Thursday 5 August 2021

टिप्पणी

 टिप्पणी 

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     हिंदी , छत्तीसगढ़ी अउ  बंगला के कई ठन समूह संग जुरे हंव त होत बिहान ले आधा रात तक बहुत अकन पोस्ट पढ़े बर मिल जाथे । सबो ल पढ़े के समय नइ मिलय त बहुत अकन पोस्ट बर बिहाव , जनमदिन , किताब / रचना प्रकाशन , सनमान पत्र  त मरनी हरनी के घलाय रहिथे ..जथा जोग निपटाथंव सिरतो कहवं त बिन पढ़े डिलीट घलाय कर देथवं ..। 

फेर साहित्यिक पोस्ट ..वाह ..मन मोह लेथें जी ..जीव जुड़ा जाथे । किताब पोथी , पत्र पत्रिका बिसाये , उधार मांगे के जरूरते नइ परय दूसर बात घर नइ भरय । नानकुन घर कतेक किताब उताब समाही तेकर ले जीव बांचीस ...। 

  समूह मं आये रचना मन तो बने लागबे करथें फेर बुधियार पढ़इया , लिखइया मन के लिखे टिप्पणी मन ल पढ़ के आंखी उघर जाथे । एके विषय वस्तु ल आने आने मनसे अपन अपन नजरिया से पड़थे ओइसनहे लिखथें भी ...धीरे धीरे महूं टिप्पणी लिखे बर सीखत हंव ..। 

फेर ...बढ़िया , बड़ सुग्घर , शानदार , अति उत्तम एसनहे टिप्पणी मन ल पढ़ के मूड़ ल भीथिया मं  ठोंक देहे के मन होथे काय करबे भिथिया के तो कुछु नइ बिगड़य अपने मूड़ फूटही तेकर ले छोड़ देथंव । सबले फायदा के बात के आने मन के टिप्पणी पढ़ के महूँ सीखत हंव दूसर बात के  

बहुत अकन नवा नवा जानकारी इही पुरौनी टिप्पणी मन से मिल जाथे । 

अब जाने पाये हंव के टिप्पणी लिखना हर भी कम मेहनत , कम होशियारी के बात नोहय । 

 जेहर जतके जादा अध्ययन करे रहिथे ओकर टिप्पणी हर ओतके गम्भीर होथे । नवा नवा विचार जाने सुने बर मिल जाथे । 

   सरला शर्मा

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