Thursday 5 August 2021

छत्तीसगढ राजभाषा आयोग ले मोर अपेक्षा //*

 *//छत्तीसगढ राजभाषा आयोग ले मोर अपेक्षा //*

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     विगत चार दिन ले छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर साहित्यिक वाट्सएप पटल म बहुत महत्वपूर्ण विषय -" छत्तीसगढ राजभाषा आयोग ले मोर अपेक्षा" के संबंध म विमर्श जारी हवय,ये विमर्श म कई साहित्यकार मन खूब सुग्घर अउ उपयोगी विचार लिख के पटल म भेजीन हवंय,हिरदय ले साधुवाद |

      *सब ले पहिली -"छत्तीसगढ़ या छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग" के संबंध म एक निष्कर्ष तय करना जरूरी हवय | "छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कहना सही हवय ? " के  "छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग कहना सहीं हवय ?" कोई भी शब्द के हरेक मात्रा के खूब महत्व होथे,एक मात्रा गड़बड़ होथे,तौ अर्थ के अनर्थ हो जाथे,कभी-कभी तो शब्द के अर्थ म जमीन-आसमान के अंतर हो जाथे, जैसे :- कोटा शब्द के "ओ"  मात्रा के बजाय "आ" लिखा जाथे, तव "काटा" हो जाथे ! जैसे:-- हिन्दी शब्द के "दी" के बजाय "द" लिख देहे ले "हिन्द" हो जाथे, अर्थात भाषा ला व्यक्त नहीं करके "स्थान/देश" ला परिभाषित करथे | तईसनेच "छत्तीसगढ़ी" शब्द के "ढ़ी" के बजाय "ढ़" लिख देहे ले "छत्तीसगढ़" हो जाथे, अर्थात "भाषा" ला व्यक्त नहीं करके "स्थान/राज्य" ला परिभाषित करथे*

     *तेकरे सेती मोर मति अनुसार -छत्तीसगढ़ राजभाषा नहीं, बल्कि "छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग ही होना चाही | कोनो भी मनखे या स्थान के नाम म एक मात्रा के अंतर या एक डाट ...के अंतर होए ले गूगल के सर्वर ह स्वीकार हरगिज  नइ करै या फिर "छत्तीसगढ़ के राजभाषा आयोग (करण कारक "के" प्रयोग ) होना चाही* |

      *सब से महत्वपूर्ण बात हवय- गूगल के सर्वर म "छत्तीसगढ़ भाषा" ला सर्च करबो,तव का दिखाई देही ? हरगिज नहीं, जबकि "छत्तीसगढ़ी राजभाषा" सर्च करबो,तब खच्चित दिखाई देही,हालाकि गूगल सर्वर म कोई भी बात ला साफ्टवेयर इंजीनियर,प्रोग्रामर या फिर जानकार मनखे ही अपलोड करथैं,तव सहीं अपलोड होना चाही*

       *छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग कहे म सरगुजिहा,बस्तरिहा भाई मन सहमत होहीं के नहीं ? अईसन समस्या नहीं हवय | काबर के रायगढ़ से ले के राजनांदगांव,अउ सरगुजा से ले के बस्तर तक हम छत्तीसगढ़िया भाई मन एक हवन*

     *जैसे- राष्ट्र भाषा हिन्दी के सहयोगी उपभाषा-बघेली, बुंदेलखंडी,अवधी,ब्रज भाषा हवंय,तईसनेच "राजभाषा छत्तीसगढ़ी" के सहयोगी -कुडुक,सादरी ,गोंडी,हल्बी ला पूरा सम्मान सदैव मिलही*

      *२८ नवंबर/२००७ के दिन "छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग संबंधी विधेयक सर्वसम्मति से पारित होईस,तब से ले के छत्तीसगढ़ी साहित्य के हर विधा म लेखन अउ प्रकाशन म तेजी आए हवय,साथ ही उच्च स्तरीय साहित्य सृजन होवत हवय*

    *छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के उद्देश्य :- १. राजभाषा ल संविधान के ८वीं अनुसूची म शामिल करवाना | २. छत्तीसगढ़ी भाषा ल राज-काज के भाषा के रूप में उपयोग मे लाना, ३. त्रिभाषायी भाषा के रूप म शामिल करवाना, इंकर अलावा "माई कोठी" अउ"बीजहा" योजना घलो संहराए लाईक हवंय*

     * *छत्तीसगढ़ राजभाषा  आयोग के उद्देश्य/लक्ष्य ह तभे सफल होही,जब सरकार ह अन्य महत्वपूर्ण विभाग के क्रियान्वयन बर जैसे करोड़ों, अरबों-खरबों रूपीया के बजट  आबंटित करथें, तईसनेच भरपूर बजट स्वीकृत करही,लेकिन साहित्य,कला, संस्कृति के उन्नयन अउ विकास बर सरकारी बजट "ऊंट के मुंह में जीरा के समान रहिथै,अर्थात "तैं खड़े रह,मैं आवत हौं" कथन चरितार्थ होथे,तऊन बहुत दुखद बात आय*! 

