Monday 16 August 2021

सुरता- स्व. श्री महेंद्र देवांगन माटी जी*

 सुरता माटी जी- भावांजलि(छंद के छ परिवार)








 *सुरता- स्व. श्री महेंद्र देवांगन माटी जी*

माटी ल शत शत नमन,

छंद के छ परिवार म आय के बाद माटी जी ले मोर घनिष्टता बाढ़िस, येखर पहली माटी जी ल ज्यादातर पेपर म पढ़ँव, माटी जी के गद्य नही ते पद्य लगभग सबे पेपर म पढ़े बर मिल जावय। कोरबा म जब राजभाषा आयोग के 5वा प्रांतीय सम्मेलन होय रिहिस, त उंहे उन मन ले मुलाकात होय रिहिस। माटी जी मंच के नीचे बइठे बइठे घलो कविता लिखत दिखे, आयोजक मंडल म होय के कारण व्यवस्थापक म मोरो नाम रिहिस, त अउ करीब आय के मौका मिलिस, हालचाल अउ बातचीत करत मैं पूछेंव- आप के कविता कहानी मैं पेपर मन म् पढथे रहिथंव, का अइसन करे बर रोज लिखेल लगथे? त माटी जी मुस्कावत  किहिस, नही जी जेखर जइसन शौक ? मोला साहित्य लिखना बड़ भाथे, जब भी समय मिलथे मोर थैली के डायरी पेन हाथ म आ जथे, अउ मन के भाव डायरी के पन्ना म। मैं बहुत प्रभावित होय रेहेंव, माटी जी के समर्पण ल नमन करत बिदा लेय रेहेंव। तेखर बाद छंन्द  परिवार के सदस्य के रूप म माटी जी छंद समूह म जुडिस अउ छंद सीखिस। चूंकि मैं पहली जुड़े रेहेंव त, माटी जी मोला गुरु कहिके मान देवय, फेर मैं ओला सर कहँव। माटी जी पहली ले लिखे म पारंगत रिहिस, तेखर सेती ओला जादा महिनत छंन्द सीखे म नइ लगिस। एक बेर विधान धरे ताहन बिगन गलती के धड़धड़ धड़धड़ कविता गढ़े। तुरते ताही(समसामयिक, आसू) लिखे म माटी जी अघवा रहय, सबे विषय म झट झट कलम  चलावय। छंन्द परिवार के दिवाली मिलन समारोह कबीरधाम म अंतिम दर्शन होय रिहिस, उंहे ओखर पुस्तक के विमोचन मोला अच्छा से याद हे, मोला पुस्तक घलो दे रिहिस, उंहे बढ़िया काव्य पाठ घलो करे रिहिस। माटी जी कम समय म् बड़ अकन साहित्य गढ़ डरे रिहिस, उनला साहित्य के कोठी ल लबालब करे बर अउ रहना रिहिस, फेर दुखद,,,विधाता उन ल अपन तीर बुला लिस। माटी जी अपन लिखे गीत, कविता, कहानी लेख के माध्यम ले अउ अपन व्यक्त्वि ले सदा अमर हे। माटी जी कोरबा सम्मेलन के बाद मोर फेसबुक फ्रेंड बनिस, अउ आजो हे। नोनी प्रिया ह, वो नम्बर ल चलात हे, मैं नाम ल बदले नइ हँव, फेसबुक  वाट्सअप म अभो घलो नोनी के कोनो पोस्ट आथे  त माटी जी सउहत हे तइसे लगथे, अउ सोचथंव त आँखी नम हो जथे। माटी जी के साहित्यिक लगन अउ सक्रियता वन्दनीय हे। एक घाँव अउ माटी जी ल शत शत नमन।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

कोरबा

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: *जमीन ले जुड़े मनखे रिहिन महेंद्र देवांगन ‘माटी' जी* 


मोर महेंद्र देवांगन ‘माटी' जी संग पहिली मुलाकात यादगार रिहिस हे। कबीरधाम मा आयोजित छंद के छ परिवार के स्थापना दिवस समारोह मा उनकर कृति ‘तीज 

