Monday 6 September 2021

आज के भारत बर कृष्ण


 

 सरला शर्मा: आज के भारत बर  कृष्ण 

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      राम कस बेटा मिले के असीस सबो झन ल मिलथे ...कृष्ण असन बेटा काबर नहीं ? गुने बर  पर गे भाई ..। सबले पहिली देखिन के कृष धातु के पहिली अर्थ आकृष्ट करना माने अपन कती खींचना दूसर अर्थ जोतना देखव न कृष्ण तो दुनों काम करथे ...ओकर सुन्दराई , ओकर लीला , ओकर चरित्र मन ल खीँचथे त मनसे के मन ल , हृदय ल नांगर चला के जोत देथे तभे तो प्रेम के बीज बोआथे ....कृष्ण नांव सार्थक हो जाथे । 

    कृष्ण जब तक यशोदा नन्द के संग रहिन ...ओ समय के आम आदमी के दुख सांसत ल समझिन भर नहीं ओला दुरिहाये के उदिम घलाय करिन । नन्दगाँव के दूध दही ल मथुरा के राजा कंस के कारिंदा मन पानी के मोल जबरन लेवयं अतके नहीं बरवाही असन नियम रहिस के ग्वालिन गोपी मन दूध दही ल नदिया पार करके , जाड़ा , गर्मी , बरसात मं जूझत मथुरा पहुंचाए बर जावयं । लइकन ल तो दूध , दही , माखन मिले च नइ पावत रहिस ..राजा के डर मं कोनों कुछु कहे नइ सकत रहिन त कृष्ण उपाय करिन  के लइकन संग माखन चोराये लगिन के लइकन ल खाए बर मिलय ओहू मन के देह मन पोठावय दूसर ग्वालिन मन के मटकी च फोर देवयं । कंस के अत्याचार के विरोध अउ गोप मन के दूध उत्पादन के समर्थन मूल्य देवाए के उदिम इही हर आय । एतरह कृष्ण जन नायक बनिन ..जनक्रांति के सूत्रधार बनिन , दुखी भुखी , पिछुवाये मनसे मन ल अपन वाजिब हक बर लड़ना सीखोईन । 

    उही गोप मन ल चरागाह युग के पशु पालन ले कृषि युग मं ले चलिन , जंगल ल निरवार के , नदिया के तीरे तीर , गोवर्धन पहाड़ के तलहटी मं किसानी करे के प्रेरणा दिहिन ....अपन बड़े भाई बलराम के बल बुता ऊपर भरोसा रहिस त उंकरे खांध मं नांगर बोहा दिन ...फेर का देखते देखत नन्द गांव के घरों घर दूध दही संग अनाज पाती के भंडार घलाय भरे लागिस । कृष्ण के नेतृत्व क्षमता , जन मन मं बस जाए के गुन , थके हारे मन ल बांसुरी के धुन मं मगन करे के गुन माने संगीत के स्थापना ....। आज के भारत के गिरे , हपटे , पिछुवाए मनखे मन ल कृष्ण के अगोरा तो आजो हावय । 

    नन्द गांव छूट गिस ..मथुरा आइन ...कंस वध हर निरंकुश राजतंत्र के खात्मा तो आय गुने लाइक बात आय के कंस के निरंकुश अत्याचार अतका बाढ़ गए रहिस के ओकर वध से जनता नाराज नइ होइस उल्टा कृष्ण के जय जयकार होइस ...जन नायक बन गिन यशोदानन्दन ...। 

कारागार ले देवकी , वसुदेव संग कंस के पिता माने अपन नाना उग्रसेन ल भी मुक्त करिन ..उन्मन के असीस पाइन तभे तो देवकीनन्दन वासुदेव कहाइन । ध्यान देहे के अउ आज के भारत बर पटन्तर एहर आय के अतका जनप्रिय नायक रहिन कृष्ण फेर मथुरा के राजगद्दी तो कंस के पिता उग्रसेन ल दे दिहिन ..खुद भी तो राजगद्दी मं बइठ सकत रहिन ...नहीं निदान ..अपन पिता वसुदेव ल ओहू नहीं त बड़े भाई बलराम ल राजा बना देतिन ...? 

