*गुरुमाता ममतामयी मिनी माता जी* *के सुरता*
जब भुँई मं कोनो अड़चन
आइस,
गुरु संतन मुख बात कहिन|
सत कारज सिरजाय खातिर कोनो सतपुरुस अवतार लिहिन ||
ए एक ठन विचार आए
का सहींच म अइसन होवत होही?
धरती म बहुत अकन महान जीव हंसा मन के जनम भइस |
हमन सुनत पढ़त आवत हवन |
एक ले बढ़ के एक महिमा हे|
कई वीर पुरुस वीर माता मन अपन नाम के निशान ए धरती म छोड़े हवँय|
आज हमन गुरु माता मिनी माता के पावन स्मृति ल ,जीवन चरित्र ल जाने के कोशिश करबो माता जी के जनम- 13 मार्च 1913 फागुन पुन्नी के मध्य रात्री म कांती मय आभा लेहे होइस| महंत बुधारी दास जी के घर म अँजोर होगे| दुनिया म होगे सोर....कोनो
सतलोक के किरपा आए हे|
माता जी के जनम असम म होइस|
*जनम स्थान- असम के नुवागाँव जिला के जमुनामुख गाँव म होय रहीस|*
माता- देवमती पिता बुधारी दास महंत
माता देव मती के पिता जी 1897 म घोर अकाल परे के कारन चाय बगानम काम करे बररोजी रोटी जिनगी जीये के विवशता म गइन| बिलास पुर के पंडरिया जमीदारीके सगौना के माल गुजार अघारी दास महंत जी दू बछर के दुकाल म अपन मालगुजारी छ छोड़ पलायन करिन|
प्रकृति के आए आपदा व झेले खातिर बिलास पुर के ठेकेदार के भरोसा करत अपन गाँव ले अपन अर्धांगिनी बुधियारिन अउ तीन बेटी चाउँरमति, देवमति और पारबती ल लेके बिलास पुर आगे|
बिलास पुर ले असम जाय बर रेल गाड़ी म बैठ के जावत रहँय| बीच रद्दा म बड़े बेटी संग छोड़ गइन| माता पिता मन छाती म पथरॎ लदक के
गंगा नदी म उंकर पार्थिव शरीर ल अरपन करिन|
असम पहूचत ले छोटे बेटी पारबती भी चलबसिन घात दुख के बोझ म महंत अघारी दास बियाकुल होके ब्रहमपुत्र नदिया म उंकर शरीर ल प्रवाहित करिन|
देव मती अउ अपन दूनो परानी चाय बगान जोहट क्षेत्र पहुँच गे|
चार पाँच बछर गुजरे बाद महंतीन बुधियारिन गुजर गे |बेटी
देव मति बिमार होगे इही समय म अघारी दास तको गुजर गे| देव मति के देख भाल पालन पोषण अस्पताल के नर्स मन करिन| बड़े होके देव मती के बिहाव बुधारी दास महंत संग होगे| इन दूनो के संतान मीनाक्षी के जनम फागुन पुन्नी के रात म होइस|
मीनाक्षी देवी ल घर म प्यार से मिनी मिनी कहे जावय|
मिनाक्षी बड़े होवत रहय वो कर पिता जी एक ल पढ़ाय- लिखाय के चिंता होय लगिस|
*शिक्षा* : असम के जमुनामुख जिला म चाय बगान के मालिक के सहयोग ले मीनाक्षी देवी के प्राथमिक शाला म नाव दर्ज होइस| माध्यमिक स्तर तक इँहे शिक्षा ग्रहण करिन| आप मन ल
असमिया, बंगला , अँगरेजी ,हिन्दी व छत्तीसगढ़ी के बहुत अच्छा ज्ञान रहिस|
मिनी जी बचपन ले ही कुशाग्र बुद्दी के गंभीर अंतर्मुखी बालिका रहिन|
पर अपन जहुँरिया नोनी मन के अगुवा रहिन|