-तिहार अउ परंपरा’ के विमोचन होइस ता ‘माटी' जी बहुत खुश नजर आवत रिहिन। अपन सबो छपे किताब मन के प्रति सबो अतिथि मन ला भेंट करत रिहिन । ‘माटी' जी जइसे बड़े साहित्यकार हा जब मोर तीर आइन अउ अपन किताब ‘माटी के काया’ के प्रति मोला भेंट करिन ता मोर खुशी के ठिकाना नइ रिहिस। किताब देके बेर उन हा मोला किहिन “चंद्राकर जी मोर किताब के बारे मा आपमन के प्रतिक्रिया के अगोरा रइही।” मे केहेंव “हव सर जी! पढ़के प्रतिक्रिया लिखे के प्रयास करहूँ।” ता ‘माटी’ जी हा मोला कहिन “चंद्राकर जी, आपमन बेबाक समीक्षा लिखहू, ज्यादातर मनखे मन बस तारीफ़ करथें। किताब मा का कमी रहिगे येला नइ बतावँय। आप ला कुछु कमी नजर आही ता बताहू। सीखेबर मिलही। मँय अगला संस्करण मा कमी मन ला सुधार के प्रयास करहूँ।" मोला उनकर ये बात बड़ा प्रभावित करिस। ‘माटी’ जी हा जेन ढंग ले मोर संग गोठ-बात करिन हे ओकर ले मोला उनकर व्यक्तित्व ला जाने मा देर नइ लागिस। साहित्य के क्षेत्र मा एक मुकाम हासिल करे के बाद भी उनकर अंदर सीखे के गजब के ललक रिहिस। अपन ‘माटी' उपनाम ला सार्थक करत जमीन ले जुड़े मनखे रिहिन। सबके मदद करइया, व्यवहार कुशल अउ मीठ बोलइया एक सच्चा साहित्यकार रिहिन।

स्थापना दिवस समारोह के समापन के बाद उनकर साथ साहित्य के बारे मा जे चर्चा होइस वहू हा मोर जइसे नवरिया लिखइया बर संजीवनी बूटी ले कम नइ रिहिस। ‘माटी' जी हा सरल, सरस भाषा शैली मा कविता लेखन के पक्षधर रिहिन। उनकर कहना रिहिस हम ला अइसे लेखन करना चाही जेला पाठक आसानी ले समझ जाये।

ओ मुलाकात के बाद ‘माटी' संग मोबाइल मा बीच बीच मा बात होवत रिहिस। अउ मोला हर बार उनकर ले कुछ न कुछ नवा सीखे बर मिलिस। नवा लिखइया मन ला रद्दा दिखइया, अउ समर्पित छंद साधक महेंद्र देवांगन ‘माटी’ जी आज हमर बीच भले नइ हे फेर अपन रचना के माध्यम ले हमेशा हमर साथ हें। प्रथम पुण्यतिथि मा महान साहित्यकार महेंद्र देवांगन ‘माटी’ जी ला शत शत नमन। 

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श्लेष चन्द्राकर,

छंद के छ सत्र - 09

खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा,

महासमुंद (छत्तीसगढ़)

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: "सुरता"...... महेन्द्र देवांगन माटी 


माटी के ये देंह ला, करे जतन तैं लाख।

उड़ा जही जब जीव हा, हो जाही सब राख।।1।।

का राखे हे देंह मा, काम तोर नइ आय ।

माटी के काया हरे, माटी मा मिल जाय।।2।।

  

         दोहा के ये कथन छत्तीसगढ़ी के युवा छंदकार महेन्द्र देवांगन माटी के आय जउन अपन माटी के काया ला माटी मा छोड़ के पंचतत्व मा विलीन होगे ।