आज के भारत मं कृष्ण असन सर्वत्यागी , जनप्रिय , लोगन के सुख दुख समझइया , निर्लोभी नायक ( नेता ) के जरूरत हे न ? 

     क्षमाशील कृष्ण शिशुपाल के 99 गलती , निंदा , गारी ल सहे के बाद सुदर्शन चक्र चलाये रहिन आज तो मानहानि के दावा निपटाए मं उम्मर पहा जाही ...। थोरकुन अउ आघू देखिन ...

स्त्री स्वतंत्रता के पोषक रहिन तभे तो महा रास मं गोपी मन ल बला के उन मन के मन ल संगीत , नृत्य , ईश्वरीय प्रेम से भरे सकिन ...सुरता राखे के बात एहर आय के शरद पुन्नी के रास के समय कृष्ण के उमर केवल तेरह साल के रहिस ...कोनो किसिम के अमर्यादित आचरण करे के उमर रहिबे नइ करिस हे । आज गांव , नगर , शहर मं स्त्रीजाति के जौन तरह अपमान होवत हे तेला  देख के कहे बर परत हे " एक बार फिर आओ माधव , एक बार फिर आओ कृष्ण । " 

     मथुरा नगरी जरासंध के घेरी बेरी के लड़ाई , झगरा करे ले हलकान होए लगिस त कृष्ण अपन संगी संगवारी मन संग समुद्र तीर नवा नगर बसाईन ...एदारी कृष्ण व्यापार ऊपर ध्यान दिहिन त द्वारिका नगर के स्थापना होइस ...बड़े बड़े डोंगा मं जेला आजकल मालवाहक डोंगा कहि सकत हन तेकर सहायता से मनसे नवा ढंग ले रोजी रोजगार करे लगिन ...नवा राज बनिस त एदारी राजगद्दी मं बइठारिन बड़े भाई बलराम ल ....कृष्ण तो कभू राजा बनबे नइ करिन आज के भाषा मं कहि सकत हन कृष्ण king maker रहिन ...धुंरधर राजनीतिज्ञ रहिन , जनसेवक रहिन फेर राजा तो कभू नइ रहिन । आज के भारत मं कृष्ण असन परमार्थी मनसे ,  राजनीतिज्ञ के बहुते च जरूरत हे ।  

   कृष्ण चरित्र ल भारत के अलग अलग भाषा मं देश के अलग अलग प्रान्त मं कई झन कवि , साहित्यकार मन अपन सोच विचार के अनुसार वर्णन करे हें , भक्ति कालीन कृष्ण , रीतिकालीन कृष्ण , निम्बार्क सम्प्रदाय के मोक्षदाता कृष्ण , चैतन्य महाप्रभु के परमानन्दम् माधवम् आऊ बहुत अकन मत , मतांतर के कृष्ण वर्णित हे ...तभो कहे बर परत हे के युगीन विसंगति मन ल ध्यान देके , अन्याय , अनाचार के विरोध के महाभारत मं पाञ्चजन्य शंखघोष करे बर कृष्ण के जरूरत आज के भारत मं हे । 

  एक हाथ मं बांसुरी दूसर हाथ मं सुदर्शनचक्र ले के फेर एकबार भारत मं आवव कृष्ण ..तभे तो  कहत बनही ...." हे दीन बंधु , हे दीना नाथ , राखो शरण लेहु साथ । " 

   कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् । 

        सरला शर्मा 

          दुर्ग

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*छत्तीसगढ़ में चलत एक ठन गोठ*

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*राम ज़इसन कर कर ! तोर जीवन सुफल हो जाही ।*


(राम मर्यादा पुरुषोत्तम आँय । उँकर जीवन के अनुकरण उँकर हर पद -चिन्हा के अनुसरण ,हमर जीवन ल पोठ अउ सुरक्षित बनाही । श्रेय अउ प्रेय ,बनी अउ भूती दुनों मिलहीं ।


*कृष्ण जइसन झन कर ! तोर जीवन अरझ जाही ।*


( श्री कृष्ण लीला- पुरुषोत्तम आँय। उँकर असन बिल्कुल झन कर । उंकर लीला ल देख -सुन -चिंतन - मनन -अनुभव कर ! 


