Thursday 23 September 2021

साहित्यिक तर्पन... डॉ नरेश कुमार वर्मा


 







साहित्यिक तर्पन... डॉ नरेश कुमार वर्मा


जनम - 13 अगस्त 1959  


 देहावसान - 27 अप्रैल 2021


छत्तीसगढ़ महतारी बर अपार श्रद्धा रखइया साहित्यकार - नरेश वर्मा 


हमन महान व्यक्ति के जीवनी पढ़थन ता पता चलथे कि वोहर अपन जीवन मा कत्तिक संघर्ष करके आगू बढ़ीस हे. कम सुविधा के बावजूद जब कोनो मनखे हा अपन जीवन मा कुछ करे बर ठान लेथे अउ जब अपन मंजिल ल प्राप्त करथे ता अइसन मनखे हा दूसर मन बर प्रेरणास्रोत बन जाथे. गरीबी ला झेलके आगू बढ़इया मा एक नाँव हवय श्रद्धेय स्वर्गीय डॉ. नरेश कुमार वर्मा जी. स्वर्गीय वर्मा जी गरीब परिवार मा जनम लेके बावजूद प्रोफेसर बनीस अउ अपन कर्म के माध्यम ले दूसर मन बर एक उदाहरण बनके सामने आइस. 

  नरेश कुमार वर्मा के जनम 13 अगस्त 1959 मा बलौदाबाजार जिला मा भाटापारा ले 12 किलोमीटर दूरिहा फरहदा गाँव मा छोटे किसान परिवार मा होय रीहीस. वोकर पिता जी के नाँव उदय राम वर्मा अउ माता जी के नाँव पुनौतिन वर्मा रीहीस हे. वोमन तीन भाई अउ तीन बहन रीहिस हे. तीन भाई मा वोहा सबले बड़े रीहीस हे.

 

    पढ़ाई -लिखाई 


माता -पिता के अनपढ़ अउ आर्थिक समस्या के बावजूद अपन मन ला पढ़ई डहर खूब लगाय राहय. गाँव मा प्राथमिक शिक्षा पूरा करे के बाद मीडिल स्कूल के पढ़ाई जरोद अउ हायर सेकण्डरी के पढाई भाटापारा मा करीस. महासमुंद ले बीटीआई अउ बीए व हिन्दी अउ भूगोल मा एमए बलौदाबाजार ले करीस. राजनांदगॉव के दिग्विजय कॉलेज मा सहायक प्राध्यापक पद मा रहत वोहा हिन्दी मा पीएचडी करीन. 

   1975 मा वोहा बीटीआई महासमुंद ले अध्यापक प्रशिक्षण बर प्रवेश परीक्षा 75 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण की. 


प्राथमिक शाला के शिक्षक ले प्रोफेसर तक के सफर 



 1979 मा शासकीय प्राथमिक शाला वटगन (रायपुर) मा शिक्षक बनके गीस. येखर बाद विश्वविद्यालय के सबो परीक्षा मन ला स्वाधायी छात्र के रुप मा दिलइस अउ उच्च अंक के साथ उत्तीर्ण होत गीस. 

  कॉलेज के प्रोफेसर बनना अपन जीवन के लक्ष्य बनाय रीहीस अउ येला वोहा गजब संघर्ष करके प्राप्त करीन. आर्थिक समस्या ले जूझत अपन रास्त बनइस. जब हिन्दी के सामान्य वर्ग ले  आठ पद बर अखिल भारतीय विज्ञापन आधार मा वोकर नियुक्ति होइस ता अपन लक्ष्य ला प्राप्त करके अपन जीवन के सबले बड़े खुशी प्राप्त करीस. 