         सहज,सरल,मृदुभाषी स्व. महेंद्र देवांगन माटी जी के जाना छत्तीसगढ़ी साहित्य बर अपूरणीय क्षति आय। 16 अगस्त 2020 के हमन अइसन हस्ताक्षर ल खो देन जेन छत्तीसगढ़ी साहित्य ल समृद्ध करत रहिन अउ अवइया दिन मा घलो छत्तीसगढ़ी साहित्य ल बहुत कुछ दे के जातिन। साहित्य के क्षेत्र मा माटी जाना पहिचाना नाम रहिन अउ अपन अलग पहिचान बनाइन। बीते डेढ़ दशक से भी जादा समय से उमन प्रदेश के अखबार अउ पत्र पत्रिका मा छाये रहिन। उँकर हिन्दी रचना के प्रकाशन देश के विभिन्न समाचार पत्र मा होवय। गद्य अउ पद्य दुनों म माटी जी समान रूप से लिखत रहिन। 

            अब तक उँकर तीन कृति प्रकाशित होय रहिस- 1. पुरखा के इज्जत, 2. माटी के काया

3. हमर तीज तिहार (अंतिम कृति) ।  छन्द के छ से जुड़े माटी जी सत्र- 6 के साधक रहिन अउ लगभग 50 प्रकार के छन्द के जानकार रहिन।  माटी जी से छन्द के कक्षा मा रोजिना भेंट होवय। अभी 1-2 महीना से उमन कक्षा मा नइ आ पात रहिन,पूछेंव त बताइन कि स्कूल के ऑनलाइन क्लास के कारण व्यस्तता बाढ़ गे हवय। लेकिन उँकर शारीरिक अस्वस्थता के कहीं कोई जिक्र नइ रहिस। फेसबुक मा लाइव टेलीकास्ट के लिए दीपक साहू अउ मैं उँकर से 20-25  दिन पहिली वीडियो कान्फ्रेंसिंग मा गोठ बात करे रहेन तब भी ये अंदाजा नइ रहिस कि माटी जी हम सब ला अतका जल्दी छोड़ के चल दिही। लेकिन सच्चाई इही हे कि माटी जी हम सब ला छोड़ के परमधाम चल दिन ।

         अइसन कोनो बिषय नइ होही जेमा माटी जी के कलम नइ चले रहिस होही। उँकर कलम निरंतर चलते रहय। देश, समाज म व्याप्त बुराई उपर माटी जी तगड़ा प्रहार करँय। साधु बनके समाज ल लूटने वाला बहरूपिया मन ला माटी जी बनेच लताडिन । येकर बानगी उँकर मत्तगयंद सवैया मा दिखथे-


साधु बने सब घूमत हावय डार गला कतको झन माला ।

लूटत हावय लोगन ला सब फंस जथे कतको झन लाला।

हाथ भभूत धरे चुपरे मनखे मन के घर डारय जाला।

लूट खसोट सबो जग होवत रोकय कोन बतावँव काला।।


एक सच्चा साहित्यकार वो होथे जेन समाज ल जागृत करे के काम करथे। समाज मा व्याप्त कुरीति उपर मा माटी जी के शानदार कुण्डलिया -


आये पीतर पाख हा, कौआ मन सकलाय ।

छानी ऊपर बैठ के, बरा भात ला खाय ।।

बरा भात ला खाय, सबो पुरखा मन रोवय ।

जींयत भर तरसाय, मरे मा पानी देवय ।।

राँधय घर मा आज, बरा पूड़ी ला खाये ।

कइसन हवय विधान, मरे मा पीतर आये ।।


पर्यवारण संरक्षण उपर माटी जी के कई कविता अउ छन्द मिलथे । वाम सवैया मा पर्यवारण के प्रति उँकर चिंतन देखव -


भरे तरिया अब सूखत हे कइसे सब प्राण बचाय ग भाई।

करे करनी अब भोगत हे रुखवा सब आग लगाय ग भाई।

परे परिया अब खेत सबो जल के बिन धान सुखाय ग भाई।

करे कइसे सब सोंचत हे अन पान बिना दुख पाय ग भाई।।


छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तिहार "तीजा पोरा" के जीवंत चित्रण लावणी छन्द मा-