करे के कोशिश 

करबे ,तब फेर पिटानेच-पिटान ! विश्वास नई होत ये ,तब तहुँ एको पइत गोपिका चीरहरण करके देखले ।


तब कृष्ण के एको बुता का मनखे नई करे सके । नहीं ! अइसन बात नइये । तँय उँकर जउन सबला प्रिय बुता रहिस - अपन आत्मानुसंधान जइसन बाँसुरी वादन ! वो बुता ल कर सकत हस। केवल अउ केवल कृष्ण असन बाँसुरी बजा भर बजा सकत हस ।


सोलह हजार एक सौ आठ रानी के स्वामी कृष्ण हर पहिली गोस्वामी (गो-इन्द्रिय , अपन इन्द्रिय के स्वामी )आँय, योगिराज आँय, योगेश्वर आँय, तेकर पाछु कुछु आन । जिंकर उरु ( जंघा )के तरी म उर्वशी जइसन प्रेय मन बन- कचरा असन दबे परे हांवे, अइसन जगद्गुरु ल वंदन ! )


     आज के भारत ल भी उँकर गोठ के मर्म ल समझे -गुने के जरूरत हे। उंकर लीला ल नहीं फेर उँकर उपदेश के एक एक पद ल करे के जरूरत हे।


*रामनाथ साहू*


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बादल: आज के भारत अउ श्री कृष्ण

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वंदे कृष्णं जगत गुरुं।

     यशोदा के लाल, वासुदेव श्री कृष्ण ला  जगत गुरु कहे जाथे। गुरु के अर्थ होथे वो मार्गदर्शक मनखे जेन हा अपन अनुयायी ला अंधकार (अज्ञान)ले उबार के अँजोर (ज्ञान) कोती, असत ले सत कोती, मृत्यु ले अमृत(मुक्ति) कोती ले जाय। एक पथ प्रदर्शक के रूप मा सदगुरु के ये जम्मों लक्षण, महामानव, लोकनायक ,कुशल राजनीतिज्ञ,परम पुरुषार्थी, क्रांतिकारी अउ चमत्कारिक ,आकर्षक व्यक्तित्व के धनी श्रीकृष्ण मा देखे ला मिलथे।

     लगभग 5200-5300 साल पहिली  ए पावन भारत भुँइया मा,कंस के जेल मा जनम लेये श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन अउ शिक्षा जतका महत्वपूर्ण रहिसे, वोकर ले जादा आज हावय अइसे कहना कोनो अतिशयोक्ति नइ होही। नाना प्रकार के समस्या ले जूझत भारत के संग पूरा संसार श्रीकृष्ण के चरित्र ले प्रेरणा लेके सुख-शांति प्राप्त कर सकथे।

        योगाचार्य श्रीकृष्ण के जिए जीवन अउ देये उपदेश जेला पूर्ण ज्ञान के सार गीता ज्ञान कहे जाथे ला अपना के कोनो भी अपन जिनगी ला धन्य बना सकथे, प्रेरणा ले सकथे, समस्या ले उबर सकथे। वोमा के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हे----

संतुलित जीवन शैली---वर्तमान मा लोगन के खान-पान, अचार-विचार ,रहन-सहन आदि अइसे होगे हे के अकूत धन-सम्पत्ति , आसमान ला छूवत भौतिक प्रगति के बावजूद सुख-शांति नइये। मनखे के शरीर हा नाना प्रकार के रोग के घर बनगे हे। काबर के हमन प्रकृति ले दूरिहावत जावत हावन। कुछु बात मा संतुलन नइये।न भोजन मा, न सुते-जागे मा ,न तो मेहनत मा।  

            तन-मन ला स्वस्थ रखे बर उन योग के शिक्षा दे रहिन हें। आज भारत सहित पूरा संसार योग ला अपनावत हे। बहुत ही अच्छा बात ये फेर ये बात के तको ध्यान रखे ला परही के योग वोकरे सध सकथे जे हा न तो जादा खाय, न तो हठ करके ,भूँखन लाँघन रहिके शरीर ला सुखा दय। योग वोकरे सध सकथे जेन न तो जागय, न तो जादा नींद भाँजय। ये बात गीता मा स्पष्ट रूप ले बताये गेहे। कहे के मतलब हे संतुलित जीवनचर्या होना चाही। 