   1986 मा ऊंकर नियुक्ति शासकीय माखन लाल चतुर्वेदी महाविद्यालय बाबई (होशंगाबाद)मा हिन्दी के सहायक 

प्राध्यापक पद मा होइस. 1987 मा वोहा दिग्विजय कॉलेज राजनांदगॉव मा स्थानांतरित होके आइस. इहां वोहा जुलाई 2008 तक रीहीन. 21 वर्ष तक ये कॉलेज म टिके रीहीस यहू हा गजब बड़े उपलब्धि रीहीस. 2006 मा वोहा सहायक प्राध्यापक ले प्राध्यापक (हिन्दी) बनगे.  21 वर्ष मा वोहा अपन एक अलग छाप छोड़िस. वोहा महाविद्यालय के शैक्षणिक गतिविधि के सँगे सँग साहित्यिक, सांस्कृतिक अउ राष्ट्रीय सेवा योजना के गतिविधि के जिम्मेदारी ला बने ढंग ले निभाइन. 


    पीएचडी के उपाधि 


  वर्मा जी हा 1992 मा विद्वान  डॉ. गणेश खरे जी (राजनांदगॉव) के प्रेरणा ले डॉ. गीता पाठक के मार्गदर्शन मा " साठोत्तरी हिन्दी कविता में राष्ट्रीय -सामाजिक चेतना "विषय मा पीएचडी के उपाधि प्राप्त करीस.


स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ले स्टे लाइस 


छत्तीसगढ़िया व्यक्तित्व के धनी जत्तिक सरल, सहज अउ सरस रीहीस वतकी दृढ़ता के घलो प्रतीक रीहीस. जब साभिमान ला ठेस पहुंचे के नौबत आय ता करिया डोमी कस फूंफकार के अपन मान -मर्यादा के रक्षा करे. 

2007 मा वर्मा जी के स्थानांतरण दिग्विजय कॉलेज राजनांदगॉव ले कवर्धा के नया कॉलेज मा सहायक प्राध्यापक मा करे गीस जबकि वोहा 2006 मा प्राध्यापक बन गे रीहीस. कवर्धा कालेज में हिन्दी में प्राध्यापक के पद नइ रीहीस हे. इहां वर्मा जी हा अपन हक बर लड़ाई करत हाई कोर्ट ले स्टे ला लीस अउ ये प्रकार ले ऊंकर स्थानांतरण रुकगे. वर्मा जी हा शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष रीहीन. 


स्वेच्छा स्थानांतरण मा भाटापारा गीस

   21 साल तक दिग्विजय कॉलेज मा सेवा देय के बाद जुलाई 2008 मा अपन स्थानांतरण अपन जनम भूमि फरहदा के तीर भाटापारा कॉलेज मा करा लीन.  जुलाई 2008 मा साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगॉव द्वारा दिग्विजय कॉलेज के नवीन सभागार मा विदायी समारोह के आयोजन करे गीस जेमा जेमा जिला भर के तीन दर्जन साहित्यकार मन अपन उपस्थिति देके वर्मा जी के प्रति अपन मया ला उड़ेलिन. उंकर विदायी बेला मा सबके आँखी हा डबडबागे. ये प्रकार ले वर्मा जी हा अपन दृढ़ता अउ दूरदर्शिता ले शासकीय गजानन स्नातकोत्तर महाविद्यालय भाटापारा मा आके सेवा करे लागीस. इहां वोहा हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे के सँगे सँग 

2017 मा प्रभारी प्राचार्य घलो रीहीन. कॉलेज मा राष्ट्रीय स्तर के सेमीनार करइस .अपन दूरदर्शिता ले प्रभारी प्राचार्य रहत भाटापारा कॉलेज के नेक का मूल्यांकन कराय मा सफल होइस. ये प्रकार ले  भाटापारा कॉलेज ला नेक से मान्यता प्राप्त कॉलेज के श्रेणी मा आगे. 


विश्वविद्यालय के हिन्दी अध्ययन मंडल के अध्यक्ष बनीस 


श्रद्धेय वर्मा जी के योग्यता अउ विद्वता ला देख के  नवंबर 2020 मा पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर मा हिन्दी अध्ययन मंडल के अध्यक्ष बनाय गे रीहीस. येकर सदस्य पहलीच ले रीहीस हे. 


     साहित्य सेवा 


वर्मा जी हा 1975 ले कविता लिखे के शुरु करीस. महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी अउ हिन्दी मा समान रुप ले लिखे हवय. रायपुर के कतको अखबार मा ऊंकर रचना छपिस. छत्तीसगढ़ महतारी के प्रति गजब प्रेम रखइया वर्मा जी हा 1979 मा अलग राज खातिर अपन लहू मा चिट्ठी लिखके छत्तीसगढ़ राज्य के समरथन करीन. 