तीजा पोरा आ गे संगी, बहिनी सब सकलावत हे।

अब्बड़ दिन मा आज मिले हे, सुख दुख सबो बतावत हे।।

कइसे दिखथस बहिनी तैंहर,अब्बड़ तैं दुबराये हस।

काम बुता जादा होगे का,नंगत के करियाये हस ।।

फिकर करे कर तैं जादा झन,दीदी हा समझावत हे।

अब्बड़ दिन मा आज मिले हे,सुख दुख सबो बतावत हे।।


अपन कविता मा स्वदेशी के नारा ल माटी जी बुलंद करँय -

माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव ।

चाइना माल के चक्कर छोड़ो, स्वदेसी ल अपनावव।


बेटी के सपना ला माटी रोला छन्द मा लिखथें- 


बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी।

करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी।

कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ।

मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ।


निधन के ठीक एक दिन पहिली माटी जी आजादी के ऊपर अपन रचना फेसबुक मा पोस्ट करे रहिन वोकर कुछ अंश देखव -


चन्द्रशेखर आजाद भगतसिंह,भारत के ये शेर हुए।

इनकी ताकत के आगे, अंग्रेजी सत्ता ढेर हुए ।।

बिगुल बज गया आजादी का, वंदे मातरम गायेंगे ।

तीन रंगों का प्यारा झंडा, शान से हम लहरायेंगे ।।


           साहित्यकार अपन कृति के माध्यम ले हमेशा अमर होथे। वो केवल अपन माटी के काया ला छोड़ के जाथे। अइसने महेन्द्र देवांगन माटी भी अमर हवय। उँकर रचे साहित्य आजीवन उँकर सुरता देवाही अउ जब जब छत्तीसगढ़ी साहित्य के बात होही उँकर नाव सम्मान के साथ ले जाही। 


*16 अगस्त 2021 प्रथम पुण्यतिथि म माटी जी नमन*


अजय अमृतांशु

भाटापारा

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.माटी जी के पहिली पुण्य तिथि म वोला शत शत नमन


माटी के रचनाकार : स्व. महेन्द्र देवांगन 

  आज छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी मा समान रुप ले लिखइया कवि, गीतकार, शिक्षक स्व. महेन्द्र कुमार देवांगन "माटी " के पहिली पुण्य तिथि हे. जब 16 अगस्त 2020 मा फेसबुक अउ व्हाट्सएप मा एक शोक समाचार चले ला लगीस कि जाने माने कवि, गीतकार, छंद साधक अउ शिक्षक श्री महेन्द्र कुमार  माटी हा हमर बीच मा अब नइ हे ता कोनो ला बिश्वास नइ होत रीहीस हे. पर धीरे धीरे श्रद्धांजलि के पोस्ट के संख्या हा बाढ़त जात रीहिस हे.  विधि के विधान के सामने हम सब मन नतमस्तक हो गेन. कोनो ला एको कनक विश्वास नइ होय कि माटी जी हा अचानक ये दुनियां ला छोड़ दीस काबर कि वोहा 15 अगस्त 2020 मा अपन स्कूल शासकीय प्राथमिक शाला डोमसरा विकासखंड़ पंडरिया(कवर्धा) मा सुग्घर ढंग ले ध्वजारोहण करे रीहीस हे. येला फेसबुक मा घलो पोस्ट करे रीहीन हे. 

ये वो समय रीहीस जब माटी जी के प्रतिभा हा पूरा ऊफान मा रीहीस हे. वोहा छत्तीसगढ़ी के सँगे सँग हिन्दी मा घलो बरोबर ढंग ले लिखत रीहीस हे. उँकर रचना अउ लेख हा कतको अकन पत्र पत्रिका मा प्रकाशित होत रीहीस हे. शोसल मीडिया मा खूब 

छाय राहय. कवि सम्मेलन मा घलो गजब चलत रीहीस हे. 

     परम पूज्य गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी द्वारा स्थापित" छंद के छ " मा वोहा सत्र - 6 के साधक रीहीस हे. जब छंद साधक के रुप मा जुड़िस ता वोकर प्रतिभा मा अउ निखार आय लगगे. छंद के छ ले जुड़े के प्रभाव वोकर लेखन मा स्पष्ट झलकत रीहीस हे. वोहा अब्बड़ सुग्घर ढंग ले छंदबद्ध रचना शोसल मीडिया मा पोस्ट करे अउ कतको साहित्यिक पत्रिका मन मा प्रकाशित होय.