पढ़त पढ़त सुराज के जानकारी होगे | अँगरेजी सरकार के शोषण अउ दमन के नीति ल जाने लगिन 1920 के आस पास स्वदेशी आंदोलन के प्रभाव मिनाक्षी ल घलो होगे| उही समय ले खादी कपड़ा धारण करे लगिन| सौम्य और सुशांत मनी मीनाक्षी विदेशी वस्त्र के होली तको जलाइन|
राष्ट्रीय आंदोलन के सुराग बंगाल असम प्रांत मन म सुलगे लगिस|
मिनी जी के किशोरा पन ले युवा पन म पदार्पन होगे|
*छत्तीसगढ़ म माता जी के आगमन*
सन् 1932 म सतनाम पंथ के चौथा वंश धर्म गुरु, गुरुगोसाई श्री अगम दास जी सतनाम धर्म के प्रचार खातिर असम गइन | असम के जोरहाट क्षेत्र के चाय बगान म काम करवइया बहुत झन मनखे छत्तीसगढ़ ले पलायन कर के काम करे बर आए रहिन | और बहुत से परिवार नुवागाँव , देवगाँव, जमुनामुख, जोरहाट म बस गे रहिन, स्थापित होगे रहीन| एला जाने बर थोकन पिछू के इतिहास ल जाने बर हे| इही समय गुरुगोसाई अगम दास जी हर सतनाम नाम पान, गुरुदीक्षा और सतनाम प्रचार के परमुख उद्देश्य लेके अपन कुछ सहयोगी राज महंत मन संग असम के यात्रा प्रवास म जमुना मुख पहुँचिन और बुधारी दास महंत के घर रुके रहँय| बुधारी दास महंत जी वो समय असम के जोरहाट म एक कुशल किसान हो गय रहिन जउन लीज म चाय के खेती करवावँय |
बहुत से जरुरतमंद मनखे मन ल अपन चाय बगान म काम दिलावँय| बुधारी दास महंत जी के घर सुशील, सौम्य, विवाह योग्य कन्या मिनाक्षी ल देख गुरु गोसाई अगम दास जी हर अपन जीवन संगिनी बनाय के प्रस्ताव महंत अपन जी पास रखीन| और महंत जी हर बुधारी जी के पास करिन|
गुर जी के ए बात ले बुधारी महंत के सगा -संबंधी परिवार म खुशी छा गए | विहाव मंगल उत्सव म बदल गए ए पावन बेला ले मीनाक्षी देवी गुरु माता हो गइन| मिनी माता कहलाय लगिन|
गुरु गोसाई गुरु बबा अगम दास जी ,संगे म गुरु माता मिनी माता अउ राजमहंत मन असम ले बिदा ले रायपुर लौट आइन| रायपुर म भव्य दरबार लग गे |महंत बाड़ा ल सजाय गइस , मंगल पंथी -चौका आयोजन होइस |एक पखवाड़ा तक उत्सव मनाय गइस |गुरु सभा आयोजित होइस, गुरु अनुयायी मन के दरशन लाभ ले बर मेला लग गए| मांगलिक बेला म माता जी के आगमन ले सतनाम समाज म खुशी के लहर चलगे| महंत और आम जनता मन मेल मिलाप खातिर घर आते जावत रहँय धीरे ले सबो ल गुरु माता जी जाने पहिचाने लगिन|
ए समय सुतंत्रता के समर चलत रहय|
*गृहस्थी सम्हालत स्वतंत्रता आंदोलन म भागीदारी* सबो रुढ़ि और परंपरा ल तियागत माता जी आगू बढ़िन| वो समय महिला मन केवल चार दिवारी गृहस्थि म जकड़े रहँय| पर उन संत गुरु बाबा घासी दास जी के कुल म परपोता बहु रहिन | जउन छत्तीस गढ़ म मनखे मनखे के अलख जगाय रहिन| नारी पुरुस ल बरोबर बताय रहिन| परिवार म नारी सनमान के कोनो कमी नइ रहिस| गुरु परिवार के बहु होय के नाते पुरा समाज के भार रहय ,अपन गृहस्थी के संग,घर अवइया जवइया सबो मनखे मन के भोजन प्रसाद के व्यवस्था महंत बाड़ा रायपुर म रहय|