     *भाषा, साहित्य, संस्कृति के संरक्षण अउ संवर्धन बर सरकार ला अन्य अति आवश्यक सेवा विभाग के भावना से काम करना चाही | भाषा, साहित्य,कला, संस्कृति के विकास होही,तब राज्य ह स्वयं विकसित अउ गौरवान्वित होही | प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर जी ह छत्तीसगढ के साहित्य,कला, संस्कृति ला दुनिया के कई देश म प्रस्तुति दे के लोकप्रिय अउ गौरवान्वित बनाईस, पद्मश्री स्व. देवदास बंजारे के पंथी नृत्य, पद्मविभूषण डाक्टर तीजन बाई के पंडवानी गायन हा दुनिया भर में खूब लोकप्रिय होईस,ढोला-मारू,लोरिक-चंदा,भरथरी,कर्मा,ददरिया,सुवा नृत्य ह देश-विदेश म खूब लोकप्रिय हवय*

      *तईसनेच छत्तीसगढ़ी साहित्य के देश-विदेश म एक विशिष्ट पहचान होना चाही, लोकप्रिय होना चाही,तब "छत्तीसगढ़ी राजभाषा ह संविधान के 8वीं अनुसूची म स्वमेव जघा बना लेही | छत्तीसगढ़ी साहित्य बर लिपि के समस्या बिल्कुल नहीं है,साथ ही  उल्लेखनीय विशिष्ट साहित्य सृजन होवत जाही,तब मानकीकरण भी स्वमेव होवत जाही*

      *एक महत्वपूर्ण प्रयास करना जरूरी हवय-छत्तीसगढ म जत्तेक कम्प्यूटर,लेपटाप, मोबाईल उपयोग म लाए जाथे,ऊंकर बिक्री के पहिली से ही साफ्टवेयर म छत्तीसगढ़ी डिक्शनरी,व्याकरण,हाना इत्यादि अपलोड कर देना चाही,एकर से छत्तीसगढ़ी साहित्य के सृजन अउ बोल-चाल म आश्चर्यजनक ढंग से सुधार होही,साथ ही कम्प्यूटर,लेपटाप, मोबाईल म छत्तीसगढ़ी भाषा म टाईप करे से डिफाल्ट हिन्दी शब्द स्वमेव आने-ताने टाईप हो जाथे,तऊन समस्या से निजात मिल जाही*

     *एक अउ महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहत हौं - छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अध्यक्ष, सदस्य के नियुक्ति दलगत राजनीति से पृथक होना चाही |  सिर्फ ०२ सदस्य "छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग म नियुक्त करें जाथे,तऊन संख्या ला बढ़ा के हर जिला म एक सदस्य के नियुक्ति होना चाही,तब  २८ जिला बर नियुक्त सदस्य मन अपन-अपन जिला के साहित्यकार लोककलाकार के सर्वांगीण विकास बर समर्पित भावना से काम करहीं,तब "छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग" के कामकाज हा सफल होही*

    *अन्य आयोग,मंडल, बोर्ड में सत्ता पार्टी के ब्यक्ति ला नियुक्त कर देथैं,जबकि साहित्य,कला, संस्कृति के उत्थान बर दलगत राजनीति से हट के योग्य व्यक्ति ला नियुक्त करना चाही*

    *साहित्यकार, लोककलाकार के आर्थिक सुधार करे बर पर्याप्त बजट स्वीकृत करना चाही, प्राथमिक, माध्यमिक कक्षा में मातृभाषा (दूध के बोली) छत्तीसगढ़ी माध्यम से ही पढ़ाई होना चाही, शिक्षक छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य में पारंगत होना चाही | अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में भी एक विषय छत्तीसगढ़ी अनिवार्य होना चाही |साहित्यकार लोककलाकार के उत्थान बर कल्याणकारी योजना जैसे:- बीमारी, दुर्घटना, मृत्यु के स्थिति में तत्काल आर्थिक सहायता मुहैया कराना चाही, साहित्यकार लोककलाकार ला यथायोग्य रोजगार के साथ ही पेंशन सुविधा उपलब्ध कराना चाही*

       *छत्तीसगढ़ी भाषा में बोलचाल शासकीय,अर्धशासकीय,निजी संस्थान के कार्यालय में अनिवार्य करना चाही | जैसे :- कोई उड़िया,बंगाली,गुजराती,मराठी, राजस्थानी,मलयालम,तेलगू,कन्नड़,तमिल भाषी लोगन अपन राज्य के लोगन से मातृभाषा में  ही बात करथैं,तईसने हम सब छत्तीसगढ़िया ला हाट-बाजार,बस स्टेंड, रेलवे स्टेशन,शापिंग माल,कस्बा,शहर में अपन भाषायी मनखे संग सिर्फ छत्तीसगढ़ी में ही बात करना चाही,तभे छत्तीसगढ़ी भाषा ह जन-जन के भाषा साबित होही*

      *छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के गठन होए लगभग साढ़े तेरह बच्छर हो गए हवय,लेकिन अपेक्षित उपलब्धि बहुत कम नजर आवत हवय | अभी हाल में ही छत्तीसगढ के कई मंडल, बोर्ड,आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य मन के नियुक्ति करे गईस हवय, लेकिन छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष, सदस्य के नियुक्ति करे बर का दिक्कत होवत हे ? समझ से परे हवय ? यथाशीघ्र योग्य व्यक्ति ला नियुक्त करना चाही*

      *आखिर म भारतेंदु हरिश्चंद्र जी के लिखे दोहा के उल्लेख करना चाहत हौं :-*


*निज भाषा उन्नति अहै*

*सब उन्नति को मूल*

*बिन निज भाषा ज्ञान के*

*मिटत न हिय की सूल*



*गया प्रसाद साहू*

  "रतनपुरिहा"

(कवि, लेखक, गीतकार एवं गायक)

मुकाम व पोस्ट-करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग.)


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