   जीवन परिचय -


   महेन्द्र कुमार देवांगन माटी के जनम  6 अप्रैल 1969 मा गरियाबंद जिला के बोरसी गाँव मा साधारण किसान परिवार होय रीहीस हे. वोकर पिता जी के नाँव थानू राम देवांगन अउ महतारी के नाँव नित कुंव देवांगन  हे.  आप मन के पिता जी हा कपड़ा बेचे के घलो काम करय. प्राथमिक शाला मा पढ़ई के समय ले वोकर रुचि गीत अउ कविता प्रस्तुत करे मा राहय. वोहा कम उम्र मा रचना लिखे के चालू कर दे रीहीस हे. उंकर शिक्षा के बात करन ता हिन्दी साहित्य अउ संस्कृत साहित्य मा एमए, अउ बीटीआई करे रीहीस हे.  


    नौकरी 


2008 मा उंकर नियुक्ति शिक्षा कर्मी वर्ग - तीन मा कवर्धा जिला के पंडरिया विकासखंड के शासकीय प्राथमिक शाला डोमसरा मा होइस . 1 जुलाई 2018 मा वोहा शिक्षा विभाग मा सहायक शिक्षक (एल. बी.) मा संविलियन होय रीहीस हे. देहावसान तक वोहा डोमसरा स्कूल मा ही सेवा देत रीहीस हे. श्रद्धेय माटी जी के जीवन सँगिनी के नाँव मंजू देवांगन हे.  वोकर  एक बेटा अउ एक बेटी हवय. वोकर बेटा के नाँव श्री शुभम देवांगन हे जउन हा माटी जी के देहावसान के बाद कवर्धा जिला मा अनुकम्पा नियुक्ति करत हवय.बेटी  प्रिया देवांगन हा कॉलेज के पढ़ई कर डरे हे. प्रियू बिटिया हा "छंद के 


छ" मा सत्र -13 के साधिका हवय. सुग्घर ढंग ले माटी जी के साहित्य विरासत ला आगू बढ़ावत हे.


साहित्य समिति मन ले संबद्ध 


माटी जी हा त्रिवेणी संगम साहित्य समिति राजिम, भोरमदेव साहित्य सृजन मंच कवर्धा, छंद के छ परिवार छत्तीसगढ़, आरुग चौरा परिवार छत्तीसगढ़, "कलम के सुगंध "छंद शाला ,कला परम्परा भिलाई, छत्तीसगढ़ कलमकार मंच भिलाई के सक्रिय 

सदस्य रीहीस हे. 

  

प्रकाशित किताब 


माटी जी जमगरहा रचनाकार रीहीस. लगातार साधनारत रहीके लिखत राहय. उंकर प्रकाशित किताब मा काव्य संग्रह "माटी के काया" 2015 मा प्रकाशित होय रीहीस हे." पुरखा के इज्जत" अउ "तीज - तिहार  अउ परंपरा " घलो छपीस हे.