वर्मा जी के आलेख, शोध पत्र, संस्मरण, समीक्षा, कविता हा कतको राष्ट्रीय अउ स्थानीय पत्र -पत्रिका मा प्रकाशित होत रीहीस हे. उंकर प्रकाशित पुस्तक मा "साठोत्तरी हिन्दी कविता में राष्ट्रीय -सामाजिक चेतना (शोध ग्रन्थ) 1999, "समकालीन हिन्दी कविता और राष्ट्रीय परिदृश्य "

(शोध पत्रिका संपादित) 2000, छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह "माटी महतारी 2001 , पुरातत्व अउ संस्कृति मंत्रालय छत्तीसगढ़ शासन के सहयोग अउ जिला प्रशासन राजनांदगॉव के सहयोग ले 2002 मा "छत्तीसगढ़ की अभिव्यक्ति, इतिहास एवं स्वतंत्रता", 2003 मा "छत्तीसगढ़ की जनभाषा और कथा कंथली " के संपादन,साकेत छत्तीसा भाग -1 (2003),साकेत छत्तीसा भाग -2 (2004),साकेत छत्तीसा -3(2005) के संपादन करीन. समकालीन हिन्दी कविता पर विश्व विद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के सहयोग ले 2000 मा राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी के आयोजन के दायित्व ला गजब सुग्घर ले निभाइस. लखनउ अउ रायबरेली के अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मा भागीदारी करीस. 


   साहित्य सम्मान 


डॉ. वर्मा जी ला साहित्य सेवा खातिर कतको संगठन हा सम्मानित करीस. मध्यांचल कल्याण समिति उत्तरप्रदेश अउ महिला प्रगति संस्थान रायबरेली द्वारा " साहित्य शिरोमणि सम्मान "(1998),साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगॉव द्वारा " साकेत साहित्य सम्मान "(2002),छत्तीसगढ़ी राजभाषा अउ आदिवासी संस्कृति संस्थान रायपुर द्वारा  "छत्तीसगढ़ी रत्न सम्मान "(26 नवंबर 2007 ) आदर्श युवा संगठन मुड़पार 

(सुरगी)  द्वारा "साहित्य सम्मान "के सँगे सँग कतको संगठन मा सम्मानित करीस. 


नवा प्रतिभा मन ला पलोंदी देवइया साहित्यकार 


वर्मा जी हा नवा लिखइया रचनाकार मन ला गजब पलोन्दी देय के काम करीस. दिग्विजय कॉलेज मा सेवा 

काल के समय साहित्य अउ भाषण कला मा रुचि रखइया छात्र मन ला आगू बढ़े बर मार्गदर्शन करय. राष्ट्रीय सेवा योजना के अधिकारी के रुप मा युवा वर्ग ला रचनात्मक अउ समाज सेवा के कार्य करे बर प्रोत्साहित करीस अउ साहित्य डहर जाय बर रास्ता घलो बतइस. महाविद्यालय मा आयोजित परिचर्चा, भाषण अउ वाद विवाद स्पर्धा, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता मा विद्यार्थी मन ला भाग लेय बर अब्बड़ प्रोत्साहित करे.  1997 मा आजादी के स्वर्ण जयंती के सुग्घर बेला मा दिग्विजय कॉलेज मा स्वतंत्रता सग्राम पर परिचर्चा आयोजित करे गे रीहीस वोमा मुख्य अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रद्धेय कन्हैया लाल अग्रवाल माई पहुना रीहिस. येमा प्रोफेसर मन के सँग महू ला अउ वक्ता सरोज कुमार मेश्राम ला विचार रखे बर बुलाय गे रीहिस. येमा वर्मा जी के ही हाथ रीहिस हे. मेहा उँहा काव्य पाठ घलो करे रेहेंव. कार्यक्रम के संचालन जाने माने वक्ता डॉ. चन्द्रकुमार जैन हा करत रीहिस हे. साकेत साहित्य परिषद् सुरगी के प्रमुख सलाहकार के पद के दायित्व ला सुग्घर ढंग ले निभावत 

