*चक्रव्यूह*-चोवाराम वर्मा बादल
रामेश्वर जी के रिटायरमेंट मा तीन दिन बाँचे हे।पँदरही होगे हे वोखर घर मा नजदीकी होवय चाहे लरा-जरा के सगा-सोदर मन के आये-जाये के रेम लगे हे। अइसे लागत हे के जना-मना कोनो मेला मा प्रदर्शनी लगे हे। कतको झन तो अठुरिया होगे हे उहें सगा मानत हें।सगा का मानत हें, मने-मन कुछु सुवारथ के जाला बुने मा लगे हें।
रामेश्वर के बड़े बेटा सुरेश जेन तको नौकरी मा हे अउ लकठा के शहर मा घर बनाके रहिथे।जेन हा दू-चार साल मा कभू-कभार तिहार-बार के आवय, तेनो हा दस दिन के छुट्टी लेके अपन बाई अउ लोग-लइका संग आये हे।
रामेश्वर के बाई रामकली हा महिना भर होगे मजे-मजा मा हे,काबर के वोला आड़ी के काड़ी करे बर नइ परत हे। आगू-आगू ले गरम-गरम चाय-नाश्ता अउ ताते-तात जेवन मिलत हे। रतिहाकुन तरपँवरी मा तेल घलो चुपरा जावत हे तेकर सेती हरहिंछा नींद तको परत हे।
बात अइसे हे के वोखर छोटे बहुरिया जेन उँखरे संग रहिथे ,काबर के छोटे बेटा रमेश बेरोजगार हे ।ये अइसे बहु हे जेन हा दस पइत माँगे मा एक गिलास पानी ला लटपट लान के देवय, जेन हा कुछु कहे मा कुड़बुड़ावत राहय, सास के जर-पुखार परे मा जेन हा सेवा बजइ ला कोन काहय --एक ठन बाम ला तको माथा मा नइ लइ्गस तेन हा--दाई-दाई काहत कान मा मँदरस घोरत हे अउ सास रानी के सेवा करत हे।
अउ एती बर--रामेश्वर हा रात-दिन हिसाब-किताब लगाये मा फिफियाये हे के वोला जी०पी०एफ० , बीमा अउ ग्रेजुएटी के कतका-कतका पइसा मिलही। मिलही ता कतका दिन मा मिलही। पेंशन कतका बनही अउ ये सब ला पास करवाये बर काला-काला, कतका-कतका खुरचन-पानी देये बर लागही। संगे- संग वो मिलइया पइसा बर कई ठन ,नाना प्रकार के चक्रव्यूह रचाये हे तेमा ले वो उबर पाही धन नहीं ते----? बेचारा के ये सब चिंता मा नींद नइ परत ये।
अब देख ना---परनदीन वोकर लरा-जरा के समधी हा--रकम जमा करवाके, दुये साल मा दुगना करवइया एक झन एजेंट अउ साहब ला धरके आये रहिसे।जे मन चार-पाँच घंटा माथा खाके लटपट मा अपन मुँह ला टारे रहिन हें। वो हा असकटाके हाँ कहि डरतीस फेर भगवान किरपा ले बाँचगे।
जेन रिश्तेदार मन पहुनाई मानत रुके हें तेन मन ला , कोनो ला इलाज कराये बर, कोनो ला अपन बेटा-बेटी के बिहाव करे बर त कोनो ला कर्जा छूटे बर जादा नहीं ते दू-दी ,चर-चर लाख भले कर्जा के रूप मा होवय ,मिले के आशा हे। कोनो मन तो कुछु ओड़हर लगाके मुँह तको लमा डरे हें।
बड़े बेटा हा तो साफ-साफ माँग-पत्र थमा चुके हे के बाबू जी हा वोला नवाँ कार खरीद के देहीच अउ अपन नाती-नतनीन के नाम मा कम से कम पाँच लाख के एफ० डी० करा के देही।
छोटे बेटा के कहना हे के रिटायरमेंट के पइसा ले सबले पहिली आल फेसलिटी वाला शानदार पक्की घर बनही।
छोटकी बहू हा अपन बर पाँच तोला सोन के हार, दू तोला के सोनहा झुमका,बीस तोला के घुँघरु वाला खाँटी चाँदी के पैजन अउ हीरा जड़े अँगुठी --चाहीच माने चाहीच---बता डरे हे।
कुल मिलाके रामेश्वर हा चक्रव्यूह मा फँसगे हे। आखिर मा तो इही दिखत हे के रामेश्वर हा ये चक्रव्यूह ले कहाँ निकल पाही।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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