टिप्पणी -सरला शर्मा
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सोशल मीडिया के आये ले पहिली भी टिप्पणी / प्रतिक्रिया देहे जात रहिस । टिप्पणी कहे ले पहिली बात मन मं आथे आफिस के फाइल मन ऊपर लिखे कामकाज के टिप्पणी जइसे तुरंत कार्रवाई , अग्रेषित आदि ।
तइहा दिन मं कोनो पोथी , पत्रा ऊपर टिप्पणी करे जावय ताकि लोगन ल विषय वस्तु ल समझे मं सुविधा हो सकय जेला संस्कृत मं भाष्य , भाषा टीका कहे जाथे एतरह के टिप्पणी ल व्याख्या भी कहे जाथे । एहर टिप्पणी के आदि स्वरूप आय जइसे पाणिनि के सूत्र मन के पतंजलि के भाष्य । हिंदी मं लाला भगवान दास के तुलसी दास के रामचरित मानस के भाषा टीका ।
आलोचना हर भी बड़का टिप्पणी च तो आय फेर ये विधा के संज्ञा रूप हर चिटिक भोथरा गिस अउ क्रियापद रूप हर चले लागिस जेकर से टिप्पणी हर कमी बेशी ल उजागर करे के माध्यम बन गिस लोगन आपसी कसा कसी के कारण सिरिफ कमी डहर धियान देहे लगिन ।
अइसन समय मं बुधियार लिखइया मन टिप्पणी मं गुन - दोष , कमी- बेशी सबो डहर धियान देके टिप्पणी करे लगिन जेहर समालोचना के नांव से जाने गिस । तभो टिप्पणीकार मन ल कुछ कमी दिखत रहिस त गुन दोष के सम्यक विवेचना ऊपर जोर देहे गिस एतरह समीक्षा के जनम होइस जेला आज हमन समीक्षा शास्त्र कहिथन फेर ये सबो के मूल तो टिप्पणी च हर आय ।
लोकाक्षर पटल मं एकर चर्चा गद्य के विधा मन के चर्चा करत समय आप सबो झन करे रहेव ।
कोनो भी कृति या रचना ऊपर टिप्पणी देवत समय असहमति , विरोध , सहमति आदि ल तार्किक ढंग से , प्रमाण सहित रखना चाही फेर एहर तो पत्र , पत्रिका , किताब लिखे के बेर काम आही फेर हमन ल तो ध्यान देना हे सोशल मीडिया मं प्रस्तुत विषय ऊपर टिप्पणी कोन तरह से करे जाय ?
पहिली बात के टिप्पणी संक्षिप्त रहय माने छोटकुन, नहीं त बाबू ले बहुरिया गरु वाला बात हो जाही । दूसर बात टिप्पणीकार के विचार सफ्फा सफ्फा विषय के गुन दोष के विवेचना कर सकय । तीसर बात सन्दर्भ , प्रसंग सहित टिप्पणीकार अपन विचार ल सरलग लिखय ।
वस्तु परक मूल्यांकन के संगे संग पक्ष विपक्ष दूनों के तर्क संगत , उदाहरण ,उद्धरण , परिणाम के ध्यान रखे जावय । सबले जरूरी बात के टिप्पणी मं सूक्ष्म विश्लेषण रहय फेर लोकहित ल ध्यान मं रखके कोनो मनसे , लेखक , विचारक ऊपर सरासरी अंगरी झन उठाये जाय ।
आजकल कई ठन पटल मं सटीक , सार्थक टिप्पणी मन ल संजो के रखे जाए लगे हे ।
साहित्य के नवा विधा मं चिट्ठी पत्री हर पत्र विधा के रूप मं त रोजनामचा हर डायरी विधा के रूप मं जघा पा गए हे अइसनहे सोशल मीडिया के चलते टिप्पणी हर भी एक दिन अपन जघा बना लेही । ओकर सबले बड़े कारण एहर बनही के आजकल सबो झन तीर समय के कमी हे , मोबाइल हर दिन भर के संगी बन गए हे जेकर छोटे , बड़े ग्रुप मं आये पोस्ट मन ल मनसे थोरको फुरसत मिलिस तहां पढ़ सकथे अउ तुरते ताही छोटकुन टिप्पणी देहे सक जाथे ।
धियान देवव के सारगर्भित टिप्पणी हर मूल विषय ल नवा विस्तार देथे ...अइसन टिप्पणी हर पाठक ल रुचथे त टिप्पणीकार के पहिचान भी बनथे अउ टिप्पणीकार के अध्ययन , चिंतन मनन के साखी होथे । बुधियार पढ़इया , लिखइया मन से मोर बिनती हे टिप्पणी देवत समय चिटिक सावधान रहंय ...।
सरला शर्मा
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