       एही तरा ग्रामीण जीवन अउ शहरी जीवन मा तको समन्वय अउ संतुलन के जरूरत हे। श्रीकृष्ण मथुरा शहर मा पैदा होइस, गोकुल मा रहिस। आज नँदावत गाँव अउ सुरसा के मुँह कस बाढ़त शहर मन संतुलन बनाके लगाम कसे ला परही।


प्रकृति प्रेम अउ पर्यावरण रक्षा----

श्रीकृष्ण ला वन-उपवन, जंगल-झाड़ी, नदी-पर्वत ले अगाध प्रेम रहिसे। कदम के पेंड़ मा चढ़के बँसरी बजाबत राहय, झुरझुट मा लुकावय खेलय, जंगल मा गाय चरावत घूमत राहय। पुन्नी के रात मा रास रचावय।

    यमुना जल मा जहर फइलइया कालिया नाँग ला नाथ के ,उहाँ ले भगाना जल ला प्रदुषित होये ला बँचाये के, नदी के गंदगी ला साफ करे के शिक्षा देथे।

       वर्तमान मा जतका बड़े-बड़े कल कारखाना हे जे मन अपन गंदगी ला नदी-नाला मा बोहवावत हें ,उही मन कालिया नाग आँय ।ये मन ला नाथना जरूरी हे।

   जम्मों नदी-नरवा मन ला साफ करे के जरूरत हे।


एक जूट होके अत्याचार ,अधर्म के विरोध--


 श्रीकृष्ण हा ब्रजवासी मन ला समाइस के हम ला गोवर्धन पर्वत, यमुना नदी, वृंदावन ,ब्रजभूमि के पूजा करना चाही काबर के इही मन असली देवता ये जे मन हमर गाय मन ला चारा-पानी देथें। हमन ला अन्न-धन देथें। इंद्र के पूजा (निरंकुश राज सत्ता के चाटुकारिता) ला व्यर्थ बताइस।

  सब ब्रजवासी मानगें। इंद्र नराज होगे।भयंकर पानी गिराये ल धरलिस त वोहा गोवर्धन ला उठाके ,छाता जइसे तान के रक्षा करिस। चाहतिस त अक्केला तको उठा सकत रहिस फेर सबो झन के सहयोग लेके कहिस तहूँ मन अपन डंडा मा गोवर्धन ला टाँगव।

        ए घटना एकता मा बल हे के शिक्षा देथे जेकर आज बहुतेच जरूरत हे काबर के सत्ता के नशा हमर भारत मा नाना रूप मा देखे ला मिलथे। 


कृषि अउ गोपालन ला बढ़ावा--


श्रीकृष्ण हा धेनु चरावय। वोला गोपाल कहिथन। सम्पन्न नंदबाबा के लाला अउ गाय चराना----बहुत बड़े संदेश छिपे हे।

    हमर भारत कृषि प्रधान देश आय । गो माता हा खेती-किसानी के काम बर बछड़ा देथे। वोकर गोबर हा उत्तम खातू देथे। दूध-दही हा शरीर बर अमृत के समान होथे। गोमुत्र के प्रभाव ले बहुत कस घातक जीवाणु, विषाणु मन मर जथे।

 भारत बर तो गाय हा वरदान ये।वोकर बध मा पूरा प्रतिबंध लगा देना चाही।

  कोनो कहि सकथे यहा आधुनिक टेक्टर के युग मा नाँगर बइला के बात---- गाय संरक्षण के बात----? हव काबर के टेक्टर हा धुँआ दे सकथे--दूध नइ दे सकय । आधुनिकता हा रोग फइलया, धरती ला जला के बंजर बनइया रसायनिक खाद दे सकथे,जमीन ला उपजाऊ बनइया जैविक खाद नइ दे सकय-।


खेल ला बढ़ावा---

नटखट बाल कृष्ण हा अपन ग्वाल-बाल सँगवारी मन संग खेलत राहय। कभू रिसावय-कभू मनावय, हँसी -ठिठोली होवय।मतलब  सहीं ढ़ंग ले बचपन मा तन-मन के विकास होवय। खेल कूद कतका फायदा वाला हे खासकर घर ले बाहिर निकल के खेलना( आउटडोर गेम )