येमा जुड़े जम्मो साहित्यकार मन ला अब्बड़ मया दीस. रचना लिखे बर गजब प्रोत्साहित करीस अउ अपन अमूल्य मार्गदर्शन ले नवा रास्ता दिखाइस. साकेत छत्तीसा भाग -1,2, 3(2003,2004,2005) के माध्यम ले नवा रचनाकार मन ला पलोंदी दीस. कार्यक्रम बर आर्थिक सहयोग करके साहित्यकार मन ला संबल प्रदान करय. वर्मा जी हा कॉलेज के प्रोफेसर होय के बावजूद ग्रामीण साहित्यकार मन सँग बहुत सरल,सहज अउ सरस ढंग ले पेश 

आय. कोनो सुझाव ला सुग्घर विनम्र ढंग ले बताय. गुनिक विद्यार्थी मन ला आर्थिक सहयोग घलो करय. 


हमर राजनांदगॉव जिला मा साहित्य के क्षेत्र मा आदरणीय वर्मा जी अउ आदरणीय कुबेर सिंह साहू जी के जोड़ी गजब सुग्घर ढंग ले चलीस. दूनों के जोड़ी हा साकेत साहित्य परिषद् सुरगी ला एक नवा ऊंचाई दीस.

दूनों के सुग्घर प्रयास ले हमर साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनॉदगॉव के वार्षिक सम्मान समारोह मा अंतरराष्ट्रीय पंथी नर्तक स्व. देवदास बंजारे जी, संत कवि पवन दीवान जी, तत्कालीन उपनेता प्रतिपक्ष अउ वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय भपेश बघेल जी, प्रसिद्ध साहित्यकार,डॉ. परदेशी राम वर्मा जी, प्रख्यात भाषाविद् अउ छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक जी, डॉ. विमल कुमार पाठक जी जइसे साहित्यकार मन हा पहुंच के क्षेत्र के साहित्यकार मन के मान बढ़इस. 







  कतको संगठन मा दायित्व ला निभाइस 


वर्मा जी हा साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगॉव के प्रमुख सलाहकार, छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद् के कार्यक्रम मंत्री, छत्तीसगढ़ी साहित्य परिषद् राजनांदगॉव के जिला संयोजक, राष्ट्र भाषा प्रचार समिति उपाध्यक्ष, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर मा हिन्दी अध्ययन मंडल के अध्यक्ष रहे के सँगे सँग मनवा कुर्मी क्षेत्रीय समाज राजनांदगॉव के अध्यक्ष अउ सर्व कुर्मी समाज के उपाध्यक्ष के दायित्व ला बखूबी निभाइस.


घर परिवार के जिम्मेदारी ला गजब सुग्घर निभाइस 


वर्मा जी हा छोटे किसान परिवार ले रीहीस. अब्बड़ संघर्ष करके आगू बढ़े रीहीस हे. तीन भाई मा सबसे बड़े रीहीस हे. वर्मा जी हा बड़का भाई के फर्ज ला सुग्घर ढंग ले निभाइस. जब वोहा राजनांदगॉव मा पदस्थ रीहीस ता अपन छोटे भाई अउ छोटे बहिनी ला अपन तीर रखके बने पढ़इस -लिखइस .छोटे भाई हा जब दूसर करा काम मा जाय ता अपन गाँव फरहदा मा रोड जगह मा जमीन खरीद के दुकान खोले मा सहयोग करीन अउ आत्म निर्भर बने के प्रेरणा दीस. जब भाटापारा कॉलेज मा स्थानांतरण होके गीस तब हर सप्ताह माता -पिता के दर्शन करे बार अपन गाँव फरहदा 

जरुर जाय. अपन घर परिवार के प्रति वर्मा जी के मन मा अगाध प्रेम राहय.  22 फरवरी 2017 के उंकर माताजी के निधन होइस. 


