Thursday 5 August 2021

टूटहा हाथ

 टूटहा हाथ 

                    को जनी का होइस ना का .... कन्हो ढपेलिन के अपने अपन घट गिस .... एक दिन घर के बाहिर म किंजरत भोलाराम हा चिखला म गिरगे । गिरिस घला अतेक धीरे के , येकर जगा अऊ कन्हो होतिस त , नानुक खरोंच तको नइ आतिस । फेर भले मानुस के हाड़ा म कतेक दम ........ भाजी कोदई खवइया के हाथ म कतेक ताकत , बपरा के हाथ टूटगे । हाथ के टूटना कोई बहुत बड़े दुर्घटना नोहे । फेर हाथ टूटे के बाद , ओकर ले कतको बड़े बड़े दुर्घटना होवत देखे रिहिस भोलाराम हा , इही ला सुरता करके , फिकर म जहू तहू बेहोश हो जाय वोहा । अस्पताल म सियानिन नर्स के अलावा कोई शुभचिंतक नइ दिखय । एक दिन सेवा जतन करत , सियानिन हा , फिकर के कारन पूछिस । भोलाराम बतइस - बहुत समे पहिली के बात आय काकी .... एक झिन संगवारी के हाथ का टूटिस , बपरा के सरी गै । टूटहा हाथ म , रहि सहि संपति ला सम्हाले नइ सकिस , रिश्तेदार मन अपन अपन ले नंगा डरिन । दूसर संगवारी के संग तो येकरो ले बिचित्तर घटना होइस । ओकर सुवारी बड़ सुंदर रिहिस । कतको दूसर संगवारी मन के नजर गड़गे । बपरा के करम फूटगे । तीसर के तो बारा हाल होगे । हाथ का टूटिस , खुरसी छूटगे । टूटहा हाथ धरे अस्पताल म निही जेल म समे काटत रहय ।   

                     सियानिन नर्स किथे – जइसना संगवारी मनके नाव गिनाये हस , तइसना तोर तिर काये हे ? तोर तिर न पइसा हे , न तोर बई सुंदर हे , न पद हे , न प्रतिस्ठा ........ फेर तैं काबर फिकर करथस । भोलाराम किथे – अरे काकी दई , येमन मोरो तिर होतिस त , तोर अस्पताल म मोला देखे बर अवइया के , रेम नइ लगे रहितिस या .... ? नर्स किथे – अस्पताल म तोला देखे बर रेम लगे हे के निही , तै काला जानबे । तोर बर अवइया मनखे के सेती , अस्पताल के कर्मचारी मन थर्रा गेहे । भोलाराम किथे – मोला देखे बर मनमाने मनखे आथे कहिथस , फेर मोर तिर तो एको झिन नइ अमरे हे अभू तक । नर्स किथे – तोर तक काला अमरही बाबू ........ , जे आथे ते , अस्पताल के दरवाजा म पहुंचके फोटू खिंचवा के निकल जथे । एक दू झिन भितर निंगे के प्रयास करिन फेर सरकारी अस्पताल के महक म बेहोश हो गिन , ओमन ला तुरते प्राइबेट अस्पताल म भरती करे लगिस । तोर बड़ बदनामी होइस । भोलाराम किथे – अस्पताल बस्साही , तेमा मोर का बदनामी .......... ? नर्स किथे – जे आथे ते इही सोंचथे के , तोरे सेती अस्पताल बस्सावत हे । भोलाराम किथे – मोर सेती कइसे बस्साही या काकी अस्पताल हा ? नर्स किथे – कोरी खइरखा कस भरती रहू त अस्पताल तो बस्साबे करही । भोलाराम किथे – खसखस ले चांटी फांफा कस बियाये के बेर तूमन ला कहींच नइ लागिस काकी , अऊ सरी होय के पाछू हमन ला दोस देथव या ............ । ओमन काबर मोर तिर नइ आये तेला में जानत हंव । नर्स पूछिस – काबर ? भोलाराम बतइस – ओमन मोला चिन डरही कहिके नइ आवय । नर्स पूछिस – तैं चिन डरबे तेकर का डर ........ ? भोलाराम किथे – में कहूं उगल दुहुं के , इही मन हाथ ला टोरे हे .... । नर्स किथे – अई ......... , में नइ जानत रेहेंव बाबू । फेर ये मन दिखथे बहुत भला आदमी , तोर बड़ फिकर घला करथे , काकरो हाथ म कइसे नीयत गड़ही ........ ? भोलाराम किथे – फिकर के बूता उपजाये बर , छद्म सहानुभूति जताये बर , हाथ टोरे के उदिम रचथे बिया मन ........ । 

