Monday 6 September 2021

छत्तीसगढ़ी रोटी

 छत्तीसगढ़ी रोटी


               खइरखा डांड़ तिर सांझ कुन हमर गाँव के सियान मन सकलाथे तहन ..... फकर फकर बीड़ी पियत .. रंग रंग के बकर बकर मारत रहिथे । एक दिन एक झिन सियान के लइका हा ..... छत्तीसगढ़ी म एम.ए. करके आये रहय ..... तेकरे गोठ चलत रहय । जम्मो झिन हा सियान ला बधाइ देवत कहत रहय के ..... अब तोर लइका हा सरकारी स्कूल म गुरूजी बन जही । सियान किथे – सब तुँहर मनके आशीर्वाद आये भइया हो । छत्तीसगढ़ी पढ‌‌के मोर लइका नौकरी पा जही ..... मेहा सोंचे नइ रेहे हंव । 

               कुछ बछर नहाकगे । लइका हा गाँव म एती ओती लठँग लठँग किंजरत रहय । ओकर संगवारी मन साहेब सिपाही बन गिन .... बर बिहाव घला होगे अऊ घर के जनसंख्या म बढ़होत्तरी के नम्बर आगे । गाँव के लगभग हरेक जवान मन काम धंधा म लग चुके रिहीन । सिर्फ इही लइका हा बिगन काम के बेरोजगार किंजरत रिहिस । सियान मन साँझ कुन ओला रोज देखय । उही ला देखके .... गाँव म अब कन्हो लइका मन ..... न छत्तीसगढ़ी गोठियावय ..... न ओला पढ़य लिखय .... न सुनय .... न समझय । सियान मन अपन भाखा अऊ ओला जनइया लइका के भविष्य बनाये के फिकर म बुड़ गिन । लोगन के हृदय म अपन भाखा के प्रति मोह जगोये बर .... अऊ पोट पोट करत अपन भाखा ला साँस देवाये बर अइसन लइका ला नौकरी देवाये बर जुरियाके गोहार लगइन । एक जगा म सकलाके सरकार तिर अपन बात राखत ..... जम्मो सियान मन छत्तीसगढ़ी भाखा के लिखइया पढ़इया मनके समस्या ला उजागर करिन अऊ सरकार ला बतइस घला के ..... छत्तीसगढ़ी भाखा के बोलइया , लिखइया पढ़इया समझइया अऊ सुनइया काबर कमतियावत हे .... ? ओमन सरकार तिर सुझाव राखिन के ...... छत्तीसगढ़ी भाखा ला रोटी संग जोड़ देहे म बहुतेच फायदा होही । सरकार सुनिस घला अऊ खमाखम आश्वासन घला दिस । 

               कुछ दिन पाछू ...... छत्तीसगढ़ी हा रोटी संग जुड़गे । एक झिन सियान हा .... बुगुर बुगुर बरत लालबत्ती कार के भीतर रोटी टोरत हे । कुछ ..... छत्तीसगढ़ी भाखा ला बजार म बेंच के .... रोटी खावत हे । एती छत्तीसगढ़ी पढ़इया लिखइया लइका के हांथ हा रोटी म सनागे .... ओकर हांथ म रोटी के सुगंध भरगे .... ओकर हांथ ले .... रोटी के सरलग निर्माण होय लगिस .... फेर .... ओकर मुहुँ ला अभी भी रोटी के अगोरा हे .... ओकर पेट अभी घला जुच्छा के जुच्छा हे ...... । आश्वासन देवइया मन .... छत्तीसगढ़ी अऊ छत्तीसगढ़िया के इही लइका के हांथ के बने रोटी ला .... भुकर भुकर के झड़कत हे । चारों डहर शोर मचगे के छत्तीसगढ़ी भाखा हा रोटी संग जुड़गे ..... । सरकार के वाहवाही होगे ..... थपड़ी पिटइया के संख्या बाढ़गे .... ।  


हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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