावत हें। चार आना के समान चार रुपिया म मिलत हे।दू रुपिया के मास्क बीस रुपिया म, पचास के सेनेटाइजर दू-तीन सौ म----।कतकोन मेडिकल अउ किराना वाले मन तो अतका लूटत हें के उँकर सात पीढ़ी बइठे-बइठे खाँही तभो नइ सिराही। हम ला तो लागथे  नेता-अफसर संग बिना मिलीभगत के ये मन अइसन नइ कर पातिन। ठीक हे मिलजुल के लूटयँ फेर सोच लयँ करनी के फल मिलके रहिथे। कोनो दिन कोरोना ह इँकरो सब कुछ लूट सकथे--।

     मरने वाला ह तो चल देथे, अपन बनौकी बना लेथे फेर बाँचे मन ल कइसनो करके जिंये ल परथे। चाउँर-दार, साग-भाजी के सिरजाम करे बर परथे। काली मुहल्ला म साग-भाजी वाला ढेला म धरके आये रहिस। हमन भिंडी अउ आलू के भाव पूछेन त वो कहिस--भिंडी अस्सी रुपिया, आलू सौ रुपिया किलो। हम कहेन-अतेक मँहगी काबर हे जी।वो कहिस--गाड़ी-घोड़ा नइ चलत हे।माल के आवक नइये। बहुत शार्टेजी हे। लेवाल जादा हे। किसान के उत्पादन कम हे। दाम तो बाढ़बे करही। हमला लागिस ---कतका सुंदर ज्ञान के बात बतावत हे। ये ला तो हमर देश के वित्तमंत्री बना देना चाही। बीस म खरीद के सौ म बेचे ल एकर ले जादा भला कोन जानही?

     आज बिहनिया बहुत दिन के बाद दूधवाला ह गली म दिखिस। हम बला के एक किलो दूध माँगेन।वो पूछिस ---कोन वाला? सादा दूध धन इम्यूनिटी बढ़ाये वाला। सादा दूध अभी मोर सो नइये। इम्यूनिटी बढ़ाये वाला हे जेकर दू सौ रुपिया लीटर भाव हे।एकर  एके गिलास पिये ले आक्सीजन लेवन बाढ़ जथे, कोरोना देखते देखत भाग जथे।

  हम कहेन बड़ बाय हे ।ये बता तोर ये इम्यूनिटी वाले दूध के का खासियत हे।वो कहिस--ये वो गाय के दूध ये कका जेला सुबे, दोपहर अउ शाम के तीन पइत गिलोय,तुलसी पत्ता, अदरक, काली मिर्च, दालचीनी ,अँजवाइन अउ गुड़ के काढ़ा पियाथँव। ये वो गाय के दूध ये जेन बाबा रामदेव सहीं अपने आप भस्त्रिका प्राणायाम करत रथे। जेकर कोठा ह रोज सेनेटाइज होथे। हाँ ये दूध के कीमत तीन सौ लिटर हे। बता कतका कस नापवँ?

    वोकर गोठ ल सुनके हम ला चक्कर आगे। अइसे लागिस के-- ये हू हा लूटे के चक्कर म हे।



चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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