Saturday 28 August 2021

छत्तीसगढ़ी साहित्य म बाल साहित्य दशा अउ दिशा* साहित्य म जब कभू बाल साहित्य के बात आथे तब कुछ

 *छत्तीसगढ़ी साहित्य म बाल साहित्य दशा अउ दिशा*

        साहित्य म जब कभू बाल साहित्य के बात आथे तब कुछ मन ल भरम हो जथे कि बाल साहित्य लइका मन के लिखे साहित्य आय,   जबकि अइसन नोहय। बाल साहित्य असल म लइका मन के मनोभाव ल धियान मा रख के लइका मन बर लिखे गे साहित्य हरे। जेला नान्हे नान्हे लइका मन के कल्पना अउ ज्ञान बढ़ाय के उद्देश्य ले लिखे जाथे। बाल साहित्य मा बाल मन के मनोरंजन हर बड़का बात होथे. एकर लिखइया लइका घलव हो सकथे फेर लइका मन के भाषा म साहित्यिक भाषा के कमी देखब म मिलथे। जउन प्रोत्साहन ले आगू जा के मँजा जथे, परिष्कृत हो जथे।             बाल मनोविज्ञान के बने जानकार हर बढ़िया बाल साहित्य के सिरजन कर सकथे। बाल सुलभ मनोवृत्ति के जानबा नइ रेहे ले बाल साहित्य म मनोरंजन, चरित्र निर्माण अउ ज्ञानवर्द्धन संभव नइ हो सकय। बाल साहित्य के लिखइया चाहे कोनो उमर के हो बाल साहित्यकार कहलाथे। बाल साहित्य के भाषा निचट सरल होथे , येकर ले लिखे गे साहित्य के  संप्रेषण सहज हो सकय। रूढ़ (कठिन) शब्द, समास ले भरे अउ प्रयोग पूर्ति लाक्षणिक भाषा ले  बाल साहित्य लइका के मन बहलाव म बाधा बनथे। इही पाय के कतको बाल साहित्यकार मन ए मन के प्रयोग ले बाँचे के सुझाव देथें। बाल साहित्य म भाषा बाल सुलभ अउ लइका मन के मन लुभावन होना चाही। 

         बाल साहित्य ले जुरे लइका म साहित्य के समझ बाढ़े ले लइका के मन म साहित्य के उपचारित बिजहा के अंकुरण बने हो सकत हे। गीत, कहिनी अउ नाटक लइका मन के सबले बड़े चहेता विधा आय।                         लइकापन म डोकरी दाई/ ममा दाई अउ बबा ले कहिनी सुनत रतिहा नींद आथे। लोरी जिनगी म सोहर गीत के संग आनंद ले के आथे। इही गीत कहिनी के आनंद म बालमन स्कूल के जावत ले नवा-नवा अउ किसिम किसिम के मनोरंजन खोजथे। जउन मनखे उँकर मनोरंजन करथे उही ल भाथे अउ ओकरे तिर रहिना पसंद करथे। लइका मन  के सुभाव हर बड़ चंचल सुभाव के होथे। छिन-छिन म उनकर मन बदलत रहिथे। ते पाय के बाल साहित्य म रचना छोटे-छोटे होना चाही। खेल-खेल म रचना के पाठ हो सकय अउ एक-दूसर ल सुनावत जोरे रखे जा सकय। जादा लाम रचना अउ कठिनशब्द के  होय ले रचना याद नइ रखे जा सकय। यहू बात के खियाल रचनाकार ल रखे जाना चाही।                        लघुता के संगे-संग मनोरंजन अउ जिज्ञासा बालसाहित्य के अंग माने जाथे। बालसाहित्य म मनोरंजन के संग विज्ञान, कल्पना, चिंतन अउ तर्क के समावेश होना जरूरी आय। बालसाहित्य म बाल मनोविज्ञान के बड़ महत्तम हे। बाढ़त उमर के संग लइका के मन अउ सुभाव बदलत जाथे। जेला समझत उमर के मुताबिक लेखन म मनोरंजन के विषय चुने बर पड़थे। खेल खेलौना ,जीव-जनावर, खई खजाना, मड़ई-मेला, हाट-बजार, नदी,पहाड़, चंदा सुरुज, ग्रह-नक्षत्र के संगे-संग आसपास के विषय हर बाल साहित्य लेखन के विषय होना चाही। बाल कहिनी मन ले चरित्र निर्माण के बात उभर के आवय ए कोशिश होना चाही। सभ्य अउ सुसंस्कृत बनाय बर बाल कहिनी अउ नाटक के बड़े भूमिका हे।

        बाल साहित्य ले जेन  चारित्रिक अउ मानवीय गुण के सीख अउ जानबा दिए जा सकत हें, वो अइसन ढंग ले हावँय।

       १ राष्ट्रीय/ देशभक्ति

       २ हास्य-व्यंग्य

       ३ साहसिक

       ४ ऐतिहासिक

       ५ वैज्ञानिकता

       ६ सामाजिक

       ७ साँस्कृतिक

       ८ काल्पनिकता

        आज साहित्यिक पत्रिका मन म घलव बालकोना के नाँव ले बाल साहित्य ल प्रमुख ठउर/जगहा दिए जात हे। रेडियो टेलीविजन के जम्मो चैनल मन म अब लइका मन के खयाल रखत कार्यक्रम बनाए जावत हे अउ सरलग प्रसारण घलव होवत हे। एकर ले बाल साहित्य के महत्तम अउ आवश्यकता का हे एकर अंदाजा लगाय जा सकत हे। आज काल शिक्षा म नवाचार के चलत बाल साहित्य के जरूरत महसूस करे जावत हे। एला ध्यान रखत शिक्षा विभाग कोति ले बाल साहित्य लेखन ल प्रोत्साहन दिए जावत हे।