माता जी के देख रेख म ए सबो गतिविधि मन होवय| इही समय म गुरुबबा अगम दास जी के संग स्वतंत्रता आंदोलन म भाग लेवइया छत्तीसगढ़िया क्रांतिकारी और जन नायक मन के बैठक गुरु जी के घर म , महंत बाड़ा म होवय | क्रांति कारी गति विधि मन के संचालन के रणनीति बनय| पंडित सुंदर लाल शर्मा जी, ठाकुर प्यारे लाल सिंह जी, डाॕ राधा बाई, पंडित रविशंकर शुक्ल जी जइसन परमुख राजनइक मन के संग गुरु बा अगम दास जी के घर म अंगरेज मन के विरुद आंदोलन के योजना बनय | माता जी ल ए सब क्रांतिकारी गति विधि मन के संज्ञान रहय कइ - कइ परमुख रणनिती म माता जी के सक्रिय भूमिका रहय| गुरुबबा अगम दास जी के सानिध्य म रहि के अपन व्यक्तित्व ल समृद्ध करे म बहुत सहयोग मिलय| सुराज पाये बर समाज के बेटामन ल गुरुगोसाई के संग सियम माता जी हर तको अहवान करँय,प्रेरित करँय| सबो समाज के नवयुवक मन सुराज लाय बर रास्ट्रीय सुराज दल के गतिविधि म शामिल होवँय | उमन के संरक्षण माता जी अपन अँचरा म छ इहा देवत पुत्रवत असीस देवय| ए समय माता जी के सुपुत्रय विजय गुरुजी गोदी म रहिन| वात्सल्य के असीस और स्नेह सबो क्रांति कारी मन ल मिलय|गुरु गोसाई अगम दास जी के अगुवइ म सतनाम समाज के अनगिनत जुझारू बेटा मन सुराज लाय खातिर जूझ गंय | इतिहास के पन्ना म दब गंय| उनकर नाम इतिहास म लिखे के जरुरत हे|
गुरुबाबा अगम दास जी के सुरता नइ बिसरावय
*गुरुगोसाई अगम दास जी, सतनामी के शान|*
*कुल सतनामी पहली सांसद, बाबा तोरे मान||*
*वीर सुराजी मुखिया बनके, रहे देश के साथ|*
*क्रांतीकारी सैनिक मनके , राहय मुड़ मा हाथ||*
*पंडित सुंदर माधव छेदी, रोज करँय संवाद|*
*क्रांतीकारी गुनके कारन, लेवँय आशीर्वाद* ||
*जनहितकारी तँय उपकारी, बाड़ा देदे दान|*
*जुग जुग गाही देश-राज हर, तोरे जी गुनगान||*
*सतनामी आरुग सतनामी, जानय जग संसार|*
*रस्दा बने बताये बाबा, सदा हवय उपकार* ||
*महतारी छत्तीसगढ़ बर, तँय बने सुत्र धार|*
*सपना होही पूरा हमरो, लाने नवा विचार* ||
*
*सपना अब सपना झन राहय, बाँटय हक अधिकार|**
*आजो ले संघर्ष के झंडा, फहरे हर घर द्वार|*
*राजनितिक म पदार्पण*
देश ल स्वतंत्रता बड़ संघर्ष के बाद मिलिस| गुरुबाबा अगम दास जी संसद सदस्य मनोनित होइन| दिल्ली तक गुरु बाबा के नाव बगरे रहय | पर नियति ल कुछ अलगे मंजूर रहय| स्वतंत्रता पाय के तीन बछर बाद असमय गुरु बाबा जी के सन्1952 म सतलोक गमन होगय | माता जी ऊपर दुख के पहाड़ टूट गे अइसे कलुस समय तको आइस| सबो समाज म शोक के लहरा बोहाय लागिस| जनमन के पुकार ल सुनत और वो समय के परमुख राजनइक पंडित रविशंकर जी के