   साहित्य सम्मान 


माटी जी हा लेखन मा अब्बड़ सक्रिय राहय. वोकर साहित्य साधना ला देखत कतको साहित्य समिति अउ संगठन मन सम्मानित करीस हे. जेमा  24 सितंबर 1994 मा संगम साहित्य समिति नवापारा राजिम ,साहित्य बुलेटिन नई कलम द्वारा राज्य स्तरीय प्रतिभा सम्मान (14 सितंबर 2014), भारतीय दलित साहित्य अकादमी धमतरी द्वारा महर्षि बाल्मीकि सम्मान (8 अक्टूबर 2014), छत्तीसगढ़ क्रान्ति सेना द्वारा सम्मान,  2015 मा छत्तीसगढ़ के पागा सम्मान, कलम साहित्य सम्मान नवागढ़ 2015, सिरजन लोक कला एवं साहित्य संस्था द्वारा बेमेतरा में सम्मान 2015,  छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना द्वारा  1 नवंबर 2016 मा "जबर गोहार " सम्मान रायपुर मा,  21 दिसंबर 2016 मा पंडित सुन्दर लाल शर्मा साहित्य उत्सव समिति द्वारा सम्मानित, सगुन चिरइया सुरतांजलि साहित्य सम्मान (13 अक्टूबर 2017), छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा 21 जनवरी 2016 मा बेमेतरा मा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित, छत्तीसगढ़ कलमकार मंच सम्मान 2018, राज रचना कला एवं साहित्य समिति द्वारा 16 मई 2016 मा सम्मानित, छंद के छ परिवार द्वारा  13 मई 2018 मा सिमगा मा सम्मान, मधु शाला साहित्य परिवार द्वारा साहित्य रचना सम्मान 2018,  2018 मा ही कृति कला एवं साहित्य परिषद् सीपत (बिलासपुर) द्वारा "कृति सारस्वत सम्मान, प्रजातंत्र का स्तंभ गौरव सम्मान हरियाणा (10 जनवरी 2019), राज पब्लिकेशन दुर्ग द्वारा साहित्य वीर अलंकार सम्मान, अउ जनवरी 2020 मा पुष्प गंधा प्रकाशन कवर्धा द्वारा नारायण लाल परमार सम्मान शामिल हे.


सरल अउ हंसमुख व्यक्तित्व के धनी 


 श्द्धेय स्व. माटी जी हा गजब सरल, सरस अउ हंसमुख व्यक्तित्व के धनी रीहीस हे. छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के वार्षिक समारोह मा बिलासपुर, कोरबा, राजिम अउ बेमेतरा मा भेंट होय के सँगे सँग छत्तीसगढ़ कलमकार मंच भिलाई अउ भोरमदेव साहित्य सृजन मंच कवर्धा के स्थापना दिवस समारोह मा माटी जा सँग भेंट होय रीहीस हे. वोहा अब्बड़ मिलनसार रीहीस हे. जून 2019 मा आयोजित भोरमदेव सृजन साहित्य मंच कवर्धा के स्थापना दिवस समारोह मा उंकर से मोर आखिरी बार भेंट होय रीहीस हे. लोक संगीत सम्राट स्व. खुमान लाल साव जी ला समर्पित ये कार्यक्रम मा मँय हा पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा विकासखंड छुरिया के मोर सक्रिय सँगवारी अमृत दास साहू के सँग गे रहेंव. इहां समिति डहर ले जउन सँगवारी मन हमर स्वागत द्वार मा सम्मान करीन हे वोमा राम कुमार साहू, ईश्वर साहू आरुग, घनश्याम कुर्रे, मिनेश कुमार साहू जी के संग श्रद्धेय माटी जी हा घलो शामिल रीहीस हे. इही हा माटी जी सँग आखिरी भेंट रीहीस हे. वोकर बाद मँय हा दो तीन बार माटी जी सँग फोन मा बातचीत करे रहेंव. जब 16 अगस्त 2016 मा माटी जी के गुजर जाये के दु:खद खबर फेसबुक अउ व्हाट्सएप मा पढ़े ला मिलीस ता एको कनक बिश्वास नइ होइस कि माटी जी हा हमर बीच अब नइ हे. पर का करबे होनी ला कोन टारे हे  . वोकर निधन के खबर ला पढ़के आँखी हा डबडबागे.वोकर ले जउन भेंट होय रीहीस वो सब दिन अउ जगह हा आँखी के सामने दिखे ला लागिस .स्व. 

 माटी जी ला उंकर पहिली पुण्य तिथि मा शत् शत् नमन हे. विनम्र श्रद्धांजलि. 


        ओमप्रकाश साहू" अंकुर "

    छंद साधक, सत्र - 12

   सुरगी, राजनांदगॉव

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3 comments:

  1. स्व.महेंद्र देवांगन माटी जी ला शत् शत् नमन

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  2. माटी भइया ला शत शत नमन

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  3. स्व. महेंद्र देवांगन माटी भैया ला सादर नमन, अउ विनम्र श्रद्धांजलि।

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