2018 मा विधानसभा चुनाव के समय अति व्यस्तता मा वर्मा जी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ीस. 17 नवंबर 2018 मा बीमार पड़गे. रायपुर के मित्तल हास्पिटल मा 17 नवंबर 2018 से 1 जनवरी 2019 तक ईलाज चलीस. इही समय मेहा हमर पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा विकासखंड छुरिया जिला राजनॉदगॉव के अध्यक्ष भाई शिव प्रसाद लहरे के संग वर्मा जी ला देखे बर हास्पिटल पहुंचेन. वर्मा जी हा हमर दूनो सँग 

सुग्घर गोठ -बात करीस. वर्मा जी हमर सँग अउ बहुत कुछ बात करना चाहत रीहीस हे पर स्वास्थ्य ला देखत उंकर पुत्र मयंक वर्मा हा जादा बात करे ले रोकीस अउ कीहिस कि ले पापा जब पूरा ठीक हो जाहू ता बहुत अकन बात कर लेहू ता इही जगह वर्मा जी हा कीहीस मेहा ठीक हवँ मयंक. मोला बात करन दे. कई चीज हा कई घांव बतात ले छूट जाथे. वर्मा जी हा इहां अपन कवर्धा स्थानांतरण के बात करत छत्तीसगढ़िया अस्मिता के चर्चा करत रीहीस हे. थोरकुन बात सुने के बाद महू हा केहेंव कि ले सर जी जब आप हा पूरा ठीक हो जाहू ता बहुत सारा बात करबो. अभी आप मन आराम करव. हमन गुरुदेव जी के आशीर्वाद लेके हास्पिटल ले बिदा लेन. 

 ये बीच मा वर्मा जी के स्वास्थ्य हा पूर्णत : ठीक नइ हो पाइस. 20,21,22 अप्रैल 2019 तक मित्तल हास्पिटल मा फेर ईलाज बर भर्ती होइस. 7 जून 2019 के फिर से स्ट्रोक मा अटैक आगे. निमोनिया घलो होगे. ये बीच मा वर्मा जी ला कोनो चीज ला गुटके मा परेशानी होय लागीस. 

12 जुलाई से 12 अगस्त 2019 तक अमलेश्वर मा ईलाज चलीस. 

 13 अगस्त 2019 मा अपन जनम दिन मा कॉलेज ज्वाइन करीस. अक्टूबर 2019 मा बेल्लोर (तमिलनाडु) जांच हेतु ले जाय गीस. उँहा के डॉक्टर मन हा कीहिस कि वर्मा जी आप बने हवव.

  27 मार्च 2021 मा वर्मा जी के पिता जी गुजर गे. वोकर ठीक एक महीना बाद  27 अप्रैल 2021 मा वर्मा जी हा घलो ये दुनियां ला छोड़ दीस. लॉकडाउन के समय कुछ नकारात्मक खबर हा घलो वर्मा जी ला तोड़े के काम करीन . ये बीच मा अपनों अउ 

अपन जान- पहचान के गुजरे ले वोला धक्का लागत गीस. काबर कि पहिली ले वोकर स्वास्थ्य हा पूरा ठीक नइ रीहीस हे. 

वर्मा जी हा अपन यश रुपी शरीर ले हमर बीच जीवित हवय. वर्मा जी पत्नी के नाँव श्रीमती मीना वर्मा, बेटा मयंक वर्मा अउ बेटी भुप्रिया वर्मा हे. श्रद्धेय वर्मा जी हा सरल, मृदुभाषी अउ उदार मनखे रीहीस हे.वोहा भाषाविद्, कुशल संपादक, बड़का विद्वान, दूरदर्शी,स्पष्ट वक्ता अउ छत्तीसगढ़िया व्यक्तित्व के धनी रीहीस हे. महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी के बारे मा उंकर कहना राहय कि " छत्तीसगढ़ी मा भाषा के सबो गुन हे. एक दिन वोला भाषा के दर्जा मिलके रहिही. "छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान खातिर लड़इया स्व. वर्मा जी ला पितर पाख म शत् शत् नमन है. 


        ओमप्रकाश साहू "अंकुर "

       सुरगी, राजनांदगॉव 

       मो.  7974666840

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