Tuesday 21 September 2021

छत्तीसगढ़ी ला पोठ करे बर समाचार पत्र के भूमिका का होना चाही*

 *छत्तीसगढ़ी ला पोठ करे बर समाचार पत्र के भूमिका का होना चाही* 


अभी आप अउ हम सब देखत आवत हन हमर छत्तीसगढ़ी भाखा अउ साहित्य हा कतेक पोठ अउ समृद्ध हे । हमर छत्तीसगढ़ी भाखा मा पहिली भी कतकोन कालजयी रचना लिखें गेय हवय अउ आज घलो लिखें जावत हावय । हमर छत्तीसगढ़ी भाखा देश विदेश अउ परदेश मा कोन्हों पहिचान के मोहताज नइये । हम सब झन जानत हावन कि कोन्हों भी भाखा के विकास म उँहा के साहित्य के कतका कन योगदान होथें । काबर कोन्हों भी भाखा ला आम बोलचाल म बउरे अउ लिखें मा बहुत फरक पड़थे । ओइसने हमर छत्तीसगढ़ी भाखा हा हें , जउन ला खुदे हमर अपन प्रदेश भर म सबो अंचल मन के हिसाब ले कई अलग - अलग बोली बनाके बोले जाथें ।  


अब हम गोठ करथन हमर छत्तीसगढ़ी ल पोठ करे बर समाचार पत्र मन के भूमिका का होना चाही ..................

आज हमर मन के बीच म आनी बानी के समाचार पत्र मन सब हावय जउन ला हमन रोजे देखत अउ पढ़त रहिथँन । वो अखबार मन पूरा हिंदी भाषा म ही होथें , आज हमर अपन प्रदेश के लोकल कोन्हों कोन्हों अखबार म अउ देश के एकात दू ठन अइसे नामी गिनामी समाचार पत्र हावय जउन मन सप्ताह म अउ महीना मा समाचार पत्र के एक ठन अंक ला छत्तीसगढ़ी बर राखें हावय । जउन अंक म उन मन छत्तीसगढ़ी भाखा के समाचार मन ला प्रकाशित करथें । दुःख के बात ये ह लागथे कि आज सबो परदेश मन के अपन अपन बोली भाखा मा प्रकाशित होवइया कई ठन समाचार पत्र हावय , अउ उँहा उंकर भाखा के समाचार पत्र सरलग प्रकाशित घलो होवत रहिथें । फेर येला हम अपन प्रदेश के पिछड़ा पन कहिन कि दुर्भाग्य कहिन की आज हमर अपन प्रदेश मा प्रदेश के अपन बोली भाखा के कोन्हों समाचार पत्र नइये । ये बात ला हम अइसने नइ कहि सकन काबर येखर बहुत अकन कारन हो सकत हे ।


बाकी कोनो भी भाखा होय चाहें साहित्य होय प्रकाशन ले बहुत पोठ अउ समृद्ध होथें ये मोर अपन निजी विचार आय । येखर बारे म अउ हमर सुजान बुधियार साहित्यकार मन ही बने ढंग ले बता पाही । हमर छत्तीसगढ़ी भाखा ला पोठ करे बर हमर अपन इहाँ के छत्तीसगढ़ी भाखा मा घलो रोज के (दैनिक) समाचार पत्र अउ पत्रिका प्रकाशित होना चाही । हमर इहाँ ले प्रकाशित होवइया देश के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय समाचार पत्र पत्रिका मन मा घलाव रोज के (दैनिक) कम से कम एक अंक हमर छत्तीसगढ़ी समाचार पत्र बर आरक्षित होना चाही । तब जाके हमर अपन इँहा के मनखे मन ला हमर मातृभाषा हिंदी के संगे संग अपन महतारी भाखा मा सुग्घर समाचार पत्र पढ़े बर मिलही । तब जाके हम कहि सकथन कि हमर छत्तीसगढ़ी ल पोठ अउ समृद्ध करे मा समाचार पत्र वाले मन के भूमिका घलो बड़का हावय कहिके । 


आज अइसे नइये की हमर इहाँ ले प्रकाशित होवइया लोकल दैनिक समाचार पत्र मन के कमी हें । आज जिला - जिला म अलग अलग कइ ठन नाव ले समाचार पत्र मन के प्रकाशन होवत हावय , पूरा प्रदेश भर मा । फेर वोमन में अपन खुद के महतारी भाखा के नामो निशान नइ राहय , जउन बड़ दुःख के संग विचार करे के लइक बात आय । हम ये नइ काहँन कि हिंदी भाषा ले हमला कोनो द्वेष हें , हमर देश के हम सबो के मातृभाषा ये हमला वोकर ले आपार मया हे । ओइसने हमला अपन महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ले घलो अन्तस् ले मया करना चाही , वोकरो समृद्धि के बारें मा हमला अउ समाचार पत्र वाले मन ला सोंचना चाहीं । छत्तीसगढ़ी ला पोठ करके आघू बढ़ाय खातिर छत्तीसगढ़ी मा समाचार पत्र पत्रिका प्रकाशन करे के संगे संग देश के प्रतिष्टित समाचार पत्र पत्रिका मन मा घलो सरलग छत्तीसगढ़ी भाखा ला स्थान दिलाना चाही , तब जाके समाचार पत्र के भूमिका छत्तीसगढ़ी भाखा के उत्थान बर कुछ समझ मा आहीं । 



              *मयारू मोहन कुमार निषाद* 

               *छंद साधक सत्र कक्षा - 4*

              *गाँव - लमती , भाटापारा ,*

1 comment:

  1. अब्बड़ सुघ्घर लेख हावय भाई, आप मन सिरतोन बोले हावव हमर छत्तीसगढ़ ल पोठ करे बर छत्तीसगढ़ी भाखा म समाचार पत्र म छत्तीसगढ़ी भाखा के अंक अब्बड़ जरूरी हावय👌🏻👌🏻

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