निवेदन ले गुरु माता जी अपन राज अउ देश, समाज के पीरा ल सरेखत अपन सियम ल संभालत आगू आइन और अपन अदम्य साहँस के बल म गुरु बाबा जी के राजनितिक कारज के बागडोर ल समहारे के महान् उदिम करिन माता जी के ए कदम ले सबो समाज उत्साहित होइस| और छत्तीसगढ़िया अस्मिता अउ संरक्षण के जिम्मेदारी एक बेर फिर गुरु माता जी के सिर म आइस| 1955 के उपचुनाव म मिनी माता जी प्रचंड बहुमत 60% से भी अधिक मत के एतिहासिक जीत दर्ज करिवइया सांसद बनिन| *अउ छत्तीसगढ़ के पहिली महिला सांसद बन के एक मिशाल स्थापित करिन* | *ए बहुत बड़े गर्व और सम्मान के धरोहर बात बनगे|* *सबो समाज के महिला मन बर आगू बढ़े के रद्दा खुल गे|* अइसन उपलब्धि ले राज समॎज सबो के मस्तक गरभ ले ऊँच होइस| ए सिलसिला लगातार चार पंचवर्षी 1952 ले 1972 तक चलिस| गुरु माता मिनी माता जी पाँच बार एसेम्बली के चुनाव जीत. के एक आलग कीर्तिमानस्थापित करिन | एहर तको आजयतक एक एतिहासिक रिकार्ड आए| पर आज बहुत दुख होथे के माता जी के विरासत ल आगू बढवार करे बर अऊ कोनो विदुषी छत्तीसगढ़ म नइ दिखत हें|
गुरु माता जी के राजनितिक छवि देश के पुर्व प्रधान मंत्री स्व. इंदिरा गाँधी बर तको प्रेरना बनिस| संसद म पंडित जवाहर लाल नेहरू जी , सरदार पटेल जी , श्रीमति इंदिरा जी मन के आत्मीय संबंध रहिस| *राष्ट्रपति डाॕ राजेंद प्रसाद जी गुरु माता मिनी माता जी के साफ सुथरी और प्रभावपूर्ण व्यक्तित्व को देख - समझ मध्य क्षेत्र की संरक्षिका के* *उपाधी दे रहिन|*
गुरु माता जी दुर्ग- रायपुर - बिलास पुर संयुक्त संसदीय क्षेत्र ज उन वो समर सबले बड़े मध्य प्रदेश के सबले बड़े संसदीय क्षेत्र मन म एक अलग पहिचान रहय |
दू बखत सांसद रहिन| सारंग गढ़ संसदीय अतराप और जांगी चापा से भी संसद म चुन के गइन एखर से सिद्ध होथे के गुरु माता मिनी माता जी संपूर्ण छत्तीसगढ़िया समाज के प्रतिनिधि रहिन| जन मानस म माता जी के लिएअपार श्रद्धा और सम्मान रहिस|
बदला म माता जी भी अपन प्रदेश के जनता के हर समस्या ल संसद तक जिम्मेदारी पुर्वक रखत रहिन|
और उनकर हक अधिकार खातिर लड़त रहिन|
छत्तीसगढ़िया मन के हक अधिकार बर अपने राजनीतिक दल ले बहस करँय , उलझ हावँय जब तक नियाय नइ हो जातिस| संसद म दहाड़ के अपन राज के अधिकार बर बात रखय , विधेयक पारित करवावँय|
*ममतामयी काबर कहाइन* मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के दिल्ली म पढ़ई करे जवइया लइका मन और आने कोनो कारज खातिर दिल्ली जव इया मन मिनी माता के अवास म अपन घर बरोबर मान पावँय एक दू के रहव इया मन चार दिन रही जावँय|
माता जी सबो बर भोजन परसाद के इंतिजाम करवातिन|
दिल्ली म खूब ठंड पड़य | माता जी जरुरत मंद हर मनखे मन ल कंबल ओढ़ावँय | एक बखत के बात हे रात के समय हाड़ कपउ ठंड में एक झन पढ़इया बच्चा बिना ओढ़े सोय रहय| माता जी देखिन उनकर हृदय द्रवित होगय दया भाव ममता ले भरगे अपन ओढ़े के कम्बल ल वो बच्चा ल ओढ़ा देइन |और स्वयं बिना कम्बल रहिन, जड़काला ल बजे खातिर सिगड़ी के सहारा ले इन पर उनकर कमरा म अधिक धुआँ होय के कारन बेहोश के अस्वस्थ होगँय | बनेच दिन उपचार के बाद