   , समझे जा सकथे। खेलकूद तो सुग्घर स्वास्थ्य के खजाना आय।

वर्तमान मा हमर लइका मन अइसन खेलकूद ला छोड़के कुरिया मा खुसरें-खुसरें  मोबाइल गेम खेलत हें जेन तन-मन ला बीमार करत हे।अइसन खेल ला हतोत्साहित करके अन्य खेल ला प्रोत्साहित करे के बहुतेच आवश्यकता हे।


नारी सम्मान के रक्षा---

श्रीकृष्ण सदा प्राण-प्रण ले नारी सम्मान के रक्षा करिस। देवकी नंदन होके ,माता यशोदा के लाल कहाइस। नरकासुर के कारागृह ले बंधक नारी मन ला छोड़ाइस।

राधा ले निश्चल प्रेम करिस ।वोकर मान सम्मान मा कभू दाग नइ लगन दिस। 

कौरव- सभा मा चीर-हरण के समे द्रोपदी के लाज बँचाइस।

       आज जब  नारी के स्वाभिमान ला अब के कौरव मन कुचलत हें।जगा-जगा हिंसा, बलत्कार ,हत्या  होवत तब श्रीकृष्ण अपन भीतर के कृष्ण ला जगाए ला परही।


सकारात्मक जीवन--


श्रीकृष्ण के पूरा जीवन संघर्ष के ,संकट के ,विरोधाभास के जीवन रहिस फेर वो कभू निराश नइ होइस भलूक हाँसत -मुस्कावत हर संकट के मुकाबला करिस।

जेन होइस तेन अच्छा होइस, जेन होवत हे अच्छा होवत हे अउ जेन होही उहू अच्छा होही।एखर ले बड़े सकारात्मक सोच अउ का हो सकथे। मनखे ला सदा वर्तमान मा जीना चाही।

       आज आधुनिकता के भँवरजाल मा फँसके कतकों भारतवासी छटपटावँत हे। बाल,युवा, वृद्ध, नर-नारी अवसाद मा घिरत जावत हें।आत्महत्या बेतहाशा होवत हे अइसन समे मा श्रीकृष्ण के जीवन ले शिक्षा लेये के जरूरत हे।


भाग्यवाद के विरोध कर्मवाद के शिक्षा---


अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।

दास मलूका कह गये, सबके दाता राम।।

        संत मलूका हा अइसन बात अपन इष्ट के महिमा के अतिशयोक्ति पूर्ण बखान करत कहिस होही।भक्त तो शरणागत होथे -----। फेर कहूँ ये भाग्यवाद के बात होही त मानव जाति बर एकदम घातक हे काबर के भाग्यवाद हा तो एकदम नकारा अउ आलसी बना देही।

असली तो केवल कर्म होथे।कोनो भी एक सेंकण्ड तको बिना कर्म करे नइ रइ सकय।

   श्रीकृष्ण प्रबल पुरुषार्थ करके देखाइस अउ सदा सुकर्म(धर्म) करे के शिक्षा देइस। वो जेन कर्मवाद के सिद्धांत देइस वो अटल सत्य हे, सब बर हे।कर्म बिना कोनो नइ रइ सकय। कर्म के फल जरूर मिलके रइथे। जइसन कर्म होही,वइसन फल मिलही।"बोंए पेंड़ बबूल के आम कहाँ ले होय।"

   कर्मवाद आत्मनिर्भर तको बनाथे। हर भारतवासी ला कर्मयोगी बन बर कदम उठाना चाही।


शोषण के विरोध अउ दबे-कुचले ला साथ देना---

श्रीकृष्ण अपन युग के अत्याचारी क्रूर शोषक कंस के ,जरासंध के ,नरकासुर के , दुर्योधन के ,अकासुर, बकासुर ---आदि के पुरजोर विरोध करिस।

शोषित होए पाँडव मन के साथ दिस। गरीब ग्वाला  मन ला गले लगाइस।दीन-दुखी गरीब सुदामा संग द्वारिकाधीश होके तको मित्रता निभाइस। ये सब विशेष गुण वोला सच्चा लोकनायक बना दिस।

        आधुनिक भारत मा तथाकथित लोक सेवक मन ला श्रीकृष्ण ले शिक्षा लेना चाही। अउ जनता ला तको शोषक मन ला उखाड़ फेंके बर जागरूक होना चाही। कोन सच्चा हितैषी अउ कोन गला मुरकेटने वाला ये तेकर परख करना चाही।