                     नर्स पूछिस – ओमा येमन ला का फायदा हे तेमा ? भोलाराम किथे – फायदा हे काकी , तभे करथे । येमन जानथे के , हमर हाथ सही सलामत रइहि , त येमन ला अपन व्यभिचार के तुरते दंड भुगतना पर जही । हमर हाथ सलामत रइहि त , हमर देश के तरक्की म बाधक मनखे के जीना हराम हो जही । तेकरे सेती हमर हाथ ला टोर के बइठार देथे । नर्स किथे – तोर हाथ मजबूत नइ होही तभे तो , जेन आथे तिही तुंहर हाथ के बूता बना देथे । भोलाराम किथे – हमर मेहनतकस हाथ हा , पहिली बहुतेच मजबूत रिहिस काकी , फेर मुफत के माल हा हमर सरी देहें ला खोखला कर दिस । ये बैरी मन नइ चाहे के हमन मेहनत करके , मजबूत बनन । येमन हमर छीनी उंगरी ला जबरदस्ती बड़का मई उंगरी के बरोबर लाने बर , आरक्षण के फरिया ला लपेटके छीनी उंगरी संग , पूरा हाथ के ताकत ला खतम कर देथे । बिगन बूता काम के , मुफत म चऊंर देके , देहें के लहू म , आलस के वाइरस घुसेड़ देथे । इही वाइरस हा देहें के लहू ला चुचर देथे । उपर ले ससता म मिलत सोमरस हा , हमर दिमाग ला अइसे भरमा देथे के , हमन समझे लग जथन के , इही मन हमर तारन हार आय । 

                   नर्स किथे – ओ तो ठीक हे बाबू , अतेक जानत हस तभो , येमन ला काबर अपन तारनहार समझथव ? भोलाराम किथे – हाथ टूटे के पहिली समझेच नइ आवय के , कोन हमर तारनहार आय काकी , फेर एक बात महू ला समझ नइ अइस आज तक , हाथ टोर के बइठार दिस , कोलवा करके मरीज बना दिस , अस्पताल म भरती कर दिस फेर , हमन ला घेरी बेरी देखे बर काबर आथे ? नर्स किथे – येकर जवाब मोर तिर हे बाबू , तूमन मर झिन जावव ताकि , इंकर दुकान निर्बाध चलत रहय कहिके , घेरी बेरी देखे बर आथे । मोला ओकरेच बर तो राखे हे बेर्रा मन । एक कोती , में तूमन ला मरन नइ दंव , त दूसर कोती , येमन तूमन ला ठीक से जिये बर , तुंहर हाथ ला ठीक घला नइ करन देवय । येमन सहींच म जानथे के , एक बेर हाथ ठीक होगे तो , तूमन इंकर बारा बजा दुहू ..... । 

                    भोलाराम हमर देश के जनता आय , जेकर देखरेख करइया नर्स , हमर देश के लोकतंत्र आय , जेहा जनता ला मरन तो नइ देवय , फेर ठीक से जिये बर कहींच नइ कर सकय ।   

 हरिशंकर गजानंद देवांगन . छुरा

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