धीरे - धीरे ठीक होइन| अइसन तियाग समरपन और वात्सल्य के मूरत रहिन|तव ममताग मयी मिनी माता कहलाइन|
*मजदूर अउ श्रमिक मन के हक के खातिर करे गए प्रयास -*
दूसरा पंचवर्षीय योजना अंतरगत
1955-56 म भिलाई स्पात संयंत्र के स्थापना करवाय म महत्व पूरण भूमिका माता जी के भी रहिस| एक समय अइसे होइस के
भिलाई के लोहा कारखाना ले मजदूर मन के छटनी कर दे गइस माता जी लगातार चालीस दिन धरना म बैठ गइन | जब मजदूर मन ल हक मिलिस तब अपन मजदूर आंदोलन ल वापिस लेइन| अइसन परित्याग और समरपन के प्रतिमूर्ति रहिन| श्रमिक मन के प्रशिक्षण और ट्रेनिंग खातिर औद्योगिक इकाई पालिटेकनिक कालेज , उनकर लइका मन बर पाठशाला, उनकर स्वास्थ खातिर अस्पताल के निर्माण म महती भूमिका निभाइन|
मजदूर और श्रमिक मन के संरक्षण खातिर मजदूर संघ के निर्माण करिन सियम अध्यक्षता करिन|संगे संग करमचारी आवास बर भूमि उपलब्ध करवाइन|अपन
अंचल के, छत्तीसगढ़ी अतराप के लोगन मन ल अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाइन|
*हे ममता मयी मिनी माता, जब सुरता तोरे आही|*
*आँखी ले तर तर तर दाई, आँसू मोरे बोहाही||*
जिनगी भर बड़ टोरे तन ला, लड़े लड़ाई तँय भारी|
तभे हमन बन पाये हावन, छोटे मोटे अधिकारी||
बांध बनाये हिम्मत देके, छत्तीसगढ़हिन महतारी|
बाढ़िस हावय फसल सियारी, भागिस दुख के अँधियारी||
*महिला मन बर रसदा बनगे, शिक्षा पाइन हितकारी|* *
*तोर दया ले पढ़े लिखे बर, आगे बाढ़िन हे नारी||**
तन बर बस्तर मन भर खाना, घर घर परचम लहराये|
हक अधिकार दिलाके दाई, भाग सबो के सहँराये||
जोर लगा के भेलाईमा, कलखाना तँय खुलवाये|
छत्तीसगढ़िया बेटा मन ला, रोजगार तँय दिलवाये||
संसद मा तँय खड़े रहे माँ, ममता राखे गुन भारी|
बिलख बिलख के रोवत हावन, सुरता मारे हुदकारी|| *
*भेद मिटाये मनखे तन के, करे जगत ले रखवारी|**
*हाथ धरे तँय सुमता लाये, शोषित दुखिया सँगवारी||*
*छत्तीसगढ़ के निर्माण में योगदान:* छत्तीसगढ़िया समाज ल एकजइ करतउंकर हक व अधिकार दिलाय बर , छत्तीसगढ़ के धन संपदा के समुचित दोहन कर समृद्धि खातिर अलग छत्तीसगढ़ी राज्य के मांग रखिन|
माता जी पहिली पहल महिला के रुप म राष्ट्रीय पटल म छत्तीसगढ़िया राज के प्रस्ताव रखवइया आवँय|
अइसन स्वपन्दृष्टा मन के असीस ले आज अपन राज के सपना सकार होगे पर उनकर समृद्ध और विकसित छत्तीसगढ़ बने के सपना अभी अधुरा हवय| अवइया समय म माता जी के मानवतावादी विचार और सद्भावना ले के चले के प्रेरणा ले भाईचारा स्थापित करत पूरा करे बर लगही| उनमन जनमानस म आदर्श के जब्बर मिशाल रखिन| एक नारी होके हमन ल उपकृत करिन, उंकर हर सपना बज्जूर सुफल होही, हमन ल संगठित होके प्रयास करे के घात जरुरत हे|
