Thursday 5 August 2021

छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग-खैरझिटिया

 छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग-खैरझिटिया


                       छत्तीसगढ़ राज बने के बाद, छत्तीसगढ़ी के बढ़वार बर छत्तीसगढ़ी राज भाषा आयोग के बनना हम सब छत्तीसगढ़िया मन बर बड़ गरब के बात आय। राजभाषा आयोग ले, सिरिफ छत्तीसगढ़ी म लिखइया पढ़इया लेखक - कवि मनके ही नही बल्कि जम्मो छत्तीसगढ़िया मनके आसा बँधाय हे। अपन बोली अपन भाँखा के बढ़वार कोन नइ चाहही। जइसे हमर भारत वर्ष के अन्य भाँखा आठवी अनुसूची म शामिल हे, वइसने छत्तीसगढ़ी भाषा घलो मान पावय। लेखक कवि मन जेन भी भाँखा में पढ़थे लिखथे वो भाँखा के सँवाहक होथे, वोमन भाँखा के दस्तवेजीकरन म महत्वपूर्ण भूमिका अदा करथें, उन मन ला आयोग, परख के बरोबर बढ़ाये, ताकि हमर भाँखा म घलो उत्कृष्ट साहित्य दुनिया के आघू परगट होय। वैसे तो छत्तीसगढ़ी म तइहा जमाना ले साहित्यकार मन लिखत आवत हें, फेर छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद बनेच कवि लेखक मन ये बूता म लगे हे। कतको मन आत्म सन्तुष्टि बर, त कतको मन अपन अन्तस् के उदगार ल, त कतको मन लिख सकथन कहिके लिखत हे, उन सबला उचित मार्गदर्शन देके छत्तीसगढ़ी म कालजयी सृजन करवाये के बीड़ा आयोग ल उठाना चाही। 

            *आयोग छत्तीसगढ़ शासन के अभिन्न अंग आय जेन महतारी भाँखा के बढ़वार बर बने हे, अइसन म साहित्यकार मनके संगे संग समाचार पत्र अउ टीवी रेडियो म घलो छत्तीसगढ़ी पेज या फेर कार्यक्रम के सम्पादक-संयोजक मन ल घलो प्रोत्साहन देना चाही। राजभाषा आयोग ल साहित्यकार,सम्पादक, संयोजक अउ कलाकार सबला संग लेके चले बर पड़ही, तभे महतारी भाँखा दुनिया म मान पा पाही। राजभाषा आयोग साल भर छत्तीसगढ़ी भाँखा बर काम करथे, बड़े कार्यक्रम म  स्थापना दिवस अउ प्रांतीय सम्मेलन प्रमुख हे। संगे संग आयोग छत्तीसगढ़ भर म, छत्तीसगढ़ी बर समर्पित व्यक्त्वि मन ल जिला संयोजक के रूप म नियुक्त करे हे, जेन प्रशंसनीय हे। का अउ कइसे म महतारी भाँखा के माथ उपर होही, तेखर ऊपर सतत विचार गोष्ठी, जानकार मन ल सँघर के होते रहना चाहिये। आयोग साहित्यकार मनके पुस्तक  छपवाये बर अनुदान घलो देथे, जेन उम्दा उदिम आय, तभो जिहाँ राजभाषा आयोग के ठप्पा लगे उहाँ साहित्य के स्तर ऊपर काम जरूरी हे। शब्द, मात्रा, यति गति के संगे संग भावपक्ष अउ कलापक्ष ल घलो सँवारे के बूता करेल लगही।*

                राजभाषा आयोग सतत रूप ले महतारी भाँखा के बढ़वार बर बूता करत आवत हे, अउ आघू घलो करही। *आयोग म भाँखा साहित्य के जानकार मन सदा मान पावय*, जेन मन आने लेखक कवि के उदगार ल समझ सके अउ उँखर मार्गदर्शन कर सके, महतारी भाँखा बर समर्पित व्यक्त्वि अपन कस सिपाही सदा खोजते रहे। आयोग के सार्थक प्रयास ले छत्तीसगढ़ी कला साहित्य खूब फलही फुलही, अउ आठवी अनुसूची म मान पाही।

                महतारी भाँखा *सिरिफ गाँव के भाँखा झन रहे, शहर, दफ्तर ,स्कूल,कालेज अउ अस्पताल म घलो चले।* रोजगार के संग जुड़े, आन राजकीय भाँखा कस हमर महतारी भाँखा ल पढ़इया-बोलइया अउ जनइया ल घलो रोजगार मिलै। हल्बी, गोड़ी, सदरी, कुडुख अउ कतको कन भाषा हे, कहिके राजभाषा खुल के छत्तीसगढ़ी बर नइ बढ़ पावत हे, तहू सोचनीय हे, हमर महतारी भाँखा हिंदी कस संकट म फँसे दिखथे, फेर गोड़ी-गोड़ जनजाति, हल्बी-हल्बा जनजाति मनके भासा आय, जे संख्या बहुल जादा घलो हे, एखरो हल आयोग ल निकाले बर पड़ही, फेर पूरा छत्तीसगढ़ ल एक सूत्रीय भाषा म बाँधे बर यदि कोई भाषा हे ,त छत्तीसगढ़ी।

                  सबले बड़े खुशी के बात लोकाक्षर परिवार म सुशोभित *डाँ अनिल भतपहरी साहेब,* जेन भाँखा संस्कृति बर समर्पित हे, उन मन आयोग के सचिव के रूप म महतारी भाँखा के सेवा अउ बढ़वार के बीड़ा उठाये हे। सर जी के अघुवाई म महतारी भाँखा बिकट मान पाही। *वइसे तो मोर लिखे उक्त सबे बात ल आयोग बने ढंग ले बरोबर साधत आवत हे, तभो विषयानुरूप लिखे बर लगिस।* कुछु आन लिख परे होहूँ त, छोट लइका समझ के समझाये के कृपा करहूँ,,।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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