शांति अउ अहिंसा के समर्थन फेर स्वाभिमान के रक्षा--


श्रीकृष्ण शांति अउ अहिंसा के प्रबल समर्थक रहिस। महाभारत युद्व के पहिली हिंसा ला टाले बर कौरव सभा मा शांतिदूत बनके गेइस। जब दुर्योधन नइ मानिस त पाँडव मन ला धर्म रक्षा ,सत्य के रक्षा अउ स्वाभिमान के रक्षा बर हथियार उठाये ला कहिस। भयग्रस्त अजुर्न ला गाँडिव उठवाइ अउ महाभारत करवा दिस। ओइसने शिशुपाल के 99 गारी ला शांति पूर्वक सुन लिस अउ जब पानी सिर तक पहुचगे त चक्र चलाके वोकर मूँड़ ला काट दिस।

   बड़ गौरव के बात हे आज आधुनिक भारत के विदेश नीति मा इही सिद्धांत लागू दिखथे। महात्मा गाँधी के अहिंसक सत्याग्रह आंदोलन अउ असहयोग आंदोलन मा एखर छाप रहिस। जब अँग्रेज मन के अति होगे अउ स्वाभिमान मा बट्टा लगे ला धर लिस ता " करो या मरो" के नारा बुलंद करिस। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के "आजाद हिंद फौज" पाँडव सेना कस लड़िस। अमर शहीद क्रांतिकारी मन "जैसे को तैसा" सिद्धांत ला अपनाइन।




         अइसे तो पूर्णावतार, लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण अगम-अपार हे ,वोकर अंश मात्र तको के पूरा बखान कोई नइ कर सकय ।

       कुल मिलाके देखे जाय तो जगत गुरु श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन अउ शिक्षा आधुनिक भारत के संदर्भ मा बहुतेच उपयोगी हे। 

   शरीर ला तको जगत के उपमा दे गेहे ।जइसे सृष्टि पाँच तत्व ले बने हे ओइसने मनखे के शरीर तको हे।इखर भीतर मा आत्मारूपी जगत गुरु श्रीकृष्ण बइठे हे।वोकर आवाज ला सुनके अपन मानवता ला जगाके ,अपन जीवन ला धन्य करके ,भारत ला पुन: विश्वगुरु बनाना हे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़


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 चित्रा श्रीवास: *आज के भारत अउ श्री कृष्ण*



*कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन*।

*मा कर्मफलहेतुःर्भूमा ते संगोस्त्वकर्मणि*।।


  कर्म करे मा तोर अधिकार हावे,कर्म के फल मा नइ हे तेखर कारण तयँ हा फल पाये बर कर्म झन कर अउ झन अइसे सोच के फल  के आसरा नइ हे त कर्म  काबर करवँ।

        कुरुक्षेत्र के मैदान मा अर्जुन ला निष्काम कर्म के शिक्षा देवत सबले बड़का कर्मयोगी श्रीकृष्ण ।या फेर बचपन के मितान गरीब सुदामा के गोड़ धोवत ,मितानी के उदाहरण बनत श्रीकृष्ण।महाभारत के युद्ध मा युद्ध के रणनीति बनात महारणनीतिज्ञ।बुद्धि, चतुराई, गुरुत्व ,नेतृत्व क्षमता,आकर्षण,   सब गुण कृष्ण मा कूट कूट के भरे हावय जेखर ले मनखे प्रेरणा ले सकत हवे।

              कृष्ण के व्यक्तित्व मा ये सब गुण हा बचपन ले दिखत रहिस हे।वोहा माखन ला मिल बाँट के अपन संगी मन संग खावय,आज के समय मा जब मनखे मनखे के दुश्मन बने हे जात धर्म के नाम मा लड़त हे श्रीकृष्ण के जीवन ले शिक्षा लिये जा सकत हे।प्रकृति ले प्रेम के शिक्षा गोवर्धन पूजा के माध्यम ले दिहिन,देव पूजा इंद्र देव के पूजा करे ले मना करके प्रकृति के पूजा करे बर कहिन काबर कि जन्म ले मृत्यु तक मनखे प्रकृति के बीच मा रहिथे,हवा,पानी ,अनाज,फल ,जंगल ,लकड़ी के उपयोग जब मनखे करथे ता ओखर संरक्षण करना घलौ मनखे के दायित्व आय फेर आज मनखे प्रकृति ला अपने हाथ ले नष्ट करत जावत हे। कालिया मर्दन के माध्यम ले