*सामॎजिक चेतना व समाज उत्थान म करे गए काम* सामाजिक सदभाव उंकर गहना रहिस | सबो समाज माता जी के कार्य शैली के मुरीद रहिन|
अधिकांश समय माता जी के अपन सेवा क्षेत्र |
गुरुवइन डबरी काण्ड हर माता जी के हृदय म जबर अघात करिस| तव माता जी ल अपन शक्तिरूप म आय ल परगे| अउ
शेरनी कस संसद म दहाड़त कहिन मोर ल इका मन कोनो गाजर मुर ई नोहे जिन निरापराध अबोध मन ल मारे काटे जावत हे|
गुरु माता के दखल ले वो क्षेत्र मुँगेली अतराप म होवत हिंसा शांत होइस|
*महिला उत्थान बर समरपन-* बालिका शिक्षा ल जन जन तक लेके जावँय |
आम जनता ल समझावँय | कमजोर आर्थिक परिस्थिति के प्रतिभावान बालिका मन ल अपन सियम के खर्चा ले पढा़इन | कतकोन मन डाक्टर ,इंजिनियर, प्रोफेसर और आने आने विभाग म नौकरी पाइन| गुरु माता जी के उपकार ल जिनगी भर बड़ सहरावत हें| पूज्यनीय गुरु माता जी के कृपा ले कई पीढ़ी सुधर गे| कउनो दिन भी उंकर अवदान ल भुला नइ जा सके|
*किसान मन के पीरा हरे के उदिम* आय दिन अकाल और सूखा पड़य प्रकृति के मार ल झेले ल पड़य | असाय किसान मन के पीरा ल ममता मयी मिनी माता जी जानत रहँय | उंकर खेती किसानी के गिरत दशा के चिंता माता जी ल बेचैन करदिस |एक बार बरसात के समर अपन क्षेत्र के दौरा करत जांजगीर - चापा के ग्रामीण अतराप म गे रहँय | हसदो नदी म खूब बाढ़ होय के कारन आवागमन बाधित रहय| अतेक पानी गिरे के बाद भी किसान मन ल सिंचाई के असली समय म पानी नइ मिल पावय | माता जी के मन म ए बात घर कर गे अतेक बरषा ले भी हमर किसान ल पर्याप्त पानी सही समय म नइ मिल पावय | तव ततकालिन समे के प्रधान मंत्री पंडित नेहरू जी ल ए समस्या ले अवगत करवाइन|
अव बांगो बांध के नेव धरावत ले धीर नइ धरीन | अपन अनवरत प्रयास ले बांगो बांधा के निर्माण करवा के रहीन| ऐसे प्रतिबद्ध होके कारज मन ल सिधोवँय|
आज उंकर बनाय हर रद्दा जगरमगर होवत हे|
*शिक्षा अउ नव युवक मन के ** *रोजगार खातिर उनकर संघर्ष** अपन कार्य काल म प्राथमिक, माध्यमिकऔर उच्च शिक्षा के बहुत अकन संस्थान के दरवइ रखवाइन| खेति किसानी, निर्माण, औद्योगिक क्षेत्र के संग शिक्षा ल परमुखता ले बगरायवत समाज ल जागृत करँय|
*सामाजिक उत्थान*
समाज म व्याप्त कुरिती, छुआछूत, अस्पृश्यता के निवारण और निदान खातिर संसद म 1955 म अस्पृशयता निवारण कानून पारित करवाइन| सबो मानव समाज के विद्यालय मंदिर ,धर्मशाला , सार्वजनिक क्षेत्र अउ उपक्रम म आवाजाही सुगम होइस| समता, सदभावना और मानवता के पुरजोर समर्थक रहिन|
*धार्मिक कार्य* माता जी समता वादी सोंच के अग्रदूत रहिन|
सबो धर्म ल सम्मान देवँय| मानवतावादी पक्ष लसदैव मनसे मनके बीच रेखांकित करँय |