       छत्तीसगढ़ी साहित्य म बाल साहित्य के ऊपर करे गे चर्चा के मुताबिक छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य के कमी हे, अइसे कहना थोरिक जल्दबाजी होही। कमी हे त बाल साहित्य ल बरोबर महत्तम दे अउ लेखन ल प्रोत्साहन के संग उजागर करे के कमी हवय। महँगाई के चलत प्रकाशक अउ बाल साहित्यकार के उदासीनता ह घलव बालसाहित्य ल पीछू ढकेल दे हवय। फेर सोशल मीडिया के आय ले फेसबुक व्हाट्सएप अउ आने आने ठउर म बाल साहित्य के रचना अउ चर्चा संगोष्ठी ले इही कहे जा सकत हे कि कुछ समे ले बाल साहित्य ह सरपट दौड़े लग गे हे। नवा रफ्तार पा गे हवय। बाल साहित्य म कतको नाटक कहिनी अउ बालगीत के लेखन करे जा चुके हवय। आगू एकर भविष्य बने रइही एला नकारे नइ जा सकय।

       छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य के लेखन बहुत पहिली ले होय हवय ए अलग बात आय कि सबो ह प्रकाशित नइ हो पाय हे। बाल रचना बहुत अकन होय हे। सोला आना बाल साहित्य के रूप म किताब भले उपलब्ध नइ दिखय। जन कवि कोदूराम दलित जी मन बाल निबंध कथा कहिनी अउ बालगीत लिखे हवय।

          पुरखा कवि अउ साहित्यकार अउ वरिष्ठ साहित्यकार मन के बालसाहित्य के जानबा गूगल बबा ह देवत तो हे।फेर का का संग्रह हे एकर जानबा नइ मिल पाइस। गूगल बबा के बताए जानकारी के मुताबिक जनकवि कोदूराम दलित, नारायण लाल परमार, मुरारी लाल साव, जयप्रकाश मानस, परदेसी राम वर्मा, जीवन सिंह ठाकुर, मन बाल निबंध, बाल गीत, कहिनी लिख के छत्तीसगढ़ी बालसाहित्य के मजबूत नेंव रखिन हे।

 छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य म कहिनी के नेंव ल अउ सजोर करे म लोक सँस्कृति के सँवाहक साहित्यकार डॉ. पीसी लाल यादव के बड़ भूमिका हवय। चतुर चिरई, डोकरी के गीत, महिनत के पूजा, कहिनी संग्रह ले अपन हाजिरी देवत लइका मन बर पढ़े के लइक कहिनी के सिरजन करे हे। इही कड़ी म बाल साहित्यकार श्री बलदाऊ राम साहू जी मन चिंकी के सपना कहिनी संग्रह घलव हे। नवा पीढ़ी के रचनाकार द्रोण कुमार सार्वा के 10 ठन कहिनी के कहिनी संग्रह बहुतेच जल्दी पढ़े बर मिल सकत हे। सुधा वर्मा मन बाल साहित्य म नाटक के लेखन करे हवय जेमा प्रकृति अउ मनखे, किस्सा ठलहाराम के, नीता पढ़े बर गीस प्रमुख हावय। सुधा वर्मा जी मन अउ कतको नाटक लिखे हवय जेन अवइया बेरा म हमन ल पढ़े बर किताब के रूप म मिलही। 

      बालगीत अउ कविता मन के संग्रह म डॉ. माँघीलाल यादव के करिया बादर, मड़ई जाबो,डॉ. पीसी लाल यादव के १० ठन संग्रह सरग निसैनी,झूलना के झूल कदम के फूल, बगरे हे चंदा अँजोर, चँदैनी चमके झिलमिल,मोर गाड़ी, बादर के जब माँदर बाजे, खिस बेंदरा खिस, जोगनी बरे जुग जुग, छत्तीसगढ़ मैया, बिलई बोले माऊ रे, शंभूलाल शर्मा के बादर के माँदर, नोनी बर फूल,(बालगीत), आजा परेवा कुरू कुरू (शिशुगीत), बलदाऊ राम साहू के बिन बरसे झन जाबे बादर, आओ भैया पेड़ लगाएँ, जल बिन मछरी मरे प्यास, गर मछरी के पाँख होतिस, पर्यावरण ल सुग्घर बनाबो प्रमुख रूप ले पढ़े बर मिलथे। आज के नवा पीढ़ी म मनीराम साहू 'मितान' के खोखो मोखो डलिया, कन्हैया साहू 'अमित' के फुरफुंदी, मीनेश साहू के सगा पुतानी मन बाल कविता अउ बालगीत ले बाल साहित्य ल पोठ करत हे। इही क्रम म द्रोण कुमार सार्वा, मधु तिवारी, मन के बालगीत संग्रह ल पढ़े के हमन के अगोरा बहुत जल्दी खत्म होवइया हे।चोवाराम वर्मा बादल, दिलीप वर्मा, सुधा शर्मा, टिकेश्वर सिन्हा, द्रोपदी साहू मन घलव धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ी बालगीत के सिलहोना सिलहोय म लगे हावँय। इँकर लेखन ले छत्तीसगढ़ी बाल साहित्य ल ताकत मिलही इँकर ले प्रेरणा पाके अउ कतको साहित्यकार मन बाल साहित्य  के सेवा बजाही अइसे विश्वास होवत हे।


पोखन लाल जायसवाल

पठारीडीह(पलारी) बलौदाबाजार

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