Monday 3 May 2021

कोरोनाकाल अउ मानवता ...अजय अमृतांशु

 कोरोनाकाल अउ मानवता ...अजय अमृतांशु

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हमर देश म जब-जब बिपत आय हे, देशवासी मन मिल के ओकर सामना करे हवय। फेर चाहे अकाल होवय, युद्धकाल होय या महामारी। संकट के बेरा म देशवासी मन एकता के गजब के मिशाल दे हवय। आज जब कोरोना महामारी  विकराल रूप ले ले हवय तब एक घव फेर देशवासी मन जुरमिल के कोरोना ले लड़े बर तियार दिखत हवय।

           एक कोती जिहाँ फ्रंटलाइन वर्कर मन रात दिन ड्यूटी म तैनात हवय जेमा डॉक्टर,नर्स, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, शिक्षक सहित पूरा सरकारी अमला लगे हवय उँहै दूसर डहर स्वयंसेवी संस्था, सामाजिक संगठन अउ आम नागरिक मन घलो स्वतः होके ये बीमारी ल निपटे बर निःस्वार्थ भाव ले लगे हवय। कोविड के चलते कई परिवार तबाह होवत हे। कई समाजसेवी संस्था कोविड के मरीज मन ला निःशुल्क भोजन उपलब्ध करावत हवय ता कुछ स्वयंसेवी संस्था कोविड ग्रस्त परिवार के सदस्य मन ला नाम मात्र के शुल्क मा भोजन पानी उपलब्ध कराके मानवता के मिशाल कायम करत हवय। गुजरात म तो टेंट व्यवसायी मन मिलके स्वयं के खर्च मा 50 बिस्तर के सर्व सुविधायुक्त निःशुल्क अस्पताल तक बना डारिन येहू एक अनुकरणीय उदाहरण आय। 

          कुछ समाज तो अपन समुदायिक भवन ला कोविड सेंटर बना के राष्ट्रहित बर अपन आहुति देवत हे ता कुछ मन आक्सीजन सिलेंडर, आक्सीजन बनाय के मशीन, वेंटिलेटर तक दान करत हवय। कतको मनखे अपन वेतन से राशि दान करत हे। संकट के ये बेरा म सबो जाति, धर्म,सम्प्रदाय के मनखे मन आघू आ के यथासंभव प्रयास करत हवय इही तो मानवता आय। गरियाबंद म मुस्लिम समुदाय के जमात मन कोविड के कारण असमर्थ परिवार के मृतक मन के दाह संस्कार करके कौमी एकता के परिचय देवत हे। कोविड संकटकाल मा अभी सबो धर्म के मनखे मन बिना कहे आघु आके धर्मार्थ के काम करत हवय। आखिर संकट के बेरा मा देश के काम देशवासी मन नइ आही तब कोन आही...?

          निःशुल्क फल वितरण, निःशुल्क दवाई ,निःशुक एम्बुलेंस के व्यवस्था घलो समाज  के जागरूक नागरिक अउ संस्था मन करत हवय।

लाकडाउन म कतको मनखे मन रात रात के अवारा पशु मन ला चारा घलो खवात हे। कुकुर मन ला रोटी, ब्रेड जउन हो सकय खवाय बर मनखे निकलत हे काबर लॉक डाउन के सेती जानवर मन के सामने भी भुखमरी के समस्या उत्पन्न होगे हवय। सरकार वैक्सीन, दवा, आक्सीजन, वेंटिलेटर आदि के व्यवस्था तो करबे करत हे फेर केवल सरकार के कोशिश तब तक नाकाफी हे जब तक ओमा जनभागीदारी नइ होही। आम जन अउ सरकार के संयुक्त प्रयास ले ही महामारी म विजय प्राप्त हो पाही, काबर ये समस्या कोनो दल / सरकार के नोहय ये समस्या पूरा देश के हे । 

            ये बछर के भयावहता ल देखते हुए  आम जनता मा जागरुकता के कमी देखे मिलत  हवय। जागरुकता एक संवेदनशील समाज के गुण आय फेर हिंदुस्तानी मन समझही तब ? कतको मनखे हवय जेन कोरोना गाइडलाइन के पालन नइ करके अपन अउ अपन संग दूसर के जिनगी ला घलो खतरा मा डारत हवय। इमन पूरा देश बर समस्या खड़ा करत हे, अउ सबके प्रयास ला पलीता लगाय के काम करत हे। कई घव तो अइसन लगथे की इमन किरिया खा लें हवय कि हमन ल तो सुधरनाच नइ हे। बिना मास्क के अउ बेवजह घूमना, सामाजिक दूरी अउ सेनेटाइजिंग नइ करना आखिर का चाहत हे लोगन ..? जब तक समाज के मनखे जागरूक नइ होही तब तक कोनो भी गंभीर समस्या के हल निकालना संभव नइ हे।

           राजनीतिक दल के नेता मन ल अपन राजनीति चमकाय ले फुरसत नइ हे। आरोप प्रत्यारोप बर येकर ले बढ़िया मौका अउ का हो सकत हे। रोज नवा नवा मुद्दा ले के एक दूसर के ऊपर छींटाकशी रोजमर्रा के काम होगे हवय। कई राज्य मा धडल्ला से चुनाव होवत हे जेमा कोविड नियम के धज्जी उड़ाय जात हे। इमन ल अइसे लागत होही मानो चुनाव के होवत ले कोरोना कोनों राज्य म जाबेच नइ करय। नेता मन के रैली ल देख के कोरोना डरा जथे का..? नेता मन ल चाही कि मानवता के नाते ओमन भी चुनाव के होवत ले कोविड नियम के पूरा पालन करयँ काबर कानून केवल आम आदमी बर नइ होवय देश के हर मनखे बर समान रुप से लागू होना चाही।


*अजय अमृतांशु*

भाटापारा ( छत्तीसगढ़ )

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