भाईचारा ले रहे बर आहवान करँय| फिर भी कुछ उतार चढ़ाव हो जाय म सबो पक्षकार मन ल समझावँय | नहीं माने म ढाल बनके आगू आवँय| सतनाम धरम के ध्वज वाहक होय खातिर सत, अहिंसा और आपसी भाई चारा के परिपोषक रहिन| सतधाम मन के देख रेख और
सतनाम पंथ और धरम के संरक्षण के कारज ल अपन जिनगी ले दुरिहा नइ होवन देहिन|
संतशिरोमणी सदगुरु बाबा घासी दास जी के जन्म स्थली
गिरौधपुरी पावन धाम, तपो भूमि , धर्म स्थल के संरक्षण बर महंत कमेटी के निर्माण करवाइन| मेला के समय दर्शनार्थी ,श्रद्धालू मन बर समुचित पेल जल सड़क व आवास के संस्थापना करवाइन|
पहली मेला माघ पुन्नी म भरय वही समयमेला शिवरी नारायण तुरतुरिया म घलो लगय |
धार्मिक सदभाव रखते हुए फागुन पंचमी से सप्तमी तक आयोजित करवाय म महती योगदान हे|
गुरु माता जी के सर्व धर्म समाज बर समर्पित जिनगी के बखान करना हमर बस म नइ हे |
*गौरव -सम्मान*
गुरु माता जी केभारत , मध्य प्रदेश अउ छत्तीसगढ़ म अवदान ल
समझत राज्य सरकार हर
छत्तीसगढ़ राज बने के समय विधान सभा भवन के नाम
मिनिमाता जी के नाम रख के
बढ़िया भावांजली देहे रहिन|
हसदो बांगो बांधा हर माता जी के नाव देहे गे हवय| राज्य शासन हर
महिला उत्थान के क्षेत्र म उल्लेखनीय काम करवइया महिला पुरुष या संस्था ल सम्मानित करे के उदिम जरुर करे हे| पर ए पर्यापप्त नइ हे|
माता जी के जीवन वृत्त ल पाठ्यक्रम म शामील करना चाही| जेखर ले बालिका अउ महिला सशक्तीकरण खातिर माता जी के करे गे कारज म बढ़वार होवय|
*सतलोक गमन*
गुरु माता जी छत्तीसगढ़ और
छत्तीसगढ़िया अस्मिता के मान खातिर सदैव तत्पर रहँय | संसद के कुछ जरुरी कारज ल संपन्न करे खातिर दिल्ली म बैठक रहय| पर प्रकृति और नियति शाश्वत सत्य आए, जहाँ कुछ अलग चलत रहय,माता जी दिल्ली जाय बर भोपाल से रवाना होइन दिल्ली पहुँचे के बाद पालम हवाई अड्डा के समीप विमान हादसा म माता जी के सतलोक गमन होगय|
आज भी विश्वास न इ होवय के माता जी हमर बीच नइहे, पर उनकर आसीस सतलोक ले हमर छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया समाज बर सदैव बरसत हे|
गुरु माता जी की समाधी खडुआ पुरी धाम मे स्थित है| गुरुगोसाई गुरुबाबा अगम दास जी के समाधी के बाजू म | ए पावन धाम खडुआ सिमगा के समीप दू मील दूरी म अवस्थित हे| खडुआ धाम सतनाम धर्म पंथ के परमुख आस्था पावन स्थली हे|
*मन आजो कहिथे*
*मिनी माता- मिनी माता कराथौं पुकार **
*दाई सुन ले गोहार* ....*
*कोन बन -डोंगरी लुकाय हव*
*होगे जग अँधियार.....*
*कोन धाम पुरी म लुकाय हव....*
🙏🙏🙏🙏
आलेख
अश्वनी कोसरे रहँगिया
कवर्धा कबीरधाम
छत्तीसगढ़
धरोहर लेख, आदरणीय कोसरिया जी...
ReplyDeleteममतामयी मिनीमाता जी के कमल चरणों मे शत शत नमन। विनम्र श्रद्धांजलि..11 अगस्त अमर रहे..🙏🌺🌷