नदी ,तलाव के साफ सफाई के महत्तम ला बताइन आज के समय मा गंगा ,यमुना सहित महानदी शिवनाथ होय चाहे हमर अरपा प्रदूषण के मार झेलत इँखर दुर्दशा कखरो ले नइ छुपे हावय।निरंकुश राजतंत्र के विरोध करिन एखरे कारण जनता ऊपर अत्याचार करइया दुष्ट कंस के वध करिन।गीत संगीत ला जीवन मा महत्वपूर्ण मानिन इही कारण वो बंशी बजाथें ता गोकुल के सब नर नारी मंत्रमुंग्ध हो जाथें अउ दिन भर के अपन काम बुता के थकान ला भुला जाथें।कृष्ण के मन मा सत्ता के लालच घलौ नइ हे तभे कंस वध के बाद ओखर राज खुद नइ लेके ओखर ददा उग्रसेन ला दे देथें।कुर्सी बर पार्टी ,निष्ठा ,संगी बदलत आज के नेता मन कृष्ण ले कुछु सीख लेवयँ ता बढ़िया हे।पीड़ित पांडव मन के संग दिहिन।

                 उँखर देहे गीता के ज्ञान मनखे समाज ला हरदम रद्दा दिखावत रही।आज के भ्रमित मनखे बर गीता मार्गदर्शक ,पथप्रदर्शक हो सकत हे।कृष्ण के पूरा जीवन चरित्र ही हा मनखे ला बहुत कुछ सीखाथे ।अगर मनखे हा सीखना चाहे तब।

           अतका कन गुण श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व मा हावे जेमा से एक गुण ऐसे हावय जेहा मोला सबले ज्यादा प्रभावित करथे वो गुण हे महिला मन के प्रति उँखर दृष्टिकोण ।महिला सशक्तिकरण ,महिला समानता के प्रबल पक्षधर श्रीकृष्ण।महिला सम्मान के रक्षक श्रीकृष्ण ।हस्तिनापुर के राजसभा मा जब भीष्म ,द्रोण, अर्जुन, भीम जइसे महारथी मन कुछू नइ कर सकिन तब श्रीकृष्ण हा द्रौपदी के सम्मान के रक्षा करथें।आज भारत ला कृष्ण के इही रूप के सबले जादा जरूरत हे जब निर्भया जइसे कांड होवत हे ।नानकिन नोनी ले सियानिन दाई तक कोनों सुरक्षित नइ हे।

घर के अहाता म बंद रहइया गोपी मन ला घर ले बाहिर निकालिन,उँखर स्वाभिमान ला जगाइन ।चाहे रूक्मिणी हो या बहिनी सुभद्रा वर चुने मा नारी के अधिकार के समर्थन करिन।येखर लिये रूक्मिणी के मामला मा शिशुपाल, रूक्मी के सेना ले युद्घ करे बर पड़िस ता सुभद्रा के मामला मा अपनेच बड़े भाई हलधर बलराम के निर्णय के विरोध म जाना पड़िस।आज जब समाज मा खासकर के हरियाणा जइसे अउ कई राज्य मा आनर किलिंग कतको बहनी बेटी मन के जान ले डारे हे

अउ खाप पंचायत हा नइ जाने कतका जान आनर किलिंग ले लिही।

              ये तरह से युग दृष्टा पथप्रदर्शक, विश्व गुरु  मयारुक मितान, दुलरुआ बेटा, स्नेहिल भाई हर रूप मा कृष्ण प्रेरणीय हे।उँखर बारे मा लिखे बर मोर लेखनी बहुत कमजोरहा हे।हा अतका जरूर हे अभी भारत के संगे संग दुनिया के जइसे हालत हे उँखर दिखाय रद्दा म चलके प्रेम, सौहार्द,विश्व बंधुत्व जइसे मानवीय मूल्य मन ला पाये जा सकत हे।अउ भारत हा फेर एक बार विश्व गुरु बन सकत हे।




चित्रा श्रीवास 

बिलासपुर

छत्तीसगढ़

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