सुरता-मुकुटधर पांडे
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पितर पाख सुरु होगिस त लोकाक्षर के एडमिन अरुण निगम जी ल धन्यवाद तो देहे च बर परही के उन सुरता करवा दिहिन के पुरखा साहित्यकार मन ल आखर के अरघ देना चाही ।
मुकुटधर पांडे के जनम 30 सितंबर 1895 ईस्वी , बालपुर जिला बिलासपुर मं होए रहिस । उन हिन्दी के जाने माने साहित्यकार आंय , छायावाद के जनक माने जाथें । छत्तीसगढ़ी भाषा मं उन कालिदास के संस्कृत कृति " मेघदूत " के छत्तीसगढ़ी भाषा मं अनुवाद करे हंवय फेर उन लिखे हें के एहर मेघदूत के छायानुवाद आय ।
समय सुजोग आइस त भारत सरकार उनला पद्मश्री सम्मान दिहिस । रविशंकर विश्व विद्यालय रायपुर उनला डी . लिट् . के मानद उपाधि देहे रहिस । तपस्वी साहित्य साधक मुकुटधर पांडे 6नवम्बर 1968 के दिन धराधाम ल छोड़े रहिन ।
उंकरे अनुदित रचना मेघदूत के चार आखर संग उनला आखर के अरघ देवत हंव ...।
" उत्तरमेघ "
बिजली इहां उहां हे सुंदर चंचल जुबती नारी ,
इंद्रधनुष हे इहां बने हे चित्र उहां मनोहारी ,
गर्जन हे गम्भीर इहां तो उहां मृदंग सुनाथे ,
इहां भरे जल उहां झकाझक मणिमय भूमि सुहाथे ,
तैं अकास मं उहां सरग ला चूमत शिखर बिराजे ,
तोर बराबर महल उहां के हैं अनुपम छबि छाजे । 1 ।
सरला शर्मा
दुर्ग
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